पूर्वांचल में तेजी से बढ़ा कैंसर का ग्राफ, 6 साल में 01,27,105 मरीजों का पंजीकरण
पुरुषों में
माउथ
और
महिलाओं
में
स्तन
कैंसर
सबसे
ज्यादा
इलाज के
साथ
ही
अब
शिक्षा
और
अनुसंधान
के
भी
क्षेत्र
में
आगे
बढ़
रहा
एमपीएमएमसीसी
एवं
एचबीसीएच
: डॉ.
सत्यजीत
प्रधान
दोनों अस्पतालों
में
2 लाख
से
अधिक
लोगों
की
स्क्रीनिंग
व
350 करोड़
रुपए
का
फ्री
इलाज
किया
गया
है
पूर्वांचल में
गैस्ट्रिक
व
ब्रेस्ट
कैंसर
मरीजों
की
संख्या
अधिक
सुरेश गांधी
वाराणसी। देश में कैंसर की बीमारी तेजी से पैर पसार रही है। इसमें यूपी का पूर्वांचल भी पीछे नहीं है। इस जानलेवा बीमारी की चपेट में पुरुष एवं महिलाएं दोनों है। पूर्वांचल में पुरुषों में पाया जाने वाला गैस्ट्रिक कैंसर और महिलाओं एवं युवतियों के सर्वाइकल कैंसर (बच्चेदानी के मुंह का कैंसर), अनल कैंसर (गुदा या मलाशय का कैंसर), वेजाइनल कैंसर (योनि का कैंसर), ऑरोफरींजियल कैंसर (गले का कैंसर) के मरीजों की संख्या ज्यादा है और मौतें भी इन्हीं से होती है।
शनिवार को महामना पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर केंद्र और होमी भाभा कैंसर अस्पताल का छठां स्थापना दिवस मनाया गया। इस मौके पर टाटा स्मारक केंद्र, मुंबई के निदेशक डॉ. सुदीप गुप्ता ने बताया कि अब तक यहां पर 1 लाख 27 हजार 105 मरीजों का रजिस्ट्रेशन किया गया है। जबकि 2 लाख से अधिक लोगों की स्क्रीनिंग व 350 करोड़ रुपए का फ्री इलाज किया गया है। खास यह है कि इनमें से 65 हजार से ज्यादा मरीजों की सर्जरी की गई है. 15,363 मरीजों को रेडियोथेरेपी और 4 लाख से अधिक कीमोथेरेपी की जा चुकी है
निदेशक डॉ. सुदीप गुप्ता
ने बताया कि मरीजों की
संख्या में हर साल
बढ़ोतरी हो रही है.
2018 में जब अस्पताल शुरू
हुआ था तब कुल
6307 मरीजों का पंजीकरण हुआ
था, जो 2024 में बढ़कर 26732 हो
गया. 2018 से लेकर अब
तक दोनों अस्पतालों में 1,27,105 मरीजों का पंजीकरण किया
गया है। मरीजों के
बढ़ते ये आंकड़े चिंतनीय
जरुर हैं, लेकिन इसमें
काफी हद तक बीमारी
को लेकर लोगों में
जागरूकता और घर के
पास एक ही छत
के नीचे कैंसर से
जुड़ी सभी सुविधाएं मिलने
से इलाज में कारगर
साबित हो रही हैं.
दोनों अस्पतालों में गुणवत्तापरक और
किफायती इलाज उपलब्ध होने
से न केवल उत्तर
प्रदेश, बल्कि पड़ोसी राज्यों के कैंसर मरीज
भी इलाज के लिए
यहां आते हैं. खास
यह है कि कैंसर
मरीजों को इलाज देने
के साथ ही अब
ये संस्थान शिक्षा और अनुसंधान के
क्षेत्र में भी तेजी
से आगे बढ़ रहा
हैं।
उन्होंने बताया कि किसी भी
बीमारी की समय रहते
पहचान होने से न
केवल बीमारी को बढ़ने से
रोका जा सकता है,
बल्कि इसके प्रभावी प्रबंधन
में भी मदद मिलती
है. इसको ध्यान में
रखते हुए अस्पताल द्वारा
विभिन्न तरह के जांच
अभियान चलाए जा रहे
हैं और अब तक
2 लाख से अधिक लोगों
की कैंसर स्क्रीनिंग की जा चुकी
है. इनमें 1,68,000 महिलाओं की स्क्रीनिंग शामिल
है. स्क्रीनिंग में मुख्य रूप
से मुंह का कैंसर,
स्तन कैंसर एवं गर्भाशय ग्रीवा
का कैंसर शामिल हैं. उन्होंने बताया
कि कैंसर का इलाज लंबे
समय तक चलने के
कारण कई बार मरीज
इलाज पूरा करने में
असमर्थ होते हैं. वहीं
अस्पताल आने वाले ज्यादतर
कैंसर मरीज आर्थिक रूप
से बेहद कमजोर होते
हैं. उन्होंने बताया कि ऐसे मरीजों
को इलाज में मदद
करने के लिए अस्पताल
में चिकित्सकीय समाजिक विभाग (एम.एस.डब्ल्यू.)
है, जो अब तक
38,262 मरीजों को विभिन्न प्रकार
की सरकारी व गैर सरकारी
संस्थाओं से जुड़ी योजनाओं
के जरिए 350 करोड़ रुपये से
अधिक की राशि का
इलाज उपलब्ध करा चुका है.
विभाग द्वारा न केवल ऐसे
मरीजों को सरकारी योजनाओं
के बारे में बताया
जाता है, बल्कि उसके
लिए सभी तरह के
कागजी कार्रवाई में भी मदद
की जाती है.
महामना पंडित मदन मोहन मालवीय
कैंसर केंद्र और होमी भाभा
कैंसर अस्पताल, वाराणसी के निदेशक डॉ.
सत्यजीत प्रधान ने बताया कि
कैंसर मरीजों को इलाज देने
के साथ ही अब
ये संस्थान शिक्षा और अनुसंधान के
क्षेत्र में भी तेजी
से आगे बढ़ रहे
हैं. अस्पताल द्वारा हाल ही में
जहां कैंसर के क्षेत्र में
बेसिक रिसर्च को बढ़ावा देने
के लिए समर्पित लैब
की स्थापना की गई, वहीं
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा महामना पंडित मदन मोहन मालवीय
कैंसर केंद्र व होमी भाभा
नेशनल इंस्टिट्यूट (डीम्ड विश्वविद्यालय, परमाणु ऊर्जा विभाग, भारत सरकार) को
ऑफ साइट कैंपस का
भी दर्जा मिला है, जिससे
यहां मेडिकल, सर्जिकल, रेडिएशन आंकोलॉजी, आंकोपैथोलॉजी एवं एनिस्थिसियोलॉजी सहित
स्नातकोत्तर एवं सुपर स्पेशिलिटी
के पाठ्यक्रम संचालित हो रहे हैं.
इसके साथ ही उत्तर
प्रदेश सहित पड़ोसी राज्यों
के कैंसर मरीजों को गुणवत्तापरक इलाज
उपलब्ध कराने के लिए इन
दोनों अस्पतालों में हर साल
नई सेवाओं का विस्तार किया
जा रहा है, ताकि
कैंसर मरीजों को इलाज के
लिए बड़े शहरों के
चक्कर न लगाने पड़ें.
पिछले साल शुरू हुई
नई सेवाओं एवं सुविधाओं में
मुख्य रूप से अतिरिक्त
लीनियर एक्सलरेटर रेडिएशन मशीन, अतिरिक्त सीटी सिम्यूलेटर, मशीन,
बैरियर लांड्री, कम्पोस्ट मशीन आदि।
दान दाताओं का आभार
टाटा स्मारक केंद्र,
मुंबई के निदेशक डॉ.
सुदीप गुप्ता ने बताया कि
मरीजों की संख्या में
हो रही बढ़ोतरी को
देखते हुए नई सुविधाओं
के साथ-साथ वर्तमान
सेवाओं का विस्तारण भी
बेहद जरूरी है, जिसे कॉर्पोरेट
सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) के जरिए पूरा
किया जा रहा है.
अब तक अस्पताल को
136 करोड़ रुपये से अधिक का
सीएसआर मिल चुका है,
जिसके लिए हम सभी
दानदाताओं के शुक्रगुजार हैं.
इन राशि से अस्पताल
में कई तरह की
सुविधाएं मरीज हित को
देखते हुए शुरू की
गई हैं. इस मौके
पर हास्पिटल के उपनिदेशक डॉ
बीके मिश्रा भी मौजूद रहे।
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