पांडेयपुर रोवनवां बीर हनुमान बाबा का हरियाली एवं हिम श्रृंगार
फूलों से
सजा
दरबार,
दोपहर
बाद
से
देर
रात
तक
दर्शन
पूजन
को
उमड़ा
श्रद्धालुओं
का
रेला
भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग को बाबा बर्फानी के तर्ज बर्फो से सजाया गया
आरती के दौरान पूरा परिसर जय श्री राम के नारे के साथ गूंज उठा
सुरेश गांधी
वाराणसी। सावन में शहर
के पांडेयपुर चौराहा स्थित प्राचीन रोवनवा बीर हनुमान बाबा
मंदिर के 84वां हरियाली
एवं श्रृंगार किया गया। इस
मौके पर शनिवार को
बड़ी संख्या में दर्शन-पूजन
के लिए श्रद्धालुओं का
हुजूम उमड़ा। गर्भगृह से लेकर मंदिर
परिसर तक बेला, रजनीगंधा
व अन्य फूलों से
सजाया गया। कामीनी के
पत्तों से पूरे मंदिर
परिसर को हरियाली स्वरूप
दिया गया। इसके अलावा
भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग को
बाबा बर्फानी के तर्ज बर्फो
से सजाया गया। आरती के
दौरान पूरा परिसर जय
श्री राम के नारे
के साथ गूंज उठा।
फूलों से सजे भव्य
मंदिर की सुंदरता देखते
ही बन रही थी।
मंदिर में मत्था टेकने
पहुंचा हर श्रद्धालु मंदिर
का फोटो अपनी मोबाइल
में कैद करने को
आतुर दिखा। मंदिर अति प्राचीन है
और सावन में हर
साल यहां हरियाली एवं
हिम श्रृंगार का आयोजन किया
जाता है। मंदिर के
महंत पंडित दिलीप तिवारी ने आरती व
अनष्ठान किया। उन्होंने बताया कि प्रतिवर्ष की
भांति इस वर्ष भी
हुनमान जी का हिम
एवं हरियाली श्रृंगार किया गया। जिसमें
विभिन्न फूलों से मां के
मंदिर को सजाया गया
व कामीनी के पत्तों से
पूरे मंदिर को सजाया गया
है। इस मंदिर में
स्थापित मूर्ति को देखकर ऐसा
आभास होता है कि
जैसे साक्षात् हनुमान जी विराजमान हैं।
यह मंदिर अद्भुत और चमत्कारी है।
कहते है यहां
तमाम मुसीबतों से हैरान-परेशान
इंसान अगर बजरंगबली के
सामने रोते-बिलखते कहता
है तो उसकी सारे
कष्ट पल में दूर
हो जाते हैं। इसीलिए
इन्हें रोअनवा महावीर के नाम से
भी जाना जाता है।
सवापाव लड्डू की चढ़ावे व
हनुमान चालिसा पढ़ने मात्र से
ही हो जाते है
बजरंगबली प्रसंन। फिर चाहे बात
बुरी नजर की हो
या शनि के प्रकोप
से मुक्ति की। भक्तों को
देते है रक्षा कवच,
डाक्टर-इंजिनियर, गीत-संगीत व
परीक्षा में उत्तीर्ण होने
का वरदान। हर मंगलवार और
शनिवार को हजारों की
तादाद में श्रद्धालुओं का
दर्शन को तांता लगा
रहता है।
मंदिर परिसर काफी बड़े भूभाग
में फैला है। परिसर
के मध्य में हनुमान
की प्रतिमा है। मंदिर परिसर
में ही भगवान श्रीराम
व मां जानकी के
साथ भगवान भोलेनाथ की प्रतिमा है।
यहां बिराजमान सभी देवी-देवताओं
का दर्शन करना नहीं भूलते।
परिसर में स्थित विशाल
पीपल वृक्ष का भी भक्त
पांच फेरे लेने के
बाद दीप, धूप, अगरबत्ती
व नारीयल चढ़ाते है। कहा जाता
है कि जब किसी
की मन्नत पूरी होती है
तो वह यहां विराजमान
सभी देवी-देवताओं की
विधि-विधान से पूजन-अर्चन
बाद भंडारा का भी आयोजन
कराता है।
वैसे हनुमान जयंती
सहित अन्य अवसरों पर
मंदिर की देखरेख करने
वाले लोग भंडारा का
आयोजन कराते रहते है। हनुमान
जयंती के मौके पर
पूरे मंदिर का भव्य सजावट,
मूर्ति का भव्य श्रृंगार
के अलावा सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन हर
साल किया जाता है।
सिन्दूर और तिल के
तेल को मिलाकर प्रतिमा
पर लेप लगाया जाता
है। मंदिर परिसर में रामचरित मानस
व हनुमान चालिसा का संगीतमय पाठ
बराबर होता रहता है,
खासकर मंगल और शनिवार
को नियमित। नवरात्र में तो मंदिर
में उत्सवपूर्ण माहौल हो जाता है।
पूरे नवरात्रभर दर्शनार्थियों का मंदिर में
तांता लगा रहता है।
इसके अलावा समय-समय पर
भक्त हनुमान जी का कभी
हिम श्रृंगार तो पुष्प श्रृंगार
कराते रहते हैं।
No comments:
Post a Comment