Wednesday, 10 July 2024

मोदी-पुतिन की दोस्ती से भारत बनेगा “परमाणु ऊर्जा का पॉवर हाउस“

मोदी-पुतिन की दोस्ती से भारत बनेगापरमाणु ऊर्जा का पॉवर हाउस“ 

रूस की सरकारी परमाणु ऊर्जा कंपनी रोसाटॉम ने भारत में 6 नए परमाणु ऊर्जा संयंत्र लगाने को तैयार है। ऐसा होने पर भारत परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में पूरी तरह आत्मनिर्भरता हासिल कर लेगा। इसके अलावा भारत ने रूस के कज़ान और येकाटेरिनबर्ग में दो नए वाणिज्य दूतावास खोलने का फ़ैसला किया है तो रूस ने अपने यहां की सेना में धोखे से भर्ती किए गए भारतीय नागरिकों को वापस भेजने में पूरी मदद करने का भरोसा दिया है। यह सब मोदी और पुतिन के बीच बढ़ते रिश्ते का कमाल है। मतलब साफ है रूस की मदद से भारतपरमाणु ऊर्जा का पॉवर हाउसबनने जा रहा है। मोदी पुतिन की दोस्ती की प्रगाढ़ता का फल है कि अब अमेरिका भी कहने लगा है कि मोदी चाहे तो रुस यूक्रेन युद्ध को रोकवा सकते है। जबकि इस युद्ध में अमेरिका खुलकर यूक्रेन के साथ खड़ा है। मोदी पुतिन की दोस्ती का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि मोदी को रूस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू एपोस्टल पुतिन ने दिया है।  17वीं सदी से शुरू ये सम्मान रूस का सबसे बड़ा अवॉर्ड है, जो देसी और विदेशी दोनों ही लोगों को मिल सकता है. लेकिन राजनैतिक हस्तियों को ये कम ही मिलता रहा. भारतीय पीएम से पहले चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, अजरबैजान के पूर्व राष्ट्रपति हैदर अलीयेव और कजाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति नूरसुल्तान नजरबायेव को ये मिला है. ये सभी देश रूस के करीबी रहे. हालांकि इससे पहले भूटान ने भी मोदी को हाईएस्ट सिविलियन अवॉर्ड ऑर्डर ऑफ ड्रुक ग्यालपो से नवाजा था 

सुरेश गांधी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दो दिवसीय मॉस्को दौरे के दौरान रूस और भारत में समझौते के तहत परमाणु ऊर्जा कंपनी रोसाटॉम ने परमाणु सिंफनी के वीवीईआर-1000 रिएक्टर को मंजूरी दे दी है। भारत के कुडैनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र में भी इसी तरह का रिएक्टर लगाया गया है। भारत में अब 6 नए संयंत्र बनने से ऊर्जा जरूरतों पर दूसरों पर से निर्भरता कम होगी। आने वाले समय में भारत की ऊर्जा जरूरतें कई गुना बढ़ने के आसार हैं। ऐसे में रूस का यह तोहफा भारत के लिए काफी बड़ा माना जा रहा है। पीएम मोदी के इस दौरे ने रूसी हथियारों के कलपुर्जों के लिए भी संयुक्त उद्यम लगाने के लिए मॉस्को के साथ सहमति बनवाई है। ‘‘दोनों पक्षों में आम सहमति थी कि इसमें तेजी लाई जाएगी, जिसमें भारत में संयुक्त उद्यम स्थापित करना शामिल है, ताकि आवश्यक कल-पुर्जों की आपूर्ति में देरी की चुनौती का सार्थक तरीके से समाधान किया जा सके।’’ खास बात यह है कि जिस हमलावर ड्रोन की इंतजार भारत एक दशक से कर रहा था, रूस ने उसका प्रोडक्शन शुरू कर दिया है. रूस की छठी पीढ़ी का स्टेल्थ ड्रोन -70 की पहली तस्वीर सामने गई है.

साल 2017 से इसके बनने और डिजाइन को लेकर चर्चा होती रही है. लेकिन अब इसका प्रोडक्शन शुरू हो चुका है. इसे सुखोई और रूसी एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन मिग ने मिलकर बनाया है. मानवरहित हमलावर ड्रोन्स की दुनिया में यह एक नया कदम है. अगर ताकत की बात करें तो यह ड्रोन 250 औऱ 500 कैलिबर के बम को ले जा सकता है. 1000 किग्रा के गाइडेड और अनगाइडेड बमों को लेकर उड़ान भर सकता है. इसके अलावा हवा से सतह और हवा से हवा में मार करने मिसाइलों से लैस हो सकता है. इस ड्रोन में मिकोयान स्कैट ड्रोन और मिग 57 फाइटर जेट की तकनीकों का मिश्रण है. यह एक हैवी कॉम्बैट ड्रोन है. यह पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट के साथ मिलकर दुश्मन के इलाके में हमला करने में सक्षम है. इसमें लंबी दूरी के हथियार लगाकर दुश्मन के एयर डिफेंस को खत्म किया जा सकता है. इस ड्रोन का विंगस्पैन करीब 65 फीट का है. बिना हथियारों के इसका वजन 20 हजार किग्रा है. हथियार लगाकर उड़ान भरते समय इसका वजन 25 हजार किग्रा हो जाता है. इसकी अधिकतम गति 1000 किमी प्रतिघंटा है. इस ड्रोन की रेंज शानदार है. यह एक बार में 6000 किमी तक जा सकता है. इस ड्रोन की कॉम्बैटर रेंज यानी हथियार लेकर जंग में उड़ान भरने की रेंज 3000 किमी है. इसमें दो इंटर्नल वेपन बे लगे हैं. यानी उड़ान के समय इस ड्रोन नीचे आपको एक भी हथियार शायद दिखाई दे. लेकिन इसका पेट खुल जाता है. जिसमें से 2000 किग्रा के गाइडेड या अनगाइडेड हथियार गिराए जा सकते हैं.

देखा जाएं तो अगले 5 से 6 बरस में भारत और रूस के बीच आर्थिक संबंध और बेहतर हो सकते हैं. वास्तव में दोनों देशों ने 100 अरब डॉलर का प्लान बना लिया है. इस पर हस्ताक्षर भी हो गए हैं. दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों के इस प्लान को देखकर अमेरिका, चीन और यूरोप के देश परेशान हो गए हैं. भारत और रूस ने जो 100 अरब डॉलर का प्लान बना लिया है वो वास्तव में बाइलेटरल ट्रेड का है. जानकारी के अनुसार दोनों देशों ने साल 2030 तक बाइलेटरल ट्रेड को 100 अरब डॉलर तक बढ़ाने का प्लान बना लिया है. साथ ही दोनों देशों ने व्यापार में संतुलन लाने, गैर-शुल्क व्यापार बाधाओं को दूर करने और यूरेशियन आर्थिक संघ (ईएईयू)-भारत मुक्त व्यापार क्षेत्र की संभावनाएं तलाशने का टारगेट रखा है. इस बाबत पीएम मोदी और रूसी प्रेसीडेंट व्लादीमिर पुतिन के बीच कई दौर की वार्ता हुई. उसके बाद दोनों राष्ट्राध्यक्षों ने संयुक्त बयान जारी करते अपने प्लान के बारे में पूरी दुनिया की जानकारी दी. इसमें कहा गया कि दोनों देश, नेशनल करेंसी का इस्तेमाल कर एक बाइलेटरल सेटलमेंट सिस्टम स्थापित करने और म्यूचुअल सेटलमेंट सिस्टम में डिजिटल फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स को लाने की प्लानिंग कर रहे हैं.

एनर्जी, बिजनेस, मैन्युफैक्चरिंग और फर्टीलाइजर सेक्टर में आर्थिक सहयोग को बढ़ाने पर जोर दिया गया. इसके साथ ही दोनों देशों ने बाइलेटरल बैलेंस ट्रेड के लिए भारत से सामान की सप्लाई बढ़ाने और और स्पेशल इंवेस्टमेंट सिस्टम के तहत निवेश को फिर से मजबूत करने पर जोर दिया. वहीं दूसरी ओर पीएम नरेंद्र मोदी ने एनर्जी सेक्टर में रूस द्वारा भारत की मदद का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि जब दुनिया फूड प्रोडक्ट्स, फ्यूल और फर्टीलाइजर की शॉर्टेज का सामना कर रही थी, तब भारत ने किसानों के सामने समस्या नहीं आने दी और रूस ने इसमें अहम भूमिका निभाई. मोदी ने यह भी कहा कि रूस की मदद से देश में पेट्रोल और डीजल की कमी नहीं हुई. मौजूदा समय में भारत और रूस के बीच बाइलेटरल ट्रेड 60 बिलियन डॉलर का है. जोकि अमेरिका और चीन के मुकाबले करीब आधा है. आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2023-24 में अमेरिका के साथ भारत का बाइलेटरल ट्रेड 118.28 अरब डॉलर का है. जबकि चीन के साथ सबसे ज्यादा 118.40 अरब डॉलर है. चीन से रिश्ते खराब होने के बाद भी भारत का कारोबार सबसे ज्यादा यहीं से होता है. अगर ट्रेड डेफिसिट की बात करें तो ये 85 अरब डॉलर तक पहुंच गया था. वहीं रूस के साथ भी 57 अरब डॉलर को पार कर गया था. दूसरी ओर वित्त वर्ष 2023-24 में भारत का अमेरिका के साथ 36.74 बिलियन डॉलर का ट्रेड सरप्लस था. अमेरिका उन कुछ देशों में से एक है जिनके साथ भारत का ट्रेड सरप्लस है. यूके, बेल्जियम, इटली, फ्रांस और बांग्लादेश भी इसी फेहरिस्त में शामिल है. पिछले वित्त वर्ष में भारत का कुल व्यापार घाटा उससे पिछले वित्त वर्ष के 264.9 बिलियन डॉलर के मुकाबले कम होकर 238.3 बिलियन डॉलर हो गया था.

जहां तक रुस, भारत चीन के संबंधों का सवाल है तो पीएम मोदी के इस दौरे पर चीन की भी नजर रही, जिसने यूक्रेन युद्ध के बाद से रूस के साथ अपने रिश्तों को ऐतिहासिक रूप से बढ़ाया है. भारत के प्रतिद्वंद्वी चीन और रूस की करीबी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यूक्रेन के साथ युद्ध शुरू होने के बाद से रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दो बार चीन जा चुके हैं जबकि वो एक बार भी भारत दौरे पर नहीं आए और पिछले साल सितंबर में आयोजित जी-20 की बैठक से भी उन्होंने दूरी बनाए रखी. वहीं, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी युद्ध के बाद एक बार रूस का दौरा कर चुके हैं. ऐसे में अगर हम भारत-रूस रिश्ते की बात करते हैं तो इसमें चीन के फैक्टर को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. भारत-रूस की दोस्ती को अगर चीन की कसौटी पर कसा जाए तो ये उतनी खरी नहीं उतरती और भारत के लिए रूस कभी चीन के खिलाफ नहीं जाएगा. भारत-रूस रिश्तों में चीन के फैक्टर को समझने के लिए हमें इतिहास में झांकना पड़ेगा जब रूस, भारत और चीन के साथ अपने मजबूत रिश्तों को लेकर बड़े धर्मसंकटमें फंस गया था. साल था 1962 जब भारत और चीन के बीच युद्ध छिड़ गया था. तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को पूरी उम्मीद थी कि भारत का पुराना दोस्त रूस (तत्कालीन सोवियत संघ) उसका साथ देगा लेकिन तत्कालीन सोवियत संघ के राष्ट्रपति निकिता ख्रुश्चेव उसी दौरान क्यूबा मिसाइल संकट में उलझे थे.

कहा जाता है कि ख्रुश्चेव ने नेहरू से कहा कि वो सीमा पर समझौता कर लें क्योंकि उन्हें चीन के समर्थन की जरूरत है. कुछ रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा कि भारत अगर इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में लेकर जाता है तो रूस चीन के साथ खड़ा होगा. रूस ने भारत-चीन युद्ध में अपनी तटस्थता दिखाने के लिए भारत को सैन्य विमानों की बिक्री भी निलंबित कर दी. हालांकि, जल्द ही भारत-रूस के संबंध सामान्य हो गए थे. रूस कई वजहों से चीन की तरफ झुक रहा है. वो कहते हैं, ’रूस चीन की तरफ झुक रहा है क्योंकि उस पर दबाव है. चीन उससे केवल तेल ही नहीं खरीद रहा बल्कि वो उससे कार, फ्रिज, इंजिनियरिंग के सामान, टेक्नोलॉजी, जो रूस को चाहिए, चीन दे रहा है. लेकिन मेरा मानना है कि रूस के साथ भारत के रिश्ते जितने मजबूत होंगे, वो चीन की तरफ उतना ही कम झुकेगा.’ रूस की सबसे बड़ी प्राथमिकता यूक्रेन युद्ध को ऐसी स्थिति में लाना है जिससे उसे कम से कम नुकसान हो. अमेरिका और पश्चिमी देशों ने उस पर प्रतिबंध लगाकर तेल से राजस्व कमाने के लिए उसे चीन और भारत पर निर्भर कर दिया है. भारत रूस से खूब तेल खरीद रहा है जिससे रूस को मदद मिल रही है.’ भारत और रूस के बीच केवल तेल और रक्षा हथियारों का व्यापार होता है लेकिन चीन के साथ व्यापार का स्तर काफी व्यापक है. चीन और रूस के बढ़ते रिश्ते भारत की सुरक्षा, रक्षा क्षमता और भारत के वैश्विक कद पर असर डालेंगे. ’भारत अभी भी रूस से 40-50 फीसद हथियार खरीद रहा है. भारत फ्रांस, इजरायल, इटली, अमेरिका जैसे देशों से हथियार खरीदकर इस क्षेत्र में विविधता ला रहा है, रूस पर अपनी निर्भरता कम कर रहा है लेकिन भारत ये जो कर रहा है बहुत संभव है कि रूस में यह माना जा रहा है कि भारत ज्यादा से ज्यादा पश्चिम की तरफ मुड़ रहा है यानी रूस से दूर जा रहा है.’

जब शांति दत बने पीएम मोदी

इन सबके बावजूद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से साफ लफ्ज़ों में, दो टूक कहा कि युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं है, बम बंदूक के जरिए कोई रास्ता नहीं निकल सकता। मोदी ने कहा कि यूक्रेन और रूस के बीच जंग को खत्म कराने में, शान्ति बहाल करने में भारत अपनी भूमिका निभाने को तैयार है। ये पहला मौक़ा है जब रूस की राजधानी में बैठकर रूसी राष्ट्रपति की आंखों में आंख डालकर दुनिया के किसी दूसरे देश के नेता ने यूक्रेन के मसले पर इतनी साफगोई से और इतने सख्त शब्दों में युद्ध की मुखालफत की हो। मोदी ने व्लादिमीर पुतिन से यहां तक कहा कि जिस तरह से कल रूस ने कीव में बच्चों के हॉस्पिटल पर हमला किया, वो कतई ठीक नहीं था। मोदी ने कहा कि बच्चों को इस तरह से मरता हुआ देखकर हर इंसान को कष्ट होगा, कोई इसका समर्थन नहीं कर सकता। आतंकवाद के सवाल पर भी मोदी ने भारत के सख्त रुख़ का इजहार किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया में आंतकवाद कहीं भी हो, किसी भी रूप में हो, सबको मिलकर उसका विरोध करना ही पड़ेगा। आतंकवाद का समर्थन करने वाले मुल्कों के खिलाफ दुनिया को एकजुट होना पड़ेगा क्योंकि दहशतगर्दी इंसानियत की सबसे बड़ी दुश्मन है। हालांकि मोदी ने बार बार कहा कि रूस भारत का भरोसेमंद दोस्त है, दोनों देशों के रिश्ते ऐसे हैं जिसमें खुलकर बात की जा सकती है। नरेन्द्र मोदी ने जिस अंदाज़ में बात की,  पुतिन ने जिस तरह मोदी का सम्मान किया, उन्हें गंभीरता से सुना, ये दुनिया के लिए बड़ा संदेश है। अमेरिका और दूसरे यूरोपीय देशों ने मोदी के रूस दौरे पर नाखुशी जाहिर थी लेकिन मोदी ने इन सब बातों की परवाह नहीं की। भारत का जो स्टैंड है, उसे पूरी साफगोई और सलीक़े के साथ रखा। मोदी ने ये साफ कर दिया कि भारत किसी के दबाव में आने वाला नहीं है, भारत वही कहेगा, वही करेगा, जो भारत के हित में होगा, जो भारत को सही लगेगा। मोदी ने ये बता दिया कि भारत, पुतिन की आंखों में आंख डालकर उसकी आलोचना कर सकता है, गलत को गलत कह सकता है। मोदी इतने खुलकर, इतने आत्मविश्वास के साथ अपनी बात इसलिए कही क्योंकि राष्ट्रपति पुतिन के साथ मोदी का व्यक्तिगत, पुराना रिश्ता है। पुतिन ने भी मोदी की खातिरदारी में कोई कोरकसर नहीं छोड़ी। पुतिन ने मोदी के लिए अपने निजी घर पर प्राइवेट डिनर का आयोजन किया। पुतिन का डाचा राजधानी मॉस्को के बाहरी इलाक़े में है। जब मोदी डिनर के लिए पहुंचे, तो पुतिन खुद मोदी के स्वागत के लिए गेट पर उनका इंतजार कर रहे थे, गले मिलकर अभिवादन किया। इसके बाद पुतिन ने मोदी को अपना घर, घर का गार्डेन और अस्तबल भी दिखाया।

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