ऐतिहासिक फैसलों का गवाह बनेगा “मोदी का तीसरा टर्म“
“मैं नरेंद्र दामोदर
दास
मोदी...“
के
ध्वनि
के
बीच
मनोनीत
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
ने
तीसरी
बार
प्रधानमंत्री
के
पद
की
शपथ
ली.
राष्ट्रपति
भवन
में
भव्य
समारोह
में
विशेष
अतिथियों
के
सामने
नरेंद्र
मोदी
ने
पद
और
गोपनीयती
की
शपथ
ली.
मोदी
को
राष्ट्रपति
द्रौपदी
मुर्मू
ने
शपथ
दिलाई.
खास
यह
है
कि
पीएम
मोदी
ने
शपथ
ग्रहण
कर
पहले
प्रधानमंत्री
जवाहरलाल
नेहरू
की
बराबरी
कर
ली,
जो
लगातार
तीन
बार
देश
के
प्रधानमंत्री
रह
चुके
हैं.
मतलब
साफ
है
पीएम
मोदी
न
सिर्फ
तीसरी
बार
शपथ
लेकर
न
सिर्फ
नेहरु
का
रिकार्ड
तोड़ा
है,
बल्कि
मोदी
सरकार
3.0 पिछली
दो
टर्म
की
तुलना
में
देश
ऐतिहासिक
फैसलों
के
लिए
जाना
जायेगा,
से
इनकार
नहीं
किया
जा
सकता।
इसमें
प्रमुख
गुड
गवर्नेंस
पर
ज्यादा
फोकस
तो
होगा
ही,
महिलाओं,
आदिवासियों
और
दक्षिण
भारत
के
विकास
के
साथ
ही
भ्रष्टाचार
के
खिलाफ
और
सख्त
कदम
उठाएं
जायेंगे।
या
यूं
कहे
सरकार
भ्रष्टाचार
को
लेकर
सख्त
रवैया
अपनाएंगी।
इसके
अलावा
साल
2047 में
भारत
को
पूरी
तरह
से
विकसित
भारत
बनाना
मोदी
का
बड़ा
लक्ष्य
है।
कहा
जा
सकता
है
मोदी
“अपनी
बुद्धि
से
भारत
को
समृद्धि
की
ओर
ले
जाने
में
और
आक्रामक
होंगे।
एनडीए
नेताओं
का
दावा
है
कि
मोदी
के
कुशल
नेतृत्व
में
न
सिर्फ
देश
विकास
की
नई
ऊंचाइयों
पर
पहुंचेगा
बल्कि
विकास
में
भी
पूरा
सहयोग
मिलेगा
सुरेश गांधी
लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी को
वोट शेयर और सीटों
का बड़ा नुकसान हुआ
है, लेकिन बीजेपी अपने एनडीए के
घटक दलों के सहयोग
से फूल मेजारिटी की
सरकार बनाने में सफल हो
गयी। बीजेपी नीत एनडीए गठबंधन
के खाते में 292 सीटें
आई हैं। बीजेपी 2024 के
लोकसभा चुनाव में सबसे बड़ी
पार्टी बनकर उभरी है।
हालांकि, 2019 के मुकाबले 63 सीटें
कम है। लेकिन पीएम
मोदी का जोश पहले
की तरह ही हाई
है। पीएम मोदी ने
साफ-साफ कहा है
कि एनडीए के तीसरे कार्यकाल
में देश कई बड़े
फैसलों का नया अध्याय
लिखेगा। एक तरह से
उन्होंने संकेत दे दिया है,
’एनडीए सरकार देश को गुड
गवर्नेंस देने के लिए
बाध्य तो है ही,
गरीब कल्याणकारी योजनाओं को ओर अधिक
धार दी जायेगी। वैसे
भसी गुड गवर्नेंस, विकास,
नागरिकों के जीवन में
क्वालिटी ऑफ लाइफ मोदी
का ड्रीम है। उनका मानना
है कि सामान्य मानव
के जीवन में से
सरकार की दखल जितनी
कम होगी, उतनी ही लोकतंत्र
की मजबूती होगी। इसके अलावा मोदी
का महिलाओं पर फोकस आगे
भी बना रहेगा और
वह उनके कल्याण से
जुड़ी योजनाओं पर आगे भी
काम करती रहेगी। सबसे
चौकाने वाला होगा भ्रष्टाचार
के खिलाफ आक्रामक युद्ध। या यूं कहे
सरकार भ्रष्टाचार को लेकर सख्त
रवैया अपनाएंगी। इसके अलावा साल
2047 में भारत को पूरी
तरह से विकसित भारत
बनाना मोदी का बड़ा
लक्ष्य है।
कहा जा सकता
है मोदी “अपनी बुद्धि से
भारत को समृद्धि की
ओर ले जाने में
और आक्रामक होंगे। यह अलग बात
है कि मोदी के
शपथ से वे लोग
निराश हुए होंगे जो
चुनाव के दौरान कहते
थे, ’लिखकर ले लो, 4 जून
के बाद नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नहीं रहेंगे’। वे
लोग हताश होंगे जो
उम्मीद लगाकर बैठे थे कि
एनडीए में घमासान होगा
और मोदी की जगह
कोई और पीएम बनेगा।
अब वो कह रहे
हैं कि मोदी गठबंधन
की सरकार कैसे चलाएंगे? इसका
जवाब चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार
ने दे दिया। उन्होंने
कहा कि देश के
विकास के लिए मोदी
सबसे उपयुक्त प्रधानमंत्री हैं और रहेंगे
लेकिन जब कांग्रेस के
नेता एनडीए को मजबूर सरकार
बताने लगे, तो मोदी
ने याद दिला दिया
कि एनडीए की इस बार
जो सरकार बनी है, वह
अब तक की किसी
भी गठबंधन सरकार में से, सबसे
मजबूत सरकार है। नोट करने
वाली बात ये है
कि जब 2004 में कांग्रेस ने
गठबंधन की सरकार बनाई
थी, तो कांग्रेस के
पास 145 सांसद थे और जब
2009 में कांगेस की सरकार बनी
थी तो कांग्रेस के
206 सांसद थे। अब इस
गठबंधन सरकार में बीजेपी के
240 सांसद हैं। मोदी ने
ये भी साफ कर
दिया कि पहले की
तरह अटकलों और अफवाहों और
बिचौलियों का दौर अब
वह नहीं आने देंगे।
न तो मोदी का
सरकार चलाने का तरीका बदलेगा,
न तेवर। शपथ ग्रहण कार्यक्रम
में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे सहित मालदीव
के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू, श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल
विक्रमसिंघे, सेशेल्स के उपराष्ट्रपति अहमद
अफीफ, मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद
कुमार जगन्नाथ, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख
हसीना, नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प
कमल दहल ’प्रचंड’ और
भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग
तोबगे ने समारोह में
हिस्सा लिया.
बता दें, लोकसभा
चुनाव के नतीजे साफ
होने के पांच दिन
बाद भारत को नई
सरकार मिल गई है.
प्रधानमंत्री के तौर पर
नरेंद्र मोदी ने लगातार
तीसरी बार शपथ ग्रहण
की है. मोदी के
बाद राजनाथ सिंह ने शपथ
ली. तीसरे नंबर पर अमित
शाह शपथ ग्रहण करने
पहुंचे. 2019 में भी शपथ
ग्रहण करने का क्रम
यही रहा था. प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी समेत कुल
72 मंत्रियों ने शपथ ग्रहण
की है. इनमें 30 कैबिनेट
मंत्री, 5 राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार और 36 राज्य मंत्री हैं. नरेंद्र मोदी
- लगातार तीसरी बार देश के
प्रधानमंत्री के तौर पर
शपथ ग्रहण की. उत्तर प्रदेश
के वाराणसी से तीसरी बार
लोकसभा का चुनाव जीतक
सांसद बने हैं. राजनाथ
सिंह - उम्र 72 साल, देश के
गृह और रक्षा मंत्री
रह चुके हैं. उत्तर
प्रदेश के मुख्यमंत्री और
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष
पद पर भी रहे
हैं. अमित शाह - उम्र
59 साल, देश के गृह
मंत्री और बीजेपी अध्यक्ष
रह चुके हैं. लगातार
गांधीनगर से दूसरी बार
सांसद बने. चार बार
गुजरात के विधायक रहे
हैं. गुजरात के पूर्व गृह
राज्यमंत्री भी हैं. नितिन
गडकरी - उम्र 67 साल, 2014 से मोदी सरकार
में कैबिनेट मंत्री रहे हैं. बीजेपी
के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. लगातार तीसरी
बार महाराष्ट्र के नागपुर से
चुनाव जीतकर सांसद बने हैं. जेपी
नड्डा - उम्र 63 साल, बीजेपी के
राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. 2014 में मोदी सरकार
में स्वास्थ्य मंत्री थे. हिमाचल सरकार
में भी कैबिनेट मंत्री
रहे हैं. शिवराज सिंह
चौहान - उम्र 65 साल, पहली बार
कैबिनेट मंत्री के तौर पर
शपथ ग्रहण की. मध्य प्रदेश
के पूर्व मुख्यमंत्री हैं और मध्य
प्रदेश की विदिशा से
लोकसभा चुनाव जीते हैं. निर्मला
सीतारमन - उम्र 64 साल, पिछली सरकार
में वित्त मंत्री रहीं. राज्यसभा से सांसद हैं.
एस जयशंकर - उम्र
69 साल, विदेश सचिव के पद
से रिटायर होने के बाद
देश के विदेश मंत्री
बने. 2 बार राज्यसभा से
सांसद चुने गए हैं.
मनोहरलाल खट्टर - उम्र 70 साल, पहली बार
कैबिनेट मंत्री के तौर पर
शपथ ग्रहण की. 9 साल तक हरियाणा
के मुख्यमंत्री रहे. राष्ट्रीय स्वंयसेवक
संघ के पूर्व प्रचारक
हैं और हरियाणा की
करनाल से पहली बार
सांसद चुने गए हैं.
एचडी कुमारस्वामी - उम्र 65 साल, कर्नाटक के
पूर्व मुख्यमंत्री हैं. पूर्व प्रधानमंत्री
एचडी देवगौड़ा के बेटे हैं
और वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं.
तीसरी बार लोकसभा सांसद
बने हैं. एनडीए के
सहयोगी जनता दल सेक्युलर
के नेता हैं. पीयूष गोयल - उम्र 60 साल, राज्य सभा
में नेता सदन रहे
हैं, पहली बार लोकसभा
से सांसद चुने गए हैं.
इससे पहले राज्यसभा के
सदस्य के तौर पर
सांसद बन पिछली सरकारों
में मंत्री रहे. महाराष्ट्र की
मुंबई नॉर्थ सीट से सांसद
चुने गए हैं. धर्मेंद्र
प्रधान - उम्र 54 साल, पिछली सरकार
में शिक्षा मंत्री रहे हैं. ओडिशा
के संबलपुर से लोकसभा चुनाव
जीते हैं. जीतनराम मांधी
- उम्र 78 साल, एनडीए गठबंधन
के सहयोगी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के
नेता हैं. बिहार के
पूर्व मुख्यंत्री रहे हैं. दलित
समुदाय से आते हैं
और पहली बार सांसद
बने हैं. ललन सिंह
- उम्र 69 साल, एनडीए के
सहयोगी दल जनता दल
यूनाइटेड के नेता हैं.
जेडीयू के पूर्व राष्ट्रीय
अध्यक्ष हैं और भुमिहार
समाज से आते हैं.
मुंगेर से सांसद चुने
गए हैं. सर्बानंद सोनोवाल
- उम्र 62 साल, असम के
पूर्व मुख्यमंत्री हैं और आदिवासी
समुदाय से आते हैं.
पिछली सरकार में मंत्री रहे
हैं. असम के डिब्रूगढ़
से लोकसभा चुनाव जीते हैं. वीरेंद्र
खटीक - उम्र 70 साल, पिछली सरकार
में मंत्री रहे हैं. आठवीं
बार सांसद चुने गए हैं.
मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ सीट
से चुनकर इसबार संसद पहुंचे हैं.
मध्य प्रदेश में बड़े दलित
नेता माने जाते हैं.
जहां तक उत्तर
प्रदेश का सवाल है
तो बीजेपी यानी एनडीए को
ब्राह्मण, वैश्य और राजपूत जैसी
ऊंची जातियों ने समर्थन किया
है। जबकि अनुसूचित जाति,
पिछड़ा वर्ग और मुस्लिम
वोटर्स ने विपक्षी गठबंध
इंडी को प्राथमिकता दी.
यही वजह है कि
बीजेपी इस बार बहुमत
के आंकड़े तक नही पहुंच
सकी और उसे एनडीए
की सरकार बननी पड़ी। हालांकि,
पिछले 10 साल से देश
में एनडीए की ही सरकार
है, लेकिन इस दौरान ऐसा
पहली बार हुआ कि
पार्टी बहुमत का आंकड़ा टच
करने से चूक गई.
बीजेपी को 240 और एनडीए गठबंधन
को 293 सीटें मिली हैं. उत्तर
प्रदेश में बीजेपी को
सबसे बड़ा झटका लगा
है. 2019 के मुकाबले इस
बार पार्टी की करबी आधी
सीटें कम हो गई
हैं. जहां पिछले चुनाव
में बीजेपी को 62 सीटों पर जीत मिली,
लेकिन इस बार सिर्फ
33 सीटें ही हिस्से में
आई हैं, जबकि एनडीए
को 36 सीटें मिली हैं. 2019 में
एनडीए की 64 सीटें थीं. उत्तर प्रदेश
की उच्च जातियों का
79 फीसदी वोट बीजेपी को
गया है, जबकि 16 फीसदी
इंडी गठबंधन, बहुजन समाज पार्टी को
सिर्फ एक फीसदी और
निर्दलियों को 4 फीसदी अपर
कास्ट वोट मिला है.
मतलब साफ है इस
लोकसभा का जनादेश भाजपा
की गलतियों का परिणाम है,
कांग्रेस की वापसी का
ऐलान नहीं है। इस
जनादेश ने संकेत दिया
है कि एनडीए को
रोजगार पर ध्यान देना
चाहिए। बेरोजगारी और महंगाई पर
पीएम मोदी को काम
करना चाहिए। आम जनमानस से
जुड़े मुद्दे पर काम करने
की जरुरत है। हालांकि मोदी
के तीसरी बार पीएम बनने
के बाद देश आगे
जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी की वजह
से भारत को दुनिया
में पहचान मिली है। पिछले
दस सालों में पीएम मोदी
ने तमाम विकास के
काम कर इतिहास रचा
है। पूरे देश को
उनसे काफी उम्मीदें है।
मोदी के जैसा प्रधानमंत्री
भविष्य में होना मुश्किल
है।
लोगों को उम्मीद है कि अगले पांच सालों तक सरकार बेहतर तरीके से चलेगी। सबसे खास बात है कि मोदी के इस बार प्रधानमंत्री बनने से बहुत सारे मुद्दे खत्म हो जाएंगे। वे मुद्दे जो राहुल गांधी और उनके साथियों ने चुनाव के दौरान उठाए थे। पहला, कि भारत में लोकतंत्र को न कोई खतरा था, न है और न कभी हो सकता है। दूसरा, ईवीएम में न कभी कोई गड़बड़ी थी, ना की जा सकती है। तीसरा, चुनाव आयोग न किसी को चुनाव जीता सकता है, न हरा सकता है, वह सिर्फ चुनाव करवा सकता है। और चौथी बात ये कि 10 साल के इंतजार के बाद लोकसभा में विपक्ष के नेता का संवैधानिक पद होगा क्योंकि कांग्रेस के पास इस बार इतनी सीटें हैं कि वह नेता विपक्ष बना सके। मुझे लगता है कि पूरी दुनिया में ये संदेश गया। इसके लिए देश की जनता का आभार मानना चाहिए। अगर इस बार फिर बीजेपी 300 पार कर लेती तो ये सारे शक और शुबहे, सारे सवाल यूं के यूं बरकरार रहते। अब पूरी दुनिया ने देख लिया कि भारत में लोकतंत्र जीवन्त है, भारत में चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष होते हैं, सारे शको-शुबहे अब हमेशा के लिए दफ्न हो गए और ये लोकतंत्र की सबसे बड़ी जीत है। एक तरह से ’तीसरी कसम’ के लिए नरेंद्र मोदी मंत्रीमंडल तैयार हो चुकी है।
इन लोगों ने ली शपथ
गुजरात
1.अमित
शाह
2.एस
जयशंकर
3.मनसुख
मंडाविया
4.सीआर
पाटिल
5.नीमू
बेन बंभनिया
हिमाचल
1.जे
पी नड्डा
ओडिशा
1.अश्विनी
वैष्णव
2.धर्मेंद्र
प्रधान
3.जुअल
ओरम
कर्नाटक
1.निर्मला
सीतारमण
2.एचडीके
3.प्रहलाद
जोशी
4.शोभा
करंदलाजे
5.वी
सोमन्ना
महाराष्ट्र
1.पीयूष
गोयल
2.नितिन
गडकरी
3.प्रताप
राव जाधव
4.रक्षा
खडसे
5.राम
दास अठावले
6.मुरलीधर
मोहोल
गोवा
1.श्रीपद
नाइक
जम्मू-कश्मीर
1.जितेंद्र
सिंह
मध्य
प्रदेश
1.शिवराज
सिंह चौहान
2.ज्योतिरादित्य
सिंधिया
3.सावित्री
ठाकुर
4.वीरेंद्र
कुमार
उत्तर प्रदेश
1.हरदीप
सिंह पुरी
2.राजनाथ
सिंह
3.जयंत
चौधरी
4.जितिन
प्रसाद
5.पंकज
चौधरी
6.बी
एल वर्मा
7.अनुप्रिया
पटेल
8.कमलेश
पासवान
9.एसपी
सिंह बघेल
बिहार
1.चिराग
पासवान
2.गिरिराज
सिंह
3.जीतन
राम मांझी
4.रामनाथ
ठाकुर
5.ललन
सिंह
6.निर्यानंद
राय
7.राज
भूषण
8.सतीश
दुबे
अरुणाचल
1.किरन
रिजिजू
राजस्थान
1.गजेंद्र
सिंह शेखावत
2.अर्जुन
राम मेघवाल
3.भूपेंद्र
यादव
4.भागीरथ
चौधरी
हरियाणा
1.एमएल
खट्टर
2.राव
इंद्रजीत सिंह
3.कृष्ण
पाल गुर्जर
केरल
1.सुरेश
गोपी
2.जॉर्ज
कुरियन
तेलंगाना
1.जी
किशन रेड्डी
2.बंदी
संजय
तमिलनाडु
1.एल
मुरुगन
झारखंड
1.संजय
सेठ
2.अन्नपूर्णा
देवी
छत्तीसगढ़
1.तोखन
साहू
आंध्र प्रदेश
1.डॉ.चंद्रशेखर पेम्मासानी
2.राम
मोहन नायडू किंजरापु
3.श्रीनिवास
वर्मा
पश्चिम बंगाल
1.शांतनु
ठाकुर
2.सुकांत
मजूमदार
पंजाब
1.रवनीत
सिंह बिट्टू
असम
1.सर्बानंद
सोनोवाल
2.पबित्रा
मार्गेहि््रता
उत्तराखंड
.अजय
टम्टा
चुनौतियां भी कम नहीं
हालांकि नरेंद्र मोदी को पहली
बार गठबंधन की राजनीति की
मजबूरियों से जूझते हुए
उलझन में हैं। जो
मोदी, कल तक अपनी
नीति निर्माण की प्रवृत्ति के
कारण कभी विरोध को
बर्दाश्त नहीं किया, अब
उनके लिए विकसित भारत
के अधिक अविवेकपूर्ण तत्वों
को आगे बढ़ाना थोड़ा
परेशानी वाला हो सकता
है। जो एक निरंकुशता
की उनकी बहु-शानदार
दृष्टि है। भारत पर
नज़र रखने वाले उत्सुक
लोग देश के लंबे
समय से कल्पित सुधारों
के भाग्य को लेकर चिंतित
हैं। उन्हें निराशा है कि देश
बेलगाम कल्याणवाद की वेदी पर
राजकोषीय मितव्ययिता का बलिदान देगा।
बहुत कुछ सुधारों के
शाब्दिक संदर्भ पर निर्भर करेगा
राजकोषीय विवेक, बेहतर सार्वजनिक वित्त, सरकार और निजी क्षेत्र
दोनों द्वारा बड़ा पूंजीगत व्यय,
शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा
क्षेत्रों के लिए बड़े
संसाधन आवंटन, बेहतर निर्देशित सब्सिडी, व्यापक आधार के साथ
कम व्यक्तिगत कर, निवेश को
प्रज्वलित करने के लिए
प्रोत्साहन, व्यापार और विदेशी निधि
प्रवाह में बाधाओं को
कम करना, और ऐसा माहौल
बनाने की क्षमता जो
बड़े और छोटे व्यवसायों
को बढ़ावा दे। यह स्पष्ट
है कि भूमि, श्रम
और कृषि जैसे क्षेत्रों
में बड़े-बड़े सुधार
जल्द ही जमीन पर
नहीं उतरेंगे। लेकिन नई सरकार को
एक ऐसी अर्थव्यवस्था को
गति प्रदान करने के लिए
एक रणनीति तैयार करनी होगी जो
2023-24 में आश्चर्यजनक रूप से मजबूत
8.2 फीसदी की दर से
बढ़ी, जबकि मुद्रास्फीति शांत
होने लगी थी। शासन
को अपने डेटा सेट
के आसपास विश्वसनीयता का पुनर्निर्माण करने
की आवश्यकता होगी। राष्ट्रीय सांख्यिकी के लिए आधार
वर्ष - 2011-12 - जनवरी 2015 से नहीं बदला
गया है, जबकि राष्ट्रीय
सांख्यिकी आयोग ने सिफारिश
की थी कि सभी
आर्थिक सूचकांकों को हर पांच
साल में एक बार
फिर से आधारित किया
जाना चाहिए।
मोदी प्रचारक से सीधे बने थे सीएम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीसरी
बार देश के प्रधानमंत्री
पद की शपथ ले
ली है। 1984 के बाद पहली
बार 2014 में मोदी के
नेतृत्व में किसी दल
ने बहुमत के साथ सरकार
बनाई थी। दिलचस्प वाकया
यह है कि मुख्यमंत्री
बनने के बाद पहली
बार मोदी ने विधानसभा
चुनाव लड़ा था। वहीं
सांसद बनते ही प्रधानमंत्री
पद की शपथ ले
ली थी। 2014 में 26 को नरेंद्र मोदी
ने पहली और 30 मई
2019 को दूसरी बार प्रधानमंत्री पद
की शपथ ली थी।
बता दें कि नरेंद्र
मोदी आजादी के बाद जन्म
लेने वाले पहले प्रधानमंत्री
हैं। इसी के साथ
लगातार 10 साल बहुमत के
साथ केंद्र में गैर-कांग्रेसी
सरकार चलाने वाले मोदी इकलौते
नेता हैं। रोचक तथ्य
यह है कि 1962 के
बाद पहली बार कोई
सरकार अपने दो कार्यकाल
पूरे करने के बाद
तीसरी बार सत्ता में
आई है। इसी के
साथ नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी
बार प्रधानमंत्री पद की शपथ
लेने वाले नेताओं की
सूची में शामिल हो
चुके हैं। मोदी से
पहले पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 1952, 1957 और 1962 में लगातार तीन
बार प्रधानमंत्री पद की शपथ
ली थी। इंदिरा गांधी
ने 1966 में पहली, 1967 में
दूसरी और 1971 में तीसरी बार
प्रधानमंत्री पद की शपथ
ली थी। अटल बिहारी
वाजपेयी ने भी लगातार
तीन बार प्रधानमंत्री पद
की शपथ ली थी।
सबसे पहले 1966, 1998 और इसके बाद
1999 में प्रधानमंत्री बने थे। हालांकि,
पांच साल का कार्यकाल
उन्होंने एक ही बार
पूरा किया।
चाय की दुकान से पीएम की कुर्सी तक
नरेंद्र मोदी का जन्म
17 सितंबर 1950 को गुजरात के
वडनगर में हुआ। चाय
की दुकान से शुरू हुआ
उनका सफर देश के
14वें प्रधानमंत्री तक पहुंचा। दामोदरदास
मूलचंद मोदी और हीराबेन
मोदी के घर जन्मे
नरेंद्र मोदी की स्कूली
शिक्षा दीक्षा वडनगर में हुई। वडनगर
रेलवे स्टेशन पर उनके पिता
चाय की दुकान चलाते
थे। जहां अक्सर मोदी
अपने पिता की मदद
करते थे। मोदी ने
1978 में दिल्ली विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ
ओपन लर्निंग से राजनीति विज्ञान
में स्नातक और 1983 में गुजरात विश्वविद्यालय
से राजनीति विज्ञान में एमए की
डिग्री प्राप्त की।
अचानक सीएम और 14 साल बाद बने पीएम
नरेंद्र मोदी ने 1972 में
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ज्वाइन की
थी। इसके बाद 1987 में
पहली बार भारतीय जनता
पार्टी का हिस्सा बने।
केशुभाई पटेल के इस्तीफे
के बाद 7 अक्टूबर 2001 को पहली बार
मोदी ने गुजरात के
मुख्यमंत्री पद की शपथ
ली थी। 2014 तक इस पद
पर रहे। 26 मई 2014 को नरेंद्र मोदी
ने पहली और 30 मई
2019 को दूसरी बार प्रधानमंत्री पद
की शपथ ली। तीसरे
कार्यकाल के तहत मोदी
ने 2047 तक विकसित भारत
का लक्ष्य रखा है।
पं जवाहर लाल नेहरु
1947 में नेहरू के
पीएम बनने से लेकर
2024 में मोदी के दोबारा
इस पद पर आसीन
होने तक की ये
यात्रा काफी उथल-पुथल
भरी रही है.पंडित
नेहरू ने 15 अगस्त 1947 को ऐसे हालातों
में देश की बागडोर
संभाली थी, जब भारत अंग्रेजों की
गुलामी से आजाद ही
हुआ था. इससे पहले
ब्रिटिश शासन में 1946 में
चुनाव कराए गए थे.
इन चुनावों में कांग्रेस 1585 में
से 923 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी
बनकर उभरी थी. नतीजों
से तय था कि
कांग्रेस का अध्यक्ष ही
अंतरिम सरकार का मुखिया होगा,
इसलिए कांग्रेस में अध्यक्ष पद
के चुनाव की घोषणा हुई.
मौलाना आजाद 1940 से कांग्रेस अध्यक्ष
थे. वह चुनाव लड़ना
चाहते थे. लेकिन महात्मा
गांधी ने आजाद को
चिट्ठी लिखकर कहा कि उनकी
राय में नेहरू इस
पद के लिए सही
होंगे. उस समय तक
प्रदेश कांग्रेस समितियां (पीसीसी) ही पार्टी अध्यक्ष
को नामित कर और चुन
सकती थीं. 15 में से 12 समितियों
ने सरदार वल्लभभाई पटेल को ननामित
किया था. लेकिन गांधी
जी के कहने पर
पटेल ने इस रेस
से अपना नाम वापस
ले लिया. दो सितंबर 1946 को
नेहरू की अगुवाई में
अंतरिम सरकार गठित हुई. हालांकितब
तक प्रधानमंत्री पद नहीं था.
15 अगस्त 1947 को जब देश
आजाद हुआ तो यही
अंतरिम सरकार, भारत की सरकार
बन गई और इस
तरह नेहरू देश के पहले
प्रधानमंत्री बनेसरदार पटेल को डिप्टी
पीएम का पद दिया
गया. इस दौरान नेहरू
कैबिनेट में श्यामा प्रसाद
मुखर्जी ने भी शपथ
ली, जिन्होंने बाद में जनसंघ
की स्थापना की.
इंदिरा गांधी
11 जनवरी 1966 को देश के
तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री
के असामयिक निधन से देश
शोक में डूब गया
था. उस समय कांग्रेस
के अध्यक्ष कामराज
थे, जिन्होंने प्रधानमंत्री पद के लिए
इंदिरा गांधी के नाम का
प्रस्ताव रखा. लेकिन मोरारजी
देसाई की अगुवाई वाला
गुट इसके विरोध में
खड़ा हो गया. ममोरारजी
देसाई ने संसदीय दल
के नेता का चुनाव
कराने का दबाव बनाया.
इस तरह शास्त्री के
निधन के नौ दिन
बाद ये चुनाव कराया
गया. इस चुनाव में
इंदिरा गांधी की जीत हुई.
उन्हें 355 जबकि देसाई को
मात्र 169 वोट ही मिले.इंदिरा गांधी ने 24 जनवरी 1966 को राष्ट्रपति भवन
में भगवान बुद्ध की प्रतिमा के
आगे प्रधानमंत्री पद की शपथ
ली. इंदिरा गांधी की पहली कैबिनेट
में पिछली सररों में मंत्री रहे
ज्यादातर नेताओं को शामिल किया
गया. शास्त्री के निधन के
बाद कार्यवाहक प्रधानमंत्री बने गुलजारी लाल
नंदा को गृहमंत्री बनाया
गया. हाला.कि, कुछ
महीनों बाद इंदिरा ने
गृह मंत्रालय अपने पास रख
लिया था. इंदिरा की
पहली कैबिनेट में पहले यशवंतराव
चव्हाण और फिर स्वर्ण
सिंह रक्षा मंत्री बने.
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