Thursday, 4 September 2025

विदेशों में होटल, लखनऊ में अवैध महल और माफियाओं की बारात

विदेशों में होटल, लखनऊ में अवैध महल और माफियाओं की बारात 

यूपी विधानसभा का मानसून सत्र इस बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के तेवरों से गर्मा गया। विपक्ष पर सीधा हमला बोलते हुए उन्होंने कहा, “विदेश में ऐसे ही कोई थोड़ी होटल खरीद लिया जाता है, ये प्रदेश को लूटकर खरीदा गया है।यह बयान महज़ एक आरोप नहीं, बल्कि यूपी की राजनीति और शासन के दो अलग-अलग चेहरों की तुलना का अवसर है। योगी का इशारा साफ था, वो नेता जिन्होंने जाति और अल्पसंख्यकों को भय दिखाकर सत्ता हथियाई, उन्होंने जनता को लूटा और अपनी तिजोरियां भरीं। 2012 से 2017 तक यूपी में सपा की सरकार रही। इस दौरान अपराधियों की राजनीति में घुसपैठ और सत्ता से उनकी नजदीकियों ने प्रदेश को शर्मसार किया। हत्या, अपहरण, रेप और लूट की घटनाएं रोज़ाना सुर्खियों में रहतीं। पुलिस थानों पर बाहुबली नेताओं का कब्जा था।  गवाह पलट जाते थे और अपराधियों की पेशी तक मुश्किल हो जाती थी। सपा सरकार में औसतन प्रतिदिन 12 रेप, 18 हत्या, 40 लूट की घटनाएं हुई। जबकि आज 2017 में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद तस्वीर बदलनी शुरू हुई, तो आज अपराध, रंगदारी जीरों टॉलरेंस पर है। इसकी बड़ी वजह रही सिर्फ खाकी खादी का गठजोड़ टूटा, बल्किठोक दा नीति ने हौसलाबुलंद अपराधियों का मनोबल टूटा। बुलडोज़र कार्रवाई में माफियाओं की 5000 करोड़ से अधिक संपत्ति जब्त हो गयी। सख्त कानून व्यवस्था के चलते गवाहों की सुरक्षा, कोर्ट ट्रायल में तेजी से हो रहा है 

सुरेश गांधी

फिरहाल, उत्तर प्रदेश की राजनीति हमेशा से तीखे आरोप-प्रत्यारोपों और विचारधारात्मक टकरावों से भरी रही है. लेकिन मौजूदा विधानसभा सत्र में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का विपक्ष पर प्रहार साधारण राजनीतिक बयानबाज़ी नहीं था, बल्कि बीते दो दशकों के घटनाक्रमों का गहरा निचोड़ था। मुख्यमंत्री योगी का बयान विपक्ष के लिए चेतावनी है। बेशक, यूपी विधानसभा का मानसून सत्र इस बार गवाह बना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के तीखे तेवरों का। मुख्यमंत्री ने विपक्ष पर सीधा वार करते हुए कहा, “विदेश में ऐसे ही कोई थोड़ी होटल खरीद लिया जाता है, ये प्रदेश को लूटकर खरीदा गया है।यह वाक्य महज़ एक आरोप नहीं था, बल्कि बीते एक दशक में प्रदेश की राजनीति, विकास और अपराध के गठजोड़ की पोल खोलने वाला बयान था। यह वक्तव्य सिर्फ़ भ्रष्टाचार के खिलाफ एक चेतावनी नहीं, बल्कि बीते शासनकालों के अंधेरे चेहरों का पर्दाफाश भी था। यह बात केवल विपक्ष पर आरोप नहीं थी, बल्कि पिछले ढाई दशकों की जातिवादी और माफियावादी राजनीति पर कठोर टिप्पणी थी। यह वाक्य विपक्ष के लिए तीर की तरह था। 

सवाल साफ था कि आखिर प्रदेश की जनता की गाढ़ी कमाई कहां गई? क्यों लखनऊ और नोएडा में अवैध कोठियों का साम्राज्य खड़ा हुआ? क्यों अपराधी माफिया सत्ता के साझेदार बने? और क्यों जनता भय और असुरक्षा के साये में जीने को मजबूर रही? जब उन्होंने कहा कि विदेश में होटल खरीदना प्रदेश की जनता को लूटे बिना संभव नहीं, तो यह कटाक्ष महज़ विदेशों की संपत्तियों पर नहीं था, बल्कि लखनऊ की उन हवेलियों और फार्महाउसों पर भी था जो जनता के टैक्स के पैसों से खड़े किए गए। योगी का इशारा साफ था, यूपी की जनता ने जिन नेताओं को सामाजिक न्याय और विकास का मसीहा मानकर सत्ता सौंपी, उन्होंने जनता का विश्वास तोड़ा। प्रदेश की गाढ़ी कमाई से केवल विदेशों में होटल और प्रॉपर्टी खरीदी गईं, बल्कि लखनऊ, नोएडा और गाजियाबाद जैसे शहरों में भी अवैध महल खड़े किए गए।

योगी ने स्पष्ट कर दिया कि जनता को जाति और धर्म के नाम पर ठगने वाले नेता दरअसल भ्रष्टाचार की जड़ रहे हैं। यही कारण है कि लखनऊ से लेकर विदेश तक आलीशान महलों और होटलों का मालिकाना हक उन नेताओं और उनके परिवारों के पास है, जिन्होंने भी गरीब-पिछड़ों की राजनीति का ढोल पीटा। जबकि हकीकत यह है कि जहां अखिलेश सरकार जातीय समीकरणों और लैपटॉप वितरण तक सीमित रही, वहीं योगी सरकार ने बड़े-बड़े विकास कार्यों से यूपी की तस्वीर बदल दी। 

यही वजह है कि सपा  के हौसलाबुलंद अपराधियों के कहर का शिकार बनी जनता के हवाले से मुख्यमंत्री योगी पूछ रहे है, क्या अखिलेश यादव विदेशों और लखनऊ की अवैध संपत्तियों का हिसाब देंगे? क्या माफियाओं से उनके रिश्तों को जनता भूल जाएगी? क्या जाति और अल्पसंख्यकों को भाजपा का भय दिखाकर सत्ता पाने वालों की असलियत अब छिपी रह पाएगी? क्यामाफिया-राज को टिकट देने वाले का सुशासन पर सवाल उठाना लाजिमी हैं?” पीड़ित पूछ रहे है, विदेशी होटल और लखनऊ की हवेलियां किसकी कमाई से खड़ी हुईं? अपराधियों से रिश्तों का हिसाब कौन देगा?” यूपी की जनता अब जाग चुकी है। आज प्रदेश बुलडोज़र, विकास और सुशासन की पहचान बन चुका है। यही है योगी मॉडल, जिसने सपा की विरासत को ध्वस्त कर दिया। राजधानी लखनऊ और नोएडा-गाजियाबाद में नेताओं के नाम पर आलीशान कोठियां, फार्महाउस और कमर्शियल बिल्डिंग खड़ी हुईं। यह सब उस दौर में हुआ जब गरीबों के लिए योजनाएं केवल कागज़ों में सीमित थीं। रियल एस्टेट में नेताओं की हिस्सेदारी, सरकारी जमीनों पर कब्जे, बड़े-बड़े बिल्डरों के साथ सांठगांठ ये विपक्ष का असली चेहरा था। जातीय समीकरण के नाम पर अपराधियों और माफियाओं को वैधानिक सुरक्षा दी गई। 

सूबे में अपराधियों का आतंक अखिलेश काल की सबसे काली सच्चाई रही। 2012 से 2017 तक अखिलेश यादव के नेतृत्व में सपा की सरकार रही। यह कार्यकाल प्रदेश की राजनीति का सबसे काला दौर माना जाता है। यह वह समय था जब अपराधियों और माफियाओं को सत्ता से संरक्षण मिला और जनता की सुरक्षा ठेंगा हो गई। मुख्तार अंसारी, हत्या, अपहरण और रंगदारी में कुख्यात, सपा सरकार में विधानसभा तक पहुंचा। अतीक अहमद, प्रयागराज का बाहुबली, सैकड़ों मुकदमों के बावजूद सत्ता का करीबी। विजय मिश्रा, भदोही का खनन माफिया, ठेकों और अवैध कारोबार का संरक्षक। ये नाम केवल अपराधी नहीं थे, बल्कि सत्ता के भीतर बैठे साझेदार थे। चुनावों में टिकट, विधानसभा में बेजोड़ ताकत और पुलिस-प्रशासन पर दबदबा, सब कुछ इनके हिस्से आया। उस दौर में लखनऊ और नोएडा जैसे शहरों में नेताओं और उनके रिश्तेदारों के नाम पर अवैध कोठियां, फार्महाउस और कमर्शियल प्लॉट खड़े हुए। जांच एजेंसियों की फाइलों में अखिलेश सरकार के मंत्रियों और करीबियों की संपत्तियों का ब्यौरा दर्ज है। जमीनों की खरीद-फरोख्त में दलालों और गुर्गों को सरकारी संरक्षण दिया गया। कई नामी बिल्डरों ने सरकारी नीतियों का फायदा उठाकर नेताओं को हिस्सेदारी दी। उस कार्यकाल को आज भी लोग अपराधों और माफिया संरक्षण के दौर के रूप में याद करते हैं। आंकड़े बताते हैं कि उस दौरान हत्या, लूट, डकैती, बलात्कार और महिला अपराधों में लगातार इज़ाफा हुआ।

यही वह कालखंड था जब प्रदेश में अतीक अहमद, मुख्तार अंसारी और विजय मिश्रा जैसे माफियाओं का राजनीतिक रसूख अपने चरम पर था। उनके गढ़ों में पुलिस जाने से डरती थी और अदालतों में गवाह पलट जाते थे। यह सब इसलिए संभव हुआ क्योंकि सत्ता की कुर्सी से उन्हें सीधा संरक्षण मिलता था। डॉन अतीक अहमद का प्रयागराज से लेकर लखनऊ तक खौफ का पर्याय था। अखिलेश शासन में प्रयागराज की गलियां अतीक अहमद के खौफ में थीं। यह बाहुबली भी सपा सरकार मेंअस्पृश्यमाना जाता था। उस पर हत्या, अपहरण, जबरन कब्जा और वसूली के दर्जनों मुकदमे थे, लेकिन सत्ता की मेहरबानी से कानून उसके सामने बौना साबित हुआ। रंगदारी से लेकर अपहरण तक, हर घटना में उसका नाम आता। कोर्ट के आदेश तक बेमानी हो जाते। व्यापारी दिन-दहाड़े अपहरण का शिकार होते और पुलिस मूकदर्शक बनती। सत्ता संरक्षण के कारण कानून से बचता रहा। वह सपा का करीबी माना जाता था। अपहरण, हत्या, जमीन कब्जा और रंगदारी के मामलों में उसके खिलाफ दर्जनों केस होने के बावजूद वह विधानसभा और संसद तक पहुंचा। मुख्तार अंसारी का पूर्वांचल के ठेकों, खनन और वसूली का साम्राज्य था। वो पूर्वांचल में अस्पतालों, ठेकों और कोयला-खनन से लेकर सियासत तक का खेल खेलता रहा। मऊ और आसपास का इलाका मुख्तार अंसारी के खौफ से कांपता था। चुनावी टिकट से लेकर सरकारी ठेकों तक, सब कुछ उसकी मर्जी से चलता। हत्या, कब्जा और धमकी उसकी पहचान थी। अखिलेश सरकार में उसका रसूख इतना था कि प्रशासनिक अफसर तक उसके दरबार में हाजिरी देते। अवैध वसूली, रंगदारी और हत्या जैसे गंभीर अपराधों के बावजूद उसे खुली छूट मिली।

भदोही का विजय मिश्रा खनन और ठेकों के खेल का बड़ा खिलाड़ी था। भदोही से लेकर सोनभद्र तक का खनन और ठेकेदारी विजय मिश्रा का साम्राज्य था। सपा की छत्रछाया में उसने सैकड़ों करोड़ का कारोबार खड़ा किया। लेकिन राजनीतिक संरक्षण ने उसे फलने-फूलने का मौका दिया। उसकी दहशत इतनी थी कि कोई खुलकर गवाही देने की हिम्मत नहीं करता। उसके खिलाफ गंभीर मामले लंबित रहे, लेकिन राजनीतिक रिश्तों ने उसे फलने-फूलने दिया। उसका आतंक इस कदर था कि भदोही के बड़े से बडे नेता जनपद छोड़कर भाग खड़े हुए थे, लूट-बलात्कार की घटनाओं से आहत लोगों की रपट तक नहीं लिखी जाती रही, आज वो अपने कुकर्मो का सजा भुगत रहा है। जो कल तक मुकदमा दर्ज कराने से घबराते थे, वो आज गवाही दे रहे है, उसी का परिणाम है उसे सजा हुई। कुल मिलाकर ये सभी सिर्फ सक्रिय रहे बल्कि सपा से टिकट और संरक्षण भी पाते रहे। यही कारण था कि अपराधियों का मनोबल इतना बढ़ गया कि पुलिस भी उनके सामने बेबस नज़र आती थी। इन नामों के इर्द-गिर्द प्रदेश की राजनीति का एक भयावह चेहरा खड़ा हुआ। माफियाओं की पकड़ इतनी गहरी थी कि पुलिस और प्रशासन तक असहाय दिखते थे। यही कारण रहा कि अपराधियों का मनोबल लगातार बढ़ता गया और आम जनता असुरक्षित महसूस करने लगी. ये सभी नेता सपा से सीधे या परोक्ष रूप से जुड़े रहे। टिकट, समर्थन और संरक्षण ने इन्हें जनता के लिए दुश्वार बना दिया। यही वह गठजोड़ था जिसने कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ाईं और यूपी को अपराध की राजधानी बना दिया।

मतलब साफ है अखिलेश शासनकाल में भ्रष्टाचार महज एक शब्द नहीं, बल्कि सत्ता की कार्यप्रणाली का हिस्सा था। अवैध खनन से अरबों की कमाई नेताओं और उनके करीबियों की जेब में जाती रही। नियुक्तियों और ट्रांसफर-पोस्टिंग में बड़े पैमाने पर घोटाले हुए। लखनऊ और नोएडा में आलीशान कोठियां खड़ी की गईं। मीडिया रिपोर्ट्स और जांच एजेंसियों के दस्तावेज़ बताते हैं कि कुछ नेताओं के परिजन विदेशों में होटल और प्रॉपर्टी खरीदने में सफल हुए, जिनकी जड़ें प्रदेश की कमाई से जुड़ी थीं। यही वजह है कि योगी ने सदन में कटाक्ष करते हुए विदेशों में होटल खरीदने का मुद्दा उठाया। उनका इशारा सीधा था, लखनऊ की हवेलियों से लेकर विदेशों की होटलों तक, सब भ्रष्टाचार और जनता की गाढ़ी कमाई से बना। सपा हमेशा सामाजिक न्याय और पिछड़ों की राजनीति का ढोल पीटती रही, लेकिन असलियत यह रही, जाति की राजनीति सत्ता तक पहुंचने की सीढ़ी बनी। सत्ता में आने के बाद भ्रष्टाचार, कमीशन और अवैध संपत्तियों की होड़ मची।

2017 में जब योगी आदित्यनाथ सत्ता में आए तो उन्होंने अपराध और भ्रष्टाचार परज़ीरो टॉलरेंसकी नीति अपनाई। जनता को उनका अंदाज पसंद भी आया क्योंकि यह शब्दों का नहीं, बल्कि जमीन पर उतरा हुआ मॉडल था. यूपी की जनता आज सब देख रही है। अपराध और भ्रष्टाचार की विरासत छोड़ने वालों पर योगी का बुलडोजर चलता रहेगा। और यही वह संदेश है जिसने योगी को केवल यूपी बल्कि पूरे देश में सुशासन का पर्याय बना दिया है। योगी सरकार ने इन माफियाओं की अवैध कमाई पर बुलडोज़र चलाकर उन्हें सबक सिखाया। मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद के नेटवर्क को ध्वस्त किया गया। उनकी अरबों की अवैध संपत्तियां जब्त कर जनता को लौटाई गईं। विजय मिश्रा सहित कई माफियाओं की काली कमाई पर शिकंजा कसा गया। आज नतीजा यह है कि माफियाओं का आतंक खत्म हो चुका है और जनता चैन की सांस ले रही है।

योगी मॉडल : अपराधियों पर बुलडोज़र

योगी मॉडल : बुलडोज़र और एनकाउंटर से टूटा आतंक

5000 करोड़ की जब्ती, अपराध दर में गिरावट, माफिया साम्राज्य ढहा

180 से अधिक बड़े अपराधी जेल में

महिलाओं के खिलाफ अपराधों में 35 फीसदी की कमी

निवेश प्रस्ताव : 40 लाख करोड़ से अधिक

पूर्वांचल, बुंदेलखंड और गंगा एक्सप्रेसवे का निर्माण

मेट्रो नेटवर्क का विस्तार

10 से अधिक एयरपोर्ट चालू/निर्माणाधीन

काशी, अयोध्या, मथुरा जैसे धार्मिक पर्यटन स्थलों का कायाकल्प

जनकल्याण : सीधी मदद बनाम वादे

15 करोड़ लाभार्थियों को मुफ्त राशन

1.5 करोड़ उज्ज्वला गैस कनेक्शन

45 लाख पक्के मकान

किसानों के खातों में सीधी आर्थिक मदद

योगी ने यूपी को अपराध से निवेश की राजधानी में बदला।

अतीक अहमद : एनकाउंटर और संपत्ति कुर्क

मुख्तार अंसारी : जेल से अपराध साम्राज्य ध्वस्त

विजय मिश्रा : गिरफ़्तारी और परिवार पर कार्रवाई

लखनऊ की अवैध संपत्तियां : सत्ता का असली चेहरा

अखिलेश काल : औसतन हर दिन 12 रेप, 18 हत्या, 40 लूट की वारदातें

जाति की राजनीति ढाल, असल में भ्रष्टाचार की ढाल।

अखिलेश काल पोस्टर, नारे और सीमित योजनाएं।

विदेशी होटल और लखनऊ की हवेलियाँ : भ्रष्टाचार का सच

विपक्ष पर योगी का सीधा हमला, अवैध संपत्तियों की पोल खोल

अखिलेश काल : अपराधियों की दावत, जनता बेबस

रेप-हत्या-लूट की बाढ़, माफियाओं को सियासी संरक्षण

मुख्तार-अतीक से विजय मिश्रा तक : माफिया की बारात

समाजवादी पार्टी से रिश्तों ने अपराधियों को बनाया रसूखदार

अखिलेश काल : सीमित योजनाएं, जातीय समीकरणों पर केंद्रित

जनता का विश्वास और विपक्ष की बेचैनी

जनता ने दो बार भाजपा को सत्ता देकर साफ संदेश दे दिया कि वह अपराध-राज और जातीय राजनीति से तंग चुकी है। विपक्ष का बौखलाना स्वाभाविक है क्योंकि उनका राजनीतिक आधार ही अपराधियों और भ्रष्टाचार पर टिका रहा है।

विकास और जनकल्याण का फर्क

लैपटॉप बनाम एक्सप्रेसवे, मुफ्त राशन और उज्ज्वला से सशक्त जनता

जनता का फैसला : अपराध से निवेश की राजधानी तक

दोबारा भाजपा की जीत, विपक्ष की बौखलाहट, यूपी की नई पहचान

जाति की राजनीति ढाल, असल में भ्रष्टाचार की ढाल।

माफिया-राज को टिकट देने वाले आज सुशासन पर सवाल उठा रहे हैं।

सवाल : पिछड़े और गरीबों के नाम पर राजनीति करने वाले नेता यदि सचमुच ईमानदार होते तो उनके परिवारों के पास विदेशों में होटल और देश में कोठियां कैसे खड़ी हो जातीं?

विकास की नयी धारा

एक्सप्रेसवे : पूर्वांचल, बुंदेलखंड और गंगा एक्सप्रेसवे।

एयरपोर्ट : कुशीनगर, जेवर, अयोध्या।

मेडिकल कॉलेज : हर जिले में मेडिकल सुविधा।

जहां पहले अपराधी यूपी से पूंजी बाहर ले जाते थे, वहीं आज उद्योगपति निवेश लेकर रहे हैं।

सदन में टकराव : आरोप और पलटवार

मुख्यमंत्री के हालिया बयानों से सदन गरमा गया। सत्तापक्ष के सदस्य तालियां बजाते रहे, जबकि विपक्षी विधायकों ने नारेबाजी की। अखिलेश यादव ने सरकार पर पलटवार करते हुए कहा कि भाजपाभूतकाल की राजनीतिकर रही है और जनता की असली समस्याओं से ध्यान भटका रही है। लेकिन योगी का जवाब दो टूक थाकृविपक्ष जितना भी शोर मचाए, जनता सब जानती है। पिछली सरकार ने जाति की राजनीति के नाम पर लूट मचाई। हमारी सरकार ने जनता को सुरक्षा, विश्वास और विकास दिया है।

जनता की नब्ज : भय से विश्वास तक

ग्राउंड रिपोर्ट बताती है कि पूर्वांचल और प्रयागराज जैसे क्षेत्रों में जनता का रुझान साफ है। एक समय लोग शाम ढलते ही घरों में कैद हो जाते थे, आज बाजार रात तक खुले रहते हैं। महिलाएं सुरक्षित महसूस करती हैं और मिशन शक्ति की बदौलत उन्हें तत्काल मदद मिलती है। छोटे व्यापारियों और किसानों को लगता है कि अब कोई भी माफिया उनकी जमीन और दुकानें हड़प नहीं सकता। यही कारण है कि योगी के बयानों को जनता केवल भाषण नहीं, बल्कि हकीकत का आईना मान रही है। योगी आदित्यनाथ के हालिया वक्तव्य विपक्ष पर हमला भर नहीं, बल्कि एक राजनीतिक विमर्श की दिशा है। इसमें संदेश है कि जनता अब जातिवाद, परिवारवाद और भ्रष्टाचार की राजनीति को नकार रही है। अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी के लिए यह सीधा संकेत है कि केवल नारों और जाति समीकरणों से सत्ता हासिल करना अब मुश्किल है। जनता तुलनात्मक दृष्टि से देख रही है कि किस शासनकाल में अपराध और भ्रष्टाचार बढ़ा और किस दौर में सुरक्षा और विकास आया। योगी सरकार के लिए भी यह चुनौती है कि इस गति को बनाए रखें। अपराधियों और भ्रष्टाचारियों पर प्रहार तो हुआ, लेकिन अब निवेश और रोजगार को जमीनी हकीकत बनाना होगा। अंततः, यह कहा जा सकता है कि विदेशों के होटल और लखनऊ की अवैध कोठियां सिर्फ भ्रष्टाचार का प्रतीक नहीं, बल्कि उस राजनीति की पहचान हैं जिसने जनता का विश्वास तोड़ा। और बुलडोज़र की गूंज केवल एक प्रशासनिक कार्रवाई नहीं, बल्कि उस नई राजनीति की ध्वनि है जिसमें जनता का पैसा जनता पर ही खर्च होगा।

 

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