Sunday, 16 February 2025

शिव और अमृत सिद्धि योग के संयोग में मनेगा महाशिवरात्रि, पूरे होंगे हर अरमान

शिव और अमृत सिद्धि योग के संयोग में मनेगा महाशिवरात्रि, पूरे होंगे हर अरमान 

महाशिवरात्रि हर तरह के शुभ और मांगलिक कार्य करने के लिए उत्तम माना जाता है. इसी वजह से इसे सबसे बड़े त्योहारों में गिना जाता है. खास यह है कि इस बार एक दुर्लभ संयोग की वजह से महाशिवरात्रि बेहद खास भी मानी जा रही है. यह दुर्लभ संयोग 60 साल बाद बना है। इस दिन कुंभ राशि में तीन ग्रहों की युति होगी। इसके अलावा इस दिन शिव योग और सिद्ध योग का संयोग बन रहा है. इसके अलावा महाशिवरात्रि पर अमृत सिद्धि योग का भी निर्माण हो रहा है। दरअसल इस दिन सूर्य, बुध और शनि कुंभ राशि में एक साथ होंगे। ऐसा ही योग साल 1965 में महाशिवरात्रि के दिन बना था। इसके साथ ही 60 साल पहले महाशिवरात्रि के दिन चंद्र ग्रह मकर राशि में विराजमान थे, इस बार भी चंद्रमा मकर राशि में ही स्थित होंगे। पंचांग के अनुसार, इस बार महाशिवरात्रि धनिष्ठा नक्षत्र, परिघ योग, शकुनी करण और मकर राशि में स्थित चंद्रमा के संयोग में रही है। इस साल भी यही स्थिति बनेगी, जब सूर्य और शनि (जो पिता-पुत्र माने जाते हैं) कुंभ राशि में रहेंगे। यह संयोग एक सदी में सिर्फ एक बार बनता है और इस दौरान की गई उपासना अत्यधिक फलदायी होती है। इस दिन की गई साधना आध्यात्मिक और धार्मिक उन्नति प्रदान करती है। इस बार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 26 फरवरी को है। इसकी शुरुवात सुबह 11 बजकर 08 मिनट से शुरू होगी. जबकि तिथि का समापन 27 फरवरी को सुबह 08 बजकर 54 मिनट पर होगा. भगवान शिव की आराधना विशेष रूप से निशीथ काल में की जाती है, इसलिए महाशिवरात्रि 26 फरवरी की रात को मनाई जाएगी। यह दिन भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह का प्रतीक माना जाता है, इसलिए शिव भक्त इसे धूमधाम से मनाते हैं। इस दिन श्रद्धालु व्रत रखते हैं और विधिपूर्वक शिव-गौरी की पूजा करते हैं। मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ पृथ्वी पर स्थित सभी शिवलिंगों में विराजमान होते हैं, जिससे इस दिन की गई पूजा से कई गुना अधिक फल की प्राप्ति होती है 

सुरेश गांधी

पुराणों एवं शास्त्रों में कहा गया है कि महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव पहली बार प्रकट हुए थे। वे एक विशाल अग्निस्तंभ (ज्योतिर्लिंग) के रूप में आए, जिसका कोई आदि और अंत नहीं था। इस दिन भगवान शिव ने तांडव कर अपनी तीसरी आंख खोली थी और इसी आंख की ज्वाला से ब्रह्मांड को नष्ट कर दिया था. भगवान ब्रह्मा और विष्णु ने इसे समझने की कोशिश की, लेकिन वे नाकाम रहे। तब शिवजी ने बताया कि वे ही इस अनंत शक्ति के स्वामी हैं। शिव ही सत्य हैं, शिव अनंत हैं, शिव अनादि हैं, शिव भगवंत हैं, शिव ओंकार हैं, शिव ब्रह्मा हैं, शिव शक्ति हैं, शिव भक्ति हैं. इसलिए इस दिन को उनके प्रकट होने की खुशी में मनाया जाता है। 

एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग धरती पर प्रकट हुए थे। ये 12 ज्योतिर्लिंग देशभर में स्थित हैं और बहुत पवित्र माने जाते हैं। इनमें प्रमुख हैं श्रीसोमनाथ, श्रीमल्लिकार्जुन, श्रीमहाकालेश्वर, श्रीवैद्यनाथ, श्रीभीमशंकर, श्रीरामेश्वर, श्रीनागेश्वर, श्रीकाशी विश्वनाथ, श्रीत्रंबकेश्वर, श्रीकेदारनाथ और श्री घृष्णेश्वर। इस दिन इन ज्योतिर्लिंगों पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है और विशेष पूजा होती है। इस दिन लोग व्रत रखकर शिवमंदिर में भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करते हैं और जल या दूध से शिवलिंग का अभिषेक करते हैं. एक अन्य कथानुसार, महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर शिवजी ने फाल्गुन महीने की कृष्ण चतुर्दशी को उनसे विवाह किया। इसलिए इस दिन को शिव और शक्ति के मिलन के रूप में भी मनाया जाता है। क्योंकि इस पर्व पर भगवान शिव और आदिशक्ति की दिव्य शक्तियां दोनों एक साथ आती हैं. घरों में भी रुद्राभिषेक करवाने की परंपरा निभाई जाती है। विशेष रूप से, बेलपत्र चढ़ाने से आर्थिक समस्याएं दूर होने की मान्यता है। 

खास यह है कि महाशिवरात्रि पर ही 144 साल आए इस महाकुंभ का समापन आखिरी महास्नान होगा। इस अंतिम और शुभ तिथि पर सूर्य, चंद्रमा और शनि का विशेष त्रिग्रही योग को समृद्धि और सफलता के प्रतीक के रुप में देखा जा रहा है। इस दिन शिव योग और सिद्ध योग का संयोग बन रहा है. इसके अलावा महाशिवरात्रि पर अमृत सिद्धि योग का भी निर्माण हो रहा है। कहा जा रहा हैं कि इन संयोगों पर स्नान करने का महत्व बढ़ जाता हैं। इस दौरान त्रिवेणी संगम में स्नान करने से व्यक्ति को भगवान शिव की कृपा से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। महाशिवरात्रि की रात में ब्रह्माण्ड में ग्रह और नक्षत्रों की ऐसी स्थिति होती है जिससे एक खास ऊर्जा का प्रवाह होता है. इस रात ग्रह का उत्तरी गोलार्द्ध इस प्रकार अवस्थित होता है कि मनुष्य के भीतर की ऊर्जा प्राकृतिक रूप से ऊपर की ओर जाने लगती है यानी प्रकृति स्वयं मनुष्य को उसके आध्यात्मिक शिखर तक जाने में मदद कर रही होती है. इसलिए  महाशिवरात्रि की रात में जागरण करने रीढ़ की हड्डी सीधी करके ध्यान मुद्रा में बैठने की बात कही गई है. महाशिवरात्रि का व्रत करने वाले साधक को मोक्ष की प्राप्ति होती है। जगत में रहते हुए मुष्य का कल्याण करने वाला व्रत है महाशिवरात्रि। इस व्रत को रखने से साधक के सभी दुखों, पीड़ाओं का अंत तो होता ही है साथ ही मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है। कहने का मतलब है कि शिव की साधना से धन-धान्य, सुख-सौभाग्य,और समृद्धि की कमी कभी नहीं होती। भक्ति और भाव से स्वतः के लिए तो करना ही चाहिए सात ही जगत के कल्याण के लिए भगवान आशुतोष की आराधना करनी चाहिए। मनसा...वाचा...कर्मणा हमें शिव की आराधना करनी चाहिए। भगवान भोलेनाथ..नीलकण्ठ हैं, विश्वनाथ है। शास्त्रों में प्रदोषकाल यानि सूर्यास्त होने के बाद रात्रि होने के मध्य की अवधि, मतलब सूर्यास्त होने के बाद के 2 घंटे 24 मिनट की अवधि प्रदोष काल कहलाती है। इसी समय भगवान आशुतोष प्रसन्न मुद्रा में नृत्य करते है। इसी समय सर्वजनप्रिय भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। यही वजह है, कि प्रदोषकाल में शिव पूजा या शिवरात्रि में औघड़दानी भगवान शिव का जागरण करना विशेष कल्याणकारी कहा गया है। 

महाशिवरात्रि पूजन का प्रभाव हमारे जीवन पर बड़ा ही व्यापक रूप से पड़ता है। सदाशिव प्रसन्न होकर हमें धन-धान्य, सुख-समृधि, यश तथा वृद्धि देते हैं। महाशिवरात्रि पूजन को विधिवत करने से हमें सदाशिव का सानिध्य प्राप्त होता है और उनकी महती कृपा से हमारा कल्याण होता है। शिवपुराण की कोटिरुद्रसंहिता में बताया गया है कि शिवरात्रि व्रत करने से व्यक्ति को भोग एवं मोक्ष दोनों ही प्राप्त होते हैं। देवताओं के पूछने पर भगवान सदाशिव ने बताया कि शिवरात्रि व्रत करने से महान पुण्य की प्राप्ति तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है। महाशिवरात्रि परम कल्याणकारी व्रत है जिसके विधिपूर्वक करने से व्यक्ति के दुःख, पीड़ाओं का अंत होता है और उसे इच्छित फल की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि वे अपने साधकों से पान फूल से भी प्रसन्न हो जाते हैं। बस भाव होना चाहिए। इस व्रत को जनसाधारण स्त्री-पुरुष, बच्चा, युवा और वृद्ध सभी करते है। धनवान हो या निर्धन, श्रद्धालु अपने सामर्थ्य के अनुसार इस दिन रुद्राभिषेक
, यज्ञ और पूजन करते हैं। भाव से भगवान आशुतोष को प्रसन्ना करने का हर संभव प्रयास करते हैं। महाशिवरात्रि का ये महाव्रत हमें प्रदोष निशीथ काल में ही करना चाहिए। जो व्यक्ति इस व्रत को पूर्ण विधि-विधान से करने में असमर्थ हो, उन्हें रात्रि के प्रारम्भ में तथा अर्धरात्रि में भगवान शिव का पूजन अवश्य करना चाहिए। व्रत करने वाले पुरुष को शिवपुराण के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन प्रातःकाल उठकर स्नान नित्यकर्म से निवृत्त होकर ललाट पर भस्मका त्रिपुण्ड तिलक और गले में रुद्राक्ष की माला धारण कर शिवालय में जाना चाहिए। शिवलिंग का विधिपूर्वक पूजन एवं भगवान शिव को प्रणाम करना चाहिये। तत्पश्चात उसे श्रद्धापूर्वक महाशिवरात्रि व्रत का संकल्प करना चाहिये। लिंग पुराण के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव रात को तांडव नृत्य किया था. इस तांडव से सृजन और विनाश की अभिव्यक्ति के रूप में देखा जाता है.

महाशिवरात्रि पर घर लाएं ये 4 चीजें

ज्योतिषियों का कहना है कि इस दिन घर में पारद शिवलिंग, चांदी के नंदी महाराज, रुद्राक्ष गंगाजल लाने से भगवान भोलेनाथ की कृपा बरसेगी। यह पर्व भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करने के लिए समर्पित हैं. कहते है भगवान भोलेनाथ और मां पार्वती की विशेष कृपा पाने के लिए सबसे शुभ दिन है. मान्यता है कि महाशिवरात्रि पर श्रद्धा और भक्ति से की गई पूजा सभी मनोकामनाओं को पूरा करती है और जीवन में सुख-समृद्धि लाती है। इसलिए इस बार महाशिवरात्रि के दिन बन रहे दुर्लभ योग पर आपको 4 चीजें घर लानी चाहिए। ये सारी चीजें भगवान शिव से संबंधित हैं और इनको घर में लाने से आपको शिव कृपा के साथ ही धन-धान्य और पारिवारिक खुशियों की भी प्राप्ति होगी। पारद शिवलिंग- महाशिवरात्रि के दिन इस बार आपको पारद शिवलिंग खरीदना चाहिए। पारद शिवलिंग घर लाने से कई शुभ परिणाम आपको प्राप्त हो सकते हैं। इसके प्रभाव से भगवान शिव के साथ ही पितरों का

आशीर्वाद भी आपको प्राप्त होता है और इसके साथ ही कालसर्प दोष से भी आप मुक्ति पाएंगे। चांदी के नंदी महाराज- महाशिवरात्रि के दिन चांदी का नंदी लाना भी भक्तों के लिए अति शुभ रहेगा। नंदी को घर लाने से आपको करियर और कारोबार के क्षेत्र में शुभ परिणाम मिलते हैं। वहीं नंदी महाराज आपके घर की नकारात्मकता को भी दूर कर देते हैं। नंदी महाराज भगवान शिव के वाहन हैं और इनकी पूजा करने से या इन्हें घर लाने से शिव भगवान का आशीर्वाद आपको प्राप्त होता है। रुद्राक्ष - महाशिवरात्रि के दिन रुद्राक्ष घर में लाना भी अति शुभ होता है। रुद्राक्ष का सीधा संबंध भगवान शिव से है, माना जाता है कि भगवान शिव के आसुओं से रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई थी। अगर आप अपनी राशि के अनुसार महाशिवरात्रि पर रुद्राक्ष खरीदते हैं तो जीवन के सभी परेशानियों से आपको मुक्ति मिल सकती है। वहीं रुद्राक्ष की माला भी आप खरीद सकते हैं। गंगाजल- महाशिवरात्रि के दिन आप गंगाजल घर लाते हैं तो शुभ परिणामों की प्राप्ति आपको होती है। गंगाजल को घर लाने से आपको जीवन में शीतलता आती है। इस गंगाजल का छिड़काव अगर आप घर में करते हैं तो घर में मौजूद नकारात्मकता भी दूर हो जाती है।

शुभ मुहूर्त

फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि शुरू : 26 फरवरी 2025, सुबह 11.08

फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि समाप्त : 27 फरवरी 2025, सुबह 8.54

निशिता काल पूजा समय : देर रात 1209 - प्रातः 1259, फरवरी 27

शिवरात्रि पारण समय     प्रात : 0648 - प्रातः 0854 (27 फरवरी 2025)

रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय :          शाम 0619 - रात 0926

रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय :        रात 0926 - प्रातः 1234, 27 फरवरी

रात्रि तृतीया प्रहर पूजा समय :        प्रातः 1234 - प्रातः 0341, 27 फरवरी

रात्रि चतुर्थी प्रहर पूजा समय :         प्रातः 0341 - प्रातः 0648, 27 फरवरी

चार प्रहर की पूजा

शास्त्रों के मुताबिक महाशिवरात्रि पर चार प्रहर की साधना का विशेष महत्व होता है। हर प्रहर में शिव उपासना का अलग फल मिलता है।

1. प्रथम प्रहर पूजाः सायं 0619 बजे से रात्रि 0926 बजे तक

2. द्वितीय प्रहर पूजाः रात्रि 0926 बजे से मध्यरात्रि 1234 बजे तक

3. तृतीय प्रहर पूजाः मध्यरात्रि 1234 बजे से 27 फरवरी, प्रातः 0341 बजे तक

4. चतुर्थ प्रहर पूजाः 27 फरवरी, प्रातः 0341 बजे से प्रातः 0648 बजे तक

महाशिवरात्रि पर विशेष अभिषेक

भगवान शिव की कृपा पाने के लिए शिवलिंग का अभिषेक करना शुभ माना जाता है।

शहद से अभिषेक : कार्यक्षेत्र में रही परेशानियां दूर होती हैं।

दही से अभिषेक : आर्थिक संकट समाप्त होता है।

गन्ने के रस से अभिषेक : माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।

पार्वतीपतये नमः मंत्र का 108 बार जाप करने से जीवन में आने वाली बाधाएं समाप्त होती हैं।

शिवलिंग पर भूल से भी ना चढ़ाएं ये 5 चीजें

वैसे तो महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ के भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग पर कई चीजें अर्पित करते हैं, लेकिन 5 चीजें  चढ़ाने से बचना चाहिए.

तुलसी

महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर गलती से भी तुलसी का पत्ता नहीं चढ़ाना चाहिए. मान्यता है कि तुलसी के पति जालंधर का वध शिवजी ने ही किया था और मां तुलसी माता लक्ष्मी का ही रूप हैं. इसलिए शिवलिंग पर तुलसी अर्पित करने से बचना चाहिए.

नारियल

महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर नारियल या नारियल का पानी नहीं चढ़ाना चाहिए. नारियल को मां लक्ष्मी का रूप माना गया है. ऐसे में नारियल शिवलिंग पर नहीं चढ़ाना चाहिए.

खंडित अक्षत

वैसे तो भगवान शिव की पूजा में अक्षत का विशेष महत्व है लेकिन महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर टूटे हुए चालव यानी अक्षत नहीं चढ़ाने चाहिए. मान्यता है कि खंडित अक्षत किसी भी देवी-देवता को नहीं चढ़ाना चाहिए.

कुमकुम

भगवान शिव को कुमकुम और रोली नहीं अर्पित करना चाहिए. कहते है पृथ्वी पर शिवजी योग मुद्रा में रहते हैं और कुमकुम या रोली श्रृंगार के काम आते हैं. इससलिए शिवलिंग पर कभी भी कुमकुम नहीं चढ़ाना चाहिए.

हल्दी

शुभ या मांगलिक कार्यों में हल्दी का इस्तेमाल करना शुभ माना गया है. ऐसा इसलिए क्योंकि यह पवित्रता का प्रतीक माना गया है. लेकिन महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर हल्दी चढ़ाने से बचना चाहिए.

व्रत में क्या खाएं

1. कुट्टू डोसा

ये एक प्रकार का अनाज अरबी और मसालेदार आलू की फिलिंग से बना फास्टिंग फ्रेंडली डोसा है. हल्का, कुरकुरा और व्रत के खाने के लिए एकदम सही है.

2. साबूदाना खिचड़ी

व्रत का मेन व्यंजन जो हल्का होने के साथ-साथ पेट भरने वाला भी है. साबूदाना, हरी मिर्च और हल्के मसालों से बना यह एक बेहतरीन एनर्जी बूस्टर है.

3. शकरकंदी चाट

यह मीठी और मसालेदार शकरकंद की चाट एक झटपट और आसान फास्टिंग स्नैक्स है. सेंधा नमक, नींबू का रस और हल्के मसालों के साथ यह स्वाद से भरपूर है.

4. आलू रसेदार

उबले हुए आलू, जीरा, टमाटर और हल्के मसालों से बनी एक आरामदायक स्वादिष्ट करी. कुरकुरी कुट्टू की पूरी के साथ इसे परोसना सबसे अच्छा है.

5. मखाना खीर

मखाना, दूध और ड्राई फ्रूट्स से बनी एक मलाईदार, हल्की मीठी मिठाई. यह डिश भोग और व्रत खोलने दोनों के लिए एकदम सही है.

उपाय

शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन ज्योतिषीय उपाय करने से आपकी सभी परेशानियां समाप्त हो सकती हैं. महाशिवरात्रि के दिन महादेव और पार्वती की पूजा शुभ मुहूर्त में ही करनी चाहिए, तभी इसका फल मिलता है. शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से व्यापार में उन्नति होती है और सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ती है. भांग चढ़ाने से घर में अशांति, भूत बाधा और चिंताएं दूर होती हैं. मंदार पुष्प से नेत्र और हृदय रोग दूर रहते हैं. शिवलिंग पर धतूरे के पुष्प और फल चढ़ाने से औषधियों और विषैले जीवों का खतरा समाप्त होता है. शमीपत्र चढ़ाने से शनि की साढ़ेसाती, मारकेश और अशुभ ग्रह गोचर से हानि नहीं होती. इसलिए श्री महाशिवरात्रि के प्रत्येक क्षण का सदुपयोग करें और शिव कृपा से तीनों प्रकार के कष्टों से मुक्ति पाएं.

ऐसे करें भगवान शिव की पूजा

महाशिवरात्रि पूजा विधिः शिवपुराण के अनुसार, भक्त को सुबह उठकर स्नान करके संध्या के नित्य कर्म से निवृत्त होकर माथे पर भस्म का तिलक लगाना चाहिए और गले में रुद्राक्ष की माला पहननी चाहिए, शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए और शिव को नमस्कार करना चाहिए. इसके बाद इस प्रकार भक्ति भाव से व्रत का संकल्प लेना चाहिए.इस दिन रात्रि के चारों प्रहर में भी पूजा की जाती है. लेकिन निशिता मुहूर्त में पूजा करना सबसे शुभ होता है. पूजा के लिए साफ कपड़े पहन लें और शिव-पार्वती का ध्यान करें. आसन लेकर बैठ जाएं. एक साफ स्थान पर चौकी रखें और सफेद का कपड़ा बिछाएं. चौकी के ऊपर शिव पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें. आप मंदिर जाकर भी शिवलिंग की पूजा कर सकते हैं.सबसे पहले शिवलिंग का गंगाजल, कच्चे दूध, गन्ने के रस, दही आदि से अभिषेक करें. फिर घी का दीपक जलाकर विधि-विधान से शिवजी और मां पार्वती का पूजन करें.शिवजी को चंदन का टीका लगाएं और उन्हें बेलपत्र, भांग, धतूरा, फूल, मिष्ठान आदि सभी सामग्रियां अर्पित करें. माता पार्वती को भी सिंदूर लगाएं और उनका पूजन करें. साथ ही पार्वती जी को सुहाग का सामान भी अर्पित करें. अब भगवान को भोग लगाएं और फिर शिवजी की आरती करें. इस दिन शिवजी के प्रिय मंत्रों का जाप भी जरूर करें.

पारण समय

महाशिवरात्रि पारण समय - 27 फरवरी, सुबह 06 बजकर 48 मिनट से सुबह 08 बजकर 54 मिनट तक

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