बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ पंच बदन प्रतिमा की झांकी दर्शन देख निहाल हो गए भक्त
शोभायात्रा में
काशीवासियों
सहित
बड़ी
संख्या
में
संत
महात्मा,
जनप्रतिनिधियों
ने
की
भागीदारी
हर हर
महादेव
के
जयकारे
से
मंदिर
परिसर
का
वातावरण
हो
गया
भक्तिमय
सुरेश गांधी
वाराणसी। श्रावण के अंतिम सोमवार
एवं पूर्णिमा पर श्री काशी
विश्वनाथ मंदिर प्रांगण में एक बार
फिर वर्षों पुरानी परंपरा निभाई गयी। मंदिर प्रांगण
बाबा श्री काशी विश्वनाथ
के भव्य एवं दिव्य
पंच बदन प्रतिमा के
दर्शन कर भक्त खिलखिला
उठे। इसके पहले पंच
बदन प्रतिमा के पंच गव्य
स्नान से दोपहर 12 बजे
उत्सव शुरू हुआ, तो
देर तक चलता रहा।
विद्वान 11 अर्चकों, ट्रस्टी गण एवं अन्य
गणमान्य नागरिकों की मौजूदगी में
विधि विधान से पंच बदन
मूर्ति का पंचगव्य स्नान
पूर्ण कराया गया। इस दौरान
शंख वादन और डमरू
की गूंज पूरा मंदिर
परिसर में भक्तिमय हो
गया। डमरू वादन तथा
शंख की स्वरलहरी के
बीच बाबा के प्रतिमा
की आरती की गयी।
इसके बाद भगवान श्री
विश्वनाथ, माता पार्वती जी
तथा भगवान श्री गणेश जी
की प्रतिमा का विविध प्रकार
के फूलों से सुंदर श्रृंगार
किया गया। श्रृंगार के
बाद मनमोहक स्वरुप में बाबा की
प्रतिमा का भव्य झांकी
दर्शन संत महात्मा, जनप्रतिनिधि,
काशीवासी आदि सभी द्वारा
बढ़ चढ़ कर किया
गया।
सांयकाल 3 बजे पंचवदन चलप्रतिमा के समक्ष रुद्री पाठ का आयोजन किया गया। तत्पश्चात षोडशोपचार पूजन के पश्चात् पूर्ण श्रृंगार संपन्न कर पुनः दर्शन प्रारम्भ कराया गया। शोभायात्रा से पूर्व भारी संख्या में काशीवासी एवं अन्य श्रद्धालु उपस्थित हुए। उपस्थित श्रद्धालुओं द्वारा अभूतपूर्व उत्साह का प्रदर्शन किया गया। धाम में उत्सव उल्लास का ऐसा वातावरण बन गया जिससे यह पारंपरिक यात्रा काशी की स्मृतियों में सदा के लिए अविस्मरणीय हो कर अंकित हो गयी।
सभी उत्साही
काशीवासी एवम श्री काशी
विश्वनाथ महादेव के भक्त इस
आयोजन उत्सव में सोल्लास सम्मिलित
हुए। तत्पश्चात काशीवासी और श्रद्धालु गण
बाबा की पंचबदन प्रतिमा
को पालकी पर विराजमान करके
डमरू वादन एवं शंख
ध्वनि के साथ उत्सवपूर्वक
गर्भगृह में ले गए
और पूर्ववर्ती परंपरा के अंतर्गत बाबा
को मां पार्वती जी
और भगवान श्री गणेश जी
के साथ झूले पर
विराजमान कराया गया।
यात्रा में पालकी काशीवासियों
द्वारा ही उठायी गयी
तथा उपस्थित श्रद्धालुओं द्वारा पुष्पवर्षा कर शोभायात्रा का
स्वागत किया गया। यह
काशीवासियों की अपनी परंपरा
है जिसमे काशीवासियों ने आज अभूतपूर्व
उत्साह से प्रतिभाग किया।
बहुत से लोग भक्ति
के रंग में सराबोर
हो कर उत्सव के
दौरान नाचने लगे। मंदिर गर्भ
गृह में झूला उत्सव
रात तक चलने तथा
काशी वासियों के अपार उत्साह
को देखते हुए काशी द्वार
से प्रवेश की समयावधि भी
बढ़ाई गयी। देश भर
के श्रद्धालुओं एवं काशीवासियों ने
अपने बाबा के मनमोहक
श्रृंगार का दर्शन भाव-विभोर हो कर किया।
इस प्रकार आज काशी द्वार
भी लंबे समय तक
खुला रहा जिससे अधिक
से अधिक काशीवासी महादेव
के झूला श्रृंगार का
दर्शन कर सके।
आयोजन में बड़ी संख्या
में काशीवासी, न्यास के विद्वान सदस्य
गण सहित पूर्व में
शोभायात्रा में सम्मिलित रहने
वाले श्री लोकपति तिवारी
जी एवम परिवार के
अन्य सदस्य भी सम्मिलित रहे।
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर
में श्रावण अंतिम सोमवार रक्षाबंधन के शुभ मुहूर्त
में आयोजित चल प्रतिमा शोभायात्रा
से पूर्व भारी संख्या में
काशीवासी एवं अन्य श्रद्धालुओं
द्वारा अभूतपूर्व उत्साह का प्रदर्शन किया
गया। धाम में उत्सव
उल्लास का ऐसा वातावरण
बन गया है जो
इस पारंपरिक यात्रा को काशी की
स्मृतियों में अंकित कर
दे रहा है। आयोजन
में बड़ी संख्या में
काशीवासी, न्यास के विद्वान सदस्य
गण सहित पूर्व में
शोभायात्रा में सम्मिलित रहने
वाले श्री लोकपति तिवारी
जी एवम परिवार के
अन्य सदस्य भी सम्मिलित रहे।
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