Tuesday, 23 December 2025

बर्फीली ठंड ने बढ़ाई खादी की गर्माहट, प्रदर्शनी में उमड़ा भरोसा

बर्फीली ठंड ने बढ़ाई खादी की गर्माहट, प्रदर्शनी में उमड़ा भरोसा  

कश्मीर की शॉल से लेकर स्वदेशी स्वेटर तक की जमकर हो रही खरीदारी

10 दिवसीय इस प्रदर्शनी के तीसरे दिन तक कुल बिक्री 71 लाख के पार 

सुरेश गांधी

वाराणसी. बर्फीली हवाओं और पहाड़ी बारिश के बाद अचानक बढ़ी कंपकंपाती ठंड ने शहर की रफ्तार भले ही कुछ देर के लिए थाम दी हो, लेकिन खादी और ग्रामोद्योग प्रदर्शनी में गर्म कपड़ों की मांग को नई रफ्तार जरूर दे दी। मंगलवार को ठंड के तीखे तेवरों के बीच सिर्फ बाजारों में रौनक लौटी, बल्कि उत्तर प्रदेश खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा आयोजित मंडलीय खादी ग्रामोद्योग प्रदर्शनी में खरीदारी का उत्साह चरम पर दिखाई दिया।

प्रदर्शनी में खासतौर पर कश्मीरी शॉल, सूट, जैकेट और ऊनी स्वेटरों की जबरदस्त मांग देखी गई। लोग केवल ठंड से बचाव के लिए, बल्कि स्वदेशी और टिकाऊ उत्पादों की ओर बढ़ते भरोसे के साथ इन वस्त्रों की खरीद करते नजर आए। 10 दिवसीय इस प्रदर्शनी के तीसरे दिन तक कुल बिक्री 71 लाख रुपये के आंकड़े को पार कर जाना, इसी भरोसे और बदलते उपभोक्ता रुझान का प्रमाण है।

जिला उद्योग अधिकारी यूपी सिंह ने बताया कि मंगलवार को अकेले 71 लाख रुपये की बिक्री दर्ज की गई, जो यह दर्शाती है कि उपभोक्ता अब स्वदेशी उत्पादों को केवल विकल्प नहीं, बल्कि प्राथमिकता के रूप में अपना रहे हैं। खादी और ग्रामोद्योग के उत्पाद सिर्फ गुणवत्ता और उपयोगिता में बेहतर हैं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने में भी अहम भूमिका निभा रहे हैं।

प्रदर्शनी में आज जिला पंचायत अध्यक्ष पूनम मौर्य ने लगभग सभी स्टॉलों का निरीक्षण किया और प्रदर्शकों से संवाद कर उनके अनुभव जाने। उन्होंने ग्रामीण कारीगरों और उद्यमियों के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि ऐसी प्रदर्शनियां ग्रामीण भारत के उज्ज्वल भविष्य की मजबूत नींव रखती हैं।

इस प्रदर्शनी में कुल 125 स्टॉल लगाए गए हैं, जिनमें 22 खादी स्टॉल और 103 ग्रामोद्योग स्टॉल शामिल हैं। शहद, मसाले, मिट्टी और लकड़ी से बने हस्तशिल्प उत्पाद खास तौर पर लोगों को आकर्षित कर रहे हैं। इन उत्पादों में जहां परंपरा और शुद्धता की झलक है, वहीं आत्मनिर्भर भारत की सोच भी साफ दिखाई देती है।

खास बात यह है कि उपभोक्ताओं को खादी वस्त्रों पर 30 प्रतिशत तक की छूट का लाभ मिल रहा है, जिससे मध्यम वर्ग और युवा खरीदारों की भागीदारी और बढ़ी है। ठंड के मौसम में सस्ती, टिकाऊ और गुणवत्तापूर्ण गर्म वस्त्रों की यह उपलब्धता लोगों को खादी की ओर स्वाभाविक रूप से खींच रही है।

कुल मिलाकर, यह प्रदर्शनी सिर्फ बिक्री का मंच नहीं, बल्कि ग्रामीण कारीगरों की मेहनत, स्वदेशी सोच और आत्मनिर्भर भारत के संकल्प का जीवंत उदाहरण बनकर उभरी है। ठंड की तपिश में खादी की गर्माहट, आज सिर्फ शरीर ही नहीं, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी सशक्त बना रही है।

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