Friday, 5 July 2024

पहले रामवृक्ष, अब पाखंडी बाबा के संरक्षणदाता बना कुनबा

पहले रामवृक्ष, अब पाखंडी बाबा के संरक्षणदाता बना कुनबा

मुर्दो में जान फूंकने का पांखड करने वाला नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा का नाम किसी भी सियासतदान की जुबान पर नहीं हैं। जबकि दो लाख से अधिक अनुयायियों के बीच उसके द्वारा कहा जाना, ’मेरे जाने के बाद चरणों की धूल माथे पर लगा लेना, सारे पाप, मर्ज कष्ट दूर हो जायेंगेलोगों के लिए काल बन गया। माथे पर धूल लगाने की ऐसी होउ़ मची देखते ही देखते 121 लोग काल के गाल में समा गएं। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि अगर उस दौरान बाबा द्वारा कहा जाता 50-50 लोग माथे पर धूल लगाते हए बाहर निकल जाएं, तो लोग उनकी बात भी मान लेते और बिना किसी धक्का-मुक्की के सब अपने घर लौट जाते। लेकिन ऐसा करने के बजाए खुद बाबा लोगों को मौत के मुंह में झोकने के साथ ही अफसोस जताना तो दूर खुद फरार हो गए। हादसे की शिकार अलीगढ़ की प्रेमा देवी ने हादसे के लिए बाबा को ही जिम्मेदार ठहराते हुए कहा, पाखंडी बाबा को फांसी की सजा हो। लेकिन अफसोस है जवाहरबाग कांड के सूत्रधार रामवृक्ष यादव की तर्ज पर नारायण साकार को सपाई कुनबों के अलावा कई अन्य नेता उसे अपना संरक्षण दे रहे है

सुरेश गांधी

फिरहाल, हाथरस हादसे पर सियासत चरम पर है. विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को अलीगढ़ और हाथरस में मृतकों के परिजनों से मुलाकात की. लेकिन राहुल गांधी हों, अखिलेश यादव या फिर यूपी सरकार के मुख्यमंत्री और मंत्री. सब सूरजपाल सिंह उर्फ बाबा नारायण साकार हरि के खिलाफ सीधे बोलने से बच रहे हैं. जबकि हकीकत तो यही है किभोले बाबाके चरणों की धूल 121 जिंदगियां लील गयी। इनमें ज्यादातर महिलाएं थीं। कई लोग घायल भी हुए हैं जो अलग-अलग अस्पतालों में अपना इलाज करा रहे हैं। इस मामले की न्यायिक जांच हो रही है। हादसे के बाद से तथाकथित बाबा फरार है। हादसे में मृत शांति देवी के बेटे जितेंद्र और लड़की गुड़िया का कहना है किबाबा कहता था मेरी पूजा करो, हरि नारायण से ही श्रष्टि है बस मेरा ध्यान करो, मैं ही सब हूं। हालांकि चरणों की धूल लेने को बाबा ने कभी नहीं कहा। उनके चेले और सेवादार ऐसा कहते थे कि उनके चरणों की धूल, वहां का पानी पीने से सब दुख दूर हो जाएंगे। हमने सब किया, हमारा कोई दुख दूर नहीं हुआ। गांव में दूसरों को देखकर हम जुड़ गए।

इनके लोग कहते थे कि बाबा के माथे पर चांद हैं। वो भगवान हैं, उनके ऊपर सितारे हैं। ये लोग अंधविश्वास फैलाते थे। हादसे में मृत मंजू देवी के पति छोटे लाल का कहना है किसीबीआई और पुलिस जांच करे, आरोप सामने आए तो बाबा को भी फांसी हो।इसके अलावा अलीगढ से प्रेम देवी के बेटों का कहना है किमेरी मां को आस्था थी, लेकिन हम लोग नहीं जाते थे। बाबा के यहां लॉकेट 10 रुपए में, किताब 50 रूपए, पूजा पे रखने वाला दफ्ती वाला स्टीकर 70 रुपए, 80 रूपए और 100 रुपए में मिलता था। कोई फायदा नहीं हुआ। मेरी बेटी को दिक्कत थी। कई बार ले के गया लेकिन कुछ फायदा नहीं हुआ। बाबा पाखंडी है, उसे उम्रकैद होनी चाहिए। जब बाबा को पता लगा कि हादसा हो गया तो फिर वापस क्यों नहीं आया। उसके सेवादार बताते थे बाबा से बात करनी है तो 50 लाख रूपए लगेंगे। ऐसे कोई नहीं मिल सकता था। अब ये लॉकेट, पूजा का सामान सब कूड़ेदान में जाएगा। यही ठीक जगह है उसके लिए।

इंसान के बनाए एक भगवान के चरणों की धूल ने 121 इंसानों की जान ले ली. आज के दौर में ये देख सुनकर यकीन नहीं होता, लेकिन सच्चाई यही है कि उत्तर प्रदेश पुलस के एक हवलदार से बाबा बने भोले बाबा की गाड़ी के पहियों से उड़ती धूल को माथे पर लगाने की होड़ में भगदड़ मची और ऊपर से कमाल ये कि जिंदगी की आस में आए भक्तों को अपने सामने मरता देखने के बावजूद उन्हें उनका भगवान छोड़कर भाग गया और ऐसा भागा कि अब तक सामने नहीं आया. भगवान बन बैठे उस इंसान में इतनी भी इंसानियत नहीं थी कि धूल उड़ाती अपनी गाड़ी के काफ़िले को रोक कर अपने भक्तों की सुध लेता. कानूनी दस्तावेज यानी एफआईआर की मानें तो इन दस्तावेजों में चरणों की धूल की पूरी कहानी तो है पर कमाल ये है कि इसमें कहीं भी इंसानों के बनाए उस भगवान यानी भोले बाबा यानी यूपी पुलिस का पूर्व हवलदार यानी सूरजपाल सिंह जाटव यानी नारायण साकार हरि को सीधे तौर पर जिम्मेदार या कसूरवार नहीं ठहराया गया है. जिसके चरणों के धूल की वजह से 121 इंसानों ने पांव तले कुचलते हुए उखड़ती सांसों के साथ दम तोड़ दिया था. इस रिपोर्ट के मुताबिक दो जुलाई को नेशनल हाई वे नंबर 51 पर भोले बाबा का प्रवचन कार्यक्रम था. एसडीएम खुद मौके पर मौजूद थे. सत्संग के पंडाल में दो लाख से ज्यादा की भीड़ थी. दोपहर साढ़े 12 बजे भोले बाबा प्रवचन देने के लिए पंडाल में पहुंचे थे. करीब एक बज कर 40 मिनट पर प्रवचन समाप्त कर बाबा पंडाल से निकल गए. हाईवे नंबर 51 पर अब वो एटा की तरफ जा रहे थे. जिस रास्ते से भोले बाबा जा रहे थे, उस रास्ते पर भक्तों की भीड़ उनके दर्शन चरण स्पर्श और उनके चरणों की धूल लेकर अपने माथे पर लगाने लगी. बीच रोड पर बने डिवाइडर पर बहुत सारे भक्त पहले से ही खड़े थे. वो भोले बाबा के र्दर्शन के लिए डिवाइडर से कूद पड़े. भीड़ बाबा तक पहुंच पाए, इसके लिए बाबा के निजी सुरक्षाकर्मचारी यानी ब्लैक कमांडो और सेवादारों ने भीड़ के साथ धक्कामुक्की करना शुरू कर दिया. इसमें कुछ लोग नीचे गिर गए. तब भी भीड़ नहीं मानी. अफरातफरी का माहौल हो गया. खुले खेत की तरफ सड़क के दूसरी तरफ भागी. सड़क से खेत में उतरने के दौरान ढलान होने की वजह से ज्यादातर भक्त फिसल कर गिर पड़े. इसके बाद वो उठ नहीं सके. और भीड़ उनके ऊपर से होकर इधर-उधर भागने लगी. श्रद्धालुओं की बेतहाशा भीड़ की वजह से नीचे बैठे झुके श्रद्धालु दबने कुचलने लगे. जीटी रोड की दूसरी तरफ लगभग तीन मीटर गहरे खेतों में पानी और कीचड़ था. आयोजन समिति और भोले बाबा के सेवादारों ने हाथों में लिए डंडों से भीड़ को जबरन रोकने की कोशिश की. जिससे भगदड़ मच गई. भगदड़ के बाद आयोजनकर्ताओं और सेवादारों ने कोई मदद नहीं की. 

 खास बात यह है कि सपाई कुनबे के संरक्षण में वह एक-दो नहीं कई सालों से पाखंड फैला रहा था। वह आगरा में साल 2000 में जेल भी जा चुका है। उसके समर्थक पुलिस पर पथराव भी किए थे। आगरा की शाहगंज थाना पुलिस नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा को पाखंड फैलाने के आरोप में जेल भेज चुकी है। शाहगंज थाने में नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के खिलाफ दर्ज हुए मामले के बारे में तत्कालीन थाना प्रभारी तेजवीर सिंह यादव का कहना है कि जब मैं सन 2000 में शाहगंज इंस्पेक्टर था तो केदार नगर मोहल्ले में भोला बाबा रहता था। एक 15-16 साल की लड़की की मौत हो गई थी तो ये उसको लेकर जगदीश पूरा में एक शमशान घाट पर लेकर बैठ गया था। बाबा के साथ 200 से 300 समर्थक थे। उन्होंने वहां टेंट लगा रखे थे। कह रहे थे कि ये मृत लड़की दूध पीयेगी और जिंदा हो जाएगी। जबकि पुलिस ने बहुत समझाया लेकिन ये लोग माने नहीं और इनके समर्थक पुलिस पर ही पथराव करने लगे। इसके बाद नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा और उनके कई समर्थकों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। थाना शाहगंज में इनके ऊपर पाखंड फैलाने का मुकदमा दर्ज हुआ था और इनको जेल भेजा गया था। बाबा के साथ 5-6 से लोगों को भी जेल भेजा गया था। इन पर ऐसी शक्ति वाली कोई बात नहीं है। ऐसा नहीं है कि भोले बाबा के नाम से मशहूर सूरजपाल सिंह जाटव पर सिर्फ यौन शोषण का एक एफआईआर ही दर्ज हुआ था, बल्कि सच्चाई तो ये है कि उसके ऊपर अब तक पांच मुकदमे दर्ज हो चुके. हैं. इनमें 1-1 केस उत्तर प्रदेश के आगरा, इटावा, कासगंज, फर्रुखाबाद और राजस्थान के दौसा में दर्ज हुआ है.

यह अलग बात है कि बाबा सकार हरि ने बयान जारी कर सफाई दी कि घटना से पहले ही वह मौके से निकल चुका था। हालांकि, सीसीटीवी में घटना के ठीक बाद काफिला जाता हुआ दिखाई दिया। पुलिस की जांच जारी है और आरोपियों की गिरफ्तारी हो रही हैं। वैसे यूपी पुलिस से उम्मीद भी क्या की जाए. जब भोले बाबा का नाम एफआईआर तक में नहीं है तो फिर किस मुंह से यूपी पुलिस उनसे पूछताछ करे या उन पर हाथ डाले? यही कोई आम आदमी होता, तो अब तक तो बिना एफआईआर के ही जाने उसके कितने ठिकानों पर बुल्डोजर चल चुका होता. ऐलानिया चीख चीखकर बुल्डोजर चलाने वाली यूपी सरकार के तमाम बुल्डोजर या तो इस वक्त जंग खा चुके हैं या शायद उसमें डीजल खत्म हो चुका है. वरना वो यही यूपी सरकार थी, जिसने सिर्फ मैसेज देने के लिए कई बार तो गलत घरों पर ही बुल्डोजर चला चुकी थी. पर जिनकी जुबान पर भोले बाबा का नाम तक नहीं रहा है, वो बुल्डोजर की बात करे भी तो कैसे? देखा जाएं तो 90 के दशक में युपी पुलिस में एक कांस्टेबल की तनख्वाह 5 हजार से भी कम हुआ करती थी. 2002 के आस-पास भोले बाबा पुलिस की नौकरी छोड़ चुके थे. एक आम किसान परिवार से आते थे. लेकिन बाबा की इस दुकान ने उनकी किस्मत ऐसी चमकाई कि आज बाबा सौ करोड़ से भी ज्यादा की संपत्ति के मालिक हैं. ये तमाम संपत्ति आश्रम और आश्रम की जमीन की शक्ल में है. ये आश्रम भले ही ट्रस्ट के नाम पर है, पर सब जानते हैं कि असली मालिक कौन है.

सफेद सूट बूट और गॉगल्स वाले बाबा की अपनी पर्सनल सेना है. जिसे उन्होंने ब्लैक कमांडों का नाम दिया है. ये नाम उनके काले कपड़ों की वजह से है. ब्लैक कमांडो के अलावा बाबा के बेहद खास अस्सी के आस-पास निजी सेवादार हैं. काफिले में तीस से ज्यादा गाड़ियां हैं. और सबसे कमाल ये कि बाबा का दावा है कि वो अपने भक्तों से एक रुपये भी दान नहीं लेते हैं. तो क्या पुलिस और सरकार की ये जिम्मेदारी नहीं बनती कि वो इस बात की जांच करे कि आखिर बिना दान के बाबा इतने धनवान कैसे बन गए? घटना का सीसीटीवी की तस्वीरों को देखने पर पता चलता है कि सड़क के दूसरी तरफ बढ़ती हुई गाड़ियों की रफ्तार बहुत तेज थी. दांये से बांये जाती हुई गाड़ियों की रफ्तार भी देखने वाली है. सबसे पहले एक साथ कई मोटरसाइकिल बेहद तेज रफ्तार से भागती हुई कैमरे में कैद होती हैं. इन मोटरसाइकिल पर सवार सभी लोगों ने काले कपड़े पहन रखे हैं. ये कोई और नहीं भोले बाबा के मासूम कमांडो हैं. ब्लैक कमांडो हैं. ब्लैक कमांडो. इनका काम ही है बाबा के रूट को ऐसे खाली करना और कराना मानों बाबा का नहीं पीएम का काफिला गुजरने वाला हो. उसका दावा था कि वो मुर्दों में जान फूंक देगा. इस दावे को एक बार सच करने की कोशिश भी की थी. लेकिन अब जब सचमुच उसे अपने दावे को सच कर दिखाने का मौका आया, तो उन्हें ही सड़कों, खेतों, पगडंडियों पर गिरते-पड़ते-मरते देख वो भाग खड़ा हुआ.

जहां तक राजनीतिक संरक्षण का सवाल है तो उसे भी सपाई कुनबों का संरक्षण था। उसने बाकायदा देश की तरह से विभाग बांट रखे थे। अपने नजदीकियों को उसने अपनी देश और सरकार बनने पर अलग-अलग मंत्रिमंडल का आश्वासन भी दे रखा था। लेकिन जब पुलिस उसे पकड़ने गयी तो 2 जून 2016 को जवाहर बाग में हुई हिंसा में तत्कालीन एसपी सिटी थानाध्यक्ष समेत 29 लोगों को मौत की नींद सुला दिया। बता दें, मार्च 2014 में मध्य प्रदेश के सागर जिले से दिल्ली के लिए 1500-1600 आदमियों के साथ चले स्वाधीन भारत विधिक सत्याग्रह संगठन के स्वयंभू अध्यक्ष रामवृक्ष यादव ने जवाहर बाग में दो दिन ठहरने की अनुमति प्रशासन से ली। अनुमति मिलने पर वह अपने लोगों के साथ ही जवाहर बाग में जम गया। मथुरा के जवाहर बाग कांड का मास्टरमाइंड रामवृक्ष यादव नई सरकार नया देश बनाने के सपने देखा करता था। इसे पूरा करने के लिए उसने अपना संगठन स्वाधीन भारत विधिक सत्याग्रह तैयार कर रखा था। दिल्ली पहुंचकर इसके बैनर तले बड़े आंदोलन की भूमिका भी तैयार की। सरकार का प्रारूप भी तैयार कर रखा था। जवाहर बाग पर कब्जा करने के बाद मामला अटक गया। रामवृक्ष यादव और उसके सहयोगी अपने आंदोलन से जोड़ने के लिए लोगों का ब्रेन वॉश करते थे। इसके बाद जवाहर बाग में रोक कर अपनी सहयोगियों की फौज में भर्ती कर लेता था। इस दौरान वह भर्ती हुए लोगों को मासिक वेतन भी देता था।

 

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