त्योहारों में उपभोक्ता सेवा को प्राथमिकता, निजीकरण पर पाँच सवालों ने सरकार को घेरा
283वें दिन भी बिजलीकर्मियों
का संघर्ष जारी
सुरेश गांधी
वाराणसी. विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के बैनर तले शनिवार को बनारस समेत पूरे प्रदेश में बिजलीकर्मियों का विरोध-प्रदर्शन लगातार 283वें दिन भी जारी रहा। समिति ने साफ किया कि यह आंदोलन जनता और किसानों के हित में है, और त्योहारों को देखते हुए अगले दो महीनों तक उपभोक्ता सेवाओं को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी। सभा में वक्ताओं ने कहा कि पितृ पक्ष, नवरात्र, दशहरा, दीपावली और छठ जैसे महत्वपूर्ण पर्वों पर बिजली आपूर्ति में कोई बाधा नहीं आने दी जाएगी। आंदोलन और सेवा के इस संतुलन ने संघर्ष समिति की गंभीरता को और स्पष्ट किया है। संघर्ष समिति ने घोषणा की है कि उपभोक्ता और कर्मचारियों के हित में हर सप्ताहांत ऐसे पाँच नए सवाल उठाए जाएंगे।
पाँच सवालों से सरकार
को घेरा
संघर्ष समिति ने इस सप्ताह पावर कार्पोरेशन
प्रबंधन से पाँच अहम सवाल पूछे—
1. जब यूपी ट्रांस्को को देश की श्रेष्ठतम
ट्रांसमिशन कंपनी का पुरस्कार मिल चुका है, तो सुधार कर रही वितरण कंपनियों का निजीकरण
क्यों?
2. चंडीगढ़ और दादरा-नगर हवेली जैसे लाभकारी
क्षेत्रों में भी निजीकरण क्यों किया गया?
3. दिल्ली में निजीकरण के 23 साल बाद
भी उपभोक्ता बिलों में 7% पेंशन सरचार्ज वसूला जा रहा है—क्या
यही बोझ यूपी में भी डाला जाएगा?
4. क्या निजी कंपनियों को उपभोक्ताओं
से मनमाना शुल्क वसूलने की छूट होगी? (उदाहरण: आगरा में 2 किलोवाट कनेक्शन के लिए
9 लाख रुपये वसूले गए।)
5. क्या निजीकरण के बाद भी गरीब किसानों,
बुनकरों और बीपीएल उपभोक्ताओं को सब्सिडी मिलती रहेगी? (ग्रेटर नोएडा में 32 साल से
किसानों को सब्सिडी नहीं मिल रही।)
सभा को ई. मायाशंकर तिवारी, ई. एस.के.
सिंह, ई. नीरज बिंद, राजेन्द्र सिंह, अंकुर पाण्डेय, कृष्णा सिंह, अरविंद कुमार, प्रवीण
सिंह, रमेश कुमार, राजेश सिंह, मनोज जैसवाल, विवेक कुमार, बृजलाल, अनिल यादव सहित कई
नेताओं ने संबोधित किया।
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