Tuesday, 22 April 2025

लक्ष्मी नारायण व चतुग्रही योग में अक्षय तृतीया, बनेंगे हर बिगड़े काम

लक्ष्मी नारायण चतुग्रही योग में अक्षय तृतीया, बनेंगे हर बिगड़े काम

इस बार 30 अप्रैल बुधवार को अक्षय तृतीया मनाया जाएगा। खास यह है कि हर वर्ष वैशाख शुक्ल की तृतीया तिथि को मनाया जाने वाले अक्षय तृतीया के दिन रोहिणी और मृगशिरा नक्षत्र का संयोग है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ शोभन और रवि योग का संयोग बन रहा है। अक्षय तृतीया पर सर्वार्थ सिद्धि योग पूरे दिन रहेगा। इसके साथ ही लक्ष्मी नारायण राज योग का निर्माण हो रहा है। ऐसे में खरीदारी और मांगलिक कार्य का दोगुना लाभ मिलेगा. कहते है इस योग में धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करने और सोना खरीदने से सिर्फ कष्टों से छुटकारा मिलता है, बल्कि बिगड़े काम भी बनने लगते है। इस दिन किए गए कार्यों से अक्षय फलों की प्राप्ति है। इस दिन जो भी शुभ कार्य, पूजा पाठ या दान-पुण्य आदि किया जाता है, वो सब अक्षय हो जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा होती है। इससे घर में सुख-समृद्धि के साथ ही घर का भंडार सदैव धन-धान्य से भरा रहता है. पौराणिक मान्यतानुसार इस दिन परशुराम, नर-नारायण, हयग्रीव का अवतार हुआ था. इसी दिन से बद्रीनाथ के कपाट भी खुलते हैं। इसी दिन वृंदावन में भगवान बांके बिहारी के चरणों के दर्शन होते हैं. इस दिन अन्न दान करने से अकाल मृत्यु टल जाती है। देवताओं पूर्वजों की आराधना से दरिद्रता का नाश होता है। हालांकि, कुछ ऐसी भी चीजें हैं, जिन्हें इस दिन घर से बाहर निकाल फेंकना चाहिए. नहीं तो मां रुष्ट हो जाती हैं  

सुरेश गांधी

सनातन में अक्षय तृतीया बेहद खास पर्व है. इसे अक्खा तीज भी कहा जाता है. वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया के नाम से जाना जाता है. इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की उपासना करने से जीवन में तरक्की होती है. इस दिन सोना-चांदी खरीदना काफी शुभ माना जाता है. कहते है इस दिन किए गए शुभ एवं धार्मिक कार्यों के अक्षय फल मिलते हैं. इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों ही अपनी उच्च राशि वृषभ में होते हैं, इसलिए दोनों की सम्मिलित कृपा का फल अक्षय हो जाता है. अक्षय यानी जिसका क्षय ना हो. या यं कहे इस तिथि को किए हुए कार्यों के परिणाम का क्षय नहीं होता है. अक्षय तृतीया के दिन 30 अप्रैल को दोपहर 12 बजकर 2 मिनट तक शोभन योग रहेगा। इसके साथ ही इस दिन रवि और सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन मीन राशि में शनि, बुध, शुक्र और राहु विराजमान रहेंगे, जिससे चतुर्ग्रही योग के साथ मालव्य, लक्ष्मी नारायण योग का निर्माण हो रहा है। इसके साथ ही चंद्रमा वृषभ राशि में गुरु के साथ विराजमान है, जिससे गजकेसरी राजयोग का भी निर्माण हो रहा है। 

दैनिक पंचांग के अनुसार अक्षय तृतीया की शुरूआत 29 अप्रैल की शाम 5 31 बजे होगा। इसकी समाप्ति 30 अप्रैल को दोपहर 212 बजे होगा। पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 11 मिनट से दोपहर 12 बजकर 36 मिनट तक रहेगा। इस मुहूर्त पर पूजा करना उत्तम और फलदायी माना जा रहा है। इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा एवं उपासना के साथ ही स्वर्ण (सोना) और सोने से निर्मित आभूषणों की खरीदारी की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सोने-चांदी की चीजों की खरीदारी से व्यक्ति के जीवन में खुशियां और धन संपदा हमेशा बनी रहती है. ग्रंथों के मुताबिक इसी दिन सतयुग और त्रेतायुग की शुरुआत हुई थी. इसलिए इसे कृतयुगादि तृतीया भी कहते हैं। इस दिन बिना मुहूर्त निकाले शुभ कार्य, विवाह करना, सोना-चांदी खरीदना, नए कार्य करने से जैसे काम किए जा सकते हैं. इस दिन किए गए व्रत-उपवास और दान-पुण्य से अक्षय पुण्य मिलता है. अक्षय पुण्य यानी ऐसा पुण्य जिसका कभी क्षय (नष्ट) नहीं होता है. ज्योतिष में सर्वार्थ सिद्धि योग का सीधा संबंध मां लक्ष्मी से बताया गया है. इस शुभ योग में पूजा करने से मां लक्ष्मी आपकी हर इच्छा पूरी करती हैं. साथ ही इस योग में स्वर्ण आभूषण की खरीद करने से उसमें अक्षय वृद्धि होती है. इस दिन किया गया जप, तप, ज्ञान, स्नान, दान, होम आदि अक्षय रहते हैं. इस तिथि को अबूझ मुहूर्त माना गया है, यानी इस तिथि पर किसी भी शुभ कार्य और मांगलिक कार्य को करने के लिए मुहूर्त का विचार नहीं करना पड़ता है।

अक्षय तृतीया तिथि की अधिष्ठात्री देवी पार्वती हैं। इस पर्व पर स्नान, दान, जप, यज्ञ, स्वाध्याय और तर्पण आदि जो भी कर्म किए जाते हैं वे सब अक्षय हो जाते हैं। यह तिथि सम्पूर्ण पापों का नाश करने वाली और सभी सुखों को प्रदान करने वाली मानी गई है। शुभ कार्यों को संपन्न करने के लिए अक्षय तृतीया की तिथि बहुत ही खास मानी गई है। इस दिन नई योजना को शुरू करने, नए व्यवसाय, नौकरी, नए घर में प्रवेश करने और शुभ खरीदारी के लिए बहुत ही शुभ माना गया है। शास्त्रों में अक्षय तृतीया तिथि को स्वयं सिद्ध अबूझ मुहूर्त माना गया है। यानी इस तिथि पर बिना मुहूर्त का विचार किए सभी प्रकार के शुभ कार्य संपन्न किया जा सकता है। इस दिन कोई भी शुभ मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, सोने-चांदी के आभूषण. घर, भूखंड या वाहन आदि की खरीदारी से सम्बंधित कार्य किए जा सकते हैं।

मान्यता है कि इस अबूझ मुहूर्त की तिथि पर व्यापार आरम्भ, गृह प्रवेश, वैवाहिक कार्य, सकाम अनुष्ठान, दान-पुण्य,पूजा-पाठ अक्षय रहता है अर्थात वह कभी नष्ट नहीं होता। अक्षय तृतीया तिथिईश्वर तिथिहै। इसी दिन नर-नारायण, परशुराम और हयग्रीव का अवतार हुआ था। इसलिए इनकी जयंती भी इसी दिन मनाई जाती है। यह समय अपनी योग्यता को निखारने और अपनी क्षमता को बढ़ाने के लिए उत्तम है। यह मुहूर्त अपने कर्मों को सही दिशा में प्रोत्साहित करने के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। शायद यही मुख्य कारण है कि इस काल कोदानइत्यादि के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। परशुरामजी की गिनती चिंरजीवी महात्माओं में की जाती है। अतः यह तिथिचिरंजीवी तिथिभी कहलाती है। मान्यता है कि यदि इस काल में हम यदि घर में स्वर्ण लाएंगे तो अक्षय रूप से स्वर्ण आता रहेगा। तिथि का उन लोगों के लिए विशेष महत्व होता है। जिनके विवाह के लिए गृह-नक्षत्र मेल नहीं खाते। लेकिन इस दिन गृह नक्षत्रों का दोष नहीं होता।

इस तिथि पर गृह नक्षत्रों के मिलान का अर्थ नहीं होता। कहा जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन ही राजा भागीरथी ने अपने तपोबल के प्रभाव से मां गंगा को पृथ्वी पर लाए थे. अक्षय तृतीया के दिन गंगा में स्नान और दान करने का काफी महत्व होता है. ऐसी मान्यताएं हैं कि गंगा में स्नान करने से पिछले सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं और पापों से मुक्ति मिलती है. इस दिन सूर्य और चन्द्रमा दोनों उच्च राशि में स्थित होते हैं. साल में सिर्फ एक दिन ये संयोग बनता है। सूर्य, मेष में होता है और चंद्रमा वृषभ में होता है। शास्त्रों में सूर्य को हमारा प्राण और चंद्रमा को हमारा मन माना गया है। सूर्य और चंद्रमा का संबंध बनने की वजह से ये तिथि बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है। इसलिए इस दिन जो भी काम किया जाए उसका फल दोगुना और कभी खत्म होने वाला होगा। इसलिए इस दिन सोना खरीदना या नई चीजों में निवेशकरना शुभ माना जाता है. अक्षय तृतीया के दिन टूटी झाड़ू, फटे-पुराने जूते चप्पल, देवी-देवताओं की खंडित मूर्तियों को बाहर कर देना चाहिए. इस दिन शुभ कार्यों या दान-पुण्य के अलावा इस दिन पितरों के निमित्त तर्पण और पिंडदान करने का भी महत्व है। इस दिन पितरों के लिए घट दान, यानी जल से भरे हुए मिट्टी के बर्तन का दान जरूर करना चाहिए। गर्मी के इस मौसम में जल से भरे घट दान से पितरों को शीतलता मिलती है और आपके ऊपर उनका आशीर्वाद बना रहता है।

सोना खरीदना हजार अश्वमेघ यज्ञ के बराबर फल

कहते हैं ग्रीष्म ऋतु का आगमन, खेतों में फसलों का पकना और उस खुशी को मनाते खेतीहर ग्रामीण लोग विभिन्न व्रत, पर्वों के साथ इस तिथि का पदार्पण होता है। धर्म की रक्षा हेतु भगवान श्री विष्णु के तीन शुभ रुपों का अवतरण भी इसी अक्षय तृतीया के दिन ही हुआ हैं। माना जाता है कि जिनके अटके हुए काम नहीं बन पाते हैं। व्यापार में लगातार घाटा हो रहा है या किसी कार्य के लिए कोई शुभ मुहुर्त नहीं मिल पा रहा है तो उनके लिए कोई भी नई शुरुआत करने के लिए अक्षय तृतीया का दिन बेहद शुभ माना जाता है। अक्षय तृतीया में सोना खरीदना हजार अश्वमेघ यज्ञ के बराबर फल प्रदान करता है। 

अक्षय तृतीया पर लक्ष्मी कुबेर की पूजा करते हैं। इस पूजा में देवी लक्ष्मी की मूर्ति की पूजा सुदर्शन चक्र और कुबेर यंत्र के साथ में रखते है। चारों युगों सत्ययुग, त्रेतायुग, द्वापर युग और कलियुग में से त्रेतायुग का आरंभ इसी आखातीज से हुआ है जिससे इस तिथि को युग के आरंभ की तिथियुर्गाद तिथिभी कहते हैं। मान्यता है कि यदि इस काल में हम यदि घर में स्वर्ण लाएंगे तो अक्षय रूप से स्वर्ण आता रहेगा। तिथि का उन लोगों के लिए विशेष महत्व होता है, जिनके विवाह के लिए गृह-नक्षत्र मेल नहीं खाते। लेकिन इस दिन गृह नक्षत्रों का दोष नहीं होता। इस तिथि पर गृह नक्षत्रों के मिलान का अर्थ नहीं होता। अक्षय तृतीया के विषय में मान्यता है कि इस दिन जो भी काम किया जाता है उसमें बरकत होती है। यानी इस दिन जो भी अच्छा काम करेंगे उसका फल कभी समाप्त नहीं होगा अगर कोई बुरा काम करेंगे तो उस काम का परिणाम भी कई जन्मों तक पीछा नहीं छोड़ेगा। अक्षय तृतीया के विषय में कहा गया है कि इस दिन किया गया दान खर्च नहीं होता है, यानी आप जितना दान करते हैं उससे कई गुणा आपके अलौकिक कोष में जमा हो जाता है। मृत्यु के बाद जब अन्य लोक में जाना पड़ता है तब उस धन से दिया गया दान विभिन्न रूपों में प्राप्त होता है। पुनर्जन्म लेकर जब धरती पर आते हैं तब भी उस कोष में जमा धन के कारण धरती पर भौतिक सुख एवं वैभव प्राप्त होता है।

अवगुणों को प्रभु चरणों में समर्पित करें 

अक्षय तृतीयाका पर्व भगवान परशुराम के जन्म से भी जुड़ा हुआ है। भगवान विष्णु के छठे अवतार माने जाने वाले परशुराम इस पृथ्वी लोक में ब्राम्हणों के आदिदेव माने जाते है। भगवान परशुराम थे तो ब्राम्हण, किंतु उनका पराक्रम क्षत्रियों जैसा था। परशुराम रामायण काल के मुनि थे। उनके पिता जमदग्नि ने पुत्रेष्ठि यज्ञ संपन्न कर उन्हें वरदान के रूप में पाया था। जनदग्नि जी की पत्नि रेणुका के गर्भ से परशुराम जी नेअक्षय तृतीयाके दिन जन्म लिया। उन्हें भगवान विष्णु का आवेशावतार अर्थात गुस्सैल स्वभाव वाला अवतार माना जाता है। भगवान परशुराम शस्त्र विद्या के महान गुरू थे। उन्होंने भीष्म, द्रोणाचार्य और कर्ण को शस्त्र विद्या सिखायी थी। हिंदू धर्म गं्रथों में ऐसा माना जाता है कि भगवान परशुराम के शेष कार्यों में अभी उनका एक अवतार होना बाकि है, जो कलयुग की समाप्ति पर कल्कि अवतार के रूप में भगवान विष्णु के दसवें अवतार को शस्त्र विद्या प्रदान करेंगे। भगवान परशुराम महान मातृ-पितृ भक्त थे। श्रीमद्भागवत में उल्लेख मिलता है कि एक बार गंधर्व राज चित्ररथ को अप्सराओं के साथ विहार करता देख उनकी माता रेणुका उन पर आसक्त हो गई और हवन काल का समय बीत जाने पर जनदग्नि अपनी पत्नि अथवा रेणुका के मर्यादा विरोधी आचरण के कारण अपने पुत्रों को माता का वध करने की आज्ञा दे डाली। परशुराम जी के अन्य भाईयों ने ऐसा करने का साहस नहीं दिखाया और पिता के आज्ञा की अवहेलना की। परशुराम जी ने पिता की आज्ञा का पालन करते हुये अपनी मां का सिर धड़ से अलग कर दिया और पिता के चरणों में लाकर रख दिया। इस पर जनदग्नि जी ने परशुराम जी से इच्छित वरदान मांगने कहा। यहां पर परशुराम जी का मातृ और पितृ प्रेम सबके सामने आया, उन्होंने पिता की आज्ञा माने जाने पर मां और भाईयों के वध के बाद अपने पिता से मांगे वर में सभी का जीवन तो मांगा ही साथ ही यह भी वर मांग लिया कि मां सहित सभी भाई वध की बातों को भी हमेशा के लिये भुल जाये।

आत्म-विश्लेषण का दिन है अक्षय तृतीया

यह दिन हमें स्वयं को टटोलने के लिए आत्मान्वेषण, आत्मविवेचन और अवलोकन की प्रेरणा देने वाला है। यह दिननिज मनु मुकुर सुधारिका दिन है। क्षय के कार्यो के स्थान पर अक्षय कार्य करने का दिन है। इस दिन हमें देखना-समझना होगा कि भौतिक रूप से दिखाई देने वाला यह स्थूल शरीर, संसार और संसार की समस्त वस्तुएं क्षय धर्मा है, अक्षय धर्मा नहीं है। असद्भावना, असद्विचार, अहंकार, स्वार्थ, काम, क्रोध तथा लोभ पैदा करती है जिन्हें भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में आसुरी वृत्ति कहा है जबकि अक्षय धर्मा सकारात्मक चिंतन-मनन हमें दैवी संपदा की ओर ले जाता है। इससे हमें त्याग, परोपकार, मैत्री, करूणा और प्रेम पाकर परम शांति पाते हैं अर्थात् व्यक्ति को दिव्य गुणों की प्राप्त होती है। इस दृष्टि से यह तिथि हमें जीवन मूल्यों का वरण करने का संदेश देती है।सत्यमेव जयतेकी ओर अग्रसर करती है।

एक आंख वाली नारियल पूजा

से प्रसंन होगी माता लक्ष्मी

प्रकृति में आमतौर पर तीन आंखों वाले नारियल मिलते हैं। लेकिन हजारों में कभी-कभी ऐसा नारियल भी मिल जाता है जिसकी एक आंख होती है। ऐसे नारियल को लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है। अक्षय तृतीय के दिन इसे घर में पूजा स्थान में स्थापति करने से देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन पारद की देवी लक्ष्मी घर लाएं और नियमित इनकी पूजा करें। शास्त्रों में बताया गया है कि पारद की देवी लक्ष्मी की प्रतमि जहां होती है वहां कभी अभाव नहीं रहता है। पारद या स्फटिक का बना कछुआ अपने घर लाएं। इस दिन घर में श्री यंत्र की स्थापना भी धन की परेशानी दूर करने के लिए कारगर माना गया है। लक्ष्मी के हाथ में स्थित दक्षिणवर्ती शंख भी धन दायक माना गया है। आप इसे अक्षय तृतीया पर घर ला सकते हैं। श्वेतार्क गणपति की स्थापना भी शुभ फलदायी होती है। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत लोग उसके सफल होने की उम्मीद के साथ ही करते हैं। ऐसे में एक ऐसा शुभ दिन रहा है, जब आप अपने हर शुभ कार्य की शुरुआत कर सकते हैं।

तृप्त होती है आत्माएं 

अक्षय तृतीया पर तिल सहित कुशों के जल से पितरों को जलदान करने से उनकी अनंत काल तक तृप्ति होती है। इस तिथि से ही गौरी व्रत की शुरुआत होती है। जिसे करने से अखंड सौभाग्य और समृद्धि मिलती है। अक्षय तृतीया पर गंगास्नान का भी बड़ा महत्व है। इस दिन गंगा स्नान करने या घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर नहाने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं।

तीर्थ स्नान और अन्न-जल का दान

इस शुभ पर्व पर तीर्थ में स्नान करने की परंपरा है. ग्रंथों में कहा गया है कि अक्षय तृतीया पर किया गया तीर्थ स्नान जाने-अनजाने में हुए हर पाप को खत्म कर देता है. इससे हर तरह के दोष खत्म हो जाते हैं. इसे दिव्य स्नान भी कहा गया है. तीर्थ स्नान कर सकें तो घर पर ही पानी में गंगाजल की कुछ बूंदे डालकर नहा सकते हैं. ऐसा करने से भी तीर्थ स्नान का पुण्य मिलता है. इसके बाद अन्न और जलदान का संकल्प लेकर जरुरतमंद को दान दें. ऐसा करने से कई यज्ञ और कठिन तपस्या करने जितना पुण्य फल मिलता है.

दान से मिलता है अक्षय पुण्य

अक्षय तृतीया पर घड़ी, कलश, पंखा, छाता, चावल, दाल, घी, चीनी, फल, वस्त्र, सत्तू, ककड़ी, खरबूजा और दक्षिणा सहित धर्मस्थान या ब्राह्मणों को दान करने से अक्षय पुण्य फल मिलता है. अबूझ मुहूर्त होने के कारण नया घर बनाने की शुरुआत, गृह प्रवेश, देव प्रतिष्ठा जैसे शुभ कामों के लिए भी ये दिन खास माना जाता है.

घर से निकाल फेंके ये चीजें, तभी घर में प्रवेश करेंगी मां लक्ष्मी

अगर आप भी चाहते हैं कि आपके घर-परिवार मां धन की देवी लक्ष्मी जी की कृपा बनी रहे तो अक्षय तृतीया से पहले अपने घर से ये चीजें बाहर निकाल दें। वरना आपके घर से मां लक्ष्मी उल्टे पांव वापस लौट जाएंगी. झाड़ू को मां लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। ऐसे में अगर आपके घर में टूटी झाड़ू है तो उसे सम्मान के साथ बाहर निकाल दें। कहते हैं कि टूटी झाड़ू घर में रखने से धन की कमी होने लगती है। टूटी झाड़ू घर में रखने से मां लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं। अगर आपके घर में फटे कपड़े रखे हुए हैं तो उसे अक्षय तृतीया से पहले घर से बाहर फेंक दें। वहीं गंदे कपड़े रखे हैं तो उसे धोकर साफ कर लें। गंदे फटे कपड़े घर में दरिद्रता लाता है। अगर आप चाहते हैं कि आपके घर में मां लक्ष्मी का आगमन हो तो अक्षय तृतीया से पहले घर से टूटी-फूटी चीजें हटा दें। टूटी-बंद घड़ियां, टूटे-फूटे बर्तन और कोई भी ऐसी वस्तु जो खराब हो गई हो, उसे घर से निकाल देना चाहिए। वरना बंद घड़ी को ठीक करा लें। अगर घर में या मंदिर में देवी-देवताओं की खंडित मूर्ति है तो उसे भी अक्षय तृतीया से पहले हटा दें। इन मूर्तियों को किसी नदी या साफ तालाब में विसर्जित कर दें। घर में देवी-देवताओं की खंडित मूर्तियां कभी नहीं रखनी चाहिए।

इन 5 राशि वालों के लिए वरदान!

अक्षय तृतीया पर बनने वाले खास योग के 5 राशि वालों की किस्मत पलटने वाली है. साथ ही किन राशि वालों को मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होगी. इनमें वृषभ राशि, कर्क राशि, तुला राशि, मकर राशि कुंभ राशि वाले शामिल है। कुंभ राशि के जातकों के लिए अक्षय तृतीया जीवन में ढेर सारी खुशियां लेकर आएगा. नए व्यापार की शुरुआत कर सकते हैं. रुका हुआ धन वापस मिलेगा. जॉब में प्रमोशन के अच्छे संकेत हैं. करियर में सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिलेगा. निवेश से धन लाभ हो सकता है.

करें ये उपाय

अक्षय तृतीया पर नमक खरीदने से घर में कभी भी धन दौलत की कोई कमी नहीं होती। माता लक्ष्मी हमेशा अपने जातक से खुश रहती हैं और उन पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखती हैं। इस दिन नमक खरीदने से घर में या इसके आसपास मौजूद सारी नकारात्मक ऊर्जाएं दूर हो जाती है। बस केवल आपको नमक खरीद कर घर के चारों ओर इस रख देना है। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा।अक्षय तृतीया पर नमक खरीदने से परिवार के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। लोग हमेशा हेल्दी रहते हैं। यह बीमारियों को दूर करने का उपाय भी माना गया है। इस दिन नमक दान करना चाहिए, जिससे जीवन में चल रही तमाम परेशानियां दूर होंगी। हिंदू धर्म में दान पुण्य को वैसे भी विशेष माना जाता है। यह हमेशा आपके लिए फलदाई ही होगा।

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