Tuesday, 22 July 2025

बिजली कर्मियों का प्रदर्शन, प्रबंध निदेशक व मुख्य अभियंता के खिलाफ फूटा गुस्सा

“10 मिनट की बिजली ट्रिपिंग बना कारण, कर्मचारियों पर कार्रवाई से उपजा बवाल

बिजली कर्मियों का प्रदर्शन, प्रबंध निदेशक

मुख्य अभियंता के खिलाफ फूटा गुस्सा 

बिजली कर्मियों ने दी बड़ा आंदोलन छेड़ने की चेतावनी, उत्पीड़न के खिलाफ उठी एकजुट आवाज

प्रबंध निदेशक की नीतियों के खिलाफ वाराणसी में आक्रोश, लखनऊ जैसा प्रदर्शन जल्द पूर्वांचल में दोहराने की चेतावनी

सुरेश गांधी

वाराणसी. पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक और वाराणसी के मुख्य अभियंता द्वारा 10 मिनट की बिजली ट्रिपिंग को लेकर की गई कार्रवाई के विरोध में सोमवार को बिजली कर्मियों ने प्रबंध निदेशक कार्यालय के सामने जोरदार प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन उत्तर प्रदेश विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले आयोजित हुआ। 

सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि 10 मिनट की ट्रिपिंग पर कर्मचारियों पर की गई दमनात्मक कार्रवाई पूरी तरह निंदनीय और अलोकतांत्रिक है। ऊर्जा मंत्री के खिलाफ हुए लखनऊ प्रदर्शन की ही तरह अब पूर्वांचल के बिजली कर्मी भी प्रबंध निदेशक के उत्पीड़न के खिलाफ बड़े आंदोलन की तैयारी में हैं।

संघर्ष समिति के नेताओं ने कहा कि वेतन रोकने, अनुचित स्थानांतरण, ट्रांसफार्मर जलने पर एफआईआर, और मात्र 5-10 मिनट की बिजली ट्रिपिंग को लेकर विभागीय दंड जैसी कार्रवाइयों से प्रदेशभर के विद्युत कर्मियों में भारी रोष व्याप्त है। 

यह विरोध सिर्फ वाराणसी तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसे पूरे प्रदेश में चरणबद्ध आंदोलन का रूप दिया जाएगा।

सभा की अध्यक्षता . राजेन्द्र सिंह ने की, संचालन सौरभ श्रीवास्तव ने किया। सभा को . मायाशंकर तिवारी, . एस.के. सिंह, . नीरज बिंद, रविन्द्र यादव, अंकुर पाण्डेय, राजेश सिंह, हेमंत श्रीवास्तव, प्रदीप कुमार, पंकज जैसवाल, सहित कई वरिष्ठों ने संबोधित किया।

डिमांड

वक्ताओं ने सरकार से यह भी मांग की किया कि दिसंबर 2022 एवं मार्च 2023 में हुए समझौतों का तत्काल पालन हो। 

उत्पीड़नात्मक कार्रवाई वापस ली जाए। संविदा कर्मियों की बहाली की जाए। स्थानांतरण रद्द किए जाएं। वेतन रोके जाने जैसी कार्यवाही बंद हो। बिजली कर्मियों के खिलाफ विजिलेंस जांच और दर्ज एफआईआर वापस ली जाएं। स्मार्ट मीटर के जरिए रियायती बिजली सुविधा समाप्त करने की योजना रोकी जाए। पूर्वांचल और दक्षिणांचल के निजीकरण का फैसला रद्द किया जाए। 

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