घाटे में डूबे डिस्कॉम ने निजी संस्था को दिया करोड़ों का चंदा
विद्युत कर्मचारी
संयुक्त
संघर्ष
समिति
का
आरोप
निजीकरण के
पीछे
मेगा
घोटाले
की
साजिश,
मुख्यमंत्री
से
उच्चस्तरीय
जांच
की
मांग
21.80 लाख अकेले पूर्वांचल
से,
कुल
1.30 करोड़
यूपी
के
डिस्कॉम
से,
निजीकरण
की
आड़
में
घोटाले
का
आरोप
सुरेश गांधी
वाराणसी. बिजलीकर्मियों का निजीकरण विरोधी आंदोलन बुधवार को 273वें दिन भी जारी रहा। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने खुलासा किया कि घाटे का रोना रोने वाला पूर्वांचल डिस्कॉम जनता के पैसे से करोड़ों रुपये ऑल इंडिया डिस्कॉम एसोसिएशन को दे रहा है। समिति ने आरोप लगाया कि 3 जून 2025 को उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड और सभी पांच विद्युत वितरण निगमों ने मिलकर 1 करोड़ 30 लाख 80 हजार रुपये इस एसोसिएशन को दिए। संघर्ष समिति ने कहा कि यह पूरा मामला बड़े घोटाले की आहट है और निजीकरण की साजिश का हिस्सा है। समिति ने सवाल किया कि जब निगम घाटे में हैं तो करोड़ों रुपये चंदे में क्यों दिए जा रहे हैं? उन्होंने इसे “निजीकरण की आड़ में घोटाला” करार देते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उच्चस्तरीय जांच के साथ ही निजीकरण प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाने की मांग की गई। सभा को संबोधित करते हुए ई. राजेन्द्र सिंह, जिउतलाल, ई. नीरज बिंद, कृष्णा सिंह, चन्द्रभान कुमार, रमाकांत पटेल, बंशीलाल, एस.के. सरोज, योगेंद्र कुमार, सुशांत सिंह, गुलजार, रंजीत कुमार, नन्हे सिंह, पंकज यादव, बृजेश यादव, राजेश सिंह और अंकुर पाण्डेय ने कहा कि निजीकरण की पूरी प्रक्रिया संदेहास्पद है।
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