बिजली चलित चाक मशीन पाकर खुश हुए हुनरमंद
जिला पंचायत अध्यक्ष द्वारा
बांटे गए 32 विद्युत चालित चाक व 10 मोटराइज्ड दोना पत्तल मशीन सुरेश गांधी
मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल
पर्यावरणीय दृष्टि से काफी बेहतर : यूपी सिंह
सुरेश गांधी
वाराणसी। उत्तर प्रदेश माटीकला बोर्ड, उप्र खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा शनिवार को जिला उद्योग केंद्र सभागार में आयोजित एक दिवसीय माटीकला सेमिनार में 32 विद्युत चालित चाक व 10 अदद मोटराइज्ड दोना पत्तल मशीन वितरण किया गया।
ग्राम प्रधानों द्वारा अपने विकास खण्ड
में विभाग द्वारा संचालित योजनाओं में अधिक से
अधिक इकाईयों की स्थापना कराए
जाने पर जनपद के
प्रत्येक विकास खण्डों से दो-दो
ग्राम प्रधानों को सम्मान स्वरूप
2000.00 (रूपये दो हजार मात्र)
विभागीय खादी अंगवस्त्र तथा
प्रमाण पत्र से मुख्य
अतिथि पूनम मौर्या, अध्यक्ष
जिला पंचायत वाराणसी द्वारा किया गया। उक्त
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि
एवं संयुक्त आयुक्त उद्योग वाराणसी मण्डल उमेश कुमार सिंह
तथा अजीत प्रजापति पूर्व
सदस्य माटीकला बोर्ड उप्र, विनोद कुमार सिंह जिला ग्रामोद्योग
अधिकारी जौनपुर, गिरजा प्रसाद जिला ग्रामोद्योग अधिकारी
चन्दौली के साथ ही
उप्र खादी तथा ग्रामोद्योग
बोर्ड वाराणसी मण्डल वाराणसी के समस्त अधिकारी
कर्मचारी उपस्थित रहें।
माटीकला सेमिनार का मुख्य उद्देश्य
मिट्टी का कार्य करने
वाले करीगरों एवं शिल्पियों के
व्यवसाय में वृद्धि करने,
कलाकारों की परम्परागत कला
को संरक्षित उनकी समाजिक सुरक्षा,
आर्थिक सुदृढ़ता एवं तकनीकी विकास
को बढ़ावा देने हेतु किया
गया। परिक्षेत्रीय ग्रामोद्योग अधिकारी वाराणसी मण्डल यूपी सिंह ने
किया। यूपी सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री
के आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत स्थानीय स्तर पर यह कार्य किया गया है। आत्मनिर्भर
बनाने के लिए कुम्हारी कला से जुड़े लोगों को निश्शुल्क बिजली चालित कुम्हारी चाक दिया
जा रहा है। इससे कम समय में अधिक मिट्टी के बर्तन तैयार होंगे। इसके अलावा मिट्टी के
बर्तनों का इस्तेमाल पर्यावरणीय दृष्टि से काफी बेहतर रहेगा। उन्होंने कहा कि स्थानीय
स्तर पर मिट्टी के बर्तनों की मांग पिछले कुछ समय से बढ़ी है। इसको ध्यान में रखते हुए
इस योजना पर काम किया गया है। मांग बढ़ने पर रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे। उन्होंने
कहा कि दोना पत्तल की मांग स्थानीय स्तर पर काफी है। इसके दृष्टिगत दोना-पत्तल की मशीन
से स्थानीय स्तर पर उत्पादन करके आत्मनिर्भर बनाने का काम जिला प्रशासन द्वारा किया
जा रहा है।
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