फेसबुक और
इंस्टाग्राम
लाइव
से
हो
रहे
मां
के
दर्शन
घर बैठे
दुर्गोत्सव
का
लोग
ले
रहे
आनंद
श्रद्धालुओं के
घर-घर
पहुंचाया
जा
रहा
भोग
डेढ़ साल
बाद
अनलॉक
हुआ
त्योहार
का
उत्साह
महानवमी पर
पूजा
पंडालों
में
उमड़े
श्रद्धालु
सुरेश गांधी
वाराणसी। अद्भूत व अलौकिक काशी की जगत जननी आदिशक्ति माता दुर्गा पूजा की धूम है। धुप-धुवन से चारों दिशाएं सुगंधित हैं। पूजा पंडाल से ढोल-ढाक और तुरही की सुर लहरियां मां भगवती का आह्वान कर रही है तो भक्तों के पग भी मचल रहे हैं। बच्चे-बूढ़े सब दुर्गोत्सव के रंग में रंगे हैं। एक दिन हानि के साथ शारदीय नवरात्र के नौवें दिन पूजा पंडालों में दुर्गापूजा घूमने आएं श्रद्धालुओं की भीड़ ऐसी थी कि सड़क पर वाहनों की आवाजाही पूरी तरह बंद थी, फिर भी लोगों के हुजूम से सड़क पटा पड़ा था। हर कोई निर्मल-शास्वत, उत्सवी रंग में डूबा हुआ है। सतरंगी रोशनी में काशी का चप्पा-चप्पा सराबोर है। सृष्टि की देवी, त्रिनेत्र धारणी मां जगदंबा की भक्ति में हर कोई लीन-तल्लीन हैं।
मइया के चरणों पर रखे ज्वार अंकुरित होकर प्रष्फुटित हो चुके है, तो मां के दर्शन के लिए भक्तों की उत्कंठा भी हिलोरे मारती नजर आ रही है। धूप-नवेद सुगंधित वातावरण, ढोल-ढाक, करताल के बीच मंत्रों से गुंजायमान है गली-कूचा। पूरे शहर में कौतूहल हैं। भवानी के दर्शन में कहीं पीछे न छूट जाय, हर कदम बरबस पूजा पंडालों की ओर बढ़ता जा रहा है। बता दें, कोरोना काल में लोगों के रहन-सहन के तरीके के साथ ही जीवन की कई चीजें बदल गई हैं। इसका असर दुर्गोत्सव का पर लगातार दूसरे वर्ष भी दिख रहा है। हर साल उमंग और उल्लास के साथ मनाया जाने वाला मां दुर्गा का उत्सव इस बार भी बदला-बदला है। आस्था वही है लेकिन उसने अपना नया रास्ता बना लिया। यह नया रास्ता सजगता का है।
भक्त दूर से ही माता
के दर्शन कर रहे हैं
और आशीर्वाद ले रहे हैं।
इसके अलावा भक्त मोबाइल ऐप के माध्यम
से पूजा की लाइव दर्शन
देख रहे है। मास्क के बिना किसी
भी व्यक्ति को मंडप के
अंदर प्रवेश नहीं मिल रहा है। अधिकतर जगह पर भोग का
सामूहिक वितरण नहीं हो रहा है।
श्रद्धालुओं के घर तक
भोग पहुंचाया जा रहा है।
पंडाल में भीड़ न हो इसके
लिए वेरीकेटिंग की गई है।
प्रतिमा और श्रद्धालुओं के
बीच की दूरी कम
से कम 15 फीट है। खास यह है कि
गाइडलाइन के अनुपालन में
मां की प्रतिमा का
आकार छोटा बनाया गया है। आपदा प्रबंधन के निर्देश के
तहत मंडप को ज्यादा हाईलाइट
नहीं करने का निर्देश है।
ताकि भीड़ में जुटे कोरोना वायरस इन के तहत
न फैल सके। इस वर्ष सभी
पूजा समितियों को 5 फीट की ऊंचाई तक
मां की मूर्ति बैठाने
का निर्देश है।
हालांकि मां का भव्य स्वरूप
श्रद्धालुओं का मन मोह
रहा है। शाम छह बजे से
रात 12 बजे तक हर पंडाल
में भारी भीड़ उमड़ी। इसके चलते सभी सड़कें जाम हैं। जाम भी ऐसी कि
गाड़ियां सिर्फ सरक रही हैं। सड़कों पर आस्था है,
उमंग है और उत्साह
है। डेढ़ साल बाद त्योहार के मौके पर
आस्था से सराबोर यह
उत्साह ठीक उसी रंग में लौटा है, जैसा दशहरे में काशी में दिखता रहा है।
सिद्धिदात्री देवी के दर्शन को उमड़े भक्त
माता से
मांगा
सुख
और
स्वास्थ्य
का
वरदान
वाराणसी। नवरात्रि में नौवें दिन माता सिद्धदात्री के दर्शन का
विधान है। माता को यश, विद्या,
बुद्धि और बल की
देवी के रूप में
पूजा जाता है। काशी में सिद्धिदात्री माता का अति प्राचीन
मंदिर मैदागिन गोलघर इलाके के सिद्धमाता गली
में स्थित है। माता को सभी सिद्धियों
की दात्री कहा जाता है। नवरात्रि की नवमी को
इनकी पूजा करने से ही नवरात्रि
के व्रत को पूर्ण माना
जाता है। काशी स्थित सिद्धदात्री माता के मंदिर में
गुरुवार की सुबह से
ही भक्तों की भीड़ दर्शन-पूजन के लिए उमड़
गई। आज मां के
दर्शन के लिए भक्त
ना केवल वाराणसी, बल्कि दूरदराज के इलाकों से
भी पहुंचे। घंटों इंतजार करने के बाद भक्तों
को माता सिद्धिदात्री के दर्शन का
मौका मिला। धार्मिक मान्यता है कि नवरात्रि
के आठ दिनों में
जो भक्त देवी दरबार में हाजिरी नहीं लगा पाते हैं, वो नवमी के
दिन मां सिद्धिदात्री के दर्शन कर
लेते हैं तो उनको नवरात्रि
व्रत के पूर्ण फल
की प्राप्ति हो जाती है।
काशी शिव और शक्ति की
भूमि है। यहां पर शिव भगवान
की पूजा होती है तो शक्ति
स्वरूप माता आदिशक्ति की आराधना करने
का भी विशष रूप
से विधान है।
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