’वोटबैंक’ खिसकने के चक्कर में कार्रवाई से बच रही यूपी पुलिस
दिखावा के
तौर
पर
पुलिस
कर
रही
है
ताबड़तोड
छापेमारी
सत्संग में
लाखों
लोग
की
भीड़
ही
बाबा
की
असली
ताकत
है
सुरेश गांधी
वाराणसी। यूपी के हाथरस
में भयावह हादसे ने पूरे देश
को दहला दिया है।
स्वयंभू धर्मगुरु भोले बाबा उर्फ
साकार हरि के सत्संग
के बाद भगदड़ में
मरने वालों की संख्या 121 हो
गई है। अधिकारियों के
मुताबिक सत्संग के बाद अनुयायियों
में भोले बाबा का
आशीर्वाद और उनके चरण
रज यानी चरणों की
धूल माथे पर लगाने
की होड़ में भदगड़
मच गई। परिणाम यह
हुआ कि देखते ही
देखते चीख-पुकार के
बीच सत्संग पंडाल श्मशान में तब्दील हो
गया। वजह : बाबा साकार हरि
प्रवचन खत्म कर जाते
समय अपने अनुयायियों से
कहा, जिस रास्ते मैं
जाऊ उसके धूल माथे
लगा लें। इस मिट्टी
को माथे लगाने की
जल्दी में 121 लोग अपनी जान
से हाथ धो बैठे।
इस घटना के लिए
बाबा को जिम्मेदार बताया
जा रहा है। हालांकि
पुलिस ने एफआईआर में
बाबा का नाम तो
दर्ज नहीं किया है,
लेकिन उन्हें खोज जरुर रही
है। दिखावा ही सही ताबड़तोड़
छापामारी जारी है। लेकिन
हकीकत यह है कि
एक बड़ा वोटबैंक उनकी
गिरफ्तारी में आडे आ
रही है।
नारायण साकार हरि के सत्संग में आने वालो में एक बड़ी संख्या मजदूर तबके की है। यह वह तबका है जो न सिर्फ दो वक्त की रोटी के लिए हर रोज जूझता है, बल्कि मामूली बीमारी का इलाज कराने के लिए सामान तक गिरवी रखना पड़ता है. सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े तबके के लोग इस बाबा के सत्संग में सबसे ज्यादा आते हैं. एक सत्संग में लाखों लोग की भीड़ ही बाबा की असली ताकत है.
असली ताकत का मतलब वोट बैंक, जिसके चश्मे से सत्ताधारी दल हो या फिर कोई भी दूसरा राजनीतिक दल, नफा नुकसान का आकलन करता है. शायद यही वजह है कि किसी भी अपराधी को ना छोड़ने का दावा करने वाली यूपी पुलिस इस बाबा पर हाथ डालने से बच रही है. दबी जुबान से ही सही लोग कहने लगे है बाबा ने जानबूझकर अपने अनुयायियों को मौत के मुंह में तो झोका ही, बात जब संवेदना की आयी तो संकट की घड़ी में साथ होने के बजाय खुद फरार हो गया। लोग सवाल पूछ रहे है क्या बाबा को नहीं पता था, दो लाख अनुयायी एक साथ मिट्टी माथे पर लगायेंगे तो भदेस हो जायेगा? दुसरा बड़ा सवाल यह है कि अगर पुलिस ईमानदारी से बाबा को खोज रही है तो क्या उसे जमीन खा गई या आसमान निगल गया!
बता दें कि
जनवरी 2023 में अखिलेश यादव
भी अपने वोट बैंक
को मजबूत और बढ़ाने के
लिए बाबा के कार्यक्रमों
में शिरकत कर चुके हैं.
मैनपुरी, कासगंज, एटा, अलीगढ़, हाथरस,
आगरा और फर्रुखाबाद वो
इलाके हैं, जो समाजवादी
पार्टी के पीडीए फार्मूला
यानी पिछड़ा-दलित और अल्पसंख्यक
के वोट बैंक के
लिहाज से मजबूत है.
यही वजह थी कि
अखिलेश यादव भी नारायण
साकार हरि के कार्यक्रमों
में शिरकत करते रहे. हाथरस
कांड में मारे गए
लोगों में उत्तर प्रदेश
के 16 जिलों के भक्त शामिल
थे. जो ढाई लाख
की भीड़ हाथरस के
सत्संग में पहुंची, उसमें
यूपी के 16 जिलों से लोग पहुंचे
थे. वह भी उस
मानसिकता के, जो बाबा
के कहने पर कुछ
भी करने को तैयार
है. इसके लिए बाबा
ही भगवान है और बाबा
का आदेश ही परम
आदेश है. ये लोग
121 लोगों की मौत के
बाद भी बाबा को
कहीं से कसूरवार नहीं
मानते. वोट बैंक की
राजनीति में पार्टियों के
लिए ऐसे बाबाओं का
आशीर्वाद उनकी जीत सुनिश्चित
करने के लिए बहुत
महत्वपूर्ण माना जाता है.
2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को जो इंडि गठबंधन ने यूपी में नुकसान पहुंचाया, उसके पीछे पीडीए फॉर्मूला का बड़ा हाथ है. इस बदले परिणाम के पीछे जातियों का बदला समीकरण एक बड़ा कारण है और जातियों के समीकरण बदलने में ऐसे बाबाओ की भूमिका कई चुनावी परिणाम साबित कर चुकी है. सूत्रों का कहना है कि यही ताकत शायद अब भोले बाबा पर कार्रवाई करने से रोक रही है. प्रत्यक्षदशिर्यो के अनुसार मौके पर बाबा के चरण रज यानी पैरों के धूल माथे पर लगाने के दौरान बाबा के कमांडो, सेवादारों से अनुयायियों का जमकर धक्का-मुक्की हुई, जिससे भगदड़ मच गयी। इससे कुछ लोग गिर गए, जो गिरे वो दुबारा उठ नहीं पाएं और भीड़ उसके ऊपर से गुजरती चली गई। देखते ही देखते पूरा पंडाल में चीख-पुकार गूंजने लगी।
बाहर खड़े
पुलिसकर्मी मदद के लिए
अंदर जाना चाहा तो
सेवादारों ने घेराबंदी कर
उन्हें जाने नहीं दिया।
कुछ प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक सेवादार
सबूत मिटाने में ही व्यस्त
दिखे और उनकी ओर
से कहा जा रहा
था कोई घटना नहीं
है, कुछ लोग घायल
हुए हैं उन्हें ठीक
किया जा रहा है।
ऐसे में लोग जानना
चाह रहे है कि
जब बाबा ने कहा,
मेरे जाने के बाद
आप लोग मेरे गए
रास्ते की धूल माथे
लगा लेना, सारे कष्ट दूर
हो जायेंगे, तो क्या बाबा
गुनाहगार नहीं है? क्या
बाबा को पता नहीं
था कि लाखों की
भीड़ माथे पर चरण
रज लगाने के लिए एक
साथ नहीं उमड़ पड़ेगी?
आखिर क्या वजह है
कि 121 लोगों की मौत के
गुनाहगार का नाम एफआईआर
में नहीं है? हो
जो भी सच तो
यही है अगर पुलिस
पूछताछ के नाम पर
ही खोज रही है
तो तीन दिन बाद
भी वो हाथ क्यों
नहीं लगा? क्या साकार
हरि को जमीन खा
गई या आसमा निगल
गई, इसका जवाब तो
देना ही पड़ेगा।
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