Thursday, 7 August 2025

राखी पर बाजारों में दिखी रौनक, राष्ट्रप्रेम और लोकल राखियों की डिमांड

वोकल फॉर लोकलऔर डिजिटल राखियों का दबदबा

राखी पर बाजारों में दिखी रौनक, राष्ट्रप्रेम और लोकल राखियों की डिमांड 

मोदी -योगी राखी, ऑपरेशन सिंदूर राखी, जय हिंद राखी, वंदे मातरम राखी और भारत माता की जय जैसे नामों वाली राखियों की धूम

सुरेश गांधी

वाराणसी। रक्षाबंधन अब केवल भाई-बहन का त्योहार नहीं, बल्कि राष्ट्रप्रेम, लोकल उद्यमिता, और पर्यावरण चेतना की सशक्त अभिव्यक्ति बन गया है। बाज़ार की रौनक, लोगों की भागीदारी और थीम आधारित राखियों की मांग यह साबित करती है कि परंपरा के साथ-साथ अब त्योहार भी अपने भीतर नई सामाजिक चेतना समेटे हुए हैं। जी हां, रक्षाबंधन का पर्व नजदीक आते ही शहर के बाजारों में रौनक लौट आई है। भाई-बहन के अटूट प्रेम के इस पर्व को लेकर खरीदारी जोरों पर है। राखियों की सजी दुकानों पर बहनें अपने भाइयों के लिए सुंदर और अर्थपूर्ण राखियां चुन रही हैं। इस बार बाजारों में पारंपरिक राखियों के साथ-साथ इनोवेशन से भरपूरथीम बेस्डराखियां खास आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं।

शहर की गलियों से लेकर प्रमुख बाजारों तक, हर जगह एक उत्सवी माहौल है। दुकानदारों के चेहरे भी ग्राहकों की भीड़ देखकर खिल उठे हैं। इस बार रक्षाबंधन केवल एक पारंपरिक त्योहार भर नहीं, बल्किआत्मनिर्भर भारतऔरराष्ट्रप्रेमकी भावना को समर्पित हो चला है। बाजारों में मोदी - योगी राखी, ऑपरेशन सिंदूर राखी, जय हिंद राखी, वंदे मातरम राखी और भारत माता की जय जैसे नामों वाली राखियों की धूम मची है। 

ये राखियां केवल सजावटी धागा नहीं, बल्कि देशभक्ति का संदेश लेकर आई हैं। 

इनोवेशन वाली राखियों में इस बारडिजिटल राखी’, ’बीज राखी’, ’खादी राखी’, ’बांस राखीऔरकस्टमाइज फोटो राखीजैसे विकल्पों ने युवाओं को खासा आकर्षित किया है। ग्राहक अपने भाई की तस्वीर और नाम के साथ राखियां बनवा रहे हैं, जिससे भावनाओं को और गहराई मिल रही है। 

देशी राखियों का बोलबाला, चीन पूरी तरह गायब 

वाराणसी व्यापार मंडल के अध्यक्ष अजीत सिंह बग्गा ने बताया कि इस बार बाजारों में चीन निर्मित राखियां पूरी तरह से गायब हैं। देशी कारीगरों द्वारा तैयार की गई राखियों को जबरदस्त समर्थन मिल रहा है। खादी, कोसा, जूट, मधुबनी कला, सांगानेरी प्रिंट, रेशम और असम की चाय पत्ती से बनी राखियां देश की विविधता को भी दर्शा रही हैं। दिल्ली, मुंबई, नागपुर, कोलकाता, पुणे, जयपुर, झारखंड और बिहार से आई राखियों ने बाजारों को विविध रंगों से सजाया है।

व्यापार में उछाल, 500 करोड़ तक पहुंच सकता है कारोबार

बग्गा ने बताया कि इस वर्ष रक्षाबंधन पर वाराणसी सहित पूर्वांचल में 500 करोड़ रुपये का कारोबार होने की संभावना है। मिठाइयों, उपहारों और चॉकलेट की बिक्री से जुड़े कारोबारियों को भी जबरदस्त मुनाफे की उम्मीद है। मिठाई की दुकानों ने त्योहार को देखते हुए विशेष पैकेजिंग और ऑफर्स भी पेश किए हैं।

सरकारी सौगात : महिलाओं को मुफ्त यात्रा की सुविधा

उत्तर प्रदेश सरकार ने रक्षाबंधन पर महिलाओं के लिए रोडवेज बसों में निःशुल्क यात्रा की घोषणा की है। इससे दूरदराज के इलाकों में रहने वाली बहनों को भाइयों तक पहुंचने में सहूलियत मिलेगी। सरकारी निर्णय से आमजन में सकारात्मक संदेश गया है।

फौजियों को राखी भेज रहीं बहनें, भावनाओं का अटूट बंधन

वाराणसी सहित देशभर में इस बार रक्षाबंधन के अवसर पर सेना के जवानों को राखी भेजने की परंपरा भी जोर पकड़ रही है। विभिन्न सामाजिक संगठनों, स्कूलों और परिवारों की ओर से फौजियों को राखियां भेजी जा रही हैं। इससे रक्षा पर्व का दायरा घर-परिवार से बढ़कर राष्ट्ररक्षा तक पहुंच रहा है।

राखी के साथ मिठाई, चॉकलेट और उपहारों की भी धूम

राखी के साथ-साथ मिठाइयों, चॉकलेट और गिफ्ट की दुकानों पर भी ग्राहकों की भारी भीड़ देखी जा रही है। दुकानदारों ने भी त्योहार को देखते हुए विशेष तैयारियां की हैं। कई मिठाई विक्रेताओं ने त्योहार-विशेष पैकेजिंग और ऑफर्स की शुरुआत की है जिससे ग्राहकों को अधिक सुविधा और उत्सव का अनुभव मिल रहा है।

देश के हर कोने से खास राखियां

दिल्ली के बाजारों में देशभर की पारंपरिक और क्षेत्रीय राखियों ने अपनी खास जगह बनाई है। इनमें शामिल हैं - कोसा राखी (छत्तीसगढ़), जूट राखी (कोलकाता), रेशम राखी (मुंबई), खादी राखी (नागपुर), सांगानेरी राखी (जयपुर), बीज राखी (पुणे), बांस राखी (झारखंड), चाय पत्ती राखी (असम), मधुबनी राखी (बिहार), इन सबमें पारंपरिक कला, स्थानीय संसाधनों और सांस्कृतिक विरासत की झलक दिखाई देती है।

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