Monday, 26 August 2024

कान्हा के रंग में रंगी काशी, जन्मे कृष्ण कन्हाई, बधाई हो बधाई

कान्हा के रंग में रंगी काशी, जन्मे कृष्ण कन्हाई, बधाई हो बधाई 

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी  का उल्लास, बाबा विश्वनाथ धाम से लेकर स्कॉन मंदिर पुलिस लाइन तक के मंदिरों में विशेष आयोजन

घरों से मंदिरों तक सुबह से रात तक कृष्ण भक्ति में डूबे रहे काशीवासी

रोशनी से नहाए मंदिरों में दर्शनार्थियों की कतार

गोविंदा आला रे.. आला रे... के जय घोष के साथ फोड़ी दही हाड़ी

इस्कॉन मंदिर में 51 रजत कलश, 51 प्रकार के द्रव्य से हुआ लड्डू गोपाल का महाभिषेक; गूंजा हरे कृष्ण मंत्र

सुरेश गांधी

वाराणसी। हाथों में सजे-धजे भगवान लड्डू गोपाल, और मस्तक पर राधे-कृष्ण नाम का तिलक लगाएं श्रीकृष्ण नाम संकीर्तंन करते भक्त। मंदिरों में भगवान श्री कृष्ण की एक झलक के लिए मौजूद जन सैलाब... घंटे घड़ियाल... शंख की ध्वनि... मृदंग... मंजिरों की धुन... भक्ति माहौल में बधाई गीतों के बीच दोनों हाथ ऊपर उठाकर भगवान श्रीकृष्ण का जयघोष करते श्रद्धालु, जन्मे कृष्ण कन्हाई, बधाई हो बधाई। फिर हाथी-घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाल की गूंज। जन्माष्टमी पर शहर में तड़के से रात को शयन झांकी तक मंदिरों एवं घरों में ऐसा ही नजारा देखने को मिला। कई श्रद्धालु कई श्रद्धालु बच्चों को भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरूप में सजाकर मंदिर पहुंचे सेल्फी क्लिक की। 

इस दौरान कहीं मथुरा-वृंदावन तो कहीं नंदगांव साकार हो उठा। समूची काशी भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में रंगी नज़र आई। खास यह है कि आईआईटी के पूर्व छात्रों ने भक्ति संगीत श्रीकृष्ण जीवन पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रमों की मनोहारी प्रस्तुति दी। 

रात्रि में नौ बजे से श्रीकृष्ण प्राकट्योत्सव में 51 रजत कलशों से 51 प्रकार के द्रव्य दूध, दही, घी, शर्करा, शहद औषधीय द्रव्यों से महाअभिषेक आरंभ हुआ। इसके बाद 108 प्रकार के व्यंजनों का महाभोग अर्पित हुआ। 


भक्तों ने बालगोपाल की महाआरती उतारी। इसके बाद पूरा परिवेश कृष्णमय हो गया। चाहे पुलिस लाइन हो या बाबा विश्वनाथ धाम या इस्कॉन मंदिर सहित अन्य श्रीकृष्ण मंदिरों में मध्यरात्रि हवाई गर्जनाओं के साथ श्री कृष्ण प्रकट हुए। जन्म के साथ ही भगवान कृष्ण का अभिषेक कर उन्हें पंचमेवा, माखन मिश्री पंजीरी आदि का भोग लगाया। प्रभु की बलाइयां लेने के लिए हजारों हाथ एक साथ उठे। घरों में भी श्रद्धालुओं ने भगवान का अभिषेक कर नवीन पोशाक पहनाई पूजन आरती की। साथ ही व्रत भी रखा। दर्शन के लिए भक्तों का ताता देर रात तक लगा रहा।

मंदिरों में तड़के झांकी से पूर्व ही श्रद्धालुओं का जूटना शुरू हो गया था। दोपहर तक विभिन्न मंदिरो के बाहर लंबी लाइन लग गई। मंदिर में मध्य रात्रि 1200 बजे श्री कृष्ण का जन्म हुआ। पंचामृत अभिषेक शालिग्राम पूजन के बाद ठाकुर जी को पंजीरी लड्डू खीर, सावा, रबड़ी आदि का भोग लगाया गया। उन्हें नवीन पीली पोशाक और विशेष अलंकार धारण कराए गए। सुबह से ही शिव की नगरी पूरी तरह से कृष्णमय हो चुकी थी। घरों में जहां सोहर गूंज रहे थे तो वहीं मंदिरों में हरेकृष्णा महामंत्र का जाप हो रहा था। 

घरों में जगह-जगह लड्डू गोपाल की झांकी सजाई गई थी। कहीं शिव स्वरूप में कान्हा तो कहीं बुलडोजर पर तो कहीं रोपवे पर सवार भक्तों का मन मोह रहे थे। अशोक की पत्तियों और करौंदे से कदंब की डाल सजी थी तो छोटे-छोटे खिलौने भी लड्डू गोपाल के स्वागत में सजाए गए थे। जगह-जगह गोशालाओं में गायों की पूजा की गई। उन्हें गुड़, चना और केला खिलाया गया।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर श्री काशी विश्वनाथ धाम स्थित मंदिर चौक में सांस्कृतिक संध्या का विशेष आयोजन किया गया। इस दौरानश्री राधा कृष्ण लीला संस्थान, श्री धाम बरसाना, मथुरासंस्था से पधारे कलाकारों द्वारा रासलीला कार्यक्रम की मनमोहक प्रस्तुति की गयी। 

कलाकारों द्वारा  श्रीकृष्ण लीला का आकर्षक मंचन किया। एक से बढ़कर एक वेशभूषा धर कर कलाकारों ने सभी का मन मोह लिया। राधा-कृष्ण के प्रेम की झलक दिख रही थी। इसके बाद बाबा विश्वनाथ के धाम में पहली बार लड्डू गोपाल का जन्मोत्सव मनाया गया। 

मध्यरात्रि में जैसे ही भगवान लड्डू गोपाल का जन्म हुआ तो पूरा प्रांगण हर-हर महादेव के जयघोष के साथ ही जय कन्हैया लाल की... के जयकारे से गूंज उठा। शंख वादन, घंटा, घड़ियाल, डमरू की निनाद और वेदमंत्रों के साथ भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव का उल्लास धाम के कण-कण में नजर रहा था। 

लड्डू गोपाल को पंचामृत से अभिषेक कराने के बाद भक्तों में प्रसाद का वितरण किया गया। इसके बाद लड्डू गोपाल को सत्यनारायण मंदिर में रात्रि विश्राम कराया गया। जन्म के ढाई घंटे के बाद भगवान लड्डू गोपाल को बाबा विश्वनाथ की मंगला आरती में विराजमान कराया गया। 

लड्डू गोपाल ने बाबा विश्वनाथ के मंगला स्वरूप का दर्शन किया तो वहीं देश और दुनिया भर के श्रद्धालु भी इस पल के साक्षी बने। श्रद्धालुओं ने श्री काशी विश्वनाथ मंदिर की वेबसाइट और लाइव प्रसारण के जरिए लड्डू गोपाल और बाबा विश्वनाथ के एकसाथ दर्शन किए। 

मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्वभूषण मिश्र ने बताया कि काशी विश्वनाथ धाम में पहली बार लड्डू गोपाल का जन्मोत्सव मनाया गया और उन्होंने जन्म के ढाई घंटे बाद ही बाबा के मंगला स्वरूप के दर्शन किए। इस अवसर पर मंडलायुक्त कौशलराज शर्मा सहित कई प्रशासनिक पुलिस अधिकारी मौजूद रहे। 

आइआइटी-बीएचयू के जय श्रीकृष्ण... के उद्घोष से पूरा परिसर गूंज उठा। लगभग 30 फीट ऊपर मटकी बांधकर उसे तोड़ा गया। मटकी के फूटते ही छात्रों ने बोला- गोविंदा आला रे... सैकड़ों छात्रों ने एक दूसरे के ऊपर चढ़कर पिरामिड बना मटकी फोड़ी। छात्र बर्तन में पानी लेकर एक-दूसरे पर फेक रहे थे। कुछ छात्राओं ने श्रीकृष्ण और राधा का मंचन किया। उनके मंचन पर खूब तालियां बजीं। 

खास यह है कि आईआईटी के पूर्व छात्रों ने भक्ति संगीत श्रीकृष्ण जीवन पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रमों की मनोहारी प्रस्तुति दी। रात्रि में नौ बजे से श्रीकृष्ण प्राकट्योत्सव में 51 रजत कलशों से 51 प्रकार के द्रव्य दूध, दही, घी, शर्करा, शहद औषधीय द्रव्यों से महाअभिषेक आरंभ हुआ। इसके बाद 108 प्रकार के व्यंजनों का महाभोग अर्पित हुआ। भक्तों ने बालगोपाल की महाआरती उतारी। इसके बाद पूरा परिवेश कृष्णमय हो गया।

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में श्रीकृष्णजन्मोत्सव की धूम रही। मालवीय भवन में आयोजित झूलनोत्सव छात्रावासों में सजी आकर्षक झांकियां लोगों के आकर्षण का केन्द्र रही। कमच्छा स्थित विद्यालयों के अलावा विभिन्न छात्रावासों विशेषकर महिला महाविद्यालय, त्रिवेणी महिला छात्रावास, रुईया छात्रावास, न्यू इंटरनेशनल गर्ल्स हास्टल (सूची संलग्न) आदि में लीलाधर भगवान श्री कृष्ण की आकर्षक झांकी सजाकर पूजा अर्चना की गयी। 

विश्वविद्यालय परिसर स्थित श्री विश्वनाथ मंदिर में भी झांकी सजाकर भजन-कीर्तन गाया गया। विश्वविद्यालय में अनेक स्थानों पर आधारित झांकियों में भगवान कृष्ण के जीवन के विभिन्न पक्षों उनकी लीलाओं का सुन्दर प्रस्तुतिकरण किया गया, जिनका बड़ी संख्या में विद्यार्थियों, दर्शनार्थियों विश्वविद्यालय परिवार के सदस्यों ने भावपूर्वक अवलोकन किया। 

दुर्गाकुंड स्थित इस्कॉन मंदिर में सात दिवसीय श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाया गया। प्रांगण में 24 घंटे हरे कृष्ण मंत्र हरिनाम संकीर्तन के बीच कान्हा ने जन्म लिया। 51 रजत कलश में 51 प्रकार के द्रव्यों से लड्डू गोपाल का महाभिषेक हुआ। पूरा परिसर भगवान कृष्ण के जयकारे से गूंज उठा। मध्य रात्रि तक डेढ़ लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने भगवान के दर्शन किए और प्रसाद ग्रहण किया।

लगभग 10 टन शुद्ध देसी घी से बना हलुआ प्रसाद श्रद्धालुओं में वितरित किया गया। गोवर्धन धाम मंदिर नमो घाट में हर्षोल्लास के साथ श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महामहोत्सव मनाया गया। नमो घाट स्थित गोवर्धनधारी जी के मंदिर में सजावट के साथ नंदलाल जी को छप्पन भोग का प्रसाद लगाया गया। चांदी के पालने पर नंदलाल जी को बैठाया गया था। रात्रि 1200 बजे लड्डू गोपाल जी का पंचामृत से अभिषेक भी किया गया। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के वाग्देवी मंदिर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाया गया।

नई सुबह एक उम्मीद सामाजिक संस्था की ओर से सोमवार को नरिया वार्ड में जन्माष्टमी पर महिला सुरक्षा जागरूकता रैली का आयोजन किया गया। लोगों को अपनी बेटियों की सुरक्षा के लिए जागरूकता रैली निकाली। महिलाओं ने हैंड स्टिक स्लोगन के माध्यम से - सुनो द्रोपदी शस्त्र उठा लो, अब तुम्हें बचाने गोविंद आएंगे। निर्भया करती चीख पुकार, फिर भी चुप क्यों है सरकार... आदि नारे लगाकर लोगों को महिलाओं की सुरक्षा के प्रति जागरूक किया। 

जन्माष्टमी के अवसर पर दुर्गाकुंड स्थित मणि मंदिर (धर्मसंघ) में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की धूम रही। विविध आयोजनों से संपूर्ण परिसर दिन भर चहकता रहा। जन्मोत्सव पर मणि मंदिर में प्रातः काल से ही पूजन अर्चन शुरू हो गया। सर्वप्रथम ठाकुर जी का विशिष्ट शृंगार किया गया। लक्सा स्थित श्री श्याम मंदिर में श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर श्री श्याम मंडल की ओर से खाटू श्याम का जन्म उत्सव मनाया गया। 

श्याम प्रभु की रंग बिरंगे सुगंधित फूलों से झांकी सजाई गई। मंदिर परिसर में खिलौनों से भगवान का स्वरूप सजाया गया। गुब्बारों, फूलों और लाइटों से मंदिर परिसर को सजाया गया। संयोजन में संस्था के अध्यक्ष दीपक बजाज, अजय खेमका, संदीप शर्मा कानू, सुरेश तुलस्यान मौजूद रहे।

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