घाट गंगा में समाए, खेतों के बाद अब घरों में घुसा पानी, गलियों में शवदाह, मणिकर्णिका की छतों पर जलाई जा रहीं चिताएं
गंगा का उफान, वरुणा का पलट प्रवाह : बाढ़ की चपेट में काशी
कछार जलमग्न,
अब
पलायन
की
तैयारी,
नावें
थमीं,
प्रशासन
अलर्ट
5 सेंटीमीटर प्रतिघंटा की
रफ्तार
से
बढ़
रहा
जलस्तर
गंगा का
जलस्तर
69.74 मीटर
पर,
खतरे
के
निशान
से
अब
सिर्फ
66 सेमी
दूर
धार क्षेत्र
की
सब्जी
व
अन्य
फसलें
जलमग्न,
किसान
परेशान
यदि यही
रफ्तार
रही
तो
36 घंटे
में
चेतावनी
स्तर
पार
कर
सकती
है
गंगा
सुरेश गांधी
वाराणसी। काशी में गंगा
का रौद्र रूप जारी है।
गंगा का जलस्तर प्रति
घंटे 4 से 5 सेमी की
रफ्तार से बढ़ रहा
है और मंगलवार सुबह
यह 69.74 मीटर तक पहुंच
गया, जबकि खतरे का
निशान 70.40 मीटर पर है।
यदि यह रफ्तार बनी
रही, तो अगले 24 घंटों
में हालात और गंभीर हो
सकते हैं। अस्सी से
लेकर राजघाट तक स्थित घाट
एक-दूसरे से पूरी तरह
कट चुके हैं। सीढ़ियां
गंगा में डूब चुकी
हैं, जिससे घाटों का आपसी संपर्क
समाप्त हो गया है।
गंगा की यदि यही
रफ्तार रही तो 36 घंटे
में चेतावनी स्तर पार कर
सकती है.
हरिश्चंद्र घाट पर शवदाह
अब गलियों में हो रहा
है, जबकि मणिकर्णिका घाट
की छतों पर चिताएं
जल रही हैं। नीचे
की पूरी चबूतरी जलमग्न
हो चुकी है। शव
ले जाने वाले लोग
चप्पलों से कीचड़ व
गंगा के पानी में
पैर डुबोते हुए घाटों तक
पहुंचने की कोशिश कर
रहे हैं। लकड़ी की
आपूर्ति बाधित हो गई है,
जिससे परिजनों को काफी दिक्कतें
आ रही हैं। घाट
पुरोहितों का कहना है
कि बाढ़ के चलते
अंतिम संस्कार के लिए गलियों
और छतों पर चिता
सजानी पड़ रही है।
गंगा अब भीतर तक
घुस आई है। पिछले
दो वर्षों में यह पहला
मौका है जब गंगा
का पानी दशाश्वमेध घाट
स्थित जेल पुलिस चौकी
तक पहुंच गया है। ‘ए
बनारस मंच’ के पास
हो रही गंगा आरती
के दौरान श्रद्धालुओं की सुरक्षा के
लिए बैरिकेडिंग की गई है।
हर ओर पुलिस व
होमगार्ड तैनात हैं। एनडीआरएफ की
टीमें गंगा में मोटरबोट
से लगातार गश्त कर रही
हैं, वहीं पुलिस और
प्रशासन ने सुरक्षा के
पुख्ता इंतजाम किए हैं। एनडीआरएफ
का कहना है कि
घाटों से लेकर संभावित
डूब क्षेत्रों में चौकसी रखी
जा रही है। जरूरत
पड़ी तो नावों और
रिलीफ बोट्स की संख्या और
बढ़ाई जाएगी।
गंगा के दबाव
के कारण वरुणा नदी
में पलट प्रवाह शुरू
हो गया है, जिससे
वरुणा पार, आदमपुर, सरैया,
कोदई चौकी, नगवा, खजुरी, राजघाट और वरुणा संगम
के इलाके जलमग्न हो गए हैं।
घरों में पानी घुस
चुका है, लोग अब
जरूरी सामान समेट कर ऊंचे
स्थानों या राहत शिविरों
की ओर पलायन कर
रहे हैं। 800 से अधिक परिवारों
को खतरा है, जिनमें
से कई ने पहले
ही घर छोड़ दिए
हैं।
नावें किनारे बंधीं, आरती ऊपरी मंच से
गंगा की तेज़
धारा और जलस्तर बढ़ने
के कारण नाव संचालन
बंद कर दिया गया
है। दशाश्वमेध घाट की आरती
अब ऊपरी मंच से
हो रही है, जबकि
घाट किनारे नावें जंजीरों से बांध दी
गई हैं।
प्रशासन सतर्क
जलस्तर स्थिति (15 जुलाई)
समय जलस्तर
(मी) स्थिति
सुबह
8 बजे 69.74 मीटर खतरे
के निशान से 66 सेमी नीचे
खतरे
का निशान 70.40 मीटर
चेतावनी
स्तर 69.50 मीटर पार
हो चुका है
मौसम विभाग की चेतावनी
बनारस के साथ-साथ
गंगा की ऊपरी सहायक
नदियों गंगोत्री, भागीरथी व यमुना के
जलग्रहण क्षेत्रों में लगातार बारिश
जारी है। इससे गंगा
में अगले दो दिनों
में और बढ़ोतरी की
संभावना है।
कछार इलाकों में बनी टापू जैसी स्थिति, लोग छतों पर फंसे
कछार के राजघाट, आदमपुर, रामनगर, डाफी, कोदई चौकी, खजुरी और नगवा में पानी घरों के अंदर तक घुस चुका है। कई घरों में पहली मंजिल तक पानी चढ़ गया है, लोग छतों और ऊपरी मंजिलों में फंसे हुए हैं। प्रशासन द्वारा नौकाओं से लोगों को बाहर निकाला जा रहा है। तो दूसरी तरफ घाटों पर प्रतिदिन होने वाली विश्वविख्यात गंगा आरती अब निचली सीढ़ियों के जलमग्न हो जाने के कारण ऊपरी
मंच से की जा रही है। नाविकों की आजीविका ठप है और पर्यटक भी नावविहार से वंचित हैं।जनता से अपील : घाटों की ओर न जाएं, प्रशासन से सहयोग करें
जिला प्रशासन ने
काशीवासियों और तीर्थयात्रियों से
अपील की है कि
वे घाटों की ओर न
जाएं, अफवाहों पर ध्यान न
दें और आपात स्थिति
में कंट्रोल रूम से संपर्क
करें। जिलाधिकारी सत्येन्द्र कुमार ने कहा, हमने
संवेदनशील क्षेत्रों में नावें भेजी
हैं और सभी एसडीएम
को निर्देश दिए हैं कि
संभावित विस्थापन क्षेत्र में कैंप सक्रिय
रखें।
आपातकालीन नंबर
बाढ़
नियंत्रण कक्षः 📞
0542-2501234
कंट्रोल
रूमः 📞
011-23438252
सहायताः
📞 1077
धार क्षेत्र की खेती संकट में, किसान चिंतित
गंगा के तटीय
गांवों में अब फसल
संकट गहराने लगा है। रामचंद्रपुर
से लेकर मोकलपुर तक,
सोता के दोनों किनारों
पर सब्जी की खेती जलमग्न
होने लगी है। मोकलपुर,
गोबराहा और मुस्तफाबाद जैसे
गांवों में साग-सब्जी
की खेती पर बाढ़
का सीधा असर दिख
रहा है। कई किसानों
ने फसल को बचाने
के लिए रातों रात
मेड़ें बांधनी शुरू कर दी
हैं, लेकिन बाढ़ की रफ्तार
तेज है।
पुराना पुल क्षेत्र में हालात गंभीर, वरुणा का पानी घरों में घुसा
गंगा के साथ-साथ वरुणा नदी
का भी जलस्तर बढ़
रहा है। पुराना पुल
भट्टा क्षेत्र में सुबह 9 बजे
तक पानी लोगों के
घरों में घुसने लगा
था। वाराणसी नगर निगम और
जिला प्रशासन की टीमें अलर्ट
पर हैं। क्षेत्र में
नावों की व्यवस्था कराई
जा रही है ताकि
जरूरतमंदों को सुरक्षित स्थानों
तक पहुंचाया जा सके।
घाटों पर पंडों ने हटाई चौकियां, बनाए ऊपर तंबू
गंगा जलस्तर के
बढ़ने से घाटों पर
बैठने वाले पंडों ने
अपनी चौकियां हटाकर ऊंचे स्थानों पर
तंबू गाड़ लिए हैं।
श्रावण मास की भीड़
को देखते हुए पंडों ने
श्रद्धालुओं की पूजा-पाठ
व्यवस्था घाट की सीढ़ियों
के ऊपर शिफ्ट कर
दी है।
बाढ़ प्रभावित इलाकों की सूची
शहरी
क्षेत्रः अस्सी, शिवाला, दशाश्वमेध, भदैनी, ललिता घाट, मणिकर्णिका, तुलसी
घाट
ग्रामीण
क्षेत्रः रामचंद्रपुर, मोकलपुर, गोबराहा, मुस्तफाबाद, लहरतारा, नक्खीघाट, राजघाट
किसानों की आंखें नम
रामचंद्रपुर के किसान चंद्रभान
यादव कहते हैं, “करेला,
भिंडी, लौकी की फसल
अभी हफ्ते भर में ही
तैयार होती, लेकिन पानी खेत में
घुस गया है। अब
कुछ नहीं बचा।” मोकलपुर
निवासी किसान रामआसरे पटेल का कहना
है “पिछली बार भी बाढ़
आई थी लेकिन इस
बार तो इतनी जल्दी
पानी आ गया कि
मेड़ भी बांधने का
समय नहीं मिला।”
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