Thursday, 7 August 2025

अब प्लास्टिक नहीं, परंपरा का साथ : श्री काशी विश्वनाथ धाम की अनूठी पहल

काशी का धाम अब बनेगा देश के लिए मिसाल, प्लास्टिक मुक्त तीर्थ की ओर ऐतिहासिक पहल

अब प्लास्टिक नहीं, परंपरा का साथ : श्री

काशी विश्वनाथ धाम की अनूठी पहल 

बांस की टोकरी और स्टील के लोटे किए गए वितरित

11 अगस्त से प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध, भक्तों ने कहा - धाम की पवित्रता में आया नया तेज

प्रयागराज से आए श्रद्धालु बोले, मिट्टी के बर्तन हमारी परंपरा का हिस्सा हैं, प्रशासन का निर्णय सराहनीय

सुरेश गांधी

वाराणसी। काशी सनातन संस्कृति की जीवंत आत्मा, और गंगा के तट पर स्थित श्री काशी विश्वनाथ धाम अब एक नया अध्याय लिख रहा है, परंपरा और पर्यावरण के संतुलन का। आधुनिकता की दौड़ में उपेक्षित होती जा रही हमारी पारंपरिक जीवनशैली को फिर से प्रतिष्ठित करने की दिशा में मंदिर प्रशासन ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, धाम को प्लास्टिक मुक्त तीर्थ क्षेत्र के रूप में विकसित किया जाएगा। इस निर्णय का केवल प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि व्यावहारिक क्रियान्वयन भी शुरू हो गया है। गुरुवार को मंदिर परिसर के दुकानदारों को बांस से बनी टोकरी और स्टील के लोटे वितरित किए गए। यह दृश्य केवल सामग्री वितरण का नहीं था, बल्कि पर्यावरणीय चेतना और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का सजीव दृश्य था।

बांस की टोकरी और स्टील लोटे से सजेगा पूजन

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास द्वारा दिसंबर 2024 में लिए गए निर्णय के क्रम में अब 11 अगस्त से मंदिर परिसर में किसी भी प्रकार की प्लास्टिक सामग्री जैसे प्लास्टिक लोटा, दूध पात्र, थैली, या फूलों की माला की टोकरी आदि को ले जाने पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। यह प्रतिबंध कोई थोपे गए आदेश की तरह नहीं, बल्कि श्रद्धालुओं और स्थानीय व्यापारियों की सहभागिता से साकार हो रहा है। श्रावण मास के आरंभ से ही चल रहे जागरूकता अभियान के तहत मंदिर प्रशासन ने यह सुनिश्चित किया है कि श्रद्धालुओं को पर्यावरण-अनुकूल विकल्पों के प्रति प्रेरित किया जाए। मतलब साफ है श्रद्धालु अब पूजन सामग्री परंपरागत पात्रों में लेकर आएंगे, जिससे केवल धार्मिक गरिमा बनी रहेगी बल्कि गंगा और मंदिर परिसर की स्वच्छता भी सुनिश्चित होगी। या यूं कहें श्री काशी विश्वनाथ धाम में अब मिट्टी, धातु और बांस के पात्र होंगे पूजन के साथी, स्वच्छता के साथ पवित्रता की ओर एक कदम और.

प्रशासन ने दिखाई गंभीरता, जनप्रतिनिधियों ने जताया समर्थन

इस अभियान में स्थानीय जनप्रतिनिधियों की भागीदारी उल्लेखनीय रही। क्षेत्रीय विधायक नीलकंठ तिवारी, पार्षद सुश्री कनकलता तिवारी, अन्य सभासदों, और मंदिर प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में यह वितरण कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। सभी ने फूल-माला विक्रेताओं से परंपरागत टोकरी और पात्रों को अपनाने की अपील की। मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्वभूषण मिश्र ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “काशी विश्वनाथ धाम एक आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय धरोहर है। यहां प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु आते हैं और प्लास्टिक का अत्यधिक उपयोग परिसर को गंदा करने के साथ-साथ गंगा नदी के पारिस्थितिकी तंत्र को भी प्रभावित करता है। अब परिसर में प्लास्टिक से बनी कोई भी सामग्री पूरी तरह से वर्जित होगी। 11 अगस्त से यह व्यवस्था स्थायी और सख्ती से लागू की जाएगी।धाम परिसर और आसपास के क्षेत्रों में सूचना पट, बैनर और स्वयंसेवकों की तैनाती के ज़रिए इस नियम को व्यापक जन-जागरूकता के साथ लागू किया जा रहा है। दुकानदारों और विक्रेताओं को भी स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि वे प्लास्टिक के स्थान पर मिट्टी, धातु और बांस से बनी वस्तुएं बेचें, क्योंकि गंगा की पवित्रता और पर्यावरण की रक्षा हमारी प्राथमिकता

श्रद्धा और स्वच्छता का संगम : भक्तों ने खुले

मन से अपनायानो प्लास्टिककाशी

धार्मिक भावनाओं से परिपूर्ण श्रद्धालुओं ने प्रशासन के इस निर्णय का हृदय से स्वागत किया है। प्रयागराज से आए राकेश तिवारी कहते हैं,  यह निर्णय स्वागत योग्य है। प्लास्टिक से गंगा और परिसर गंदा होता है। हमें फिर से अपनी परंपरा की ओर लौटना होगा।वहीं स्थानीय श्रद्धालु निर्मला देवी बताती हैं, “हम तो पहले से ही घर से पीतल की थाली और लोटा लाते हैं। प्रशासन का यह कदम हमारी आस्था को और पवित्रता देगा।

एक तीर्थ, एक संकल्प : स्वच्छता और संस्कृति का मिलन

यह निर्णय केवल धार्मिक पवित्रता की रक्षा नहीं करता, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत मिशन और सिंगल यूज प्लास्टिक मुक्त भारत अभियान की भावना को भी धरातल पर उतारता है। यह पहल केवल काशीवासियों के लिए गर्व का विषय है, बल्कि देश के अन्य तीर्थस्थलों के लिए भी एक अनुकरणीय उदाहरण है।

अब क्या करें श्रद्धालु?

श्रद्धालुओं से आग्रह किया गया है कि वे पूजन सामग्री पीतल, स्टील, मिट्टी या कागज के पात्रों में लेकर आएं। थैली के रूप में कपड़े या कागज की पोटली का प्रयोग करें। फूल प्रसाद भी प्राकृतिक रूप में समेटकर लाने की सलाह दी गई है। साथ ही प्रशासन स्थानीय विक्रेताओं को वैकल्पिक सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित कराने में भी सहयोग कर रहा है।

एक अपील, एक संकल्प

काशी विश्वनाथ धाम केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति का प्रतीक, पर्यावरण चेतना का प्रतीक और भारतीयता का जीवंत स्वरूप है। इस धाम की पवित्रता और गरिमा को बनाए रखने के लिए हम सबकी भूमिका जरूरी है। आइए, हम सब मिलकर इस अभियान को सफल बनाएं। केवल श्रद्धा से, बल्कि जागरूकता से भी जुड़ें और काशी को बनाएं भारत का पहला पूर्णतः प्लास्टिक मुक्त तीर्थ।

महत्वपूर्ण बिंदु : एक नजर में

मंदिर परिसर में प्लास्टिक लोटा, टोकरी, थैली आदि प्रतिबंधित।

धातु, मिट्टी या कागज के विकल्पों को बढ़ावा।

दुकानदारों को बांस की टोकरी और स्टील लोटा वितरित।

परिसर में सूचना पट और जागरूकता अभियान जारी।

श्रद्धालुओं ने खुले मन से निर्णय का स्वागत किया।

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