प्रौद्योगिकी और समानता के संगम पर भविष्य का निर्माण
शताब्दी वर्ष 2027 में हम ऐसा भारत देखना चाहते हैं, जहां पंक्ति में खड़ा अंतिम व्यक्ति भी कह सके, “यह देश मेरा है, मेरी आवाज़ यहां सुनी जाती है।” जहां किसी भी जाति, वर्ग, लिंग या क्षेत्र के आधार पर भेदभाव न हो। जहां किसान, मजदूर, वैज्ञानिक और उद्यमीकृसभी को बराबरी का सम्मान और अवसर मिले। गांधी का “गांव-गांव स्वराज” और अंबेडकर का “समानता का भारत”, दोनों सपने एक साथ पूरे हों। मतलब साफ है भारत को 2047 तक विकसित बनाने का मार्ग केवल आर्थिक आंकड़ों से नहीं, बल्कि तकनीकी उत्कृष्टता और सामाजिक न्याय के संगम से होकर गुजरता है। हमें यह समझना होगा कि असली विकास वही है जो हर नागरिक को अवसर, सम्मान और सुरक्षा प्रदान करे। यदि हम आज यह दिशा तय कर लें, तो 2047 का भारत न केवल आर्थिक महाशक्ति होगा, बल्कि मानव गरिमा और समानता का वैश्विक प्रतीक भी बनेगा। कहा जा सकता है वर्ष 2047 का भारत तभी साकार होगा जब तकनीकी प्रगति और सामाजिक समानता साथ-साथ बढ़ें। हमें यह याद रखना होगा कि असली विकास वही है जो हर नागरिक को अवसर, सम्मान और सुरक्षा प्रदान करे। प्रौद्योगिकी केवल तब महान है जब वह इंसान की गरिमा को बनाए रखे और यही वह आधार है, जिस पर विकसित भारत का सपना हकीकत में बदलेगा
सुरेश गांधी
भारत आज 21वीं
सदी के उस मोड़
पर खड़ा है जहां
अगली दो से ढाई
दशकों में उसका भविष्य
तय होगा। 2047 - आज़ादी का शताब्दी वर्ष,
सिर्फ़ कैलेंडर की तारीख़ नहीं,
बल्कि एक ऐतिहासिक अवसर
है। यह वह साल
होगा जब हम यह
तय कर चुके होंगे
कि हम सिर्फ़ एक
“तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था”
हैं, या एक विकसित,
समृद्ध और न्यायपूर्ण राष्ट्र।
विकास का अर्थ केवल
ऊंची इमारतें, चौड़ी सड़कें और
तेज़ जीडीपी वृद्धि दर नहीं है।
असली विकास तब है, जब
तकनीकी प्रगति से लेकर सामाजिक
समानता तक हर नागरिक
की गरिमा सुरक्षित हो, हर गांव
तक अवसर पहुंचे, और
हर हाथ में उम्मीद
हो। मतलब साफ है
भारत की आज़ादी के
100 वर्ष पूरे होने तक
एक विकसित राष्ट्र बनने का सपना
केवल आर्थिक आंकड़ों या भव्य बुनियादी
ढांचे से पूरा नहीं
होगा। इसके लिए आवश्यक
है कि प्रगति की
नींव प्रौद्योगिकी और सामाजिक समानता
के मजबूत स्तंभों पर रखी जाए।
आज के युग में
प्रौद्योगिकी ही विकास का
सबसे बड़ा उत्प्रेरक है।
यदि भारत को
विकसित राष्ट्र बनना है तो
प्रौद्योगिकी को आधारशिला बनाना
ही होगा। हमें एक ऐसा
डिजिटल बुनियादी ढांचा चाहिए जो न केवल
शहरों, बल्कि गांवों तक समान रूप
से पहुंचे। 5जी और आगामी
6जी नेटवर्क, हाई-स्पीड इंटरनेट
और सैटेलाइट कनेक्टिविटी को राष्ट्रीय प्राथमिकता
दी जानी चाहिए। स्मार्ट
सिटी मिशन को केवल
महानगरों तक सीमित न
रखकर, टियर-2 और टियर-3 शहरों
में भी लागू करना
होगा, ताकि शहरी सुविधाओं
और अवसरों का समान वितरण
हो। ऑटोमेशन और डिजिटल बुनियादी
ढांचे का तेजी से
विस्तार करना होगा। आर्टिफिशियल
इंटेलिजेंस (एआई), ब्लॉकचेन, बिग डेटा, क्लाउड
कंप्यूटिंग, रोबोटिक्स और इंटरनेट ऑफ
थिंग्स (आईओटी) को प्रशासन, उद्योगों,
कृषि और स्वास्थ्य सेवाओं
में बड़े पैमाने पर
लागू करना होगा। जैसे
एआई आधारित फसल पूर्वानुमान किसानों
को समय पर सही
जानकारी दे सकता है।
ब्लॉकचेन आधारित रिकॉर्ड-कीपिंग से भूमि विवाद
और भ्रष्टाचार को कम किया
जा सकता है। आईओटी
सेंसर से जल संसाधनों
का बेहतर प्रबंधन हो सकता है।
प्रौद्योगिकी का उपयोग केवल
आर्थिक प्रगति तक सीमित न
होकर, भ्रष्टाचार उन्मूलन, पारदर्शिता और नागरिक भागीदारी
बढ़ाने का साधन भी
बने। ई-गवर्नेंस, डिजिटल
भुगतान, टेलीमेडिसिन और एआई आधारित
स्वास्थ्य निदान जैसी सेवाएं गांव-गांव तक पहुंचे।
डिजिटल डिवाइड, साइबर सुरक्षा खतरे, और डेटा गोपनीयता
के मुद्दों पर ठोस नीति
और नियामक ढांचा तैयार हो। सरकारी और
निजी क्षेत्रों में हर दो
साल में प्रोफेशनल दक्षता
व जवाबदेही प्रशिक्षण अनिवार्य हो, ताकि कार्यकुशलता
बनी रहे और “कोई
भी व्यक्ति देश और संविधान
से ऊपर नहीं” का
सिद्धांत व्यावहारिक रूप से लागू
हो। यानी सरकार और
प्रशासन में पारदर्शिता लाने
के लिए ई-गवर्नेंस
को अगली पीढ़ी के
स्तर पर ले जाना
होगा। सभी सरकारी सेवाएं
और दस्तावेज़ 100 फीसदी डिजिटल और ब्लॉकचेन-संरक्षित
हों। भ्रष्टाचार और फाइलों में
देरी रोकने के लिए रियल-टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम
अपनाया जाए। नागरिक शिकायत
निवारण के लिए एआई
चैटबॉट्स और वॉइस-आधारित
सेवा प्लेटफॉर्म विकसित हों, ताकि साक्षरता
की कमी भी बाधा
न बने। हर सरकारी
और निजी क्षेत्र के
कर्मचारी के लिए, हर
2 साल में दक्षता और
जवाबदेही की ट्रेनिंग अनिवार्य
हो। यह स्पष्ट रूप
से सिद्धांत बन जाए कि
“कोई भी व्यक्ति, संस्था
या पद संविधान और
देश से ऊपर नहीं”।
प्रौद्योगिकी वही श्रेष्ठ है
जो इंसान की गरिमा बचाए।
ारत की सबसे बड़ी
ताकत उसका युवा जनसंख्या
है, 15 से 25 वर्ष के 25 करोड़
से अधिक युवा। इन
युवाओं को डिजिटल कौशल,
स्टार्टअप संस्कृति और नवाचार के
लिए प्रशिक्षित किया जाए। गांव-गांव डिजिटल स्टार्टअप
हब और इनक्यूबेशन सेंटर
बनें। ई-कॉमर्स, हेल्थटेक,
एग्रीटेक, फिनटेक, एडटेक और ग्रीनटेक भारत
की डिजिटल अर्थव्यवस्था के नए इंजन
बनें। शुरुआती उद्यमों के लिए कर-छूट, सरल लाइसेंसिंग
और फंडिंग की सुविधा। महिला
उद्यमियों और ग्रामीण युवाओं
के लिए विशेष प्रोत्साहन।
हालांकि भारत के डिजिटल
भविष्य के रास्ते में
कई बड़ी चुनौतियां हैं...
1. डिजिटल डिवाइड
: गांव-शहर
के
बीच
इंटरनेट
पहुंच
और
डिजिटल
साक्षरता
का
अंतर
खत्म
करना
होगा।
2. साइबर सुरक्षा
: डिजिटल
लेन-देन
बढ़ने
के
साथ
साइबर
अपराध
भी
बढ़ेंगे,
इसके
लिए
सख्त
साइबर
सुरक्षा
नीति
और
विशेषज्ञ
बल
जरूरी
है।
3. डेटा गोपनीयता
: नागरिकों
की
निजी
जानकारी
का
दुरुपयोग
रोकने
के
लिए
कड़े
डेटा
प्रोटेक्शन
कानून
की
जरूरत।
4. नौकरी विस्थापनः
ऑटोमेशन
और
एआई
के
कारण
कुछ
नौकरियां
खत्म
होंगी,
इसके
लिए
पुनः
कौशल
प्रशिक्षण
(रिसाइकिलिंग)
की
राष्ट्रीय
योजना
होनी
चाहिए।
डिजिटल भारत से विकसित भारत
तक : 2047 का संकल्प
स्मार्ट शहरों से स्मार्ट समाज तक,
विकास का असली चेहरा
भारत के पास
15 से 25 वर्ष आयु वर्ग
के 25 करोड़ से अधिक
युवा हैंकृये ही डिजिटल अर्थव्यवस्था
के इंजन बन सकते
हैं। गांव से लेकर
शहर तक स्टार्टअप हब
और डिजिटल लीडरशिप नेटवर्क का निर्माण हो।
ई-कॉमर्स, डिजिटल फिटनेस, फिनटेक और हेल्थटेक जैसे
क्षेत्र भारत को वैश्विक
प्रतिस्पर्धा में अग्रणी बना
सकते हैं। किसी आदिवासी
महिला की मेहनत से
बना विश्वविद्यालय उसकी संतान के
लिए भी खुला हो।
पंक्ति में खड़ा अंतिम
व्यक्ति भी महसूस करे
कि “यह देश मेरा
है।” किसी भी स्तर
पर शिक्षा, रोजगार या अवसरों में
भेदभाव न हो। गांधी
और अंबेडकर के सपनों का
भारत, जो समानता, गरिमा
और प्रगति के तीन स्तंभों
पर खड़ा हो।
युवा शक्ति, नवाचार और पारदर्शी
शासन, प्रगति के तीन स्तंभ
भारत के लिए
2047 का लक्ष्य सिर्फ आर्थिक प्रगति नहीं, बल्कि तकनीकी शक्ति और सामाजिक न्याय
का संतुलित संगम है। 5जी,
एआई, ब्लॉकचेन और स्मार्ट शहर
जैसी पहलों से डिजिटल अर्थव्यवस्था
को वैश्विक इंजन बनाया जा
सकता है, लेकिन इसके
साथ समान अवसर, पारदर्शी
शासन और गरिमा-आधारित
समाज भी जरूरी हैं।
जब तक विकास की
रोशनी पंक्ति में खड़े अंतिम
व्यक्ति तक नहीं पहुँचेगी,
तब तक ‘विकसित भारत’
का सपना अधूरा रहेगा।
समानता और तकनीक के मेल से
ही साकार होगा शताब्दी का सपना
गांधी और अंबेडकर के सपनों का भारत,
जहां अवसर और गरिमा साथ-साथ हों
विकसित भारत का सपना
5जी टावरों और एआई लैब
में नहीं, बल्कि उस आखि़री नागरिक
की आँखों में चमक से
पूरा होगा जिसे विकास
का हक़ अब तक
नहीं मिला। तकनीक, पारदर्शिता और बराबरी, तीनों
का संगम ही 2047 के
भारत की पहचान बनेगा।
वरना चमकते स्मार्ट शहरों के बीच अंधेरे
गाँव और बिखरे सपने
हमें याद दिलाते रहेंगे
कि सफ़र अधूरा है।
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