Wednesday, 6 November 2024

खीर से छठी मइया को लगाया भोग, अस्ताचलगामी सूर्य को देंगे अर्घ्य

आज होगी हजारों स्थानों पर छठी मैया और सूर्यदेव की आराधना

खीर से छठी मइया को लगाया भोग, अस्ताचलगामी सूर्य को देंगे अर्घ्य 

छठ के लिए सौ से अधिकघाट सज-धज कर तैयार

लाइटिंग से जगमग हुए तालाब घाट

सुरेश गांधी

वाराणसी। छठ पूजन पर्व के दुसरे दिन बुधवार को मिट्टी के चूल्हें पर बने व्यंजनों से खरना मनाया गया। भगवान सूर्य और छठी मइया को विभिन्न प्रकार के व्यजंनों का भोग लगाया गया। खरना के साथ 36 घंटे के निर्जला व्रत की शुरुवात भी हुई। गुरुवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जायेगा। इधर, प्रशासन ने भी तैयारियां कर रही है। छठ पूजा के लिए सौ से अधिक घाट सज-धज कर तैयार हो चुके हैं. इसके लिए चेंजिंग रूम, चेक पोस्ट, लाइट पोस्ट, कंट्रोल रूम आदि बन कर तैयार हो गये हैं और रोशनी से उन्हें जगमग कर दिया गया है। इस बार विभिन्न पार्कों में छठ पूजा होगा. जो व्रती छठ का अर्घ देने गंगा घाट नहीं जा सकते, वे अपने घर के नजदीक के पार्कों में बने हौद और तालाब में अर्घ देंगे. इन तालाबों में व्रतियों की सुविधा के लिए सारे इंतजाम पूरे कर लिये हैं.

व्रती स्नान के बाद पूरी शुद्धता के साथ मिट्टी के चूल्हे पर पीपल  के बर्तन में गुड़ की खीर बनाया। शाम को केले के पत्ते पर खीर ग्रहण करने के बाद 36 घंटे का व्रत शुरू किया गया। साथ ही लोगों को खरना का प्रसाद परोसा। खीर के अलावा गुड़ की अन्य मिठाई, ठेकुआ और लड्डू आदि भी बनाए गए। छठ पूजा में छठी मईया और सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए डाभ, नींबू, नारियल, केला, ठेकुआ, गन्ना, सुथनी, सुपारी, सिंघाड़ा चढ़ाया जाता है. इस प्रसाद को ग्रहण करने के बाद ही व्रती निर्जला व्रत रखकर अगले दिन यानी गुरुवार शाम को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगी और शुक्रवार को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर संतान और परिवार के लिए मंगल कामना करेंगी। छठ पूजा के दूसरे दिन खरना पूजा का भी विशेष महत्व होता है। खरना छठ पूजा के सबसे महत्वपूर्ण पूजा दिनों में से एक है। इस दिन छठी मैया का आगमन होता है जिसके बाद भक्त 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू करते हैं। छठ पर्व में शुद्धता का विशेष महत्व माना जाता है। भगवान भाष्कर को अर्घ देने के लिए छठ घाटों, तालाबों पर आस्था का सैलाब उमड़ेगा. इसके लिए नदी किनारे घाट के अलावा तालाब तैयार किये गये हैं. घाटों तालाबों पर रंग-बिरंगे रोशनी से जगमग के साथ सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये हैं. सूर्य षष्ठी का व्रत आरोग्यता, सौभाग्य संतान के लिए किया जाता है. मानसिक शांति जीवन में उन्नति होती है.

पहला अर्घ्य और दूसरा अर्घ्य

छठ पूजा के तीसरे दिन शाम के समय नदी या तालाब में खड़े होकर अस्त होते सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। इस बार सात नवंबर यानी गुरुवार को पहला अर्घ्य दिया जाएगा। इसमें बांस के सूप में फल, गन्ना, चावल के लड्डू, ठेकुआ सहित अन्य सामग्री रखकर पानी में खड़े होकर पूजा की जाती है। छठ पूजा के चौथे और आखिरी दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस बार आठ नवंबर यानी शुक्रवार को दूसरा अर्घ्य दिया जाएगा। इस दिन व्रती अपने व्रत का पारण करते हैं। साथ ही अपनी संतान की लंबी उम्र और अच्छे भविष्य की कामना करते हैं।

घाट तालाब पर तैयारी पूरी

छठ महापर्व पर संध्याकालीन उदीयमान सूर्य को अर्घ देने के लिए घाट तालाब पर पूरी तैयारी की गयी हे. रंग-बिरंगे रोशनी से जगमगा रहा है. व्रतियों की सुविधाओं के लिए घाट किनारे चेंजिंग रूम, शौचालय, पेयजल आदि की सुविधा की गयी है. सुरक्षा के लिए मजिस्ट्रेट पुलिस पदाधिकारी तैनात किये गये हैं. सीसीटीवी से निगरानी हो रही है. घाटों पर वाच टावर के साथ हेल्थ कैंप लगाये गये हैं. श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए शेड बना है. घाटों पर अनाउसमेंट, के लिए माइकिंग की व्यवस्था की गयी है. गोताखोर तैनात रहेंगे. एनडीआरएफ एसडीआरएफ के जवान नदी में पेट्रोलिंग करेंगे. व्रतियों की सुरक्षा के लिए घाट किनारे बैरिकेडिंग की गयी है.

सूर्य को अर्घ्य देते हुए इन मंत्रों का जाप करें

मित्राय नमः

रवये नमः

सूर्याय नमः

भानवे नमः

खगाय नमः

घृणि सूर्याय नमः

पूष्णे नमः

हिरण्यगर्भाय नमः

मरीचये नमः

आदित्याय नमः

सवित्रे नमः

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