Monday, 28 January 2019

जब जॉर्ज फर्नांडिस ने इमर्जेंसी में इंदिरा की जड़े हिला दी थी


जब जॉर्ज फर्नांडिस ने इमर्जेंसी में इंदिरा की जड़े हिला दी थी
जब मैं उदय प्रताप कालेज, वाराणसी में बीएससी का छात्र था तो उन्होंने मुझे पुरस्कृत किया था। उनके निधन पर हम श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं। गैरकांग्रेसवाद की धुरी, बेहद ईमानदार, संसद में अपने तर्को से प्रतिपक्षियों को चित करने वाले राजनेता, पत्रकार एवं पूर्व रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस का निधन समाज एवं देश की अपूरणीय क्षति है, जिसकी भरपाई आज के दौर में असंभव है। जॉज फर्नांडिस ने साल 1967 से 2004 तक 9 लोकसभा चुनाव जीते और इस दौरान उन्होंने कई बड़े मंत्रालय भी संभाले, जिसमें रक्षामंत्री, कम्यूनिकेशन, इंडस्ट्री और रेलवे मंत्रालय का नाम शामिल है। अनथक विद्रोहीके नाम से मशहूर जॉर्ज फर्नांडिस ने देश में कई बड़ी हड़ताल और विरोध का नेतृत्व किया था, जिसमें 1974 में की गई देशव्यापी रेल हड़ताल अहम है 
सुरेश गांधी
उनकी देश भक्ति एवं लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि रक्षामंत्री रहते हुए उन्होंने बेहद गोपनीय तरीके से पोखरण में परमाणु परीक्षण को अंजाम दिया था। देश के जाने माने समाजवादी नेताओं में जॉर्ज फर्नांडिस एक रहे। अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई में पहली बार केंद्र में कार्यकाल पूरा करने वाली गठबंधन सरकार में जॉर्ज रक्षामंत्री रहे। मजदूरों के मसीहा कहे जाने वाले जॉर्ज फर्नांडिस यूनियन के सबसे बड़े नेता के तौर पर अपनी पहचान रखते थे। फिर चाहे वह रक्षा क्षेत्र में उठाए गए बड़े फैसले हो या फिर इंदिरा गांधी सरकार की इमरजेंसी, उस वक्त उन्होंने पुरजोर तरीके से विरोध किया। गरीबों किसानों के लिए जॉर्ज फर्नांडिस ने हमेशा ही आगे बढ़कर नेतृत्व किया। उस दौरान मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनका सामना भी हुआ। नई पीढ़ी के लोगों को शायद ही समाजवादी नेता जॉर्ज फर्नांडिस याद होंगे। वही जॉर्ज फर्नांडिस जिनकी एक आवाज पर हजारों गरीब-गुरुबा एकत्र हो जाते थे। इमरजेंसी के दौरान जॉर्ज ने इंदिरा गांधी और संजय गांधी के नाक में दम कर रखा था। 29 जनवरी 2019 मंगलवार को उनका सुबह 7 बजे 88 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। जॉर्ज फर्नांडिस पिछले कुछ दिनों से वह स्वाइन फ्लू से पीड़ित थे। दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती थे। लंबी समय से बीमार होने की वजह से ही वह सार्वजनिक जीवन से दूर थे।
बताते है आपातकाल के दौरान वह उड़ीसा में थे। इस दौरान वह देशभर में रूप बदलकर घूमते रहे। मछुआरे से लेकर साधु के रूप में वह आपातकाल का विरोध करने एक जगह से दूसरी जगह पहुंचते रहे। कई नेता अंडरग्राउंड थे या जेल में थे। लेकिन नरेंद्र मोदी उनके साथ सुरक्षा गार्ड की तरह साथ होते थे। फर्नांडिस की शुरुआती छवि एक जबरदस्त विद्रोही की थी। उस वक्त मुखर वक्ता राम मनोहर लोहिया, फर्नांडिस की प्रेरणा थे। 1950 आते-आते वे टैक्सी ड्राइवर यूनियन के बेताज बादशाह बन गए। बिखरे बाल, और पतले चेहरे वाले फर्नांडिस, तुड़े-मुड़े खादी के कुर्ते-पायजामे, घिसी हुई चप्पलों और चश्मे में खांटी एक्टिविस्ट लगा करते थे। कुछ लोग तभी से उन्हेंअनथक विद्रोही (रिबेल विद्आउट पॉज़) कहने लगे थे। जंजीरों में जकड़ा उनकी एक तस्वीर इमरजेंसी की पूरी कहानी बयां करती है। लालकृष्ण आडवाणी जॉर्ज फर्नांडिस कोबागीनेता कहते थे। आडवाणी ने कहा कि देश की तरक्की और विकास के लिए ऐसे नेताओं की जरूरत होती है। यदि विद्रोह नहीं होते तो देश को आजादी भी नहीं मिलती। जॉर्ज जैसे बागी नेताओं को आते रहना होगा ताकि देश तरक्की और विकास कर सके। 3 जून 1930 को मैंगलोर में पैदा हुए जॉर्ज फर्नांडिस नौ बार लोकसभा के सांसद रहे। वे अपने 6 भाई-बहनों में सबसे बड़े थे और उनके नाम के पीछे भी बड़ी रोचक कहानी है। दरअसल उनकी मां किंग जॉर्ज- की प्रशंसक थी, इसलिए उन्होंने अपने पहले बेटे का नाम जॉर्ज रखा था। कहा जाता है कि जॉर्ज फर्नांडिस 10 भाषाओं के जानकार थें, जिसमें हिंदी, अंग्रेजी, तमिल, मराठी, कन्नड़, उर्दू, तुलु, कोंकणी आदि भाषाएं शामिल हैं। अपने संसदीय जीवन में वह संसद की कई कमेटियों का हिस्सा रहे, सरकारों में कई पदों पर भी रहे।
गौरतलब है कि पूर्व रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस 1974 में ऑल इंडिया रेलवेमैन फेडरेशन के प्रमुख थे। तब उन्होंने ऐतिहासिक रेलवे स्ट्राइक की थी। उनके इस स्ट्राइक से सरकार की जड़े हिल गयी थी। कर्नाटक के मंगलौर में पढ़ाई करने वाले जॉर्ज फर्नांडिस को उनका परिवार पादरी बनाना चाहता था। लेकिन उनका इससे मोहभंग हो गया और चर्च छोड़कर वह नौकरी की तलाश में मुंबई चले गए। यहां उन्होंने बहुत ही गरीबी में वक्त गुजारा और चौपाटी पर सोकर रातें बिताईं। यहीं पर वह सोशलिस्ट पार्टी और ट्रेड यूनियन आंदोलन के कार्यक्रमों में हिस्सा लेने लगे। जॉर्ज फर्नांडिस ने आपातकाल के बाद 1977 का लोकसभा चुनाव जेल में रहकर ही लड़ा। वह बिहार की मुजफ्फरपुर सीट से लोकसभा चुनाव लड़े और उन्होंने रिकॉर्ड वोटों से जीत दर्ज की। केंद्र में जब मोरारजी देसाई की अगुवाई में सरकार बनी तो उन्हें मंत्री पद भी दिया गया। इसके बाद वीपी सिंह की सरकार में वह रेल मंत्री भी रहे। अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई में जब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार बनी तो जॉर्ज फर्नांडिस को रक्षा मंत्री का पद दिया गया। उस दौरान अगर कोई रुठता तो उन्हें मनाने का काम जॉर्ज फर्नांडिस के जिम्मे ही रहता था। इसके बाद बनी जनता पार्टी की सरकार में उन्हें उद्योग मंत्री की जिम्मेदारी मिली और बाद में उन्होंने अपनी अलग समता पार्टी बनाई।
फर्नांडिस देश के इकलौते रक्षामंत्री रहे, जिन्होंने सियाचिन ग्लेशियर का 18 बार दौरा किया। कहा जाता है कि रक्षामंत्री रहते हुए जॉर्ज के बंगले के दरवाजे कभी बंद नहीं हुआ करते थे। इसके अलावा वह अपने काम के लिए नौकरों का इस्तेमाल नहीं करते थे। जॉर्ज फर्नांडिस के रक्षा मंत्री रहते ही देश को परमाणु शक्ति प्राप्त हुई। मई 1998 में राजस्थान के पोकरण में जब देश में परमाणु परीक्षण किए। साथ ही करगिल युद्ध भी इन्हीं के कार्यकाल में हुआ। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी को लेकर वह काफी सख्त थे। साल 2011 में उन्हें दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशनल क्लब में एक कार्यक्रम में बुलाया गया। केंद्र में उस वक्त यूपीए की सरकार थी। जब फर्नांडिस वहां पहुंचे तो देखा कि दीवार पर कई नेताओं के साथ सोनिया गांधी की तस्वीर भी लगी है। यह देखकर वह भड़क गए। फर्नांडिस इतना गुस्सा हो गए कि उन्होंने नेहरू परिवार पर देश को लूटने का आरोप लगाते हुए उस तस्वीर को तुरंत हटाने की बात कही। उनका सख्त लहजा देखने के बाद सोनिया गांधी की तस्वीर वहां से हटाई गई।

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