Thursday, 10 July 2025

बनारस में विद्युत कर्मियों का निजीकरण के खिलाफ एकजुट विरोध

बनारस में विद्युत कर्मियों का निजीकरण के खिलाफ एकजुट विरोध

संघर्ष समिति का एलान : 11 जुलाई को आयोग के समक्ष होगा निर्णायक प्रदर्शन

3242 करोड़ के लाभ में चल रहे पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम को घाटे में दिखाकर बेचे जाने की कोशिश : संघर्ष समिति

निजीकरण की आड़ में आम जनता पर बोझ डालने की तैयारी

दमन के खिलाफ चेतावनी : डराने-धमकाने की नीति नहीं चलेगी

सुरेश गांधी

वाराणसी. विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के आह्वान पर गुरुवार को बनारस के समस्त मुख्य अभियंता, अधीक्षण अभियंता एवं अधिशासी अभियंता कार्यालयों पर एक साथ निजीकरण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया गया। शाम 5 बजे कार्यालय अवकाश के पश्चात बिजलीकर्मियों ने टैरिफ वृद्धि और निजीकरण की प्रक्रिया के विरुद्ध एकजुटता दिखाई।झूठे आंकड़े, धमकी और दमन से निजीकरण की कोशिश कामयाब नहीं होने दी जाएगी,“ यह स्पष्ट संदेश संघर्ष समिति की ओर से दिया गया। समिति ने घोषणा की है कि 11 जुलाई को वाराणसी में नियामक आयोग की सार्वजनिक सुनवाई के दौरान निजीकरण का मुद्दा प्रमुखता से उठाया जाएगा।

संघर्ष समिति का आरोप है कि निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के टैरिफ में 45 फीसदी तक वृद्धि का प्रस्ताव पहले ही नियामक आयोग को भेजा जा चुका है। यह इशारा है कि निजीकरण के बाद बिजली दरों में बेतहाशा वृद्धि निश्चित है। समिति के मुताबिक निगम को घाटे में दिखाने की जो कवायद की जा रही है, वह सरकारी सब्सिडी कोकैश गैपमें शामिल कर एक कृत्रिम घाटा दर्शाने का प्रयास है। संघर्ष समिति ने बताया कि निजीकरण विरोधी आंदोलन को कुचलने के लिए : हजारों बिजलीकर्मियों का वेतन रोका गया है, कर्मचारियों को दूर-दराज क्षेत्रों में ट्रांसफर किया गया है, चेतावनी पत्र विजिलेंस जांच के नाम पर उत्पीड़न किया जा रहा है, 3 पदाधिकारियों पर थ्प्त् दर्ज की गई है और 3 और पर एफआईआर की तैयारी है। फिर भी समिति ने दो टूक कहा है किहम डरने वाले नहीं, संघर्ष जारी रहेगा जब तक निजीकरण का फैसला वापस नहीं लिया जाता।

इस अवसर पर मुख्य अभियंता कार्यालय, अधीक्षण अभियंता कार्यालय सहित सभी अधिशासी अभियंता कार्यालयों पर विरोध सभाएं हुईं। इन सभाओं को इंजीनियर मायाशंकर तिवारी, नीरज बिंद, दीपक गुप्ता, हेमंत श्रीवास्तव, राजेश सिंह, रोहित कुमार, रमेश यादव, जितेंद्र कुमार, धनपाल सिंह, उमेश यादव, अंकुर पांडेय, अमित कुमार, कृष्णमोहन, दयानंद आदि ने संबोधित किया. बता दें, इस मुद्दे को लेकर राज्य भर में बिजलीकर्मी लगातार 225वें दिन भी आंदोलित हैं। यह आंदोलन अब सिर्फ बिजलीकर्मियों का नहीं, बल्कि जनहित से जुड़ा एक बड़ा सवाल बन चुका है।

आंकड़ों में लाभ, फिर भी घाटे का प्रचार

वर्ष 2024-25 में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम को उपभोक्ताओं से 13,297 करोड़ रुपये की वसूली हुई। सरकारी विभागों पर 4,182 करोड़ रुपये बकाया है। इस प्रकार कुल राजस्व 17,479 करोड़ रुपये हुआ। यदि 6,327 करोड़ रुपये की सब्सिडी जोड़ी जाए, तो कुल आय 23,806 करोड़ रुपये हो जाती है। निगम का कुल खर्च 20,564 करोड़ रुपये बताया गया है। यानी, कुल मुनाफा 3,242 करोड़ रुपये बनता है। फिर भी निगम को घाटे में दिखाकर निजीकरण का रास्ता बनाया जा रहा है, संघर्ष समिति का यही मुख्य तर्क है।

बुनकरों, किसानों और गरीबों की सब्सिडी पर संकट

समिति ने आशंका जताई है कि निजीकरण के बाद किसानों, बुनकरों और गरीब घरेलू उपभोक्ताओं को दी जा रही सब्सिडी खत्म कर दी जाएगी, जिससे इन वर्गों पर आर्थिक बोझ और बढ़ेगा।

No comments:

Post a Comment

बनारस में विद्युत कर्मियों का निजीकरण के खिलाफ एकजुट विरोध

बनारस में विद्युत कर्मियों का निजीकरण के खिलाफ एकजुट विरोध संघर्ष समिति का एलान : 11 जुलाई को आयोग के समक्ष होगा निर्णा...