Tuesday, 21 December 2021

बनास डेयरी पूर्वांचल में भी करेगी दुग्ध क्रांति, किसानों की नगद कमाई का बनेगा जरिया

बनास डेयरी पूर्वांचल में भी करेगी दुग्ध क्रांति, किसानों की नगद कमाई का बनेगा जरिया

जी हां, बनासकांठा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ लिमिटेड, जिसे बनास डेयरी (अमूल) भी कहते है, वह गुजरात यूपी के कानपुर का ही नहीं, बल्कि अब यूपी के पूर्वांचल का भी सबसे ज्यादा दुग्ध उत्पादित करने वाला क्षेत्र होगा। 23 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसकी आधारशिला रखेंगे, जो अगले डेढ़ साल बनकर तैयार हो जायेगा। बनास डेयरी के चेयरमैन शंकरभाई चौधरी की मानें तो इस डेयरी से वाराणसी, जौनपुर, चंदौली, भदोही, गाजीपुर, मिर्जापुर और आजमगढ़ के तकरीबन 1000 गांवों के किसानों की नगद कमाई का जरिया बनेगा। खास यह है कि इस प्लांट से आइसक्रीम, पनीर, बटर मिल्क, दही, लस्सी और अमूल मिठाई का भी उत्पादन होगा। इस प्लांट की एक बेकरी यूनिट भी होगी। इसमें महिलाओं और बच्चों के लिए पूरक पोषण आहार उत्पादन के लिए टेक होम राशन संयंत्र भी शामिल होगा। इससे सिर्फ लगभग 750 लोग प्रत्यक्ष और 2350 लोग अप्रत्यक्ष रुप से जुड़ेंगे, बल्कि प्रतिमाह उनके दूध के बदले 8,000 से 10,000 रुपए तक का लाभ होगा। इस तरह से वाराणसी सहित पूर्वांचल के 7 जिलों के लगभग 10 हजार लोगों को गांवों में ही रोजगार उपलब्ध कराने का काम बनास डेयरी (अमूल) करेगा

सुरेश गांधी

फिरहाल, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 23 दिसम्बर को वाराणसी-जौनपुर मार्ग के पिंडरा स्थित करखियांव में बनने वाले पांच लाख लीटर दूध उत्पादन क्षमता वाले गुजरात के बनासकांठा जिला दुग्ध उत्पादक संघ लिमिटेड की शाखा बनास डेयरी (अमूल) प्लांट की नींव रखेंगे। इसकी तैयारियां पूरी हो चुकी है। बनास डेयरी के चेयरमैन शंकरभाई चौधरी ने बताया कि 30 एकड़ जमीन में 457 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित होने वाली इस प्लांट की पीएम के हाथों शिलान्यास के बाद निर्माण का काम युद्धस्तर पर शुरू हो जाएगा। उम्मीद है कि 15 से 18 माह में यह प्लांट बनकर तैयार हो जाएगा। इससे वाराणसी और इसके आसपास जिले जैसे जौनपुर, चंदौली, भदोही, मिर्जापुर, आजमगढ़ गाजीपुर आदि के पशुपालकों को कम पूजी में घर बैठे रोजगार का अवसर मिलेगा। खास बात यह है कि शिलान्यास के बाद प्रधानमंत्री बनास डेयरी के 1,75,000 दुग्ध उत्पादकों के खाते में 2020-21 के लाभांश के 35.19 करोड़ रुपए डिजिटल सिस्टम से ट्रांसफर करेंगे। शंकरभाई चौधरी के मुताबिक इस प्लांट में प्रतिदिन 50 हजार लीटर आइसक्रीम, 20 टन पनीर, 75 हजार लीटर बटर मिल्क, 50 टन दही, 15 हजार लीटर लस्सी और 10 हजार किलोग्राम अमूल मिठाई का उत्पादन होगा। इस प्लांट की एक बेकरी यूनिट भी होगी। इसमें महिलाओं और बच्चों के लिए पूरक पोषण आहार उत्पादन के लिए टेक होम राशन संयंत्र भी शामिल होगा। हमारा लक्ष्य है कि हम 5 लाख लीटर दुग्ध उत्पाद की अपनी क्षमता को 10 लाख लीटर तक ले जाएं।

शंकरभाई चौधरी ने बताया कि जुलाई 2021 में हमने डेयरी फार्मिंग के लिए वाराणसी के किसान परिवारों को सर्वेश्रेष्ठ गोवंश की 100 देसी गायें दी थी। इन किसानों को गोपालन और डेयरी फार्म प्रबंधन प्रशिक्षण दिया गया था और पशु पालन के लिए लगातार मार्गदर्शन भी दिया जा रहा है। मौजूदा समय में वाराणसी के 111 स्थानों से रोजाना 25 हजार लीटर से अधिक दूध इकट्ठा किया जा रहा है। शंकरभाई चौधरी ने बताया कि बनास डेयरी रोजाना 68 लाख लीटर दूध एकत्रित करती है जो एशिया के देशों में सर्वाधिक है। इसके साथ ही यह दूध अमूल की कुल दूध प्राप्ति में एक तिहाई योगदान है। दुग्ध उत्पादकों को कंपनी अपने लाभांश का कुछ प्रतिशत भी वर्ष के अंत में भुगतान करेगी। कंपनी के पशु चिकित्सक डा. एसवी पटेल ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने युवाओं को रोजगार देने के उद्देश्य से काशी में इस प्लांट की नींव रख रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस प्लांट में अत्याधुनिक मशीनें लगाई जाएंगी।

हर गांव में बनेगा कलेक्शन सेंटर

शिलान्यास के बाद प्लांट निर्माण का काम शुरू तो होगा ही इसके साथ-साथ कंपनी के अधिकारी 50 किमी परिधि क्षेत्र के गांवों को जोड़ने में जुट जाएंगे। तैयारी यह भी है कि कंपनी हर गांव में दूध कलेक्शन सेंटर खोलेगी। इसके लिए हर गांव में दूध क्रय समिति बनाई जाएगी। जो स्टैंडर्ड आपरेटिंग प्रासेस (एसओपी) के तहत दूध खरीदेंगी। हर गांव का रूट बनाया जाएगा। निर्धारित समय पर कंपनी की गाड़ी से दूध का कलेक्शन किया जाएगा।

बनाया जाएगा चिलिंग सेंटर

दूर-दराज के गांवों से दूध खरीदकर प्लांट तक लाने के लिए बीच में एक चिलिंग सेंटर बनाया जाएगा। जिससे दूध खराब हो। इससे यह सुविधा मिली कि रात का दूध समिति एकत्रित करके चिलिंग सेंटर में रख देगी। सुबह कंपनी की गाड़ी जाकर एकत्रित दूध को प्लांट तक लाएगी।

कृत्रिम गर्भाधान की भी रहेगी व्यवस्था

प्लांट शुरु होने के बाद अच्छे नस्लों के पशुओं के लिए कंपनी कृत्रिम गर्भाधान की व्यवस्था करेगी। जिससे कि अधिक दुग्ध उत्पादन हो सके। साथ-साथ उत्पादकर्ता अधिक मुनाफा कमा सके। कंपनी की ओर से दुग्ध उत्पादकों को उच्च गुणवत्ता वाला पशु आहार भी उपलब्ध कराया जाएगा। इसके लिए अलग समिति होगी। यह पशु आहार सामान्य पशु आहार की तुलना में दो से तीन लीटर तक दूध के उत्पादन को बढ़ाएगा।

गुजरात में दूध बेचकर लखपति बनी हैं महिलाएं

एक दूध का ही कारोबार ऐसा था, जिसकी मांग लगातार बनी रही। दूध या दूध से बने सामान का ऐसा बिजनेस है जो कभी फेल नहीं होता। जिसमें कभी मंदी नहीं आती। दूध के कारोबार में केवल पुरुष बल्कि महिलाएं भी कामयाबी की इबारत लिख रही हैं। गुजरात में हजारों ऐसी महिलाएं हैं जो दूध से अपनी किस्मत बदल रही हैं। बनास डेयरी के चेयरमैन शंकरभाई चौधरी की मानें तो गुजरात की एक-दो नहीं सैकड़ो ऐसी उद्यमी महिलाएं है जो दूध बेचकर लाखों करोड़ों रुपये हर साल कमा रही हैं। ये महिलाएं ना केवल अच्छी कमाई कर रही हैं बल्कि अपने यहां कई लोगों को रोजगार भी दे रही हैं। खास यह है कि ये महिलाएं गांव में रहकर ही शहर के किसी अच्छे खासे कारोबारी को पछाड़ रही हैं और कामयाबी की नई इबारत लिख रही हैं। ये महिलाएं डेयरी और पशुपालन के कारोबार में लगी हुई हैं। उन्होंने चौधरी नवलबेन का नाम लेते हुए बताया कि नवलबेन ने बीते साल 2,21,595 किलोग्राम दूध बेचकर 87.95 लाख रुपये की कमाई की। इसी तरह मालवी कनूबेन रावताभाई ने 2,50,745 किलोग्राम दूध के बेचकर 73.56 लाख रुपये कमाए थे। छावड़ा हंसाबा हिम्मतसिंह ने 72.19 लाख रुपये की कमाई की है। श्री चौधरी ने बताया कि कुछ बरसों पहले बनासकांठा गुजरात का सबसे पिछड़ा जिला था। पानी कम था इसलिए जिंदगी आसान नहीं थी। लेकिन सहकारी तौर पर डेयरी का व्यवसाय गुजरात में ऐसा अपनाया गया कि ये सबसे पिछड़ा जिला आज सिर्फ देश का ही नहीं लेकिन पूरे एशिया का सबसे ज्यादा दुग्ध उत्पादित करने वाला जिला बन गया है। यहां की बनास डेयरी रोज करीब 50 लाख लीटर दूध इकट्ठा करती है, और उसमें से रोजमर्रा के दूध के अलावा इस तरह बटर, आइसक्रीम और अन्य उत्पाद बनाकर वैल्यू एडिशन करके किसानों के लिए मुनाफा जमा करती है। वजह पशुपालन से जुड़ी हर सुविधा पशुपालकों को मुफ्त मुहैया करवाना है।

वैज्ञानिक तरीके से बनता है पशु आहार

बनास डेयरी के चेयरमैन शंकर चौधरी का कहना है कि सिर्फ दूध जमाकर उसे बेचना ही सहकारिता नहीं है। बल्कि पशुओं के बीमार होने पर मुफ्त में पशु चिकित्सक की सुविधा भी मुहैया कराया जाता है। चारे की ऐसी फैक्टरियां बनाई गयी हैं जहां वैज्ञानिक तरीके से चारा बनता है। वो खाने से पशु दूध भी ज्यादा देते हैं। एशिया में नाम कमाने के बाद अब बनास डेयरी पूरे देश में ये दूध क्रांति की तैयारी में है।

दूर होगी पशु पालकों की समस्याएं

सबसे पहले गुजरात के बाहर उत्तर प्रदेश में अपना सहकारी मॉडल आजमाया जा रहा है। बनास डेयरी उत्तर प्रदेश के करीब 10 से ज्यादा जिलों में अपने मॉडल से दूध उत्पादन और अन्य उत्पाद बनाएगी। उत्तर प्रदेश गुजरात से बहुत बड़ा है। दूध भी गुजरात से चार गुना होता है लेकिन संग्रह और मार्केटिंग की व्यवस्था होने से पशुपालक परेशान हैं, उन्हें अपने दूध के सही दाम नहीं मिलते। गुजरात में आज प्रति लीटर पशुपालक को करीब 42 से ज्यादा रुपए दिए जाते हैं जो कि देश में सबसे बेहतर है। शंकर चौधरी के मुताबिक फिलहाल बनास डेयरी उत्तर प्रदेश में रोजाना करीब तीन लाख लीटर दूध इकट्ठा कर रही है और 2022 तक 20 लाख लीटर तक का लक्ष्य है। लखनऊ और कानपुर में इसके लिए फैक्टरियां भी बना ली गईं हैं। जल्द ही वाराणसी में भी फैक्टरी तैयार हो जाएगी।

पशुपालक ही होंगे मालिक

सब कुछ गुजरात के सहकारी मॉडल से ही होगा जहां डेयरी का मालिक कोई नहीं है, खुद पशुपालक ही हैं। जो भी मुनाफा होता है वो भी पशुपालकों को साल के अन्त में बोनस के तौर पर मिल जाता है। उत्तर प्रदेश अगर गुजरात को मॉडल सही तौर पर अपना पाया तो गुजरात से आगे निकलने की भी गुंजाईश है। किसानों को लग रहा है अगर दूध के साथ साथ कृषि में भी अगर सहकारी मॉडल अपनाया जाय तो किसानों की बदहाली भी कुछ कम हो सकने की गुंजाइश है। बता दें कि बनास डेयरी के बराबर की डेयरी फिर इससे बड़ी डेयरी भी अपने किसानों को इतना फायदा नहीं पहुंचाते हैं। अर्जेंटीना अपने किसानों को 22 रुपये लीटर, ब्राजील 31 रुपये लीटर, न्यूजीलैंड और अमेरिका 30 रुपये लीटर का भुगतान करते हैं। जबकि बनास डेयरी अपने दुग्ध उत्पादकों को 41.30 रुपये प्रति लीटर की दर से भुगतान करती है। 2014-15 में डेयरी का सालाना कारोबार 4,142 करोड़ रुपए को पार कर गया है। इस साल पशुपालकों को 170 करोड़ रुपए भुगतान का फैसला हुआ है। दुग्ध संघ का शुद्ध मुनाफा 11.72 करोड़ रुपए है, जो गत वर्ष की तुलना में 38.49 फीसदी अधिक है। पिछले वर्ष खेड़ा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ ने 83.36 करोड़ किलोग्राम दूध एकत्र किया। डेयरी का कारोबार बीते साल के मुकाबले 20.37 फीसदी अधिक रहा। इसी तरह दूध एकत्रित करने में 16.77 फीसदी की वृद्धि दर्ज हुई। अमूल ब्रांड का पंजीकरण खेड़ा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ लिमिटेड के नाम पर है। गुजरात मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (जीसीएमएमएफ) कारोबार के लिए इस ब्रांड का इस्तेमाल करती है।

2021-22 में 14250 करोड़ का होगा कारोबार

गुजरात के अलावा, बनास डेयरी ने भारत के 6 राज्यों में अपने दूध प्राप्ति और उत्पादन परिचालन का विस्तार किया है। राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, झारखंड, ओडिशा एवं आंध्र प्रदेश। गुजरात में बनास डेयरी से 1700 दूध मंडलियों के 4.5 लाख दुग्ध उत्पादक जुड़े हुए हैं। वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए बिक्री कारोबार लगभग 14250 करोड़ रुपये का होगा। साधारणतया बनास डेयरी अपनी बिक्री आय प्राप्तियों का 83 फीसदी दूध उत्पादकों को दूध के मूल्य तौर पर लौटाती है। बनास डेयरी अमूल के ब्रांड के तहत पाउच दूध, यूएचटी दूध, मक्खन, घी, दूध पाउडर, आइसक्रीम इत्यादि का उत्पादन करती है। इसके साथ-साथ कई अन्य उत्पादों जैसे खाद्य तेल, शहद और आलू के व्यंजनों का उत्पादन भी करती है। डेयरी कार्यों के अंतर्गत दूध खरीद, उत्पादन और वितरण के अलावा, बनास डेयरी पशु चिकित्सा एवं देखभाल, चारा उत्पादन, बीज वितरण, मधुमक्खी पालन, आलू की खेती, जैविक उर्वरक और जैविक सीनजी उत्पादन जैसे अन्य क्षेत्रों में भी कार्यरत है। 2020-21 में 7.39 लाख मीट्रिक टन पशु चारा का उत्पादन किया गया और किसानों के बीच वितरित किया गया। इसके अतिरिक्त बनास डेयरी चिकित्सा शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और पर्यावरण संबंधी गतिविधियां जैसे वृक्षारोपण, वनरोपण और जल संरक्षण में भी बड़े स्तर पर कार्यरत है।

नगदी कमाई का जलरिया बनेगा बनास बनास अमूल दुध

शंकरभाई चौधरी ने बताया कि पिछले कई वर्षों से, अमूल की गिनती हमारे देश के सबसे प्रिय ब्रांडों में होती है - अमूल भारत का स्वाद बन गया है, जैसा कि इसकी टैगलाइन कहती है। 1946 में अपनी स्थापना के बाद से 75 वर्षों में अमूल ने वास्तव में एक लंबा सफर तय किया है। अमूल का उद्देश्य किसानों को बेहतर लाभकारी रिटर्न प्रदान करने के साथ-साथ उपभोक्ताओं के हितों की सेवा करने के लिए गुणवत्तापूर्ण उत्पाद प्रदान करना है जो उनके पारिश्रमिक के लिए अच्छी आमदनी प्रदान करता है। 49 एकड़ में फैले कानपूर संयंत्र की स्थापना नवम्बर 2016 में की गयी थी। कानपुर में 450 लोगों को प्लांट में, 2350 लोगों को फील्ड में एवं लगभग 72000 परिवारों को अप्रत्यक्ष रोजगार मिल रहा है। लखनऊ संयंत्र की स्थापना फरवरी 2017 में की गयी थी। लखनऊ में बनास डेरी प्लांट से 950 कर्मयोगी जुड़े हुए हैं। 3000 लोगों को आनुसांगिक कार्यों में और 75000 परिवारों को अप्रत्यक्ष रोजगार मिल रहा है। उत्तर प्रदेश में आस-पास के क्षेत्रों से स्रोत पर दूध को ठंडा करने के लिए कुल 19 दुग्ध शीतन केंद्र हैं। यह 500 लोगों को प्रत्यक्ष आजीविका प्रदान करता है और अप्रत्यक्ष रूप से 80000 परिवारों को रोजगार देता है। वर्तमान में बनास डेयरी द्वारा पूरे उत्तर प्रदेश के लगभग 3200 किसान संगठनों से 7 लाख लीटर प्रति दिन दूध खरीदा जा रहा है। लखनऊ क्षेत्र में 13 जनपदों से लगभग 1100 गांवों से जुड़े हुए 69000 से ज्यादा किसान भाई बहन रोजाना दूध आपूर्ति करते हैं। कानपुर क्षेत्र में 11 जनपदों से लगभग 1100 गांवों से जुड़े हुए 69500 से ज्यादा किसान भाई बहन रोजाना दूध आपूर्ति करते हैं। लखनऊ, बाराबंकी, रायबरेली, वाराणसी, मिर्जापुर, चंदौली, भदोही, कन्नौज, उन्नाव, फतेहपुर, हरदोई, कानपुर नगर, कानपुर देहात, जालौन, औरैया, इटावा, फर्रुखाबाद, मैनपुरी, एटा, कन्नौज, आगरा, फिरोजाबाद आदि जिलों के किसानों को दूध के उचित मूल्य के रूप में लाभ हो रहा है। शेष दुग्ध पश्चिमी उत्तर प्रदेश से एकत्रित किया जाता है।

यूपी के महानगरों और नगरों की जाती है आपूर्ति

शंकरभाई चौधरी ने बताया कि 2020-21 में प्रायः 900 करोड़ रूपये किसानों को दूध के उचित मूल्य के रूप में चुकाए गए। यूपी में मवेशी फ़ीड वितरण हाल ही में शुरू हुआ है। इस साल अक्टूबर और दिसंबर के बीच लगभग 1800 मीट्रिक टन की आपूर्ति की गयी। दोनों प्लांट पूर्णतः स्वयं संचालित एवं आधुनिक तकनीकियों से बने हैं जिससे उच्चतम गुणवत्ता के उत्पाद बनाये जा रहे हैं। जुलाई 2021 में बनास डेयरी ने मॉडल डेयरी फार्मिंग के लिए वाराणसी में किसान परिवारों को सर्वश्रेष्ठ गौवंश की 100 देशी गायें उपलब्ध कराईं थीं। इन किसानों को गोपालन और डेयरी फार्म प्रबंधन प्रशिक्षण दिया गया और पशु पालन के लिए सतत मार्गदर्शन की व्यवस्था की गई है। वर्तमान में वाराणसी के 111 स्थानों से 25000 लिटर से अधिक दूध प्रतिदिन एकत्रित किया जाता है। बनास डेयरी लखनऊ और कानपुर के बाद वाराणसी उत्तर प्रदेश में अपना तीसरा संयंत्र स्थापित कर रही है।

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