प्राण प्रतिष्ठा से पहले 17 जनवरी को अयोध्या भ्रमण पर निकलेंगे रामलला
तब पहली
बार
भक्त
भगवान
राम
के
इस
स्वरूप
के
दर्शन
कर
सकेंगे
51 इंच ऊंची मूर्ति
गर्भगृह
में
स्थापित
की
जाएगी
रामलला का
ये
विग्रह
5 वर्ष
के
बालक
का
होगा
हर साल
रामनवमी
के
दिन
सूर्य
की
किरणें
रामलला
के
मस्तिष्क
का
अभिषेक
करेंगी
सुरेश गांधी
वाराणसी। हिंदू आस्था के बड़े केंद्र
अयोध्या में अब आसमान से
ही राम मंदिर दिखने लगा है। सत्तर एकड़ में फैले मंदिर परिसर में निर्माण का काम सिर्फ
इक्कीस एकड़ में हो रहा है।
बाकी जगह को पूरी तरह
हराभरा रखा गया है। इसमें भी रामलला का
मंदिर सिर्फ 2.7 एकड़ में होगा। खास यह है कि
रामलला की 51 इंच ऊंची मूर्ति गर्भगृह में स्थापित की जाएगी, जिसकी
प्राण प्रतिष्ठा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 जनवरी को करेंगे। रामलला
का ये विग्रह 5 वर्ष
के बालक का होगा। वाल्मीकि
रामायण में प्रभु राम के बाल स्वरूप
का जो वर्णन बालकांड
में है, उसी के अनुरूप विग्रह
तैयार किया गया है।
अभी रामलला की तीन मूर्तियां
बनाई गई हैं, दो
काले पत्थर की और एक
सफेद पत्थर की। अब इन तीन
मूर्तियों में से किसकी स्थापना
होगी, इसका चुनाव ट्रस्ट की कमेटी करेगी।
उम्मीद ये है कि
जनवरी के पहले हफ्ते
में राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट इसका ऐलान कर देगा कि
प्राण प्रतिष्ठा के लिए किस
मूर्ति का चयन किया
गया है। तीनों ही मूर्तियां भगवान
के बाल स्वरूप की होंगी। रामलला
की 51 इंच की मूर्ति जिस
सिंहासन पर विराजमान होगी,
वह तीन फीट ऊंचा और आठ फीट
चौड़ा होगा। इससे गर्भगृह के बाहर खड़े
भक्तों को रामलला के
चरणों से लेकर माथे
तक पूरे स्वरूप का दर्शन आसानी
से हो सकेगा। मूर्ति
का वास्तु इस तरह का
है कि हर साल
रामनवमी के दिन सूर्य
की किरणें रामलला के मस्तिष्क का
अभिषेक करेंगी। रामलला का सिंहासन सोने
से मढ़ा जाएगा।
फिलहाल करीब 140 वर्गफीट वाले इस सिंहासन पर
तांबे के तारों की
कसाई हो रही है।
इसके बाद तांबे के तारों के
ऊपर सोने की परत चढ़ाई
जाएगी। रामलला की तीन मूर्तियों
में से एक की
स्थापना होगी जबकि दूसरे दो विग्रह मंदिर
में रहेंगे। एक चल विग्रह
होगा जो समय समय
पर त्योहारों और पर्वों के
मौकों भक्तों के दर्शन के
लिए बाहर रखी जाएंगी या नगर में
निकलेंगी। खास ये है कि
रामलला का मंदिर दो
हजार वर्ष पुरानी पंचायतन परंपरा के अनुसार हो
रहा है, यानि एक ही जगह
पर पांच देवी देवताओं की पूजा का
स्थान। मंदिर का गर्भगृह 20 फीट
लंबा और 20 फीट चौड़ा बनाया जा रहा है,
इसकी ऊंचाई 161 फीट है। गर्भ गृह को सफेद मकराना
संगमरमर से इतना मज़बूत
बनाया गया है कि अगले
एक हज़ार साल तक उसको खरोंच
तक नहीं आएगी।
गर्भगृह के चारों ओर,
चार कोनों पर सूर्य, शिव,
देवी भगवती और गणपति के
चार मंदिर और बने हैं।
मंदिर में कुल 118 दरवाज़े होंगे। ये सारे दरवाजे
तेलंगाना के सिकंदराबाद में
बन रहे हैं, जो एक निजी
टिंबर कंपनी बना रही है। सारे दरवाजे महाराष्ट्र से लाई गई
सागौन की लकड़ी से
बने हैं। इसी कंपनी ने यदाद्रि मंदिर
के दरवाज़े बनाए थे। मंदिर के दरवाज़े बनाने
के काम में तमिलनाडु के सौ से
ज्यादा कारीगर लगे हैं। सारे दरवाज़े पुरानी तकनीक से बनाए जा
रहे हैं, इनमें कोई नट-बोल्ट नहीं
लगाए जा रहे हैं,
ताकि ये हजार साल
से ज्यादा तक मजबूत रहें।
118 दरवाजे चार अलग डिजाइनों में बने हैं।
मंदिर में प्रवेश के तीन द्वार
हैं। इसके अलावा गर्भ गृह का अलग दरवाज़ा
है। गर्भ गृह के दरवाजे की
ऊंचाई 8 फीट है और चौड़ाई
12 फीट है। ये विशाल द्वार
पांच इंच मोटा होगा। गर्भगृह के दरवाजे को
भी सोने से मढ़ा जाएगा।
भारत में मंदिरों के निर्माण की
16 अलग शैलियां रही हैं, जिनमे तीन प्रमुख हैं, नागर, द्रविड और पगोडा। राम
का मंदिर नागर शैली में बन रहा है
लेकिन इसमें दक्षिण भारतीय और बेसर शैली
की ख़ूबियों को भी शामिल
किया गया है। जानकारी के मुताबिक 22 जनवरी
को प्राण प्रतिष्ठा समारोह संपन्न होने के बाद भक्त
राम मंदिर में दक्षिण द्वार से प्रवेश कर
पाएंगे। मंदिर परिसर में पहुंचते ही 32 सीढियां होंगी। इन सीढ़ियों से
होकर भक्त गर्भगृह की तरफ बढ़ेंगे।
सीढियों के ऊपर तीन
द्वार है - सिंह द्वार, गज द्वार और
हनुमान द्वार। इन दरवाजों के
जरिए भक्त भूतल पर मौजूद बरामदे
में पहुंचेंगे। यहां पांच मंडप हैं - नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप और कीर्तन मंडप।
इन मंडपों में भक्तों के बैठने का
इंतजाम है। मंडपों की दीवारों पर
शानदार नक़्क़ाशी की गई है,
खंभों पर देवी देवताओं
और वैदिक परपंराओं के प्रतीकों को
उकेरा गया है। पांच मंडपों को पार करके
भक्त गर्भगृह तक पहुंचेंगे, जहां
रामलला का विग्रह विराजेगा।
मंदिर में परकोटा भी बनाया गया
है जबकि
आम तौर पर उत्तर भारत
के मंदिरों में परकोटे नहीं होते। मंदिर के चारों तरफ़
जो परकोटा होगा, उसमें भी छह मंदिर
बनाए जा रहे हैं।
ये मंदिर, सूर्य भगवान, शंकर भगवान, माता भगवती, विनायक, हनुमान जी और माता
अन्नपूर्णा के होंगे। ये
सारे मंदिर परकोटे में ही बनाए जाएंगे जो
भारत के मंदिर निर्माण
की पंचायतन परंपरा का हिस्सा होंगे।
ट्रस्ट के महासचिव चंपत
राय ने बताया कि
मंदिर के परकोटे के
बाहर भी सात और
मंदिरों का निर्माण होगा।
मंदिर प्रांगण में जटायु की मूर्ति भी
स्थापित की गई है।
84 सेकेंड में होगी रामलला की प्राण प्रतिष्ठा
रामलला अपने धाम में विराजमान होने वाले हैं। करीब पांच शताब्दियों का इंतजार खत्म
होने वाला है। वर्ष 1528 में मुगल शासक बाबर के सिपाहसालार मीरबाकी
ने मंदिर को नष्ट कराया
था। यानी 496 साल बाद एक बार फिर
प्रभु श्रीराम को उनके भव्य
दरबार में स्थापित किए जाने की तैयारी की
गई है। इसके लिए 22 जनवरी को रामलला की
प्राण प्रतिष्ठा के लिए 84 सेकंड
का छोटा सा मुहूर्त निकला
है। इसी दौरान राम मंदिर के गर्भगृह में
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा
की जाएगी। काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित
गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने इस मुहूर्त
की गणना की है। प्राण
प्रतिष्ठा का शुभ मुहूर्त
12 बजकर 29 मिनट 8 सेकंड से शुरू होकर
12 बजकर 30 मिनट 32 सेकंड तक रहेगा। प्राण
प्रतिष्ठा की प्रक्रिया को
इसी दौरान पूरा करा लिया जाएगा। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा
के दौरान गर्भगृह में पांच लोग मौजूद रहेंगे। इसमें पीएम नरेंद्र मोदीए यूपी की राज्यपाल आनंदी
बेन पटेलए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवतए सीएम योगी आदित्यनाथ और राम मंदिर
के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास शामिल होंगे।बता देंए गोस्वामी तुलसीदास ने इस घटना
का जिक्र अपनी किताब तुलसी दोहा शतक में इसका उल्लेख करते हैं। वे लिखते हैं
कि ष्संबत सर वसु बान
नभए ग्रीष्म ऋतु अनुमानि। तुलसी अवधहिं जड़ जवनए अनरथ
किय अनखानि।। ;तुलसीदास के इस दोहा
में ज्योतिषीय काल गणना में अंक जिक्र है। ये अंक दायें
से बाईं ओर लिखे जाते
थे। सर ;शरद्ध त्र 5ए वसु त्र
8ए बान ;बाणद्ध त्र 5ए नभ त्र
1 अर्थात विक्रम संवत 1585 और इसमें से
57 वर्ष घटा देने से वर्ष 1528 आता
है। तुलसी लिखते कि विक्रम संवत
1585 ;वर्ष 1528द्ध की गर्मी के
दिनों में जड़ यवनों ने
अवध में वर्णन न किए जाने
योग्य अनर्थ किया। इस घटना केबाद
प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी की गयी है।
15 से शुरू होगा कार्यक्रम
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा
का समारोह 22 जनवरी को होना है।
हालांकिए अनुष्ठानों की शुरुआत मकर
संक्रांति के बाद 15 जनवरी
से शुरू हो जाएगी। खरमास
बीतते ही मंदिर में
कई प्रकार के पूजा. पाठ
और अनुष्ठानों की शुरुआत होगी।
15 जनवरी को रामलला के
विग्रह यानी प्रभु श्रीराम के बालरूप की
मूर्ति को गर्भगृह में
स्थापित किया जाएगा। विग्रह निर्माण का कार्य अयोध्या
में तीन स्थानों पर कराया गया
है। इन तीन मूर्तियों
में से एक मूर्ति
का चयन किया जाएगा। 16 जनवरी से विग्रह के
अधिवास का अनुष्ठान शुरू
होगा। इसे प्राण प्रतिष्ठा समारोह के पहले कार्यक्रम
के रूप में माना जा रहा है।
17 जनवरी को रामलला के
विग्रह को नगर भ्रमण
के लिए निकाला जाएगा। इसके बाद प्राण प्रतिष्ठा की विधि की
शुरुआत होगी। 18 जनवरी से प्राण. प्रतिष्ठा
की विधि शुरू हो जाएगी। 19 जनवरी
को राम मंदिर में यज्ञ अग्नि कुंड की स्थापना की
जाएगी। 20 जनवरी को गर्भगृह को
81 कलश सरयू जल से धोने
के बाद वास्तु की पूजा होगी।
21 जनवरी को रामलला को
तीर्थों के 125 कलशों के जल से
स्नान कराया जाएगा। आखिर में 22 जनवरी को मध्याह्न मृगशिरा
नक्षत्र में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा
की जाएगी। पीएम नरेंद्र मोदी इस कार्यक्रम के
मुख्य यजमान होंगे.
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