श्रीकाशी विश्वनाथ धाम बनेगा प्लास्टिक मुक्त तीर्थ क्षेत्र
प्रशासन ने श्रद्धालुओं से की अपील, पर्यावरण हित में उठाया बड़ा कदश्रद्धालुओं को
मिट्टी,
धातु
या
कागज
के
पर्यावरण
अनुकूल
विकल्प
लाने
की
सलाह
सुरेश गांधी
वाराणसी. श्री काशी विश्वनाथ धाम को अब प्लास्टिक मुक्त तीर्थ स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। धाम की पवित्रता, पर्यावरण की रक्षा और स्वच्छता को ध्यान में रखते हुए मंदिर प्रशासन ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, जिसके तहत श्रद्धालुओं से अनुरोध किया गया है कि वे धाम में किसी भी प्रकार की प्लास्टिक सामग्री लेकर न आएं।
प्रशासन ने जारी की गाइडलाइन
धाम के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्वभूषण मिश्र ने जानकारी देते हुए कहा : “श्री काशी विश्वनाथ धाम एक आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय धरोहर है। यहां प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु आते हैं और बड़ी मात्रा में प्लास्टिक का उपयोग होता है, जिससे न केवल परिसर गंदा होता है, बल्कि यह गंगा नदी के पर्यावरण को भी प्रभावित करता है। इसी को देखते हुए प्रशासन ने निर्णय लिया है कि अब परिसर में प्लास्टिक से बनी कोई भी सामग्री नहीं लाने दी जाएगी। 11 सितम्बर से यह व्यवस्था स्थायी और सख्ती से लागू किया जाएगा।”
उन्होंने यह भी बताया कि जागरूकता के लिए धाम परिसर और आस-पास के क्षेत्रों में सूचना पट, बैनर और स्वयंसेवकों की टीम तैनात की जा रही है। साथ ही दुकानदारों और स्थानीय व्यापारियों को भी इस आदेश का पालन करने का निर्देश दिया गया है।अब क्या करें श्रद्धालु?
श्रद्धालुओं से अनुरोध किया
गया है कि वे
पूजन सामग्री के लिए पीतल,
स्टील या मिट्टी के
पात्र, कागज या सूती
कपड़े की थैलियों का
उपयोग करें। साथ ही, फूल
और अन्य पूजन वस्तुएं
भी प्राकृतिक या जैविक तरीके
से समेटकर ही लाएं। मंदिर
प्रशासन की ओर से
जल्द ही स्थानीय विक्रेताओं
को भी वैकल्पिक सामग्री
की आपूर्ति हेतु निर्देशित किया
जाएगा।
श्रद्धालुओं ने किया फैसले का स्वागत
धार्मिक भावना के साथ आए
श्रद्धालुओं ने इस निर्णय
को सराहा है। प्रयागराज से
आए श्रद्धालु राकेश तिवारी कहते हैं : “यह
निर्णय बहुत स्वागत योग्य
है। प्लास्टिक से गंदगी फैलती
है और गंगा जी
भी प्रभावित होती हैं। मिट्टी
के बर्तन और थैले पहले
भी इस्तेमाल होते थे, अब
हमें उसी पर लौटने
की जरूरत है।” काशी की
स्थानीय महिला श्रद्धालु निर्मला देवी ने कहा
: “हम तो पहले से
ही अपने घर से
थाली, लोटा और पूजा
सामग्री साथ लाते हैं।
प्रशासन का यह कदम
सराहनीय है, इससे हमारी
आस्था और पवित्रता की
भावना और मजबूत होगी।”
स्वच्छता और संस्कृति का मिलन
यह निर्णय प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी द्वारा प्रेरित
“स्वच्छ भारत मिशन“ और
“सिंगल यूज़ प्लास्टिक मुक्त
भारत“ की दिशा में
स्थानीय प्रशासन की ठोस भागीदारी
को भी दर्शाता है।
काशी के आध्यात्मिक केंद्र
को स्वच्छ, सुगंधित और पर्यावरणीय दृष्टि
से सुरक्षित बनाने की दिशा में
यह पहल मील का
पत्थर साबित हो सकती है।
महत्वपूर्ण बिंदु एक नजर में
प्लास्टिक के लोटे, डलिया,
थैली, और अन्य प्लास्टिक
सामग्री अब धाम में
प्रतिबंधित।
धातु, मिट्टी या कागज के
विकल्प का करें प्रयोग।
मंदिर परिसर में जागरूकता हेतु
लगाए जाएंगे पोस्टर-बैनर।
विक्रेताओं को भी दी
जा रही है हिदायत।
श्रद्धालुओं ने निर्णय का
खुले मन से स्वागत
किया।
एक अपील
काशी के भक्तों
से यह अपेक्षा है
कि वे न केवल
श्रद्धा से बल्कि जागरूकता
से भी जुड़े। यह
तीर्थ केवल पूजा का
स्थान नहीं, बल्कि हमारी सनातन संस्कृति का दर्पण है।
इसे स्वच्छ, पर्यावरणीय दृष्टि से सुरक्षित और
गरिमामयी बनाए रखने की
ज़िम्मेदारी हम सभी की
है।
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