काशी विश्वनाथ धाम में अब काशीवासियों के लिए होगा अलग द्वार
काशीवासियों को
नंदूफारिया
गली
से
धाम
में
प्रवेश
दिया
जाएगा
और
इसका
नाम
होगा
काशी
द्वार
श्री काशी विश्वनाथ धाम की सुरक्षा से लेकर दर्शनार्थियों के सहुलियतों पर खास ध्यान रखने की मंदिर प्रशासन को दी हिदायत
सुरेश गांधी
वाराणसी. भगवान शिव के प्रिय मास सावन की तैयारी शुरु हो चुकी है. सावन के दौरान व्यवस्था सुचारू बनी रहे और हालात ना बिगड़ें, इसके लिए पुलिस से लेकर बाबा विश्वनाथ धाम तक का प्रशासन ने विशेष तैयारी की है। इसी बीच श्रद्धालुओं के लिए खुशखबरी है। यहां सावन में आने वाले देश-विदेश के भोले भक्तों के लिए दो नए द्वार तैयार किए जाएंगे। जबकि काशिवासियों के लिए एक अलग द्वार बनेगा। काशीवासियों को नंदूफारिया गली से धाम में प्रवेश दिया जाएगा और इसका नाम होगा काशी द्वार।
श्री काशी विश्वनाथ
मंदिर न्यास के सभापति मंडलायुक्त
कौशल राज शर्मा और
डीसीपी सुरक्षा सूर्यकांत त्रिपाठी ने सावन की
तैयारियों के मद्देनजर शुक्रवार
को श्री काशी विश्वनाथ
धाम का निरीक्षण किया।
मंडलायुक्त ने श्रीकाशी विश्वनाथ
मंदिर में काशीवासियों के
लिए बनने वाले काशी
द्वार के प्रस्तावों का
आंकलन किया। धाम में प्रवेश
के लिए बन रहे
दो नए प्रवेश द्वार
सिल्को गली और पिनाक
भवन के पास चल
रहे निर्माण कार्य का भी मंडलायुक्त
ने जायजा लिया। नंदू फारिया गली,
गंगा द्वार सहित सभी प्रवेश
और निकास द्वारों का भी जायजा
लिया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने
सावन के महीने में
बाबा विश्वनाथ के मंदिर में
आने वाले श्रद्धालुओं की
भीड़ के बेहतर प्रबंधन
के साथ ही सुविधाओं
के बारे में भी
जानकारी ली। मंडलायुक्त ने
सभी विभागों के साथ समन्वय
करने का भी निर्देश
दिया।
मंडलायुक्त ने विस्तृत श्रावण
मास प्रबंधन योजना तैयार करके दो दिन
में पेश करने का
न्यास के अधिकारियों को
निर्देश दिया। मंडलायुक्त सोमवार को सभी विभागों
के साथ अंतरविभागीय समन्वय
बैठक करेंगे। एसडीएम शंभू शरण ने
बताया कि सावन में
श्री काशी विश्वनाथ धाम
में श्रद्धालुओं के प्रवेश के
लिए दो अतिरिक्त प्रवेश
द्वार बनाए जा रहे
हैं। एक प्रवेश द्वार
सिल्को गली और दूसरा
प्रवेश द्वार पिनाक भवन के पीछे
तैयार हो रहा है।
श्रद्धालुओं के लिए रैंप
का निर्माण कराया जा रहा है।
वहीं, काशीवासियों के लिए बाबा
के धाम में दर्शन
के लिए नंदू फारिया
गली की तरफ से
प्रवेश के बारे में
विचार किया जा रहा
है। इसको मंदिर सुरक्षा
समिति की बैठक में
रखा जाएगा और सहमति मिलने
के बाद सावन में
इसकी शुरुआत हो जाएगी।
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