Wednesday, 28 August 2024

’जातियता’ की कांट है ’बंटेंगे तो कटेंगे’

जातियताकी कांट हैबंटेंगे तो कटेंगे’  

हाल के दिनों में अपने बयानों के लिए अक्सर सुर्खियों में रहने वाले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ताजा बयानबंटेंगे तो कटेंगेलोगों के जुबान ़पर है। लोग इसके अपने -अपने तरीके से मायने निकाल रहे है। लेकिन हकीकत तो यही है बांग्लादेश में जिस तरीके से हिंदुओं का नरसंहार किया गया, वे दिल दहलाने वाले है। पर हिन्दुओं को हिंसा-हिंसा कहने वाले राहुल गांधी का चुप रहना तो समझ में आता है लेकिन जो अमेरिका, भारत में कुछ पोशित-पल्लिवत फिल्म स्टारों केडरजैसी बेमतलब ़के बयानों ़़होने वाली छोटी-छोटी घटनाओं पर उपदेश देता है, उसका मौन रहना गले के नीचे नहीं ़उतर रहा। जो मुल्क फिलिस्तीन के नाम पर बार-बार आवाज़ उठाते रहे, वे बांग्लादेश के सवाल पर ऐसी चिर निद्रा में सोएं है, जगाने पर भी नहीं जाग रहे हैं खासकर योगी के इस बयान की प्रासंगिता तब और बढ़ जाती है जब इंडि ब्लाक के राहुल, अखिलेश, लालू जैसे घोर ़परिवारी पार्टी के नेता अपनी सियासी दकान चलाने के लिए जातियों के नाम देश को खंड खंड करने का ताना-बाना बुन रहे हो। जबकि ़योगी के बयान का सिर्फ और सिर्फ एक ही मकसद ़भारत के लोग जातियों में बंटते रहेंगे, आपस में लड़ते रहेंगे, तो देश कभी मजबूत नहीं हो सकता 

                         सुरेश गांधी

फिरहाल, ़श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव और उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के बयानों के बाद राष्ट्रीय राजनीति में सरगर्मी का माहौल है। माना जा रहा है कि भाजपा हार्डकोर हिंदुत्व के माध्यम से कांग्रेस को घेरना चाहती है। राज्य सरकारों के कई निर्णयों से भी यही संदेश गया है। मप्र के सीएम मोहन यादव के मुताबिक भारत में रहना है तो राम-कृष्ण की जय कहना होगा। जबकि सीएम योगी ने कहा कि राष्ट्र से बढ़कर के कुछ नहीं हो सकता. राष्ट्र तब सशक्त होगा जब हम एक रहेंगे नेक रहेंगे. बटेंगे तो कटेंगे. बांग्लादेश में जो गलतियां हुई हैं वो यहां नहीं होनी चाहिए. पर अफसोस है हमारे देश में ज्यादातर राजनीतिक दलों ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे नरसंहार ़पर ़चुप रहने ़में ही ़अपनी भलाई ़समझा।

उन्हें इस बात का खौफ ़अंदर ही अंदर खाएं जा रहा है ़बांगलादेश के जुल्म पर मुंह खोला तो ़उनका ़वोट बैंक खिसक जायेगा। यह अलग बात है कि योगी मोहन का ़यह बयान ़जाति में बंटे हिन्दू ़समाज को ़एकजुट ़रहने का ही ़संदेश है। मगर इंडि गठबंधन के नेता इसे उनके जाति सियासी काट मान रहे हैं। उन्हें पता है कि हिंदुओं का ध्रुवीकरण हुआ तो उनकी ़सियासी दुकान में ताला लटक ़सकता है। वो समझ रहे ़यूपी बिहार में ़विकास नहीं जातिवाद सबसे ऊपर है. यही वजह है लोकसभा चुनाव में यूपी में 36 सीटे ़जीतकर समाजवादी पार्टी पीडीए के नाम पर जातियता को जोर शोर से उठा रही है। पिछड़ों और दलितों को एकजुट करने में जुटी है। जबकि योगी हिंदुओं को बांग्लादेश की घटनाओं से सबक लेने की बात कर रहे है। अपनी खास शैली में योगी ने कहा, “हम एक रहेंगे, तो नेक रहेंगे, हम बंटेगे, तो कटेंगे योगी का संदेश स्पष्ट है। 

दरअसल, इंडि गठबंधन के नेता जातिवादी जनगणना के माध्यम से जातियता की अलख जगाएं रखना ़चाहती है। राहुल गांधी हर मुद्दे को जातिवादी प्रतिनिधित्व से जोड़कर भाजपा सरकारों को पिछड़े, कमजोर, दलित वर्ग के अधिकारों के हनन का दोषी ठहराते रहे हैं। लेकिन ़श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के बयानों ने इंडि नेताओं के होश उड़ा दिए है। यह अलग बात है कांग्रेस ने फिलहाल इन बयानों पर प्रतिक्रिया नहीं दी है। देखा जाएं ़तो 1931-32 में हुई जाति जनगणना में लगभग 4000 जातियां समाने आयी थी, लेकिन 2011 की जनगणना में जब यह संख्या बढ़कर 80 हजार पार कर गई तो तत्कालीन सरकार ने इसे जारी नहीं किया। 1931-32 की जनगणना में जाति दर्ज करने का दुष्परिणाम रहा कि हजारों ऐसी जातियां अस्तित्व में लाई गईं, जिनका पहले जिक्र नहीं हुआ करता था। राजनीति दलों के सह पर जातियों के कुछ तथाकथित नेता समाज एकजुटता के नाम ़पर जातियों ़के नेता बन गए और ़उसका लाभ उठाते हुए करोड़ो अरबो की संपत्तियों क़े मालिक बन बैठे। जबकि जातियों के समाजिक हालात ़जस के ़तस बने ़हुए है। हाल यह हो गया है ़जाति के मलाई काट रहे नेताओं ़ने अपने ही ़समाज कई उपजातियों का संजाल ़खड़ा कर दिया। समाज में ऐसा विभाजन पैदा किया पूरा सामाजिक ताना-बाना और समरसता छिन्न-भिन्न होता चला गया। हालांकि ़दो मुख्यमंत्रियों के बयान ने भाजपा के हार्डकोर हिंदुत्व के स्पष्ट संकेत दे दिए हैं कि आने वाले समय में कांग्रेस के जातिवादी जनगणना के मुद्दे के मुकाबले हिंदुत्व की धार को मजबूत  कर भाजपा केवल कांग्रेस को घेरेगी, बल्कि हिंदुओं के बीच अपनी पैठ और मजबूत बनाएगी। हार्डकोर हिंदुत्व सरकार के एजेंडे में भी केंद्र से लेकर राज्य की भाजपा सरकारों तक कई फैसलों में हार्डकोर हिंदुत्व साफ दिखाई पड़ता है। 

वैसे भी उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सियासी ताकत कानून व्यवस्था और हिंदुत्व का एजेंडा है. इन दो एजेंडों के आसपास उनकी पूरी सरकार चलती है, फिर चाहे वो कांवड़ यात्रा रूट पर नेम प्लेट का आदेश हो या फिर लव जिहाद को लेकर विधानसभा में विधेयक पेश करने के साथ ही उम्र कैद की सजा रखने का प्रावधान किया हो, इन दोनों ही फैसले से सीएम योगी की हिंदुत्ववादी छवि को मजबूत मिलेगी. योगी आदित्यनाथ की यह मजबूती उनके सत्ता की पकड़ को और भी मजबूत कर सकता है. इसीलिए किसी भी विरोध के परवाह किए बगैर अपने फैसले पर अड़े हैं. पीएम नरेंद्र मोदी के बाद सबसे ज्यादा प्रभाव अगर उत्तर भारत के हिंदू समुदाय पर किसी का है तो वो सीएम योगी आदित्यनाथ ही हैं. उन्होंने यह उपलब्धि सीएम बनने के बाद कुछ सालों में अपने हिंदुत्व के एजेंडे और कानून व्यवस्था को अमलीजामा को पहनाकर हासिल किया है.

संघ परिवार और बीजेपी का मूल एजेंडा हिंदुत्व रहा है और उसमें बड़ी सफलता पहले लालकृष्ण आडवाणी को मिली. बाद में नरेंद्र मोदी को और अब इस मामले में योगी बीजेपी में इन दोनों शीर्ष नेताओं के बाद अपनी जगह बनाने में सफल हुए हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी हिंदुत्ववादी छवि से कभी समझौता नहीं किया है. सीएम योगी ने सिर्फ अयोध्या-मथुरा-काशी पर ही फोकस किया बल्कि भव्य राम मंदिर के लिए खजाना खोला। योगी आदित्यनाथ के लव जिहाद कानून की भले ही कुछ लोग आलोचना कर रहे हों, लेकिन इसे हिंदुत्व के एजेंडे को मजबूत करने वाला माना जा रहा है. यही वजह है कि सीएम योगी इस पर पूरी मुस्तैदी के साथ कायम है. माना जाता है कि योगी के लिए हिंदुत्व की छवि एक सियासी ढाल की तरह है और कानून व्यवस्था उन्हें सियासी मजबूती दे रहा है. इन दोनों सियासी हथियार से योगी पार्टी के अंदर और बाहर दोनों ही जगह पर मोर्चा लेने के लिए तैयारी में है

सीएम योगी ने कहा, हमने जीवन को समग्रता के साथ जीने का विश्वास किया। हमने कभी विकास का विरोध नहीं किया। मेरे वेष को देखकर लोग पहले क्या सोचते थे क्या बोलते थे मैंने कुछ प्रतिक्रिया नहीं दी। मैं 2017 से सीएम के तौर पर सेवा कर रहा हूं। हमने पार्टी की विचारधारा, मूल्यों और सद्धिंतों के लिए प्रतिबद्धता जताते हुए विकास पर फोकस किया है। वह बोले, हिंदुत्व हार्ड या सॉफ्ट नहीं होता वह केवल हिंदुत्व होता है। मैं योगी हूं, ना हार्ड हूं ना सॉफ्ट हूं... हिंदुत्व ऐसा ही होता है, भारत की जीवन पद्धति ही हिंदुत्व है। यूपी में हुए विकास पर सीएम योगी का कहना था, पहले यूपी मीटर गेज की ट्रेन की स्पीड से आगे बढ़ रहा था, अब बुलेट ट्रेन की गति से बढ़ रहा है। जब मैं सत्ता में आया उस समय यूपी की जीडीपी 12 लाख करोड़ थी आज उससे दोगुनी 24 लाख करोड है। फरवरी में जो ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट होने जा रही है उसमें यूपी की जीडीपी से ज्यादा निवेश होगा।

जबकि राहुल गांधी ने लोकसभा में कहा था, बीजेपी, नरेंद्र मोदी या आरएसएस पूरा हिन्दू समाज नहीं है. सभी धर्म और महापुरुष अहिंसा और निडरता की बात करते हैं. सभी कहते हैं कि डरो मत और डराओ मत. शिवजी कहते हैं डरो मत और डराओ मत. वो अहिंसा की बात करते हैं, लेकिन जो लोग अपने आपको हिंदू कहते हैं, वो 24 घंटे हिंसा, नफरत और असत्य की बात करते हैं. सच तो यह है ़आप हिंदू हैं ही नहीं. हिंदू धर्म में साफ लिखा है सत्य के साथ खड़ा होना चाहिए, सत्य से पीछे नहीं हटना चाहिए क्योंकि तीर दिल में जाकर लगा है। हालांकि इसके जवाब में सीएम योगी ने कहा, हिंदू भारत की मूल आत्मा है. हिंदू सहिष्णुता उदारता और कृतज्ञता का पर्याय है. गर्व है कि हम हिंदू हैं. मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति में डूबे हुए और खुद को एक्सीडेंटल हिंदू कहने वाली जमात के शहजादे को यह बात भला कैसे समझ आएगी. आपको दुनिया भर के करोड़ों हिंदुओं से माफी मांगनी चाहिए. आपने आज एक समुदाय को नहीं, भारत माता की आत्मा को लहुलुहान किया है. पीएम मोदी ने लोकसभा में ही खड़े होकर कहा, पूरे हिंदू समाज को हिंसक कहना गंभीर मुद्दा है. पीएम मोदी ने कहा कि लोकतंत्र और संविधान ने सिखाया है कि उन्हें नेता विपक्ष को गंभीरता से लेना चाहिए. अमित शाह ने कहा कि करोड़ों लोग अपने आपको गर्व से हिंदू कहते हैं. हिंसा की भावना को धर्म के साथ जोड़ना गलत है और राहुल गांधी को इसके लिए माफी मांगनी चाहिए.

घटती हिन्दू आबादी

एक सर्वे के मुताबिक दुनिया में मुसलमानों की आबादी 1.8 बिलियन है, जो संसार की कुल आबादी का 24 प्रतिशत है. इस्लाम विश्व में दूसरा सबसे ज्यादा फॉलो किए जाने वाला धर्म है. पहला नंबर है ईसाइयों का, जिसे मानने वालों की तादाद 2.3 बिलियन है. दुनिया में 80 से 90 प्रतिशत मुसलमान सुन्नी हैं और 10-13 प्रतिशत शिया हैं. शिया मुसलमान पाकिस्तान, भारत, इराक और ईसान में रहते हैं. जबकि 300 मिलियन मुसलमान ऐसे देशों में रहते हैं, जो गैर-इस्लामिक हैं. रिपोर्ट में कहा गया कि दुनिया के 47 फीसदी ईसाई, 29 फीसदी मुस्लिम, 5 फीसदी हिंदू, 4 प्रतिशत बौद्ध और 1 प्रतिशत यहूदी अपने जन्म के देश से बाहर जाते हैं. पिछले 30 साल में अंतर्राष्ट्रीय प्रवासियों की कुल संख्या में 83 फीसदी का इजाफा हुआ है, जो 47 प्रतिशत की वैश्विक जनसंख्या वृद्धि से काफी ज्यादा है. अगर 1990 की बात करें तो उस वक्त 39.9 मिलियन मुसलमान दूसरे देशों में जाकर बस जाते थे. लेकिन 2020 में इस संख्या में जबरदस्त इजाफा हुआ और आंकड़ा 80.4 फीसदी तक पहुंच गया. जिन देशों से पलायन करके सबसे ज्यादा मुस्लिम जाते हैं, वे देश हैं भारत (8 फीसदी), सीरिया (10 फीसदी) और अफगानिस्तान (7 फीसदी). संयुक्त अरब अमीरात में 8 फीसदी मुसलमान आकर बस जाते हैं. जबकि सऊदी अरब में 13 फीसदी और तुर्की में 7 फीसदी. वहीं 1990 में 72.7 फीसदी ईसाई पलायन करके दूसरे देशों में जाते थे. जबकि 2020 में यह आंकड़ा 130.9 फीसदी तक चला गया. ईसाई सबसे ज्यादा अमेरिका (27 फीसदी), जर्मनी (6 फीसदी) और रूस (6 फीसदी) में बस जाते हैं. वहीं हिंदुओं की बात करें तो सिर्फ 5 फीसदी हिंदू ही दूसरे देशों में जाकर बसते हैं. बांग्लादेश में भी अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद युनूस ने सिर्फ जुबानी जमाखर्च किया, हिंदुओं से सहानुभूति तो दिखाई लेकिन कुछ कर नहीं पाए। ये साफ है कि बांग्लादेश में अब जमात--इस्लामी जैसा कठमुल्ला संगठन हावी है और वो सिर्फ शेख हसीना को हटाकर संतुष्ट नहीं है। इसीलिए बांग्लादेश में अभी भी अमन कायम नहीं हुआ है। अभी भी वहां रहने वाले हिंदू डरे हुए हैं। बांग्लादेश के ज्यादातर हिन्दू श्रीकृष्ण जन्मोत्सव नहीं मना पाए क्योंकि उन्हें फिर से कट्टरपंथियों के हमलों का डर था। आम तौर पर मेहरपुर के इस्कॉन मंदिर में हर साल जन्माष्टमी पर भव्य प्रोग्राम होता था लेकिन इस मंदिर में इस बार सन्नाटा था। बांग्लादेश में हुई हिंसा में मेहरपुर के इस्कॉन मंदिर पर भी हमला हुआ था, पूरा मंदिर जला दिया गया था। हमले के बीस दिन बाद भी कुछ नहीं बदला है। जले हुए मंदिर में सिर्फ एक पुजारी बचे हैं। आंकड़ों के मुताबिक भारत में 65 साल के दौरान हिन्दुओं की आबादी आठ परसेंट कम हो गई है. जबकि मुसलमानों की आबादी 44 परसेंट बढ़ गई. 1950 और 2015 के बीच भारत में मुस्लिम आबादी में 43.15 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. ईसाइयों में 5.38 फीसदी, सिखों में 6.58 फीसदी और बौद्धों में मामूली बढ़ोतरी देखी गई है. 1950 में भारत की जनसंख्या में हिंदुओं की हिस्सेदारी 84 फीसदी थी. 2015 तक यह घटकर 78 फीसदी हो गई है. इसी अवधि में मुसलमानों की हिस्सेदारी 9.84 फीसदी से बढ़कर 14.09 फीसदी हो गई है. म्यांमार के बाद भारत अपने पड़ोसी देशों में दूसरे नंबर पर है, जिसकी बहुसंख्यक आबादी में कमी आई है. म्यांमार में 10 फीसदी और  भारत में 7.8 फीसदी बहुसंख्क आबादी घटी है. भारत के अलावा नेपाल में बहुसंख्यक समुदाय (हिंदू) की आबादी में 3.6 फीसदी की गिरावट देखी गई. बांग्लादेश में बहुसंख्यक समुदाय मुसलमानों की सबसे ज्यादा 18.5 फीसदी आबादी बढ़ी है. उसके बाद पाकिस्तन में 3.75 फीसदी और अफगानिस्तान में 0.29 फीसदी मुस्लिम आबादी बढ़ी है. पाकिस्तान में बहुसंख्यक धार्मिक संप्रदाय (हनफी मुस्लिम) की हिस्सेदारी में 3.75 फीसदी की वृद्धि और 1971 में बांग्लादेश अलग देश बनने के बाद कुल मुस्लिम आबादी की हिस्सेदारी में 10 फीसदी की वृद्धि देखी गई. 

हिंदुत्व ही है भारतीय संविधान की नींव

स्वतंत्रता समानता भाईचारा या बंधुत्व शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व लोकतंत्र और प्रकृति के प्रति सम्मान संविधान के बुनियादी मूल्य हैं। यही सांस्कृतिक-सभ्यताकालीन मूल्य हिंदू संस्कृति के लब्बोलुआब हैं। भारतीय संविधान का मूलभूत आधार हिन्दुत्व है जो कि सिर्फ और सिर्फ मानवतावाद और मानवता है। संविधान में निहित मूल्यों ने हिन्दुत्व के सांस्कृतिक मूल्यों से बहुत कुछ अपनाया है। तीन बुनियादी क्षेत्र ऐसे हैं, जिन्हें सर्वोच्च न्यायालय से आधारभूत ढांचे के रूप में सुरक्षा मिली हुई है। इनमें प्रस्तावना, मौलिक अधिकार और नीति निर्देशक तत्व और मौलिक कर्तव्यों के अलावा कुछ अन्य प्रावधान हैं। संविधान का पहला ही अनुच्छेद 1 (1) कहता है, ‘‘भारत, अर्थात इंडिया, राज्यों का संघ होगा।’’ भारतीय संविधान ने हमारे देश का नाम भारत दिया है जो कि अपने मुस्लिम-पूर्व और अंग्रेज-पूर्व (प्री-मुस्मिल और प्री ब्रिटिश) के गौरवमयी इतिहास का संकेत है। भारत नाम प्राचीन हिन्दू परंपराओं के पुरोधाओं से निकला है। हमारा देश पारंपरिक रूप से आर्यों की उत्पत्ति से ही भारत या भारतवर्ष के रूप में जाना जाता है। विष्णु पुराण के मुताबिक, ‘‘जो देश महासागर के उत्तर और बफीर्ली पर्वतों के दक्षिण में स्थित है उसे भारत कहा जाता है, क्योंकि वहां भारतवंशी निवास करते हैं।’’ प्रधानमंत्री ने हाल ही में लोकसभा में दिए अपने एक भाषण में भी इसे उद्धृत किया था। संविधान की प्रस्तावना में भाईचारे का बुनियादी मूल्य उपनिषद के ‘‘वसुधैव कुटुंबकम’’ के आदर्श वाक्य से लिया गया है, जिसका मतलब होता है कि पूरा ब्रह्मांड एक है। संविधान निर्माताओं ने बड़ी ही गहराई से कहा है कि भारतीय मूल्यों का चरित्र वास्तव में हिंदू रहा है, लेकिन वे मूल्य सभी अन्य धर्मों के अंतर्निहित सम्मान और उनके प्रति सहिष्णुता में निहित हैं। भारतीय संविधान में मौलिक कर्तव्य वे हैं, जो भारत देश अपने नागरिकों से अपेक्षा करता हैं। हालांकि, इसे राज सत्ता द्वारा लागू नहीं किया जा सकता। वसुधैव कुटुंबकम शब्द, जो कि हिन्दुत्व का बुनियादी मूल्य है, वह भी अन्य धर्मों के प्रति सहिष्णुता, सद्भाव और भारत के सभी लोगों के बीच, चाहे वे किसी भी धर्म, भाषा, क्षेत्र या वर्ग के हों, समान भाईचारे की भावना की बात करता है।

 

 

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