प्रेम, अनुशासन और मानव निर्माण का उत्सव
अस्सी घाट पर श्री श्री
ठाकुर अनूकूलचंद्रजी का 138वां जन्मोत्सव श्रद्धा और सेवा के साथ सम्पन्न
दीक्षा के पश्चात शिक्षा
ही एक स्वस्थ और सुसंस्कृत समाज का निर्माण करती है
सुरेश गांधी
वाराणसी। जब आध्यात्म केवल साधना न रहकर समाज
निर्माण का माध्यम बन जाए, तब उसका प्रभाव पीढ़ियों तक दिखाई देता है। अस्सी घाट के
निकट अवस्थित छोटा नागपुर वाटिका में परम प्रेममय श्री श्री ठाकुर अनूकूलचंद्रजी का
138वां जन्मोत्सव इसी भाव के साथ बड़े श्रद्धा, अनुशासन और सामाजिक चेतना के वातावरण
में मनाया गया। यह आयोजन केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि विचार, सेवा और संस्कार
का जीवंत संगम बनकर उभरा।
कार्यक्रम का शुभारंभ प्रातः 5 बजे वेदमांगलिकी
के साथ हुआ। इसके पश्चात बाल भोग निवेदन, समवेत प्रातःकालीन प्रार्थना, भजन-कीर्तन,
धर्मसभा, सांस्कृतिक कार्यक्रम, मातृ सम्मेलन और युवा सम्मेलन का क्रमबद्ध आयोजन हुआ।
पूरा दिन ठाकुरजी के विचारों, आदर्शों और जीवन दर्शन को आत्मसात करने का सजीव अवसर
बना। कार्यक्रम का समापन सायंकालीन प्रार्थना के साथ हुआ।
जौनपुर, प्रयागराज, गाजीपुर, आजमगढ़ सहित
बिहार के सासाराम और छपरा से आए सहप्रतिऋत्विकों और भक्तों की सहभागिता ने आयोजन को
अखिल क्षेत्रीय स्वरूप प्रदान किया। मतलब साफ है यह जन्मोत्सव यह संदेश देता है कि
जब आध्यात्म सेवा, अनुशासन और विचार के साथ जुड़ता है, तब वह समाज को दिशा देता है,
और यही श्री श्री ठाकुर अनूकूलचंद्रजी की स्थायी विरासत है।
विचारों की प्रासंगिकता पर मंथन
धर्मसभा में वक्ताओं ने आज के समय में
श्री श्री ठाकुर अनूकूलचंद्रजी के विचारों की मानव निर्माण में प्रासंगिकता पर विस्तार
से प्रकाश डाला। वक्ताओं ने कहा कि ठाकुरजी का संदेश केवल आध्यात्मिक उत्थान तक सीमित
नहीं है, बल्कि वह व्यक्ति के चरित्र, परिवार की संरचना और समाज की दिशा तय करता है।
इस अवसर पर विशेष रूप से इस बात पर जोर दिया गया कि दीक्षा के पश्चात शिक्षा ही एक
स्वस्थ और सुसंस्कृत समाज का निर्माण करती है। यह विचार आज के भौतिक और भ्रमित समय
में और अधिक प्रासंगिक हो जाता है, जहां मूल्य और अनुशासन की कमी समाज की बड़ी चुनौती
बनती जा रही है।
आदर्श विवाह नीति और सामाजिक संतुलन
वक्ताओं ने ठाकुरजी की आदर्श विवाह नीति
पर भी अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि विवाह केवल सामाजिक औपचारिकता नहीं, बल्कि संस्कार,
जिम्मेदारी और जीवन भर के सहयोग का संकल्प है। ठाकुरजी की विवाह नीति परिवार को सुदृढ़
करती है और सामाजिक असंतुलन को रोकने में सहायक है।
सेवा का जीवंत उदाहरण : चिकित्सा शिविर
जन्मोत्सव के अवसर पर आयोजित बृहद चिकित्सा
शिविर ने कार्यक्रम को सामाजिक सेवा की मजबूत आधारशिला प्रदान की। इस शिविर में करीब
750 लोगों ने निशुल्क स्वास्थ्य जांच, परामर्श और दवा वितरण का लाभ उठाया। ब्रॉड और
सुपर स्पेशियलिटी विभागों के चिकित्सकों ने अपनी सेवाएं प्रदान कर यह सिद्ध किया कि
ठाकुरजी का प्रेम और सेवा का संदेश केवल मंच तक सीमित नहीं, बल्कि ज़मीन पर उतरकर समाज
की पीड़ा को समझने का माध्यम है।

No comments:
Post a Comment