बिजली निजीकरण के खिलाफ 10 को काली
पट्टी बांधकर विरोध जतायेंगे कर्मचारी
अकुंर पांडेय
ने
किया
मुख्यमंत्री
एवं
ऊर्जा
मंत्री
से
कर्मचारियों
के
हित
में
हस्तक्षेप
करने
की
अपील
सुरेश गांधी
वाराणसी। विघुत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति वाराणसी के सदस्यों की
बैठक में बिजली निजीकरण
के विरोध में 10 दिसंबर को काली पट्टी
बांधकर सड़क पर उतरने
का फैसला लिया गया। विधुत
कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उप्र, वाराणसी के मीडिया सचिव
एवं प्रभारी अंकुर पांडेय ने बताया कि
भेलूपुर पावर हाउस पर
हुई बैठक में प्रदेश
कमेटी के आह्वान पर
पूरे प्रदेश के बिजली कर्मी
10 दिसम्बर को काली पट्टी
बांधकर बिजली के निजीकरण का
विरोध करेंगे। प्रदेश के समस्त जनपदों
की तरह ही वाराणसी
के बिजली कर्मी पूरे दिन काली
पट्टी बांधकर कार्य करेंगे और अपना विरोध
दर्ज करायेंगे।
बैठक को सम्बोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि पावर कार्पोरेशन प्रबंधन द्वारा एकतरफा मनमाने ढंग से पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का निर्णय लेने के विरोध में उत्तर प्रदेश सरकार का ध्यान आकर्षित करने हेतु प्रदेश के समस्त ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मचारी व अभियंताओं में आक्रोश है। ऐसे में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा से संघर्ष समिति ने अपील की है कि वह कर्मचारियों के व्यापक हित में निजीकरण के प्रस्ताव को मंजूरी न दें।
संघर्ष समिति के प्रमुख पदाधिकारियों ने
कहा कि निजीकरण से
बड़े पैमाने पर होने वाली
छंटनी और पदावनति से
बिजली कर्मचारियों के मन में
भारी चिंता है। पावर कार्पोरेशन
प्रबंधन घाटे के झूठे
आंकड़े देकर प्रदेश को
गुमराह कर रहा है
और कर्मचारियों में भय का
वातावरण बनाया जा रहा है।
इस स्थिति में मुख्यमंत्री को
कर्मचारियों के हित में
हस्तक्षेप करने की अपील
की गई है। बैठक
में सर्वश्री ओपी सिंह, ईविजय
सिंह, मायाशंकर तिवारी, राजेन्द्र सिंह, जमुना पाल, संतोष वर्मा,
रमाशंकर पाल, अनिल कुमार
आदि ने संबोधित किया।
निजीकरण के विरोध में 16 लाख राज्य कर्मचारी करेंगे प्रदर्शन
यूपी में बिजली
के निजीकरण के खिलाफ प्रदर्शन
कर रहे कर्मचारियों को
25 संगठनों ने समर्थन दिया
है। रविवार को विद्युत कर्मचारी
संयुक्त संघर्ष समिति ने बताया कि
संगठनों के साथ विरोध
में काम करने का
आह्वान किया। क्योंकि पूर्वांचल, मध्यांचल और पश्चिमांचल निगम
में बिजली आउटसोर्स कर्मचारियों कि छंटनी की
शुरुआत हो चुकी है।
उन्होंने बिजली के निजीकरण का
विरोध किया है। डिस्काम
के निजीकरण से लगभग 50 हजार
बिजली आउटसोर्स कर्मचारियों की नौकरी चली
जाएगी। इससे ऐसे परिवारों
के सामने परिवार के भरण-पोषण
करने का संकट पैदा
हो गया है। अंकुर
पांडेय ने कहा कि
पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, वाराणसी
और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, आगरा
को निजी हाथों में
देने के पावर कॉर्पोरेशन
के निर्णय गलत है। बिजली
उद्योग में सुधार के
लिए सार्थक प्रयास किया जाना चाहिए।
इन निगमों को निजी हाथों
में देने से जहां
एक तरफ लगभग 50 हजार
बिजली के आउटसोर्स कर्मचारी
बेरोजगार होंगे, जो पिछले 10 वर्षों
से अधिक समय से
अल्प वेतन पर काम
करते चले आ रहे
हैं, वहीं दूसरी तरफ
उपभोक्ताओं को महंगी बिजली
से आर्थिक संकट का सामना
करना पड़ सकता है।
ऐसे में उत्तर प्रदेश
सरकार से अनुरोध किया
गया है कि प्रदेश
के व्यापक जनहित में और बिजली
कर्मचारियों की हित में
पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल
विद्युत वितरण निगम के निजीकरण
का निर्णय वापस लिया जाए।
कर्मचारियों की ये मांगें
- यूपी में
बिजली
के
निजीकरण
पर
रोक
लगाई
जाए.
- बिजली विभाग
में
कर्मचारियों
की
स्थाई
नियुक्ति
हो
- संविदाकर्मियों को
नियमित
किया
जाए
- ठेकेदारी प्रथा
को
खत्म
किया
जाए
- कर्मचारियों की
नई
भर्ती
की
जाए
- वेतन विसंगतियों
का
समाधान
किया
जाए
- अध्यक्ष और
प्रबंध
निदेशक
के
चयन
प्रक्रिया
में
सुधार
- ओल्ड पेंशन
स्कीम
लागू
किया
जाए
- संविदा कर्मचारियों
को
भी
प्रमोशन
मिले
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