जश्न-ए-आजादी में डूबा काशी : हर दिल तिरंगामय, हर गली में गूंजा वंदेमातरम्
शहर से देहात तक निकलीं रैलियां, मंदिरों से सड़कों तक लहराया तिरंगा, चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा का पहरासुरेश गांधी
वाराणसी।
15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस
की 78वीं वर्षगांठ इस
बार काशी ने ऐसे
मनाई, मानो पूरा शहर
और देहात तिरंगे की बुनावट से
सज गया हो। भोर
की पहली किरण के
साथ ही गली-गली,
चौक-चौराहों, मकानों की छतों, दुकानों,
फ्लाईओवरों, मठ-मंदिरों, स्कूल-कॉलेजों से लेकर हर
वाहन तक तिरंगा लहराता
रहा। सड़कों पर कदम-कदम
पर देशभक्ति के गीत - “सारे
जहां से अच्छा हिंदोस्तां
हमारा”, “मिले सुर मेरा
तुम्हारा”, की गूंज लोगों
को उस गौरवशाली इतिहास
में ले जा रही
थी, जिसे वीरों के
बलिदान ने रचा था।
स्वतंत्रता दिवस : आज केवल कैलेंडर की तारीख नहीं, बल्कि हमारे गौरव, बलिदान और आजादी की कीमत का स्मरण कराने वाला राष्ट्रीय पर्व है। इस दिन की सुबह तिरंगे की लहराती शान, देशभक्ति गीतों की गूंज और देशवासियों की आंखों में चमकता गर्व हर किसी को यह एहसास कराता है कि हम आजाद भारत के नागरिक हैं।
लेकिन इस वर्ष का जश्न-ए-आजादी एक और मायने में खास है. इस बार देश के हर कोने में, गांव-गांव, गली-गली में तिरंगे की रौनक के साथ-साथ कड़ी सुरक्षा का पहरा भी नजर आ रहा है. देशभक्ति की लहर इतनी प्रबल है कि जैसे ही सूरज की पहली किरण फूटती है, लोग हाथों में तिरंगा थामे सड़कों पर निकल आते हैं। बच्चे, युवा, बुजुर्ग, सबकी आंखों में आजादी का सपना और बलिदानियों के प्रति कृतज्ञता झलकती है।कहीं ‘सारे
जहां से अच्छा हिंदोस्तां
हमारा’ की मधुर तान
गूंज रही है तो
कहीं ‘मिले सुर मेरा
तुम्हारा’ से एकता का
संदेश फैल रहा है।
आजादी की पूर्व संध्या
पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भारत के
स्वर्णिम इतिहास की झलक देख
लोग झूम उठे, तो
जलियांवाला बाग और शहीद
भगत सिंह की कुर्बानी
के मंचन ने आंखें
नम कर दीं।
हर गली में उमड़ा तिरंगामय उत्साह
मंदिरों में आजादी का रंग
श्री काशी विश्वनाथ
धाम इस अवसर पर
तिरंगे की आभा में
नहा उठा। मुख्य द्वार
पर तिरंगे से सजावट, चारदीवारियों
पर रोशनी की झालरें और
मंदिर परिसर में फूलों की
वर्षा ने श्रद्धालुओं का
मन मोह लिया। मुख्य
कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्रा ने
दर्शनार्थियों पर फूल बरसाकर
उनका अभिनंदन किया। संकटमोचन, दुर्गाकुंड, कालभैरव और अन्नपूर्णा मंदिर
सहित सभी प्रमुख मंदिरों
की चोटियों पर भी तिरंगा
लहराया, मानो बाबा की
नगरी ने आस्था और
देशभक्ति को एक सूत्र
में पिरो दिया हो।
सांस्कृतिक मंचन और भावुक पल
आजादी की पूर्व संध्या
पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों में कहीं भारत
की ‘सोने की चिड़िया’
वाली झलक पर लोग
झूमते दिखे, तो कहीं जलियांवाला
बाग की शहादत के
मंचन पर आंखें नम
हो गईं। मंच से
वीर शहीदों के पराक्रम और
त्याग को याद करते
हुए वाराणसी क्लब के अध्यक्ष
अजीत सिंह बग्गा ने
कहा, “कैसे भूलें हम
उन वीरों का प्रेम, बलिदान
और त्याग, जिन्होंने हंसते-हंसते जान गवाकर हमें
आजादी दिलाई। वीरों के पराक्रम से
ही आजाद हैं देशवासी.
चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा का पहरा
इतने बड़े जनसमूह
और देशव्यापी अलर्ट को देखते हुए
काशी में भी सुरक्षा
के सख्त इंतजाम किए
गए। पुलिस, पीएसी, अर्द्धसैनिक बल और खुफिया
एजेंसियां चौकसी में लगी रहीं।
ड्रोन कैमरों से भीड़भाड़ वाले
इलाकों की निगरानी, प्रवेश
द्वारों पर तलाशी और
जगह-जगह बैरिकेडिंग के
बीच उत्सव का आनंद लिया
गया।
तिरंगे में डूबी काशी का संदेश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की “हर
घर तिरंगा” अपील को काशीवासियों
ने पूरी शिद्दत से
अपनाया। शहर से लेकर
देहात तक, गंगा घाटों
से लेकर मंदिरों की
चोटियों तक, हर तरफ
तिरंगा ही तिरंगा था।
काशी का यह नजारा
न केवल आजादी के
जश्न का प्रतीक था,
बल्कि यह संदेश भी
दे रहा था कि
हम सब मिलकर अपनी
स्वतंत्रता की रक्षा करेंगे,
क्योंकि, हर घर तिरंगा,
हर मन तिरंगा, सारे
जहां से अच्छा हिंदोस्तां
हमारा....15 अगस्त,
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