महाकुंभ में दिखा आस्था का विराट स्वरूप, हर जुबान पर ‘जय हो योगी’!
पहले अमृत स्नान के लिए त्रिवेणी संगम पर श्रद्धालुओं का रेला उमड़ पड़ा। भीड़ इतनी की लोगों को पैर रखने की जगह नहीं मिली। इसकी गवाही देश-विदेश से संगम में डुबकी लगाने पहुंचे 3.5 करोड़ से अधिक श्रद्धालु खुद ब खुद दे रहे है। महाकुंभ की व्यवस्था से इतराएं हर सख्श के जुबान पर जय हो योगी बाबा! “एको अहं, द्वितीयो नास्ति, न भूतो न भविष्यति“ अर्थात मैं एक ही हूं, दूसरा कोई नहीं है, न हुआ है, न होगा। भला क्यों नहीं? चप्पे चप्पे पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम। जिस पुलिस के क्रूर चेहरे को देख लोग बगली काटने को विवश हो जाते रहे, वो पुलिस हाथ जोड़े श्रद्धालुओं का अभिवादन करती दिखी। गलती से कोई बुजुर्ग रास्ता भटक गए तो खुद उनकी उंगली पकड़ सही रास्ता पकड़ा देते और सिर पर भारी बोझ दिखा तो खुद अपने सिर उठा लिया। आसमान से जब पुष्प वर्षा हुई साधु-सन्यासी भी गदगद नजर आएं। मतलब साफ है महाकुंभ में राष्ट्रभक्ति और सनातन का अद्भूत संगम दिख रहा है। एक साथ लहरा रही है राष्ट्रीय ध्वज और धर्म ध्वजाएं. खास यह है कि महाकुंभ के नाम पर करोड़ो-अरबों हजम कर चुके विपक्षी नेताओं ने महाकुंभ की व्यवस्था पर सवालिया निशान लगाएं तो योगी से पहले भारतीय तो भारतीय सात समुंदर पार से आएं विदेशी मेहमानों ने दो टूक कहा, उन्हें याद है 2012 का महाकुंभ, किस तरह श्रद्धालु लूट जाते थे और माफियाओं का नंगा नाच का खूनी मंजर आज भी उनकी आंखों के सामने है. खास यह है कि इंजीनियरिंग-मॉडलिंग वाले युवाओं का भी झुंड यह बताने के लिए काफी है कि अब वो भी सनातन संस्कृति का हिस्सा बन रहे है
सुरेश गांधी
फिरहाल, पौष पूर्णिमा व
पहला अमृत स्नान के
साथ महाकुंभ का आगाज हो
चुका है. ऐसे में
हर कोई इस भक्ति
में महाकुंभ के संगम में
सराबोर होने के लिए
जाने की जुगत में
जुटा है. हर कोई
संगम की धारा में
डुबकी लगाने की कोशिश में
लगा हुआ है। दो
दिनों में 5.5 करोड़ से अधिक
श्रद्धालु संगम में डूबकी
लगा चुके है। इस
बार 45 करोड़ से ज्यादा
श्रद्धालु कुंभ स्नान के
लिए पहुंचने वाले हैं. जिसको
देखते हुए प्रशासन ने
कड़े इंतजामात किया है. महाकुंभ
की रौनक संगम नगरी
में देखते बन रही है.
इस धार्मिक नगरी में दुनियाभर
से करोड़ों श्रद्धालु आ रहे हैं.
देखा जाएं तो महाकुंभ
अब सिर्फ भारतीय आयोजन नहीं रहा, यह
एक वैश्विक पर्व बन गया
है। ब्राजील, जर्मनी, जापान, इंग्लैंड, अमरीका और स्पेन जैसे
देशों के श्रद्धालु भी
प्रयागराज पहुंचने लगे हैं। यह
आयोजन अब अंतरराष्ट्रीय स्तर
पर सनातन संस्कृति के बढ़ते प्रभाव
को दिखा रहा है।
खास बात यह है
कि पाकिस्तान और अरब समेत
इस्लामिक देश भी महाकुंभ
में रुचि दिखा रहे
हैं। प्रयागराज संगम में महाकुंभ
की धूम भारत सहित
पूरी दुनिया में देखने को
मिल रही है.
इस्लामिक देशों में महाकुंभ को
लेकर बहुत ज्यादा चर्चा
हो रही है. इसमें
भी पाकिस्तान सबसे टॉप पर
चल रहा है. या
यूं कहे भारत के
परस्पर विरोधी देश में लोग
महाकुंभ के आयोजन और
यहां जुट रही व्यापक
भीड़ को खूब सर्च
कर रहे हैं. पाकिस्तान
के बाद इस लिस्ट
में कतर, यूएई और
बहरीन जैसे देश शामिल
हैं. इसके अलावा, नेपाल,
सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, आयरलैंड, ब्रिटेन, थाईलैंड और अमेरिका जैसे
देशों के लोग भी
महाकुंभ के बारे में
पढ़ और खोज रहे
हैं. महाकुंभ की लोकप्रियता का
अंदाजा इसी से लगाया
जा सकता है कि
दुनिया के बड़े विश्वविद्यालयों
और मैनेजमेंट संस्थानों के लोग सिर्फ
ये जानने समझने के लिए प्रयागराज
पहुंचे हैं कि इतनी
बड़ी संख्या के लिए इंतजाम
कैसे किए जाते हैं,
भीड़ को संभालने का
प्रबंध कैसे किया जाता
है। कुंभ पैंतालीस दिनों
तक चलने वाला है।
अगले डेढ़ महीने तक
लोग इसी तरह प्रयागराज
पहुंचते रहेंगे। तीन दिनों में
छह करोड़ से अधिक
श्रद्धालु स्नान कर चुके है।
29 जनवरी को मौनी अमावस्या
के दिन संगम में
डुबकी लगाने वालों की संख्या दस
करोड़ तक पहुंच सकती
है।
महाकुंभ की अद्भूद छटा देख हर कोई निहाल
मकर संक्रांति के अमृत स्नान के साथ प्रयागराज में महाकुंभ की जो अद्भूद छटा दिखाई दी, उसकी तस्वीरें देख हर कोई हैरान हैं। इतनी बड़ी तादाद में लोग कुंभ क्षेत्र में पहुंचे, संगम में डुबकी लगाई लेकिन कहीं भी, किसी को, किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं हुई, कोई शिकायत करने वाला नहीं मिला। ये दुनिया वालों के लिए अद्भुत, अविश्वसनीय, अकल्पनीय है। कहा जा सकता है साढ़े तीन करोड़ लोग एक जगह इक्कठे हों, बिना किसी भगदड़ या धक्कामुक्की के स्नान करें, कहीं कोई गड़बड़ी न हो, किसी तरह की असुविधा न हो और सब खुशी खुशी वापस चले जाएं, ये दुनियाभर के लिए हैरानी की बात तो है ही। इसकी व्यवस्था करना कोई आसान नहीं होता। इतनी बड़ी संख्या को नियंत्रित करना, उनके लिए सारी व्यवस्थाएं करना बहुत बड़ी चुनौती होती है। लेकिन योगी आदित्यनाथ ने इस चुनौती को बड़ी सरलता से पूरा किया। महाकुंभ के पहले अमृत स्नान के अवसर पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर महाकुंभ अमृत स्नान हैशटैग जबरदस्त ट्रेंड हुआ। हजारों यूजरों ने महाकुंभ के दौरान ली गई तस्वीरें, वीडियो और सूचनाएं साझा की।
सोशल मीडिया पर लोगों ने महाकुंभ में हुई व्यवस्थाओं, श्रद्धालुओं की भारी संख्या, संगम स्नान और अपनी फोटो को खूब शेयर किया। टाटा ग्रुप की एयरलाइन एयर इंडिया ने मंगलवार को ऐलान किया है कि वह दिल्ली और प्रयागराज के बीच दैनिक उडा़न का संचालन करेगी। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि दुनिया के 52 देशों की आबादी साढ़े तीन करोड़ से कम है। यानि इतने देशों की जनसंख्या से ज्यादा लोगों ने प्रयागराज में बारह घंटे के दौरान पवित्र डुबकी लगाई। करीब चालीस देशों के लोग भी छोटे छोटे जत्थों में प्रयागराज पहुंचे हैं। विदेशी भक्तों ने भी महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगाई। ये लोग सनातनी नहीं है, हमारी भाषा नहीं समझते, हमारी संस्कृति को नहीं जानते। लेकिन महाकुंभ में आकर विदेशी भी सनातन के रंग में पूरी तरह डूबे दिखाई दिए।काबिल-ए-तारीफ है योगी का मैनेजमेंट
अनेकता में एकता की अनुभूति
अनेकता में एकता की अनुभूति, आस्था एवं आधुनिकता के संगम में साधना एवं पवित्र स्नान, कल्पवासियों की धुनी, सनातन की महत्ता का एहसास करा रही है। श्रद्धालुओं पर हेलिकॉप्टर से लगातार फूल बरसाए गए। सुबह सुबह 6 बजे अमृत स्नान का अद्भुत दृश्य था। हाथों में तलवार-त्रिशूल और डमरू लिए संन्यासी हर-हर महादेव का उद्घोष करते हुए घाटों पर पहुंचे। हालात ये रही कि आज के लिए महाकुंभ नगर दुनिया का सबसे बड़ा जिला बन गया। एक दिन में दुनिया में कहीं भी इतनी ज्यादा भीड़ नहीं आई थी। भीड़ ज्यादा होने से प्रयाग स्टेशन कुछ देर के लिए बंद कर दिया गया। सुबह संगम पर इतने श्रद्धालु पहुंच गए कि पैर रखने की जगह नहीं थी। बता दें, ये महाकुंभ बेहद खास है. वजह ये है कि ऐसा महाकुंभ 144 साल बाद आया है. यूं तो महाकुंभ हर 12 साल में आता है. लेकिन इस बार के महाकुंभ का जो संयोग बना है वो 144 साल बाद बना है. यानि इस संयोग के साक्षी बनने वाले 144 साल पहले बने थे. बस यही वजह है कि इस बार के महाकुंभ का हर कोई हिस्सा बना चाहता है और बस इसीलिए इस महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं की तादाद पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ने जा रही है.
अगले डेढ़ महीने तक प्रयागराज पर सिर्फ देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया की नजर होगी.सुरक्षा बलों के जवान चप्पे-चप्पे पर तैनात
अमृत स्नान के
दौरान किसी भी प्रकार
की दुर्घटना न हो उसे
रोकने के लिए मौके
पर सुरक्षा बलों के जवान
चप्पे-चप्पे पर तैनात दिखे।
स्वच्छ, सुरक्षित, सुविधाजनक महाकुम्भ के लिये प्रशासन
सतर्क दिखा। बता दें, मुख्यमंत्री
योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर
मेला क्षेत्र में सुरक्षा के
अभूतपूर्व इंतजाम किए गए हैं।
इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर
से चप्पे-चप्पे की निगरानी की
जा रही है। डीआईजी
और एसएसपी खुद मॉनिटरिंग कर
रहे हैं। भीड़ प्रबंधन
के लिए अतिरिक्त पुलिस
बल तैनात किया गया है।
आधी रात और सुबह
तड़के से ही पुलिस
बल पूरी तरह मुस्तैद
नजर आया। पवित्र संगम
में डुबकी लगाने वाले श्रद्धालुओं की
सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए
पुलिस शरारती तत्वों पर नजर रख
रही है। लगभग 50,000 कर्मियों
को तैनात किया है। महाकुंभ
मेला मैदान में सुरक्षा व्यवस्था
चाक-चौबंद करने के लिए
पेट्रोलिंग पुलिस (घुड़सवार पुलिस) द्वारा 1.5 करोड़ रुपये के
घोड़े तैनात किए गए हैं।
कुल पांच अमेरिकी वार्मब्लड
(नस्ल) घोड़े लाए गए
हैं, उनकी विशेषता यह
है कि वह दूर
से खतरे को महसूस
कर लेते हैं।
उत्कृष्ट व्यवस्थाएं
महाकुंभ के दृष्टिगत प्रयागराज
के आस-पास के
धार्मिक स्थलों (वाराणसी, गोरखपुर, अयोध्या, मिर्जापुर एवं चित्रकूट और
मथुरा आदि)
पर श्रद्धालुओं की सुविधा हेतु
उत्कृष्ट व्यवस्थाएं की गईं हैं।
जो भी यहां (महाकुंभ)
आए, एक अच्छा अनुभव
लेकर वापस जाए, यह
सुनिश्चित करने के लिए
सब कुछ किया गया
है। श्रद्धालुओं के सुखद अनुभव
के लिए टेंट सिटी,
अतिरिक्त शौचालय, रहने-खाने की
सुविधा आदि हर चीज
का ध्यान रखा गया है।
महाकुंभ 2025 को सफल और
सुरक्षित बनाने के लिए केंद्र
और राज्य सरकार ने व्यापक स्तर
पर तैयारियां की हैं। लगभग
7,000 करोड़ रुपये की लागत से
प्रयागराज में आधारभूत ढांचे
का विकास किया गया है।
कुंभ क्षेत्र को छह जोन
और 20 सेक्टरों में विभाजित किया
गया है। सुरक्षा को
देखते हुए 60 हजार जवानों को
सुरक्षा व्यवस्था संभालने में लगाया गया
है। खास यह है
कि इस महाकुंभ में
अब तक कई बड़ी
हस्तियां भी शामिल हुई,
जिनमें से एक्स एपल
फाउंडर स्टीव जॉब्स की पत्नी भी
थीं। महाकुंभ को सनातन धर्म
में सबसे अहम और
पवित्र मानते हैं। माना जाता
है इस आयोजन में
भाग लेने से हर
पाप से मुक्ति मिलती
है और मोक्ष जैसे
कई आध्यात्मिक लाभ मिलते हैं।
हाथों में तलवार-त्रिशूल, डमरू लिए नागा बाबा भी संगम नगरी में चार चांद लगा रहे हैं। पूरे शरीर पर भभूत में निपटे नागा साधु, घोड़े और रथ पर सवार बाबाओं की सवारी के बीच से हर-हर महादेव की गूंज से पूरा मेला क्षेत्र में सनातनियों को गर्व का एहसास करा रहा है। महाकुंभ के पहले शाही स्नान के दौरान किन्नर अखाड़े के सदस्य शस्त्रों के साथ अपनी परंपराओं का अद्भुत प्रदर्शन करते नजर आए। तलवारों और अन्य शस्त्रों को लहराते हुए उन्होंने अपनी शक्ति और परंपरा का परिचय दिया। जयघोष और हर हर महादेव के नारों के बीच पूरा माहौल उत्साह और आस्था से भर गया।
किन्नर अखाड़े के इस आयोजन ने महाकुम्भ 2025 में एक विशेष छवि प्रस्तुत की। उनके संदेश ने यह स्पष्ट किया कि समाज के हर वर्ग का उत्थान और कल्याण भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि जब शाही स्नान के लिए दो हजार से ज्यादा किन्नर संत व महामंडलेश्वर रथ पर सवार होकर संगम नोज की तरफ निकले तो लोगों ने पुष्पवर्षा भी की। हाथ में त्रिशूल व शंख लेकर किन्नर संतों ने अमृत स्नान किया। मां गंगा का दूध से अभिषेक किया। इस दौरान बड़ी संख्या में भक्त उनका पैर छूने के लिए रथों के पीछे भाग रहे थे। पुलिस और पैरामिलिट्री फोर्स के जवान लोगों को रोक रहे थे और एक किनारे कर रहे थे लेकिन लोग बैरिकेडिंग लांघकर किन्नर संतों का चरण स्पर्श करने के लिए धक्कामुक्की करते देखे गए। स्नान करके लौटेते समय किन्नर संतों ने लोगों को निराश नहीं किया और भक्तों के सिर पर हाथ रखकर उन्हें आशीर्वाद दिया।महाकुंभ में होगा 2.5 लाख करोड़ का कारोबार
महाकुंभ में 45 दिनों में 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है। इससे सरकार को 2.5 लाख करोड़ रुपये का कारोबार मिलने की उम्मीद है। यानी 69,990 करोड़ के बजट से 2.5 लाख करोड़ की कमाई होगी। मतलब साफ है महाकुंभ एक बड़ा बाजार बन गया है. इस महाकुंभ का बजट 6,9990 करोड़ है. ऐसे में यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इस मेला में 2.5 लाख करोड़ का कारोबार हो सकता है. खास यह है कि इसमें से 25 हजार करोड़ केवल सरकारी सुविधाओं से मिलेगा। कहा जा सकता है इस भव्य आयोजन के तले व्यापार भी तगड़ा हो रहा है. क्योंकि इस बार सरकार ने इस आयोजन के लिए बहुत बड़ी तैयारी की है. पिछले कुंभ मेला (2019) के मुकाबले यह बजट काफी ज्यादा है. इसमें 3,700 करोड़ रुपये की लागत वाली 700 प्रोजेक्ट थीं.
एक अनुमान के मुताबिक 5,000 करोड़ रुपये का व्यापार पूजा सामग्री, 4,000 करोड़ रुपये का डेयरी प्रोजेक्ट और 800 करोड़ रुपये का फूलों से कारोबार होने की संभावना है. लग्जरी होटलों से 6,000 करोड़ रुपये का कारोबार होनेकी उम्मीद है. इस साल मेले में कई प्रकार के टेंट बनाए गए हैं. इनमें 1.6 लाख टेंट, 2,200 लग्जरी टेंट और छोटे टेंट शामिल हैं. लक्जरी टेंट का किराया 18,000 से 20,000 रुपये प्रति रात है. प्रीमियम टेंट की कीमत 1 लाख रुपये तक जा सकती है. यूपी सरकार ने इन टेंट्स को प्राइवेट प्लेयर को किराए पर देने के लिए बोली प्रक्रिया शुरू की. इससे भी सरकार को बड़ी इनकम हो रही है. फूड कोर्ट और स्टॉल्स में भी भारी निवेश हुआ है. कई बड़े ब्रांड जैसे स्टारबक्स, कोका कोला और डोमिनोज इस मेला में अपने आउटलेट्स लगा रहे हैं. कारोबारियों का लक्ष्य है कि वे 100-200 करोड़ रुपये का कारोबार करना है. कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल का कहना है, एक अनुमान के तहत इस महाकुंभ में 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक का व्यापार होने की उम्मीद है। यह आयोजन भारत और विश्व में धार्मिक अर्थव्यवस्था का सबसे बड़ा केंद्र बनने जा रहा है। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। खंडेलवाल के मुताबिक, इस आयोजन से प्रयागराज और आसपास के शहरों में व्यापार को बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा। रेलवे, वायु सेवाओं और सड़क परिवहन को भी बड़ी आय होने की संभावना है। एक अनुमान के अनुसार, अगर धार्मिक यात्रा के दौरान प्रति व्यक्ति 5,000 रुपये खर्च होते हैं, तो कुल आंकड़ा 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो जाएगा। इसमें होटलों, धर्मशालाओं, अस्थायी ठहराव, भोजन, पूजा सामग्री, स्वास्थ्य सेवाओं और अन्य वस्तुओं तथा सेवाओं पर खर्च भी शामिल है।महाकुंभ 2025 के प्रमुख व्यापारिक आंकड़ें ...
भोजन
और
पेय
पदार्थ
: 20,000 करोड़
पूजा
सामग्री
और
प्रसाद
: 20,000 करोड़
परिवहन
और
लॉजिस्टिक्स
: 10,000 करोड़
पर्यटन
सेवाएं
: 10,000 करोड़ रुपये
हस्तशिल्प
और
स्मृति
चिन्ह
: 5,000 करोड़
स्वास्थ्य
और
चिकित्सा
सेवाएं
: 3,000 करोड़ रुपये
आईटी
और
डिजिटल
सेवाएं
: 1,000 करोड़ रुपये
मनोरंजन
और
मीडिया
: 10,000 करोड़ रुपये
पौराणिक कथाओं की मानें तो महाकुंभ का आयोजन अमृत की खोज का परिणाम है, लेकिन यह कथा सिर्फ इतनी ही नहीं है. असल में अब जो महाकुंभ हमारे लिए वरदान साबित हो रहा है, वह एक श्राप का परिणाम था. ऐसा श्राप जो देवताओं को मिला, जिससे एक समय मानवता खतरे में पड़ गई थी. समय के साथ वही श्राप मानव समुदाय के लिए वरदान साबित हुआ. इस पूरी परंपरा के पीछे एक ऋषि का श्राप है, जो आज वरदान बनकर हमारे सामने है. देवलोक से निकली इस परंपरा की धारा में मानवता के पुण्य का वरदान तो है ही, साथ ही यह नीति और नैतिकता की शिक्षा का आधार भी है. स्कंदपुराण की कथा के मुताबिक, स्वर्ग की राजधानी अमरावती हर सुखों से भरी थी, जिसकी वजह से इसका स्वर्ग नाम सार्थक था.
देवताओं ने कई सालों तक चले देवासुर संग्राम को जीत लिया था और इसके कारण उन्हें अब शत्रुओं का भय भी नहीं था. कुल मिलाकर स्वर्ग में मन को प्रसन्न करने वाली हवा बह रही थी, उनमें फूलों की सुगंध घुली हुई थी. इनका संयोजन इतना खूबसूरत होता है कि कई बार गंधर्व अपनी तानों का गान छोड़कर उनका संगीत सुनने लग जाते थे. इसका असर ये था कि अब देवता भी धीरे-धीरे अपने कर्तव्यों को छोड़कर आमोद-प्रमोद में लगे रहते. उनके अधिपति इंद्र तो राग रंग में ऐसे डूबे थे कि अब उन्हें ज्ञात ही नहीं था कि संसार के प्रति भी उनका कुछ दायित्व है. वह गंधर्वों से दिन के आठों पहर नए-नए राग सुनते और सोमरस के मद में चूर रहते थे. इसकी वजह देव-दानवों का वह युद्ध है, जिसमें देवराज इंद्र ने विजय पाई थी. हालांकि उन्हें विजय त्रिदेवों (ब्रह्नमा-विष्णु-महेश) के कारण मिली थी, लेकिन विजय का अभिमान ऐसा हो गया कि वह अब सोच बैठे थे कि अब कोई आक्रमण होगा ही नहीं. देवगुरु बृहस्पति की चिंता भी यही थी. वह भविष्य की आशंका से कम चिंतित थे, लेकिन वर्तमान में संकट यह था कि राग-रंग में डूबे देवराज अब ग्रहमंडल की बैठक भी नहीं कर रहे थे. सप्तऋषियों ने इसके लिए चिंता जताई थी, लेकिन युद्ध की वजह से वह भी इस शांति को भंग नहीं होने देना चाहते थे, लेकिन कई पक्ष बीत जाने के बाद अब उन्हें चिंता होने लगी थी. ग्रहमंडल की बैठक नहीं हुई तो नक्षत्रों का सारा विधान रुक सकता था. संतुलन बिगड़ सकता था. इस चिंता को दूर करने ही देवराज इंद्र से बैठक बुलाने का अनुरोध करने ही ऋषि दुर्वासा सप्तऋषियों के प्रतिनिधि बनकर देवलोक की ओर बढ़े.कहते है जब समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर बाहर निकले, तो अमृत को पाने के लिए देवताओं और असुरों के बीच महासंग्राम छिड़ गया। हर कोई अपने तरीके से अमृत कलश पाने के लिए अस्त्र-शस्त्र का प्रयोग कर रहा था। भगवान विष्णु ने इस संघर्ष को रोकने और अमृत को सुरक्षित रखने के लिए मोहिनी का रूप धारण किया। उन्होंने अमृत कलश को सुरक्षित रखने के लिए इंद्रदेव के पुत्र जयंत को सौंपा। जयंत चंद्रमा के साथ अमृत कुंभ को लेकर आकाश मार्ग से चले, लेकिन दानवों की छीना-झपटी में कलश झकझोर उठा और छलककर अमृत की कुछ बूंदे प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में गिर गईं। आज इन्हीं चार स्थानों पर 12 साल के अंतराल में महाकुंभ का आयोजन किया जाता है।
मतलब साफ है चंद्रमा की चूक का परिणाम है महाकुंभ। प्रयागराज वह जगह है जहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों का संगम होता है। संगम का यह स्थान हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है। कुंभ मेले के दौरान यहां लाखों श्रद्धालु एकत्रित होकर पवित्र स्नान करते हैं और ईश्वर से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
आस्था का महासागर बना संगम
बे शक, संगम पर
डुबकी के लिए कड़ाके
की ठंड की चिंता
किए बिना देश के
कोने-कोने से लाखों
श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। विदेशी
भक्त भी महाकुंभ पहुंच
रहे हैं। कुंभ मेला
क्षेत्र दिव्य सजावट और भव्य तैयारियों
से जगमगा उठा है। विश्व
में महाकुंभ जैसा दूसरा कोई
पर्व नहीं हैं। इस
महापर्व में करीब 45 करोड़
श्रद्धालुओं के शामिल होने
का अनुमान है। श्रद्धालुओं में
देश के विभिन्न हिस्सों
के लोगों के साथ-साथ
विदेशी पर्यटक भी बड़ी संख्या
में मौजूद रहेंगे। श्रद्धेय संतों की पावन उपस्थिति
में महाकुम्भ क्षेत्र का संपूर्ण वातावरण
और अधिक दिव्य एवं
अलौकिक हो गया। वैसे
भी विश्व के लिए शांति
के लिए सनातन धर्म
बहुत जरुरी हैं। हमारा भारत
महान हैं। हमारी संस्कृति
हमारा देश हमारे सनातन
धर्म का सबसे बड़ा
तीर्थ प्रयागराज संगम पर आज
जो मकर संक्रांति का
जो पर्व मनाया गया,
ये दुनियां का महान तीर्थ
हैं। प्रयागराज में त्रिवेणी संगम
आस्था के महासागर का
साक्षी बना। यह आयोजन
भक्ति, परंपरा और आध्यात्मिकता का
अद्भुत महासंगम रहा, जिसमें श्रद्धालुओं
ने आस्था की डुबकी लगाई।
मतलब साफ है यह
हमारी सनातन संस्कृति और आस्था का
जीवंत स्वरूप है।
विदेशी पर्यटक व्यवस्था से गदगद
पौष पूर्णिमा पर बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं तड़के से ही संगम स्नान के लिए पहुंचने लगे। संगम नोज, एरावत घाट और वीआईपी घाट समेत समस्त घाटों पर सुबह से ही श्रद्धालु स्नान करते नजर आए। युवाओं ने इस पावन क्षण को कैमरे में कैद किया और सोशल मीडिया पर साझा किया। इस बार युवाओं में सनातन संस्कृति और आध्यात्मिकता के प्रति खासा उत्साह देखने को मिला। संगम स्नान और दान-पुण्य में बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने पवित्र संगम तट पर पूजा-अर्चना और दान कर पुण्य लाभ अर्जित किया।
इंग्लैंड से पहली बार कुंभ आए टिम नामक विदेशी पर्यटक महाकुंभ की व्यवस्था देखकर बहुत खुश हुए और कहा कि ऐसी जगह पर जीवन में एक बार ही आने का मौका मिलता है. यह एक पुण्य स्थल है. मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने प्रयागराज में महाकुंभ की व्यवस्थाओं की प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सराहना करते हुए कहा, “धन्य है भारत, धन्य है श्री प्रयागराज और धन्य है महाकुंभ। करोड़ों भारतवासियों की ओर से मुख्यमंत्री योगी का अभिनंदन।“ स्टेशन से लेकर पूरे रास्ते में तीर्थ यात्रियों के लिए सुविधा, सुरक्षा इतनी अच्छी है, जो आज तक नहीं देखी। उन्होंने कहा, ठंड के बारे में जो भ्रम था, उतनी नहीं है, फिर भी योगी जी की सरकार ने ठंड से मुकाबले की भी बहुत अच्छी व्यवस्था कर रखी है। 1977 से मैंने श्री प्रयागराज के महाकुंभ में स्नान शुरू किए हैं, तब से लेकर इस महाकुंभ तक यहां आने वाले तीर्थ यात्रियों के लिए इतनी अच्छी व्यवस्था, सुरक्षा, सुविधा, प्रशासन एवं पुलिस का अति विनम्र व्यवहार पहले कभी नहीं देखा।4000 हेक्टेयर में लगा है मेला
इस बड़ी संख्या
को देखते हुए सरकार ने
4000 हेक्टेयर में मेले के
आयोजन का फैसला लिया
था जबकि 1800 हेक्टेयर में पार्किंग की
व्यवस्था की गई है।
श्रद्धालुओं के निवास के
लिए 1.6 लाख टेंट बनाए
गए हैं। इसके अलावा
संगम में अलग-अलग
जगहों पर 30 पीपा पुल का
निर्माण किया गया है।
प्रयागराज और कुंभ मेले
के आसपास के क्षेत्रों में
लगभग 400 किलोमीटर अस्थायी सड़कें बनाई गई है
और 67,000 से अधिक स्ट्रीट
लाइट्स लगाई गई हैं।
इसके अलावा प्रयागराज में कुंभ मेले
के चलते 14 नए रोड ओवरब्रिज,
61 नई सड़कें और 40 अलग-अलग चौराहों
का सौंदर्यीकरण किया गया है।
अगर बात सरकार द्वारा
विकसित किए गए दूसरे
इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट की करें तो
महाकुंभ में बिजली आपूर्ति
के लिए उत्तर प्रदेश
पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा दो नए पावर
सबस्टेशन बनाए गए हैं
और 66 नए ट्रांसफार्मर लगाए
हैं। मेले में पानी
की आपूर्ति के लिए
1,249 किलोमीटर की पाइपलाइन बिछाई
गई है। इसके अलावा
डेढ़ लाख से अधिक
टॉयलेट और 10,000 सफाईकर्मियों को लगाया गया
है। ग्रीन
कुंभ के दृष्टिकोण से
3 लाख से अधिक पौधे
लगाए गए हैं। बीते
दिनों रेल मंत्री अश्विनी
वैष्णव ने घोषणा की
थी कि महाकुंभ के
दौरान 13,000 ट्रेनें (3,000 विशेष ट्रेनें सहित) चलाई जाएंगी। साथ
ही श्रद्धालुओं के लिए 7,000 से
अधिक बसें, जिसमें 200 वातानुकूलित बसें शामिल हैं,
और 200 से अधिक चार्टर
फ्लाइट नियमित उड़ानों के साथ उपलब्ध
होंगी।
महाकुंभ में लेजर वॉटर स्क्रीन शो बना आकर्षण का केंद्र
प्रयागराज. महाकुंभ में रोजाना नए
रिकॉर्ड बन रहे हैं.
ये रिकॉर्ड किसी और वजह
से नहीं बल्कि श्रद्धालुओं
की भारी भीड़ की
वजह से बन रहे
हैं. तीन दिनों में
लगभग 6 करोड़ लोगों ने
प्रयागराज के संगम में
डुबकी लगाई है. ये
आंकड़ा हर रोज बढ़ता
जा रहा है. कुंभ
के चौथे दिन भी
जबरदस्त भीड़ उमड़ने की
उम्मीद है. खास यह
है कि मुख्यमंत्री योगी
आदित्यनाथ के नेतृत्व में
हो रहे प्रयागराज महाकुंभ
में श्रद्धालुओं और पर्यटकों के
लिए भव्य लेज़र वॉटर
स्क्रीन शो विशेष आकर्षण
का केन्द्र बना है। यमुना
नदी के तट पर
स्थित काली घाट पर
आयोजित इस शो में
हर दिन बड़ी संख्या
में लोग इसे देखने
पहुंच रहे हैं। इसे
टेमफ्लो सिस्टम्स, गाज़ियाबाद द्वारा विकसित किया गया है।
शो में आधुनिक तकनीक
के माध्यम से महाकुंभ की
प्राचीन गाथाओं को प्रभावशाली और
सजीव रूप में प्रस्तुत
किया गया है। जी
हां, महाकुंभ में लेजर वॉटर
स्क्रीन शो में पानी
की स्क्रीन पर उभरती अद्भुत
छवियों और ध्वनि प्रभावों
ने महाकुंभ और प्रयागराज की
ऐतिहासिक और धार्मिक गाथाओं
को जीवंत कर दिया है।
इसमें दिखाए गए दृश्य महाकुंभ
के गौरवशाली अतीत और सनातन
परंपराओं की झलक प्रस्तुत
करते हैं। शो में
प्रयागराज के धार्मिक स्थलों,
पौराणिक कथाओं और ऐतिहासिक महत्व
को इस तरह प्रदर्शित
किया गया है कि
दर्शक मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।
यह लेज़र वॉटर स्क्रीन
शो सभी के लिए
निशुल्क है। श्रद्धालु और
पर्यटक शाम 7 बजे से 9 बजे
के बीच दो शो
का आनंद ले सकते
हैं, जिनकी अवधि 45 मिनट है। इस
अभिनव पहल ने महाकुंभ
में आने वाले लोगों
को एक अविस्मरणीय अनुभव
प्रदान किया है। प्रत्येक
शाम शो के दौरान
बड़ी संख्या में लोगों की
उपस्थिति इस बात का
प्रमाण है कि यह
आयोजन महाकुंभ के मुख्य आकर्षणों
में से एक बन
गया है। उपस्थित दर्शकों
ने इस शो की
सराहना करते हुए इसे
संस्कृति और परंपरा के
संरक्षण का बेहतरीन उदाहरण
बताया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के
नेतृत्व में, पर्यटन विभाग
ने इस अनोखे और
तकनीकी रूप से उन्नत
शो को प्रस्तुत करने
की जिम्मेदारी सौंपी है। यह लेज़र
वॉटर स्क्रीन शो न केवल
दर्शकों को मंत्रमुग्ध करेगा
बल्कि उन्हें प्रयागराज और महाकुंभ के
सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और ऐतिहासिक महत्व
से भी अवगत करा
रहा है। इसका उद्देश्य
आधुनिक तकनीक के माध्यम से
भारतीय संस्कृति और परंपरा के
संरक्षण और प्रचार में
योगदान देना है।
आस्था ही नहीं, विज्ञान का भी अद्भुत संगम है महाकुंभ
महाकुंभ का समय और
आयोजन एस्ट्रोनॉमिकल घटनाओं पर आधारित है.
यह मेला तब आयोजित
होता है जब गुरु
ग्रह, सूर्य और चंद्रमा का
विशेष संयोग में होता है.
गुरु का 12-साल का परिक्रमा
चक्र और पृथ्वी के
साथ इसकी विशेष स्थिति
आयोजन को शुभ बनाती
है. इतना ही नहीं,
महाकुंभ का आयोजन प्राचीन
भारतीय एस्ट्रोनॉमिकल साइंस की गहरी समझ
को बताता है. आयोजन स्थल
और समय दोनों को
पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्रों
और ग्रहों की स्थिति के
आधार पर निर्धारित किया
गया है. महाकुंभ का
आरंभ “समुद्र मंथन” की पौराणिक कथा
से जुड़ा है. इस
कथा के अनुसार, देवताओं
और असुरों ने अमृत प्राप्त
करने के लिए समुद्र
मंथन किया. अमृत कलश से
गिरा अमृत चार स्थानों
प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में
गिरा. यही स्थान कुंभ
मेलों के आयोजन के
केंद्र बने. ‘कुंभ’ शब्द स्वयं अमृत
कलश का प्रतीक है,
जो अमरता और आध्यात्मिक पोषण
का प्रतीक है. कुंभ मेला
आयोजन स्थलों का चयन भू-चुंबकीय ऊर्जा के आधार पर
किया गया है. ये
स्थान, विशेषकर नदी संगम क्षेत्र,
आध्यात्मिक विकास के लिए अनुकूल
माने गए हैं. प्राचीन
ऋषियों ने इन स्थानों
पर ध्यान, योग और आत्मिक
उन्नति के लिए उपयुक्त
ऊर्जा प्रवाह का अनुभव किया
और इन्हें पवित्र घोषित किया था. साइंटिफिक
रीजन से देखें कुंभ
मेला मानव शरीर पर
प्लैनेट्स और मैगनेटिक क्षेत्रों
के प्रभाव को समझने का
एक बढ़िया समय है. बायो-मैग्नेटिज्मके अनुसार, मानव शरीर चुंबकीय
क्षेत्रों का उत्सर्जन करता
है और बाहरी ऊर्जा
क्षेत्रों से प्रभावित होता
है. कुंभ में स्नान
और ध्यान के दौरान महसूस
की जाने वाली शांति
और सकारात्मकता का कारण इन्हीं
ऊर्जा प्रवाहों में है. ग्रहों
की स्थिति का न केवल
आध्यात्मिक महत्व है, बल्कि वैज्ञानिक
दृष्टि से यह पृथ्वी
और मानव पर पड़ने
वाले प्रभावों को भी दर्शाती
है. गुरु, सूर्य और चंद्रमा का
विशेष संयोग पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र
को प्रभावित करता है. इन
खगोलीय संयोगों के दौरान कुंभ
में स्नान का महत्व अध्यात्म
और विज्ञान का समन्वय है.कहा जा सकता
है महाकुंभ केवल एक धार्मिक
आयोजन नहीं है, बल्कि
यह प्राचीन भारत की गहन
वैज्ञानिक और खगोलीय समझ
का प्रतीक है. यह मेला
हमें यह सिखाता है
कि आस्था और विज्ञान के
बीच कोई विभाजन नहीं
है, बल्कि ये दोनों मिलकर
मानवता के लिए मार्गदर्शक
बनते हैं.
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