तकनीकी क्षमता आज पत्रकारों की महत्वपूर्ण योग्यता : शशि शेखर
लोकतंत्र को
जीवित
रखने
के
लिए
पत्रकारों
का
दायित्व
महत्वपूर्ण
: राम
मोहन
पाठक
‘साहित्य और पत्रकारिता-नये
आयाम’
विषयक
संगोष्ठी
सुरेश गांधी
वाराणसी। तकनीकी क्षमता आज पत्रकारों की
महत्वपूर्ण योग्यता है। मीडिया में तकनीक का बढ़ता इस्तेमाल
पत्रकारों के लिए बड़ी
चुनौती है, लेकिन हमें टेक्नोलॉजी को ही अपना
दोस्त बनाना होगा। इतिहास वही लोग बनाते हैं, जो नई तकनीक
के साथ कदम मिलाकर चलते हैं। यह बातें हिन्दुस्तान
समूह के प्रधान संपादक
श्री शशि शेखर ने कही। वे
सोमवार को पराड़कर स्मृति
भवन में काशी पत्रकार संघ के तत्वावधान में
आयोजित ‘साहित्य और पत्रकारिता-नये
आयाम’ विषयक संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रुप में
पत्रकारों को संबोधित कर
रहे थे।
उन्होंने कहा कि पत्रकारिता का
सौभाग्य रहा है कि समय
और समाज के प्रति जागरूक
पत्रकारों ने निश्चित लक्ष्य
राष्ट्रीयता,
सांस्कृतिक उत्थान और लोक जागरण
के लिए साहित्य से खुद को
जोड़ा। अपने वाराणसी कार्यकाल के अनुभवों को
साझा करते हुए उन्होंने कहा कि सफरनामा-2
में
सीधे,
सपाट और सरल शब्दों
में कृष्णदेव नारायण ने अपनी यात्रा
के अनुभवों को लिखा है।
मनुष्य के विकास की
यात्रा में यात्राओं का महत्वपूर्ण योगदान
है।
दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा एवं चेन्नई के पूर्व कुलपति
व काशी पत्रकार संघ के पूर्व अध्यक्ष
प्रो राममोहन पाठक ने कहा कि
सम्पादक नाम की संस्था आज
भी जीवित है। पत्रकारिता और साहित्य निरंतर
साधना है। पत्रकारिता में साहित्य की अन्तर्धारा बनाए
रखने की जरूरत है।
काषी पत्रकारिता की कसौटी है
और पूरे देश में अपनी पहचान बनाएं हुए है। तथ्य और सत्य ही
पत्रकारिता की आत्मा है।
उन्हें खुशी है कि लिफाफे
के इस दौर में
भी जहां लिफाफे के बगैर आप
एक विज्ञप्ति नहीं छपवा सकते है,
वहां कुछ साथी अब भी निर्भिकतापूर्वक
पत्रकारिता की अलख जगाएं
हुए है। प्रो राममोहन पाठक ने कहा कि
आलोचनाएं आदमी को गढ़ती है
और आलोचनाओं के चोट से
ही बाबा विष्वनाथ बनते है। पत्रकारों को सत्य आधारित
पत्रकारिता करनी चाहिए। प्रजातंत्र को जीवित रखने
के लिए पत्रकारों का यह दायित्व
महत्वपूर्ण है। हिंदी साहित्य और पत्रकारिता का
जो शुरुआती इतिहास है, उसमें पत्रकारिता और साहित्य के
बीच कोई अलगाव नहीं था। अच्छे लेखक ही पत्रकार थे
या कहें कि अच्छे पत्रकार
ही लेखक थे। अगर मैं लेखक या पत्रकार में
से यह चुनाव करूं
कि किसको अभिव्यक्ति की ज्यादा स्वतंत्रता
है तो मेरा उत्तर
लेखक होगा। क्योंकि पत्रकारों को विभिन्न अंकुशोंके
बीच काम करना होता है।
पूर्व आईपीएस व महात्मा गांधी
अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय,
वर्धा के पूर्व कुलपति
विभूति नारायण ने इस बात
पर चिंता जताई कि पत्रकारिता में
साहित्य हाशिए पर जा रहा
है। कहा कि राष्ट्रीय महत्व
ही पत्रकारिता की कसौटी है।
हिन्दी भाषा विकास की पूरी प्रक्रिया
हिन्दी पत्रकारिता के भाषा विश्लेषण
से समझी जा सकती है। अन्य वक्ताओं के अलावा डा
जितेन्द्र नाथ मिश्र व विजय नारायण
राय ने कहा कि
साहित्य के बिना पत्रकारिता
की बात और पत्रकारिता के
बिना साहित्य की बात करना
बेमानी है। पत्रकारिता अपने उद्भवकाल से लोकमंगल की
भावना लेकर चली है। साहित्य में भी यही भाव
अन्तर्निहित है। यह भाव साहित्य
और पत्रकारिता में देखा जा सकता है।
इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार
कृष्णदेव नारायण राय की पुस्तक ‘सफरनामा-2’
का विमोचन भी हुआ। कृष्ण
देव नारायण राय ने पुस्तक लिखने
के प्रयोजन पर विचार रखें।
संचालन संघ के महामंत्री डा
अत्रि भारद्वाज व अध्यक्षता संघ
के अध्यक्ष सुभाषचन्द्र सिंह और धन्यवाद हिमांशु
उपाध्याय ने किया। इस मौके पर
संघ के कोषाध्यक्ष जितेन्द्र
श्रीवास्तव, उपाध्यक्ष कमलेश चतुर्वेदी, पूर्व अध्यक्ष राजनाथ तिवारी, गोपेश पाण्डेय, योगेश गुप्त, यादवेश कुमार, रजनीश त्रिपाठी, पद्मपति शर्मा, सियाराम यादव, अजय राय, कुमार दिनेश, विजय शंकर पाण्डेय, एके लारी, विभूति नारायण चतुर्वेदी, आशुतोश पांडेय, डा राजकुमार सिंह,
डा अरविन्द सिंह, लोलार्क द्विवेदी, आर संजय, सुनील
शुक्ला, सुरेश प्रताप, शुभाकर दूबे, अखिलेश मिश्र, सुरेश गांधी सहित बड़ी संख्या में पत्रकार उपस्थित रहें।
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