Sunday, 15 January 2023

काशी की धार्मिक और सांस्कृतिक राजधानी बनी टेंट सिटी

काशी की धार्मिक और सांस्कृतिक राजधानी बनी टेंट सिटी

गंगा पार रेत में मंदिरों की तर्ज पर बसाए गए तंबुओं के शहर (टेंट सिटी) जैसलमेर के सेंड ड्यून्स, गुजरात के रन ऑफ कच्छ, घाटी की डल झील गोवा में समुद्र किनारे बने किसी रिसार्ट से कम नहीं है। पंच सितारा होटलों जैसी लग्जरी सुविधाओं के साथ ही ये कई मायनों में खास है. यहां आपको सिर्फ काशी की धार्मिक और सांस्कृतिक झलक देखने को मिलेगी, बल्कि काशी के लजीज व्यजंनों का भी लुत्फ उठा सकेंगे। इसके अलावा जिम, स्पा, लाइब्रेरी के साथ ही ऊंट-घोड़े की सवारी भी कर सकते है। इस भव्य एवं दिव्य टेंट सिटी का किराया इस तरह का रखा गया है कि आम लोग भी इसमें ठहर सकते है। यही वजह है कि धर्म और अध्यात्म के समावेश के चलते पर्यटकों को अलग अनुभूति का अहसास कराने वाली टेंट सिटी घरेलू पर्यटकों (भारतीय) के आकर्षण का केंद्र बनी है। टेंट सिटी का अवलोकन करने पहुंचे वाराणसी व्यापार मंडल के अध्यक्ष अजीत सिंह बग्गा ने कहा कि इस टेंट सिटी से आमदनी तो होगी ही, पर्यटक पूरी तरह सुरक्षित होंगे और काशी को बिल्कुल करीब से महसूस कर सकेंगे

सुरेश गांधी

जी हां, आपने आजतक होटल, होमस्टे, या फिर किसी हॉस्टल में अपने घूमने-फिरने के दौरान कमरा लिया होगा। लेकिन अब धर्म एवं आस्था की नगरी काशी में गंगा घाट के किनारे बसेटेंट सिटीमें ठहर कर जैसलमेर के सेंड ड्यून्स, गुजरात के रन ऑफ कच्छ, घाटी की डल झील गोवा में समुद्र किनारे बने रिसार्ट का आनंद ले सकते है। पंच सितारा होटलों जैसी सुविधाओं से सुसज्जित टेंट सिंटी सैलानियों के लिए तो है कि देश के आम नागरिक भी इसमें रात गुजार सकते है।

बता दें, इस टेंट सिटी में 150 कमरे हैं, जो किसी 5 स्टार होटल से कम नहीं हैं। खास यह है कि तंबुओं के इस शहर में फ्लोटिंग बाथ जेटी भी है। इस कुंड के पास ही चेंजिंग रूम भी बनाएं गए हैं। करीब 20 फीट लंबे और 20 फीट चौड़े इस फ्लोटिंग बाथ तीर्थाटन और गंगा स्नान करने वालों को सुरक्षित डुबकी लगाने में भी मदद करेगी। दावा है कि टेंट सिटी में प्रवास करने वाले सैलानियों को सुरक्षित गंगा स्नान कराने के लिए तैरती हुई जेटी में कुंड की सुविधा दी जाएगी। खासकर ऐसे पर्यटक, जिन्हें तैरना नहीं आता है, वे गंगा में बने कृत्रिम कुंड में डुबकी लगाकर आस्था पूरी करने के साथ ही सुरक्षित भी रहेंगे। फ्लोटिंग बाथ कुंड का लाभ हर उम्र के लोग उठा सकते हैं।

                कल-कल बहती गंगा के किनारे 600 स्विस कॉटेज वाली टेंट सिटी में सैलानियों को पांच सितारा होटल जैसी सुविधाएं उपलब्ध है। सैलानियों की हर सुख सुविधा के इंतजाम किए गए हैं। स्पा सेंटर, मेडिटेशन सेंटर, कांफ्रेंस हॉल, गेमिंग जोन, लाइब्रेरी और आर्ट गैलरी आदि की भी व्यवस्था की गई है। 

पर्यटकों के सुरक्षित गंगा स्नान के लिए जेटी पर बाथ कुंड की व्यवस्था है तो वॉच टावर से गंगा और घाटों का विहंगम नजारा दिखेगा। पर्यटकों को सुबह के नाश्ते से लेकर रात के भोजन तक में बनारसी व्यंजनों का स्वाद चखने का मौका मिलेगा। वहीं, बनारस घराने के संगीत की गंगा भी दिन से रात तक बहती रहेगी। वाटर स्पोर्ट्स, कैमल हॉर्स राइडिंग समेत सांस्कृतिक गतिविधियां भी होंगी। पर्यटक नाव से आवागमन के साथ काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन-पूजन और गंगा आरती में शामिल हो सकेंगे।

टेंट सिटी में मांस-मदिरा पर पूरी तरह प्रतिबंध रहेगा

टेंट सिटी में मांस-मदिरा पर पूरी तरह प्रतिबंध रहेगा। एक हजार लोगों की क्षमता वाले बैंक्वेट हॉल में शादी-विवाह और अन्य मांगलिक कार्यक्रम भी हो सकेंगे। खास थीम पर डेकोरशन खूबसूरत लाइटिंग से टेंट सिटी की चकाचौंध देखते ही बन रही है। इसके आकर्षण का ही तकाजा है कि टेंट सिटी में बुकिंग फुल हो गई है। पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है। अब तक 70 परसेंट बुकिंग देश के और 30 परसेंट बुकिंग विदेशी पर्यटकों ने कराई है। सबसे ज्यादा दक्षिण भारत से पर्यटक यहां रहे हैं। यहा सैलानियों की सुविधा को देखते हुए कई तरह के इंतजाम किए गए हैं। 

यहां रहने आने वाले मेहमानों के स्वागत में ढोल तो बजेगा तो मंगलाचरण के साथ तिलक लगाकर आरती भी उतारी जाएगी। यहां जिक्र करना जरुरी है कि टेंट सिटी में बनाए गए डीलक्स, सुपर डीलक्स, प्रीमियम और गंगा दर्शन विला के लिए पर्यटक ऑनलाइन बुकिंग करा सकते हैं। अलग-अलग कॉटेज में अलग-अलग सुविधाएं उपलब्ध होगी। टेंट सिटी में एक रात दो दिन ठहरने के लिए साढ़े सात हजार से लेकर 20 हजार रुपये तक का भुगतान करना होगा। दो रात और तीन दिन के लिए पैकेज 15 हजार से लेकर 40 हजार तक का है।

हस्तशिल्प सामानों के लगे है स्टॉल

बनारस के हथकरघा और हस्तशिल्प उत्पाद टेंट सिटी की शोभा बढ़ाएंगे। टेंट सिटी की सजावट में बनारसी साड़ी की रिप्लिका का प्रयोग किया गया है तो कालीन नगरी भदोही की खूबसूरत कारपेट बिछाई गई है। काशी के सिल्क एवं ब्रोकेड उत्पाद, लकड़ी के खिलौने, गुलाबी मीनाकारी, ब्लैक पाटरी आदि को भी प्रत्येक टेंट में सजाया गया है। पर्यटकों को अलग अनुभूति का एहसास कराने के लिए टेंट सिटी के नौ चौराहों को खास डिजाइन में तैयार किया गया है। चौराहों पर ध्यान की अलग-अलग मुद्राओं की प्रतिमाएं जीवन से मृत्यु के सफर के साथ ही पर्यटकों को शांति का संदेश देंगी।

पर्यटन उद्योग को बढ़ावा : बग्गा

वाराणसी व्यापार मंडल के अध्यक्ष अजीत सिंह बग्गा ने टेंट सिटी का अवलोकन करने के बाद कहा कि इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बधाई के पात्र है, जिन्होंने बनारस को सजाने-संवारने का बीडा उठा रखा है। उन्होंने कहा कि टेंट सिटी कुछ इस तरह बनायी गयी है कि इसे देखकर हर किसी की आंखे खुली की खुली रह जाने को विवश होंगी। इसमें पर्यटकों को सभी आधुनिक सुविधाएं मिलेंगी. यह काशी के पर्यटन विकास में एक नया अध्याय जोड़ेगा. टेंट सिटी से लोग काशी के टूर को यादगार बना सकते हैं. यहां किसी को किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं होगी. सुरक्षा, साफ-सफाई के साथ पर्यटकों की हर सुविधा का ध्यान रखा गया है।

हालांकि उनका सुझाव है कि जो व्यजंन के स्टॉल लगे है, उन्हें खुले में रखने के बजाय प्लास्टिक सीट से ढक कर रखा जाएं, क्योंकि फरवरी मार्च, अप्रैल, मई बहने वाली हवाओं के साथ रेत भी उड़कर पर्यटकों की थाली में जा सकती है। इसके अलावा टिन के बजाय आधुनिक बॉथ टब रखा जाएं क्योंकि गर्मी में तपन जैसे हालात महसूस होंगे। साथ प्रशासन से निवदेन है कि टेंट सिटी में कुछ ऐसी व्यवस्था हो जो हजार-दो हजार वाले भी इसकस आंननद उठा सके। 

पर्यटक यहां गंगा आरती और काशी विश्वनाथ धाम के दर्शन असानी से कर सकेंगे. इसमें कोई दो मत नहीं कि बनारस में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बन जाने के बाद पर्यटन उद्योग काफी बढ़ गया है. यहां देश विदेश से पर्यटकों की भीड़ रही है. इसे ध्यान में रखते हुए मोदी-योगी सरकार काशी के विकास पर खास फोकस कर रही है. ऐसा इसलिए भी क्योंकि यह धार्मिक और आध्यात्मिक नगरी होने का साथ ही पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र भी है. यहां लागातर विकास कार्य कराए जा रहे हैं जिससे स्थानीय निवासियों में खुशी का माहौल है.

टेंट सिटी में सुविधाएं

- रिवर कॉटेज

- फ्लोटिंग बाथकुंड

- योग/मेडिटेशन सेंटर

- जिम

- स्पा

- लाइब्रेरी

- आर्ट गैलरी

- क्लब हाउस

- कॉन्फ्रेंस हॉल

- फूड कोर्ट/बनारसी खानपान

- गेमिंग जोन

- ऊंट, घोड़े की सवारी

हेलीकॉप्टर से अयोध्या और प्रयागराज की भी टूर कराने की तैयारी

काशी दर्शन को सुलभ बनाने की मंशा को साकार करने की कवायद के तहत नमो घाट पर हेलीपोर्ट बनाया जा रहा है। इसके बनने के बाद गंगा की लहरों के ऊपर से दो हेलीकॉप्टर एक साथ रोजाना उड़ान भरेंगे।  हेलीकॉप्टर से काशी दर्शन के साथ ही श्रद्धालु चंद मिनटों में हेलीकॉप्टर से उड़ान भरकर प्रयागराज और अयोध्या का दर्शन सुगमतापूर्वक कर सकेंगे। बता दें, स्मार्ट सिटी के तहत खिड़किया घाट यानी नमो घाट पर दूसरे चरण का निर्माण कार्य चल रहा है। इसमें हेलीपोर्ट भी आकार लेगा। 

हेलीपोर्ट ऐसा बनाया जाना है, जहां एक साथ दो हेलीकॉप्टर खड़े हो सकेंगे। डिजाइन का काम पूरा हो गया है। विमानपत्तन प्राधिकरण से मंजूरी मिलने के साथ ही हेलीपोर्ट बनाने की प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जाएगा। तकनीकी विशेषज्ञों ने हेलीपोर्ट स्थल का दौरा भी कर लिया है। हेलीपोर्ट से जो भी हेलीकॉप्टर उड़ान भरेंगे, वे सात या 11 सीटर होंगे। दूसरे चरण के निर्माण कार्य और हेलीपोर्ट का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर सकते हैं।

सांस्कृतिक केंद्र होगी काशी

वाराणसी में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर, नमो घाट समेत अन्य स्थलों पर चिह्नित स्थानों को सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित किया जा सकता है। काशी की विशाल सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों के माहात्म्य को प्रसारित करने के लिए लिटरेरी फेस्टिवल समेत जन भागीदारी के अन्य कार्यक्रम भी हो सकते हैं। 

मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा ने बताया कि वाराणसी में विगत वर्षों में लाइट एंड साउंड शो, देव दीपावली पर प्रोजेक्शन शो, ग्रीन फायर क्रैकर के अलग-अलग कार्यक्रम कराए गए थे। आगे बोट रेस, बैलून फेस्टिवल, जी-20 सम्मेलन और शंघाई सहयोग संगठन के कार्यक्रम होने वाले हैं। श्री काशी विश्वनाथ धाम परिसर में रोजाना सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन के लिए कैलेंडर बनाए जा रहे हैं। 

देव दीपावली से 7 दिन पूर्व से ही वाराणसी में कार्यक्रम हो सकते हैं। भविष्य में टेंट सिटी में भी कार्यक्रमों का आयोजन किया जा सकता है। डीएम एस राजलिंगम ने कहा कि वाराणसी में गुजराती, तमिल, उड़िया समेत अन्य समाज के लिए कार्यक्रम होने चाहिए। घाटों से जुड़े ऐतिहासिक, पारंपरिक, भौगोलिक बिंदुओं को ऑडियो गाइड के माध्यम से बताया जाए। नगर आयुक्त प्रणय सिंह ने कहा कि वाराणसी में मिनी इंडिया की तर्ज पर कार्यक्रम होने चाहिए। 

कल्चरल ब्रांडिंग के साथ युवा आधारित कार्यक्रम हो सकते हैं। मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा ने सुझाव दिया कि दक्षिण पूर्वी बौद्ध देशों को भी वाराणसी में प्रस्तावित कार्यक्रमों में आमंत्रित किया जाए। साथ ही नदी पर्यटन को भी इससे जोड़ा जाए। सीडीओ हिमांशु नागपाल ने कहा कि कल्चरल स्पेस में बुक फेस्टिवल भी हो सकता है।

 

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