द्वार-द्वार सजी रंगोली, भगवान धन्वंतरि की जयंती भी मनी
घर का कोना-कोना दमका, माता लक्ष्मी के स्वागत में जले 13 दीप
दीपोत्सव के
स्वागत
में
जगमगाया
काशी
के
हर
गुली-मुहल्ले
सुरेश गांधी
वाराणसी। धनतेरस पर जितना उत्साह
दिनभर नई-नई वस्तुएं
व कपड़े आदि खरीदने
में रहा, उससे दोगुना
घर पहुंचने पर खुशियों की
रौनक से घर का
कोना-कोना दमका. शाम
होते ही द्वार- द्वार
रंगोली सजाई गई और
तेरह दीपों से मां लक्ष्मी
के आगमन का स्वागत
हुआ. इस दौरान जमकर
मोहल्ले और कॉलोनी में
पटाखे फूटें. बच्चों के साथ बड़े
भी काफी उत्साहित थे.
मंदिरों में भगवान धन्वंतरि
की आरती पूजा करके
जयंती उत्सव मनाया गया. अब 31 अक्टूबर
को दिवाली धूमधाम से मनेगा. इसी
उत्साह उल्लास के साथ माहौल
में मंगलवार को 5 दिनी दिवाली
त्योहार की शुरुआत हुई.
लोगों ने धनतेरस पर
विधि विधान से धन कुबेर
की पूजा अर्चना कर
भगवान धन्वंतरि की जयंती मनाई.
रोग दोष से मुक्ति
की प्रार्थना की.
आयुर्वेद के जनक भगवान जन्म धनवंतरी धनतेरस के दिन ही अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे. पौराणिक मान्यताएं हैं. इसलिए इस अवसर पर पूरे शहर में लोग पर्व को मनाने में जुटे रहे. कई जगहों पर दमा और खांसी की दवाइयां भी वैद्यों से लेने के लिए लोग पहुंचे. गुरुवार को दीपोत्सव की धूम रहेगी। लेकिन घर-आंगन अभी से झालरों से सजा दिए गए है। पूरा शहर रोशनी से जगमगा रहा है। बाजार, रिहायशी कालोनियों में लोग अपने घर को सजाने व संवारने में जुटे है। शाम होते ही बाजार और घर रंग-बिरंगी झालरों से आबाद होते है, तो देर रात जगमगता रहता है।
दीपावली
की खुशियां मनाने के लिए हर
आम व खास जुटा
हुआ है। वैसे तो
धनतेरस पर ही लोगों
ने एक साथ धनतेरस
और दीपावली की खरीदारी पूरी
कर ली है। एक
ओर परंपरागत मिट्टी का दीया, खिलौना
और रूई की बाती
का बाजार सजा था। दूसरी
और मोमबत्ती और बिजली की
झालरें चमक बढ़ा रही
थीं। बाजार में जगह-जगह
श्री गणेश व मां
लक्ष्मी की विभिन्न रंग-रूप वाली मूर्तियां
खूब बिक रही हैं।
सभी चीजों की कीमतें चढ़ी
हुई हैं, लेकिन ग्राहकों
ने कीमत की परवाह
किए बिना जमकर खरीदारी
की। दीपावली मनाने के लिए बड़ी
संख्या में प्रवासी भी
अपने घर आए हैं
जिससे सभी जगह गांव-घर में रौनक
है। नगर में दुकानों
व इमारतों को आकर्षक लाइट
से सजाया गया है। लोकल
फार वोकल की अपील
के चलते इस बार
मिट्टी के दीये खूब
बिक रहे हैं।
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