Monday, 17 February 2025

काशी और तमिलनाडु का सांस्कृतिक व आध्यात्मिक संबंध हजारों वर्षों पुराना है : शेखावत

काशी और तमिलनाडु का सांस्कृतिक आध्यात्मिक

संबंध हजारों वर्षों पुराना है : शेखावत 

काशी तमिल संगमम भारतीय समाज की अखंडता और एकता की भावना को भी मजबूत करता है

सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने लोगों का मन मोहा

अतिथियों का भव्य स्वागत, विश्वनाथ धाम में दर्शन कर ग्रहण किया प्रसाद

सुरेश गांधी

वाराणसी। काशी तमिल संगमम् 3.0 के तीसरे दल का काशी विश्वनाथ धाम से लेकर नमो घाट तक भव्य स्वागत किया गया। इस मौके पर नमो घाट पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत शामिल हुए। उनके साथ जिलाधिकारी एस राजलिंगम भी मौजूद रहे। 


इस
दौरान मंत्री ने तमिलनाडु से आए छात्रों के समूह से बातचीत की और उनके साथ सेल्फी भी खिंचवाई। मंत्री ने महर्षि आगस्त्य की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर आशीर्वाद भी लिया।

उन्होंने केंद्रीय शास्त्रीय तमिल संस्थान द्वारा लगाए गए बुक स्टाल पर किताबें देखी और कुछ महत्वपूर्ण पुस्तकें भी खरीदी। इसके अलावा उन्होंने विभिन्न संगीत यंत्रों पर प्रस्तुति कर रहे कलाकारों की प्रशंसा की। कलाकारों द्वारा भारतनाट्यम संगीत की प्रस्तुति दी गई। 

अंत में उन्होंने अतिथियों को संबोधित करते हुए कहा, काशी-तमिल संगम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कीएक भारत श्रेष्ठ भारतकी परिकल्पना को साकार करने वाला ऐतिहासिक सांस्कृतिक आयोजन है। काशी और तमिलनाडु के बीच का सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंध हजारों वर्षों पुराना है। यह संबंध भारतीय सभ्यता की एकता और विविधता का प्रतीक है। गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि इस आयोजन के माध्यम से देशवासियों को तमिलनाडु की लोककलाओं, परंपराओं और भाषा-साहित्य की संपन्नता से परिचित होने का अवसर मिल रहा है। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम केवल सांस्कृतिक आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करता है, बल्कि भारतीय समाज की अखंडता और एकता की भावना को भी मजबूत करता है।

काशी की संस्कृति से रुबरु हुए डेलीगेट्स

इसके पहले तमिलनाडु से आए डेलिगेट्स ने हनुमान घाट पर गंगा स्नान किया। वहां मौजूद आचार्यों ने छात्रों को विस्तार से गंगा के विभिन्न घाटों के इतिहास के बारे में बताया। पं. वेंकट रमण घनपाठी ने कहा - काशी और तमिलनाडु का गहरा रिश्ता है। ये समागम महज एक पखवाड़े का नहीं सदियों पुराना है। पं. वेंकट रमण घनपाठी ने बताया कि काशी के हनुमान घाट, केदारघाट, हरिश्चंद्र घाट पर मिनी तमिलनाडु बसता है। जहां एक दो नहीं, बल्कि दक्षिण भारत के अलग-अलग राज्यों के हजारों परिवार बसते हैं, जो इन दोनों राज्यों के मधुर रिश्ते को दर्शाते हैं।

चित्र प्रदर्शनी मेंएकता ही समाज का बल हैका संदेश

नमो घाट पर आयोजित काशी तमिल संगमम् 3.0 में ऋषि अगस्त्य एवं विकसित भारत विषय पर केंद्रीय संचार ब्यूरो, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार  द्वारा लगायी गयी चित्र प्रदर्शनी पंडाल में दर्शकों के मध्य सोमवार को प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।। सही जबाब देने वाले विजेताओं को सीबीसी, लखनऊ के निदेशक मनोज कुमार वर्मा ने पुरस्कार प्रदान किया। प्रदर्शनी मेंऐक्यं बलं समाजस्यजिसका अर्थ है एकता ही समाज का बल है सहित  एक राष्ट्र एक कर’ ’एक देश एक पावर ग्रिड’, एक देश एक राशन कार्डजैसी भारत सरकार की पहलें को प्रमुखता से प्रदर्शित किया गया है। केंद्र सरकार इन सारी पहलों से देश की एकता को  बल मिल रहा है।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था, कृषि और पारंपरिक शिल्पकला बने मुख्य आकर्षण

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में सोमवार को आयोजित बौद्धिक सत्र में कृषि और पारंपरिक हस्तकला में पारस्परिक ज्ञान साझा कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को और मज़बूत बनाने पर विचार मंथन हुआ। तमिलनाडु के किसानों और हस्तकला कारीगरों समेत 210 से अधिक सदस्यों के प्रतिनिधि मंडल ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय का दौरा किया तथा वैचारिक सत्र में भाग लिया। इस दौरान एकीकृत कृषि पद्धतियों और नवीनतम कृषि प्रणालियों के बारे में जानकारी दी गई। विशेष रूप से मत्स्य पालन, कुक्कुट पालन और पोषण आधारित फसल प्रणालियों पर चर्चा की गई। प्रतिनिधिमंडल ने कृषि फार्म के दौरे के दौरान आधुनिक कृषि तकनीकों, डेयरी उत्पादन और पोषण आधारित कृषि पद्धतियों के बारे में जाना। इसके साथ ही वर्मीकम्पोस्टिंग और जलवायु परिवर्तन से निपटने की रणनीतियों पर भी जानकारी प्राप्त की।

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