Sunday, 3 October 2021

पर्दा व मृत्यु भोज जैसी कुरीतियों का कुचक्र को तोड़ना ही होगा : रवीन्द्र

पर्दा मृत्यु भोज जैसी कुरीतियों का कुचक्र को तोड़ना ही होगा : रवीन्द्र

समाज से बेटा बेटी को समान अवसर देने का आह्वान

सुरेश गांधी

वाराणसी। मृत्युभोज, पर्दा प्रथा, बेटा-बेटी में भेदभाव जैसी कुरीतियां समाज के विकास में सबसे बड़ी बाधा है। ऐसे में इन कुरीतियों को दूर करने के लिए समूचा जायसवाल समाज को एकजुटता दिखाते हुए कुरीतियों का पूर्ण बहिष्कार करना होगा। खासकर बेटा बेटी में बिना भेदभाव के सामान अवसर देना होगा। यह बाते सूबे के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) स्टाम्प, न्यायालय शुल्क एवं निबंधन विभाग रवीन्द्र जायसवाल ने कहीं। वे रविवार को शहर के वीएनएस वरुणा होटल, सिगरा में जायसवाल क्लब के बैनर तले दो दिवसीय तीसरे राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन अवसर पर मुख्य अतिथि के रुप में स्वजातिय बंधुओं को संबोधित कर रहे थे।

श्री जायसवाल ने क्लब के संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज जायसवाल का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि उनके कुशल नेतृत्व में क्लब का भारत के हर राज्यों में ही नहीं जिलों गांवों से लेकर विदेशों में विस्तार हो रहा है। उन्होंने कहा कि इंसान स्वार्थ खाने के लालच में कितना गिरता है उसका नमूना होती है सामाजिक कुरीतियां। ऐसी ही एक पीड़ा देने वाली कुरीति वर्षों पहले कुछ स्वार्थी लोगों द्वारा भोले-भाले इंसानों में फैलाई गई थी वो है मृत्युभोज। मानव विकास के रास्ते में यह गंदगी कैसे पनप गई यह समझ से परे है। जानवर भी अपने किसी साथी के मरने पर मिलकर दुख प्रकट करते हैं। लेकिन इंसानी बेईमान दिमाग की करतूतें देखो कि यहां किसी व्यक्ति के मरने पर उसके साथी, सगे-संबंधी भोज करते हैं। मिठाइयां खाते हैं। यह एक सामाजिक बुराई है। इसको खत्म करने के लिए हम सभी को जागरूक होकर काम करना पड़ेगा और यह तभी रुकेगा जब हम उसके दुख में शरीक तो हो, लेकिन भोजन ना करें। ऐसा समाज के दो-चार, दस लोगों ने करना शुरु किया तो धीरे-धीरे यह प्रथा खत्म हो जायेगी। उन्होंने कहा कि किसी घर में खुशी का मौका हो, तो समझ आता है कि मिठाई बनाकर, खिलाकर खुशी का इजहार करें, खुशी जाहिर करें। लेकिन किसी व्यक्ति के मरने पर मिठाइयां परोसी जाएं, खाई जाएं, इस शर्मनाक परम्परा को मानवता की किस श्रेणी में रखें।

श्री जायसवाल ने कहा कि मृत्युभोज पर धन राशि खर्च करते हुए उस राशि को अपने बच्चों की शिक्षा पर खर्च करें। जिससे वे पढ़ लिखकर देश और समाज के लिए अच्छा काम कर सकें। शिक्षित व्यक्ति सही मायने में संसार में सबसे अधिक धनी व्यक्ति होता है। रुपया पैसा गाड़ी बंगला जेवरात, ये सभी वस्तुएं एक समय के बाद समाप्त हो जाती हैं। लेकिन शिक्षा एक मात्र ऐसा धन है जो कि जितना खर्च करो बढ़ता ही जाता है। इसलिए समाज के लोगों को चाहिए कि वह बेटी को शिक्षित होने तक किचेन में ना भेजे और बेटे को शिक्षित होने तक गद्दी पर ना बैठाएं। उन्होंने कहा कि उदारीकरण के दौर में कोशिश होनी चाहिए की बेटियों की जेब पैसों से भरी हो। बेटियां आत्मनिर्भर होती जाएंगी तो दहेज जैसी समस्या का कोई मतलब नहीं रह जाएगा। अब तो सक्षम बेटियां माता-पिता का संबल भी बन रही हैं।

श्री जायसवाल ने कहा कि पर्दा प्रथा जैसी सामाजिक कुरीतियों पर पूर्णतया रोक पाने में महज प्रशासन अथवा सरकार की ही नहीं बल्कि पूरे समाज की सहभागिता ही एक बड़ा सकारात्मक बदलाव ला सकती है। श्री जायसवाल समाज से सीधा रूबरू होते हुए सवाल किया कि क्या पर्दा प्रथा के तहत क्या बड़े बुजुर्गो का सम्मान महिलाओं द्वारा केवल घूघट निकालकर ही किया जा सकता है? घूंघट में रहकर समाज को नई दिशा देने में महिला सशक्तीकरण के रूप में महिलाएं क्या आगे बढ़ सकती है? ऐसे में समाज के लोगों ने उत्सुकता वश एक स्वर में ना की ध्वनि के साथ मंत्री के अभियान का स्वागत किया। उन्हें खुशी है कभी महिलाएं चादर ओढ़े बिना घर से नहीं निकलती थीं लेकिन अब बेरोकटोक घूम रही हैं। इसमें और जागरुकता लाने की जरुरत है। मगर सबसे ज्यादा जरूरी है बेटी को स्कूल भेजना क्योंकि एक बेटी दो परिवारों को शिक्षित करती है। मतलब साफ है समाज को बेटी की शादी करके गंगा नहाने की सोच से उबरना होगा।

श्री जायसवाल ने कहा कि बेटा बेटी का फर्क मिटाने के बाद ही सही मायने में नारी सशक्तीकरण की अवधारणा चरितार्थ होगी। आज बेटियां हर क्षेत्र में बेटों से आगे हैं। समाज में आज भी लोग बेटों को अधिक महत्व देते हैं, लेकिन अगर बेटा की तरह बेटियों को भी समान शिक्षा और समान अवसर दिया जाए, तो बेटियां सफलता का परचम लहरा सकती हैं। समाज को अपनी रूढ़िवादी सोच बदलनी होगी। शिक्षित तथा सभ्य समाज का निर्माण तभी होगा, जब बेटियां हर क्षेत्र में बिना किसी भेदभाव के बराबरी का अधिकार प्राप्त कर सके। श्री जायसवाल ने कहा कि जीवंत और मजबूत राष्ट्र के निर्माण में महिलाओं के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। कहते हैं कि जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं। भारतीय संस्कृति में महिला के सम्मान को बहुत महत्व दिया गया है। कई महिलाओं ने कठिन परिश्रम करके खुद को सशक्त बनाया है। जब महिलाएं शिक्षित होंगी तभी समाज की दिशा दशा में और ज्यादा सुधार होगा। साथ ही नारी का सम्मान भी और अधिक बढ़ जाएगा।

चंदा चौधरी ने रवीन्द्र का पशुपतिनाथ स्मृति चिन्ह से किया स्वागत

                कार्यक्रम में नेपाल से आई पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं सांसद चंदा चौधरी ने राज्यमंत्री रवीन्द्र जायसवाल को बाबा पशुपतिनाथ स्मृति चिन्ह भेंटकर स्वागत किया। इसके पूर्व देश भर से आएं स्वजातिय बंधुओं जायसवाल क्लब के पदाधिकारियों ने फूलमालाओं से राज्यमंत्री रवीन्द्र जायसवाल का स्वागत किया। इसके बाद वरुणा होटल के डायरेक्टर एवं समाजसेवी संजय जायसवाल को राज्यमंत्री ने स्मृति चिन्ह साल भेटकर सम्मानित किया और कहा कि उन्हें खुशी है बदलते परिवेश में समाज अब दरी कल्चर से हटकर वातानुकुलित हॉल कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है। सम्मेलन में नेपाल सहित देश के कोने-कोने से आएं स्वजातिय पदाधिकारियों ने समाज की समस्याओं, राजनीतिक हिस्सेदारी, शिक्षा एकजुटता पर चर्चा की। कार्यक्रम का संचालन प्रदेश अध्यक्ष नन्दलाल जायसवाल ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ समाज के कुलदेवता परम् पूज्य राजराजेश्वरी भगवान सहस्त्रबाहु जी महराज के तैलचित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया गया। इस मौके पर हरिद्वार से आए परम् पूज्य सदगुरुदेव महामंडलेश्वर 1008 स्वामी संतोषानंद देव जी, नेपाल सरकार की पूर्व कैबिनेट मंत्री सांसद श्रीमती चंदा चौधरी, कर्नाटक के राजनीतिक पार्टी टीएमके की कोषाध्यक्ष एवं क्लब के महिला विंग की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती तिलगबामा. महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कामर्स विभाग के डीन प्रो कृपाशंकर जायसवाल, क्लब के संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज जायसवाल, मुबई से आएं संजय कलवार, हैदराबाद से आएं वीं कुमार गौड़, विजय जाराघवेन्द्र गौड़, बंगलोर से आई सीमा शेखर गौड़, गुजरात से आई श्रीमती सोनिया, श्रीमती मीनू जायसवाल, वीरेन्द्र जायसवाल, मानव जायसवाल पश्चिम बंगाल, कर्नाटक से सोम राघवेंद्र, दिल्ली से मीनू एडवोकेट पंकज, राजस्थान से निला सुहालका, गुजरात से जयश्री बेन राजेश जायसवाल, औरंगाबाद महाराष्ट्र से पंकज सचिन, मध्य प्रदेश से आई आरती जायसवाल, डा संजय चौधरी, बिहार से हरेराम चौधरी, राजीव रंजन, अखिलेश जायसवाल, राधेश्याम प्रसाद मधुसूदन, दीपक जायसवाल, केशव सिंह शिवहरे झाँसी, युवा विंग के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष जायसवाल, विजय प्रकाश जायसवाल, पंकज जायसवाल, अमित भगत, शैलेश जायसवाल, ईशान जायसवाल, ज्ञानेश्वर जायसवाल, दुद्धी से रवीन्द्र जायसवाल, भदोही से चेयरमैन अशोक जायसवाल, संजीव जायसवाल, सुजीत जायसवाल, शरद जायसवाल, जौनपुर से विजय जायसवाल, अजय जायसवाल, रमेश जायसवाल, नीरज जायसवाल, भगवानदास जायसवाल, अरविन्द जायसवाल, जीत जायसवाल, डॉ संजय चौधरी, मुरली जायसवाल, जीतेन्द्र जायसवाल, धर्मेंद्र जायसवाल, प्रीति जायसवाल, रीना जायसवाल आदि मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन ने किया। 

 

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