महाकुंभ : प्रयागराज ही नहीं, काशी, विन्ध्याचल व अयोध्या की भी हो रही ’छप्पर फाड़’ कमाई
20,512 करोड़ रुपये से ज्यादा
का होगा कारोबार
बाबा विश्वनाथ
को
10 से
भी
करोड़
का
चढ़ावा
के
साथ
केवल
होटल
व
परिवहन
से
हुई
30 हजार करोड़
से
भी
अधिक
की
कमाई
करोड़ की
कमाई
महाकुंभ पलट
प्रवाह
के
34वें
दिन
बाबा
विश्वनाथ
धाम
में
1.45 करोड़
भक्तों
ने
किया
दर्शन-पूजन
: सीईओं
विश्व
भूषण
मिश्र
महाकुंभनगर से
सरकार
को
15 हजार
करोड़
के
खर्च
के
सापेक्ष
3 लाख
करोड़
का
लाभ
: मुख्यमंत्री
योगी
आदित्यनाथ
सुरेश गांधी
वाराणसी। प्रयागराज महाकुंभ के संगम स्नान
करने वाले आस्थावानों की
भीड़ थमने का नाम
नहीं ले रही है.
तो पलट प्रवाह के
चलते श्रीकाशी विश्वनाथ धाम भी अछूता
नहीं है। माघी पूर्णिमा
स्नान के बाद भी
दोनों तीर्थस्थल आस्था से सराबोर भक्त
दर्शन-पूजन के लिए
उमड़ रहे हैं. महाकुंभ
के 34वें दिन 15 फरवरी
तक श्रद्धालुओं की संख्या 51.12 करोड़
के पार हो गई
है। यह संख्या अमेरिका,
रूस, पाकिस्तान, इंडोनेशिया, ब्राजील और बांग्लादेश जैसे
देशों की कुल जनसंख्या
से भी अधिक है.
जबकि काशी विश्वनाथ धाम
में भी दर्शन करने
वाले भक्तों की संख्या 1.35 करोड़
हो गयी है। ऐसे
में न सिर्फ प्रयागराज
और उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे देश की
धार्मिक अर्थव्यवस्था में जबरदस्त उछाल
आया है. जिसमें पूजा
सामग्री से लेकर होटल,
खाने पीने की दुकानें,
परिवहन व्यवस्था से लेकर तमाम
चीजे शामिल हैं.
खास यह है
कि महाकुंभ आस्था का संगम है,
लेकिन इस बार का
महाकुंभ आस्था के साथ कमाई
का भी संगम बन
गया है। इस बार
केवल कुंभ में रिकॉर्ड
3 लाख करोड़ रुपये का
बिजनेस होने का अनुमान
है। या यूं कहे
महाकुंभ से सरकार को
भी करीब 25 हजार करोड़ का
राजस्व मिलने का अनुमान है।
कुछ ऐसा ही आंकड़ा
श्रीकाशी विश्वनाथ धाम का है।
महाकुंभ पलट प्रवाह के
34 दिनों में बाबा विश्वनाथ
में केवल 7 करोड़ से भी
अधिक का चढ़ावा मिला
है। जबकि व्यापारी संगठनों
व पर्यटन विभाग की मानें तो
दर्शनार्थियों के चलते होटल,
रेस्टोरेंट व परिवहन आदि
से ही लगभग 30 हजार करोड़ से
भी अधिक की कमाई
हुई है।
इतिहास में ये सबसे बड़ा आयोजन रिकॉर्ड किया गया। 45 दिनों तक चलने वाले महाकुंभ के अभी 12 दिन और बचे हैं। अमेरिका और चीन की कुल आबादी के बाद तीसरी सबसे बड़ी आबादी के बराबर लोग प्रयागराज पहुंचे हैं।
ब्राजील के रियो फेस्टिवल या जर्मनी के अक्टूबर फेस्ट में आने वाली भीड़ इसके मुकाबले कुछ नहीं है। रियो कार्निवल 9 फरवरी से शुरू हुआ है जो 17 फरवरी तक चलेगा, इसमें रोज करीब 20 लाख लोग पहुंचते हैं। वहीं 16 दिनों तक चलने वाले जर्मनी के अक्टूबर फेस्ट में करीब 70 लाख लोग पहुंचते हैं। सीएम ने कहा, अब तो रक्षामंत्री जी के सहयोग से अक्षयवट के भी दर्शन हो रहे हैं. देश में 110 करोड़ हिन्दुओं में से 50 करोड़ ने महाकुम्भ में डुबकी लगाई. और इसके परिणामस्वरूप 2 ट्रिलियन रुपये का आर्थिक लाभ हो सकता है। इस आयोजन से स्थानीय स्वयं सहायता समूहों, कारीगरों, होटल व्यवसायियों, रेस्तरां संचालकों और खाद्य विक्रेताओं को बंपर कमाई होने की उम्मीद है। इस महाकुंभ में डाबर, मदर डेयरी और आईटीसी जैसे प्रमुख ब्रांडों द्वारा 3,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाने का अनुमान है।
कुछ ऐसा ही
आंकड़ा श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के मुख्य
कार्यपालक अधिकरी विश्वभूषण मिश्र के मुताबिक बीते
14 जनवरी से महाकुंभ के
पलट प्रवाह में 34 दिन में करीब
1.45 करोड़ से ज्यादा भक्तों
ने दर्शन किया है। जहां
तक चढ़ावा का सवाल है
तो सात करोड़ रुपये
सिर्फ हुंडियों से ही निकले
हैं। दान में मिले
सोना-चांदी के रेट की
गिनती ही नहीं हुई
है। गिनती पूरी होने पर
यह आंकड़ा लगभग दस करोड़
के ऊपर जाएगा। यह
आंकड़ा तब है जब
मंदिर प्रशासन ने महाकुंभ के
दौरान श्रद्धालुओं की सुविधा को
ध्यान में रखते हुए
सभी टिकटों पर रोक लगा
दी है। यह दान
काशी विश्वनाथ मंदिर के लिए एक
महत्वपूर्ण उपलब्धि साबित हो रही है
और यह श्रद्धालुओं की
विश्वास और श्रद्धा का
प्रतीक है.
कॉरिडोर के बनने के
बाद यह श्रद्धालुओं का
सबसे बड़ा आंकड़ा है.
दर्शन के दौरान श्रद्धालुओं
को किसी भी प्रकार
की दिक्कत न हो, इसके
लिए यह जरूरी था
कि मंदिर में मिलने वाले
सभी सुगम टिकट को
बंद कर दिया जाए,
ताकि श्रद्धालुओं को किसी भी
तरह की परेशानी ना
हो. अभी तक बाबा
विश्वनाथ में सलाना कमाई
का रिकॉर्ड करीब 87 करोड़ रुपये है।
ये आंकड़ा पिछले वित्तीय वर्ष का हैं।
काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक
अधिकारी विश्वभूषण मिश्रा ने बताया कि
11 जनवरी से 11 फरवरी तक एक करोड़
45 लाख श्रद्धालुओं ने बाबा विश्वनाथ
का दर्शन पूजन किया है.
यह संख्या अपने आप में
नया रिकॉर्ड है. धाम बनने
के बाद पहली बार
इतनी बड़ी संख्या में
यहां श्रद्धालु आए हैं.
हर दिन आ रहे 5 से 7 लाख श्रद्धालु
श्रद्धालुओं के आने का
यह क्रम अभी भी
जारी है. हर दिन
काशी विश्वनाथ मंदिर में 5 से 7 लाख लोग
दर्शन कर रहे हैं.
माना जा रहा है
यह भीड़ अभी महाशिवरात्रि
तक बनी रहेगी. तब
तक यह आंकड़ा ढाई
करोड़ के पार पहुंचने
का भी अनुमान है.
एक अनुमान के मुताबिक रोजाना
आने वालों में करीब 50 फीसदी,
प्रयागराज, काशी व अयोध्या
में 1 या 1 दिन से
ज्यादा रुकेंगे. जिससे किसी भी दिन
प्रयागराज में 45 लाख व काशी
व अयोध्या में 5 से 6 लाख से
अधिक पर्यटक रहेंगे. धार्मिक और तीर्थ यात्राओं
पर औसत खर्च 2,717 रुपये
प्रति रात (24 घंटे) तक आएगा. शहर
की अनुमानित आय (होटल/दुकानें/परिवहन) से लगभग 1,200 करोड़
रुपये प्रतिदिन कमाई हो रही
है. ऐसे में महाकुंभ
के 45 दिनों में प्रयागराज की
ही की कुल आय
54,000 करोड़ रुपये होगी. जबकि काशी व
अयोध्या में भी 30 हजार
करोड़ से भी अधिक
की कमाई होगें। क्योंकि
इन दोनों जगहों पर यात्रियों को
होटल, परिवहन व रेस्टोरेंट का
सहारा लेना पड़ेगा।
श्री काशी विश्वनाथ में दर्शनार्थियों की संख्या का विवरण
11 जनवरी : 1,42,653, 12 जनवरी : 3,19,381, 13 जनवरी : 3,42,646, 14 जनवरी : 3,61,275, 15 जनवरी : 4,53,161, 16 जनवरी : 3,25,737, 17 जनवरी : 2,64,436, 18 जनवरी : 2,41,251, 19 जनवरी : 2,74,630, 20 जनवरी : 2,51,693, 21 जनवरी : 2,82,044, 22 जनवरी : 3,78,821, 23 जनवरी : 4,11,999, 24 जनवरी : 4,27,882, 25 जनवरी : 5,73,810, 26 जनवरी : 5,57,669, 27 जनवरी : 6,55,878, 28 जनवरी : 5,83,251, 29 जनवरी : 4,73,119, 30 जनवरी : 7,29,578, 31 जनवरी : 7,53,151, 01 फ़रवरी : 5,69,360, 02 फ़रवरी : 4,61,759, 03 फ़रवरी : 5,16,666, 09 फ़रवरी : 5,96,745, 10 फ़रवरी : 6,12,980, 11 फ़रवरी : 7,19,225, 12 फ़रवरी : 7,78,697, 13 फ़रवरी : 8,26,194 व 14 फ़रवरी को
: 6,98,345 श्रद्धालुओं
ने दर्शन किए।
बीते पांच वित्तीय वर्ष में बाबा विश्वनाथ की कमाई का आंकड़ा
वित्तीय
वर्ष आय
(करोड़ रुपये में)
2019-20 26.43
2020-21 10. 82
2021-22 20.72
2022-23 58. 51
2023-24 86.79
महाकुंभ में स्नानार्थियों की संख्या
-मकर
संक्रांति- 3.5 करोड़ श्रद्धालुओं का
स्नान
-मौनी
अमावस्या- 8 करोड़ श्रद्धालुओं का
स्नान
-बसंत
पंचमी 2.57 करोड़
श्रद्धालुओं का स्नान
-30 जनवरी-
2 करोड़
श्रद्धालुओं का स्नान
-एक
फरवरी - 2 करोड़ श्रद्धालुओं का
स्नान
-पौष
पूर्णिमा - 1.7 करोड़
श्रद्धालुओं का स्नान
-11 फरवरी को
माघ पूर्णमा से पहले
- 1 करोड
कॉन्फेडरेशन
ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स
(कैट ) ने अनुमान लगाया
है कि इस महाकुंभ
से ₹2 लाख करोड़ से
अधिक का व्यापार होने
की उम्मीद है।
महाकुंभ 2025 के प्रमुख व्यापारिक आंकड़े
आवास और
पर्यटन
: स्थानीय होटलों, धर्मशालाओं और अस्थायी ठहराव
की व्यवस्था से ₹40,000 करोड़ के व्यापार
की संभावना है।
भोजन और
पेय
पदार्थ
: पैक खाद्य सामग्री, पानी, बिस्किट, जूस, और भोजन
पर ₹20,000 करोड़ तक का
व्यापार होगा।
पूजा सामग्री
और
प्रसाद
: तेल, दीपक, गंगाजल, मूर्तियां, अगरबत्ती, धार्मिक पुस्तकों आदि की बिक्री
से ₹20,000 करोड़ का व्यापार
होने की उम्मीद है।
परिवहन और
लॉजिस्टिक्स
: स्थानीय और अंतरराज्यीय परिवहन,
माल ढुलाई और टैक्सी सेवाओं
से ₹10,000 करोड़ का व्यापार
होगा।
पर्यटन सेवाएं
: टूर गाइड, ट्रैवल पैकेज और पर्यटक सेवाओं
से ₹10,000 करोड़ का अनुमानित
व्यापार।
हस्तशिल्प और
स्मृति
चिन्ह
: स्थानीय उत्पादों, कपड़ों, गहनों और स्मृति चिन्हों
से ₹5,000 करोड़ की आय।
स्वास्थ्य और
चिकित्सा
सेवाएं
: अस्थायी मेडिकल कैंप, आयुर्वेदिक उत्पाद और दवाइयों से
₹3,000 करोड़ का व्यापार।
आईटी और
डिजिटल
सेवाएं
: डिजिटल भुगतान, वाई-फाई सेवाएं,
और ई-टिकटिंग से
₹1,000 करोड़ का व्यापार।
मनोरंजन और
मीडिया
: विज्ञापन और प्रचार गतिविधियों
से ₹10,000 करोड़ का व्यापार।
राज्य
सरकार को 25,000 करोड़ की कमाई
वाराणसी-अयोध्या टोल प्लाजा की कमाई
महाकुंभ मेले के प्रभाव
से वाराणसी-अयोध्या मार्ग पर वाहनों की
संख्या में जबरदस्त इजाफा
हुआ है. श्रद्धालुओं, पर्यटकों
और व्यावसायिक वाहनों की बढ़ती आवाजाही
के चलते इस मार्ग
पर स्थित टोल प्लाजा की
कमाई दोगुनी हो गई है.
पहले जहां प्रतिदिन लगभग
10,000 वाहन इस मार्ग से
गुजरते थे, अब यह
संख्या 20,000 प्रतिदिन तक पहुंच गई
है, जिससे टोल कलेक्शन में
भारी वृद्धि दर्ज की गई
है.
ढाबों और स्थानीय व्यापारियों की बल्ले-बल्ले
वाहनों की संख्या बढ़ने
से मार्ग पर स्थित ढाबों,
होटलों और रेस्टोरेंट्स को
भी बड़ा फायदा हुआ
है. ढाबा संचालकों का
कहना है कि ग्राहकों
की संख्या में 50-60 फीसदी तक वृद्धि हुई
है, जिससे उनकी आमदनी में
भी जबरदस्त इजाफा हुआ है. खासकर,
कुंभ मेले में जाने
वाले श्रद्धालु रास्ते में रुककर भोजन
और जलपान कर रहे हैं,
जिससे इन व्यवसायों को
बड़ा आर्थिक लाभ मिल रहा
है. एनएसएसओं की रिपोर्ट के
अनुसार भारत की धार्मिक
अर्थव्यवस्था 3.02 लाख करोड़ रुपये
है. जो देश की
ळक्च् का लगभग 2.3 þ है.
इसमें धार्मिक स्थानों की यात्रा, होटल,
रेस्टोरेंट में खर्चा, धार्मिक
स्थानों पर प्रसाद, फूल,
अगरबत्ती, आदि खरीदना शामिल
है. महाकुंभ की वजह से
न केवल इन क्षेत्रों
बल्कि प्रयागराज और यूपी की
अर्थव्यवस्था भी चमकने लगी
है.
महाकुंभ से कैसे चमकी देश की अर्थव्यवस्था
महाकुंभ में देश के
कोने-कोने से लोग
महाकुंभ में आएंगे. बाहर
से आने वाले लोग
रेल, बस या हवाई
जहाज़ से आ रहे
हैं जिसे इन तमाम
विभागों को फायदा हो
रहा है. वहीं निजी
वाहनों से आने श्रद्धालुओं
से विभिन्न टोल, ईंधन, आदि
के रूप में सरकार
का राजस्व बढ़ रहा है.
यही नहीं प्रयागराज पहुंचने
के बाद लोग यहां
होटल, गेस्ट हाउस, धर्मशाला में रहेंगे जिससे
स्थानीय लोगों के लिए रोजगार
और राजस्व मिल रहा है
तो वहीं खाने-पीने
की दुकानों और रेस्टोरेंट व
होटलों की भी बल्ले-बल्ले हो रही है.
ट्रेन, बस, फ्लाइट से
आने वाले लोग रेलवे
स्टेशन, बस स्टैंड, हवाई
अड्डे से मंदिर तक
स्थानीय परिवहन (टैक्सी, ऑटो, बस) का
उपयोग करेंगे, जिससे परिवहन क्षेत्र में लोगों के
लिए रोजगार के अवसर पैदा
हुए तो वहीं निजी
वाहनों के आने से
स्थानीय लोगों के लिए नौकरियां,
पार्किंग से राजस्व बढ़ा
है. महाकुंभ में आने वाले
लोग संगम तक नाव
की सवारी कर सकते हैं,
जिससे नाविकों की आय बढ़ी.
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