Monday, 29 December 2025

बिजली निजीकरण के विरोध में 397वें दिन भी सड़कों पर उतरे कर्मी, 1 को ‘विरोध दिवस’ का ऐलान

बिजली निजीकरण के विरोध में 397वें दिन भी सड़कों पर उतरे कर्मी, 1 कोविरोध दिवसका ऐलान 

पूर्वांचल-दक्षिणांचल डिस्कॉम के निजीकरण पर आक्रोश, बनारस में अधीक्षण अभियंता कार्यालय पर प्रदर्शन

सुरेश गांधी

वाराणसी. पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के प्रस्तावित निजीकरण तथा आंदोलन के दौरान बिजली कर्मियों पर की जा रही कथित उत्पीड़नात्मक कार्यवाहियों के विरोध में बिजली कर्मचारियों का प्रांतव्यापी आंदोलन लगातार 397वें दिन भी जारी रहा। इसी क्रम में सोमवार को बनारस में सिगरा स्थित अधीक्षण अभियंता कार्यालय पर बिजली कर्मियों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया और 1 जनवरी को बड़े पैमाने परविरोध दिवसमनाने का एलान किया।

वक्ताओं ने कहा कि उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड ने बिजनेस प्लान के तहत पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के लिए 824.65 करोड़ रुपये और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के लिए 819 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं। इन योजनाओं के अंतर्गत दोनों निगमों में बिजली व्यवस्था सुधारने के लिए कार्य किया जा रहा है। संघर्ष समिति का कहना है कि जब बिजनेस प्लान के तहत लगभग 16.43 अरब रुपये खर्च किए जा चुके हैं, तब इन निगमों को निजी घरानों को कौड़ियों के मोल सौंपना किसी भी तरह स्वीकार्य नहीं है।

संघर्ष समिति ने बताया कि भारत सरकार की आरडीएसएस के तहत नए बिजली उपकेंद्रों के निर्माण, पुराने उपकेंद्रों के सुधार और नवीनीकरण के लिए भी भारी धनराशि स्वीकृत की गई है। इस योजना के अंतर्गत पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के लिए 3842 करोड़ रुपये और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के लिए 3247 करोड़ रुपये, यानी कुल 7089 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं।

समिति के अनुसार, आरडीएसएस योजना और बिजनेस प्लान को मिलाकर पूर्वांचल और दक्षिणांचल डिस्कॉम पर कुल 8732 करोड़ रुपये का निवेश किया जा रहा है, जबकि निजीकरण के लिए तैयार आरएफपी दस्तावेज में इन दोनों निगमों की रिजर्व प्राइस मात्र 6500 करोड़ रुपये रखी गई है। संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि जिन निगमों की परिसंपत्तियों का वास्तविक मूल्य लगभग एक लाख करोड़ रुपये बताया जा रहा है, उन्हें इस तरह बेचना बड़े भ्रष्टाचार से कम नहीं है।

वक्ताओं ने सवाल उठाया कि जिस राशि से अधिक धन सरकारी खजाने से सुधार कार्यों में खर्च किया जा चुका है, उससे कम पर इन्हें निजी हाथों में सौंपना आखिर कैसा सुधार है। सभा को . अंकूर पांडेय, मायाशंकर तिवारी, राजेन्द्र सिंह, . अवधेश मिश्रा, मनोज जायसवाल, हेमन्त श्रीवास्तव, अभिषेक सिंह, चंद्रशेखर कुमार, राजेश सिंह सहित अन्य वक्ताओं ने संबोधित किया।

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