Saturday, 15 February 2025

उत्तर-दक्षिण को एकजुट करता है सनातन धर्म : योगी आदित्यनाथ

सीएम योगी आदित्यनाथ ने किया काशी तमिल संगमम 3.0 का भव्य शुभारंभ

उत्तर-दक्षिण को एकजुट करता है सनातन धर्म : योगी आदित्यनाथ 

उद्घाटन से पहले हेलीकॉप्टर से किया हवाई सर्वे, जाना एक-एक गलियों का हाल, भीड़ का भी लिया जायजा

नाद स्वरम मंगल वाद्य की पावन धुन से इस कार्यक्रम की शुरूआत हुई

सीएम योगी और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्रालय के मंत्री डाक्टर एम मुर्गन कार्यक्रम में हिस्सा लिया

कहा, इस बार का कार्यक्रम महर्षि अगस्त्य को समर्पित है

काशी तमिल संगमम केवल इन यादों को ताज़ा करेगा, बल्कि तमिलनाडु और काशी के बीच संबंधों को और मजबूत करेगा

लोगों की संपूर्ण भागीदारी ने इन संगमों को एक भारत-श्रेष्ठ भारत की भावना का मशाल वाहक बना दिया है 

देश को पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण को जोड़ने का कार्य जो कभी शंकराचार्य ने किया था, वहीं कार्य आज के परिवेश में हो रहा है

पीएम मोदीकाशी तमिल संगममकार्यक्रम के माध्यम से एक भारत श्रेष्ट भारत की परिकल्पना को साकार कर रहे है : योगी आदित्यनाथ

भारी भीड़ तथा श्रद्धालुओं की सुविधा हेतु मुख्यमंत्री द्वारा काल भैरव मंदिर में दर्शन पूजन को स्थगित किया गया

संस्कृत की तरह तमिल भी देश की सबसे पुरानी भाषा हैं, जो सांस्कृतिक एकता दिखाने का सबसे बड़ा मिसाल हैं : धर्मेंद्र प्रधान

सुरेश गांधी

वाराणसी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को नमो घाट पर काशी-तमिल संगमम (केटीएस) 3.0 का भव्य उद्घाटन किया। इसके पूर्व उन्होंने हवाई सर्वेक्षण कर वाराणसी के घाटों पर हो रही महाकुंभ की भीड़ और यातायात व्यवस्था का भी जायजा लिया। महाकुंभ के बाद बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए हो रही भीड़ के मद्देनजर शहर की एक-एक गलियों को करीब से देखा। इसके बाद श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में विधि विधान से दर्शन-पूजन भी किया। जबकि भारी भीड़ तथा श्रद्धालुओं की सुविधा हेतु मुख्यमंत्री द्वारा काल भैरव मंदिर में दर्शन पूजन को स्थगित किया गया।  साथ ही जिलाधिकारी एस राजलिंगम से वार्ता कर सुरक्षा व्यवस्था एवं यातायात सुगम बनाने का निर्देश भी दिया। काशी तमिल संगमम के शुभारंभ से पहले मुख्यमंत्री ने एक भारत श्रेष्ठ भारत की तस्वीर दिखाई। मंच पर सीएम योगी के साथ केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्रालय के मंत्री डाक्टर एम मुर्गन ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सनातन विश्व का सिर्फ सबसे बड़ा प्राचीन धर्म है, बल्कि उत्तर दक्षिण को भी एक करता है। सनातन लोगों को एक साथ लेकर चलने का हुनर सिखाती है। काशी-तमिल संगमम् एक सांस्कृतिक उत्सव है। जिसका उद्देश्य उत्तर भारत और दक्षिण भारत की विविध पारंपरिक और सांस्कृतिक प्रथाओं को एक साथ लाना है। उन्होंने कहा कि वाराणसी में तीसरे काशी तमिल संगमम के आयोजन के बारे में जानना आनंददायक है। प्रयागराज में महाकुंभ के बीच होने के कारण यह अवसर और भी महत्वपूर्ण हो गया है। तमिलनाडु और काशी के बीच, कावेरी और गंगा के बीच का अटूट संबंध हजारों साल पुराना है। पिछले दो संगमों के दौरान लोगों की हार्दिक भावनाओं और अनुभवों ने भारत की विविध संस्कृति की सुंदरता के साथ-साथ लोगों के बीच मजबूत संबंधों को भी प्रदर्शित किया। काशी तमिल संगमम केवल इन यादों को ताज़ा करेगा, बल्कि तमिलनाडु और काशी के बीच संबंधों को और मजबूत करेगा। लोगों की संपूर्ण भागीदारी ने इन संगमों को एक भारत-श्रेष्ठ भारत की भावना का मशाल वाहक बना दिया है। यह जानकर खुशी हो रही है कि, इस वर्ष, हमारी पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के साथ-साथ शास्त्रीय तमिल साहित्य में ऋषि अगस्त्यर के महत्वपूर्ण योगदान का जश्न मनाया जाएगा।

इसके अलावा, यह भी उल्लेखनीय है कि प्रतिभागियों को महाकुंभ का अनुभव करने के साथ-साथ अयोध्या में श्री राम मंदिर के दर्शन भी करने का मौका मिलेगा। मुझे यकीन है कि सभी प्रतिभागी इन स्थानों की दिव्यता से धन्य महसूस करेंगे। जैसे-जैसे राष्ट्र विकसित भारत के निर्माण के सपने को साकार करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, काशी तमिल संगमम जैसे प्रयास हमारी विविधता का जश्न मनाते हुए हमारी एकता को मजबूत करने में सर्वोपरि हो जाते हैं। काशी आने वाले तमिलनाडु के लोग जीवन भर याद रखने योग्य महान यादें लेकर वापस जाएं। इस बार काशी तमिल संगमम् महर्षि अगस्त्य को समर्पित है। इनके जीवन चरित्र पर आधारित एक चित्र प्रदर्शनी का भी आयोजन नमो घाट पर किया गया हैं।  उन्होंने कहा कि तमिलनाडु से आए मेहमानों को 144 वर्ष पर प्रयागराज में लगे महाकुम्भ एवं 500 वर्ष बाद अयोध्या में बने रामलला का दर्शन कराया जाएगा। नए भारत की परिकल्पना को आगे बढ़ाते हुए महर्षि अगस्त्य को केंद्र में रखकर इस बार के काशी तमिल संगमम् का थीम रखा गया है। राम को माता सीता को खोजने एवं राम-रावण युद्ध मेंआदित्य स्त्रोतदेने वाले महर्षि अगस्त्य है। शिक्षक, लेखको के साथ ही उद्योग, व्यापार, मंदिर की व्यवस्था करने वाले आदि लोग इस बार इस कार्यक्रम का हिस्सा बनेंगे। देश को पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण को जोड़ने का कार्य जो कभी शंकराचार्य ने किया था, वहीं कार्य आज के परिवेश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीकाशी तमिल संगमम्कार्यक्रम के माध्यम से एक भारत श्रेष्ट भारत की परिकल्पना को साकार कर रहे है।

उन्होंने कहा कि देश की सबसे पुरानी नगरी काशी हैं। उन्होंने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को वाराणसी, प्रयाग तथा अयोध्या की संस्कृति से जुड़ने का सौभाग्य मिलेगा, उन्होंने काशी के बारे में उल्लेखित करते हुए बाबा विश्वनाथ, बाबा काल भैरव, माँ गंगा, माँ विशालाक्षी के बारे में भी उल्लेख किया। काशी प्राचीन समय से ही ज्ञान की राजधानी रही है तथा तमिलनाडु का प्राचीन ग्रंथ भी अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है उन्होंने महर्षि अगस्त्य के सिद्ध चिकित्सा के बारे में बोलते हुए कहा की आप सभी को इससे जुड़ने का मौका मिलेगा। उन्होंने सभी का हृदय से स्वागत करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री का ये विजन लगातार जारी रहेगा।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने जय गंगे के उद्बोधन से लोगो को संबोधित करते हुए कहा कि तमिलनाडु से आए लोगों को 144 वर्ष बाद प्रयागराज में हो रहे महाकुंभ को दिखाया

जाय और वहां प्रवास करने का एहसास हो, ऐसी व्यवस्था किया जाय। पूरे भारत की ओर से उन्होंने अतिथियों का स्वागत किया। इस बार का महाकुंभ देश ही नहीं पूरी दुनिया के सनातनियों में जागृति पैदा किया हैं। अब तक 51 करोड़ से अधिक लोगों ने महाकुंभ में दर्शन एवं स्नान किया। भव्य एवं दिव्य महाकुंभ के सुव्यवस्थित आयोजन हेतु उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का उन्होंने पूरे देशवासियों की ओर से स्वागत एवं उन्हें धन्यवाद दिया। उन्होंने बताया कि आज पहले दिन विद्यार्थियों, शिक्षक एवं लेखकों का दल आया हैं। अभी आगे आने वाले जत्थों में विभिन्न क्षेत्रों के लोगो सहित नवाचार के लोग भी आयेगे। संस्कृत की तरह तमिल भी देश की सबसे पुरानी भाषा हैं। जो सांस्कृतिक एकता दिखाने का सबसे बड़ा मिसाल हैं। तमिलनाडु में कोई ऐसा मंदिर नहीं जिसमें श्री काशी विश्वनाथ महादेव नहीं विराजते। इस बार के केंद्रीय बजट में पहली बार प्राविधान किया है कि एसआई के माध्यम से देश की महान ग्रन्थों को संरक्षित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि 2047 तक भारत को विकसित बनाने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की घोषणा को अपनी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करते हुए मूर्त रुप देना है।

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण संसदीय कार्य राज्य मंत्री डॉ एल. मुरुगन स्वागत भाषण करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का सहित अन्य अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काएक भारत श्रेष्ट भारतकी परिकल्पना साकार हो रहा हैं। काशी मोक्ष की नगरी हैं। इस अवसर पर सांस्कृतिक संध्या का भी आयोजन हुआ। जिसमें तमिलनाडु एवं काशी के कलाकारों ने प्रतिभाग कर अपनी सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी। 

इस अवसर उत्तर प्रदेश के स्टांप एवं न्यायालय पंजीयन शुल्क राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रविन्द्र जायसवाल, आयुष राज्य मंत्री डॉ दयाशंकर मिश्रदयालु’, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती पूनम मौर्य, महापौर अशोक तिवारी, पूर्व मंत्री तथा विधायक डॉ नीलकंठ तिवारी, विधायक डॉ अवधेश सिंह, सौरभ श्रीवास्तव, डॉ सुनील पटेल, सदस्य विधान परिषद हंसराज विश्वकर्मा, धर्मेंद्र राय, अश्विनी त्यागी, केंद्रीय शिक्षा सचिव विनीत जोशी, मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा, पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल, जिलाधिकारी एस राजलिंगम, अपर पुलिस आयुक्त एस चिनप्पा, कार्यवाहक कुलपति बीएचयू डॉ संजय कुमार समेत भारी संख्या में तमिल अतिथि उपस्थित रहे।  इससे पूर्व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा  एयरपोर्ट से सीधे नमो घाट पहुंचें तथा बजडे पर सवार होकर बाबा विश्वनाथ का दर्शन करने पहुंचे। बजड़े पर सवार होने के दौरान घाटों पर उमड़ी भारी भीड़ द्वारा मुख्यमंत्री का हाथ हिलाकर तथा उद्घोष के साथ स्वागत किया। मुख्यमंत्री ने काशी विश्वनाथ मंदिर में विधि- विधान से बाबा विश्वनाथ का पूजन किया गया। तत्पश्चात मुख्यमंत्री पुनः नमो घाट पहुंचें तथा तमिल समागम के उद्घाटन कार्यक्रम में भाग लिया। मंदिर परिसर में भारी भीड़ के बीच मुख्यमंत्री द्वारा बच्चों को दुलारा गया तथा उपहार स्वरूप चाकलेट भेंट किया गया।

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