महाकुंभ में दिखा आस्था का विराट स्वरूप, हर जुबान पर जय हो योगी!
पहले अमृत स्नान के लिए त्रिवेणी संगम पर श्रद्धालुओं का रेला उमड़ पड़ा। भीड़ इतनी की लोगों को पैर रखने की जगह नहीं मिली। इसकी गवाही देश-विदेश से संगम में डुबकी लगाने पहुंचे 3.5 करोड़ से अधिक श्रद्धालु खुद ब खुद दे रहे है। महाकुंभ की व्यवस्था से इतराएं हर सख्श के जुबान पर जय हो योगी बाबा! “एको अहं, द्वितीयो नास्ति, न भूतो न भविष्यति“ अर्थात मैं एक ही हूं, दूसरा कोई नहीं है, न हुआ है, न होगा। भला क्यों नहीं? चप्पे चप्पे पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम। जिस पुलिस के क्रूर चेहरे को देख लोग बगली काटने को विवश हो जाते रहे, वो पुलिस हाथ जोड़े श्रद्धालुओं का अभिवादन करती दिखी। गलती से कोई बुजुर्ग रास्ता भटक गए तो खुद उनकी उंगली पकड़ सही रास्ता पकड़ा देते और सिर पर भारी बोझ दिखा तो खुद अपने सिर उठा लिया। आसमान से जब पुष्प वर्षा हुई साधु-सन्यासी भी गदगद नजर आएं। मतलब साफ है महाकुंभ में राष्ट्रभक्ति और सनातन का अद्भूत संगम दिख रहा है। एक साथ लहरा रही है राष्ट्रीय ध्वज और धर्म ध्वजाएं. खास यह है कि महाकुंभ के नाम पर करोड़ो-अरबों हजम कर चुके विपक्षी नेताओं ने महाकुंभ की व्यवस्था पर सवालिया निशान लगाएं तो योगी से पहले भारतीय तो भारतीय सात समुंदर पार से आएं विदेशी मेहमानों ने दो टूक कहा, उन्हें याद है 2012 का महाकुंभ, किस तरह श्रद्धालु लूट जाते थे और माफियाओं का नंगा नाच का खूनी मंजर आज भी उनकी आंखों के सामने है. खास यह है कि इंजीनियरिंग-मॉडलिंग वाले युवाओं का भी झुंड यह बताने के लिए काफी है कि अब वो भी सनातन संस्कृति का हिस्सा बन रहे है
सुरेश गांधी
फिरहाल, पौष पूर्णिमा व पहला अमृत स्नान के साथ महाकुंभ का आगाज हो गया है। दो दिनों में पांच करोड़ से अधिक श्रद्धालु संगम में डूबकी लगा चुके है। हाथों में तलवार-त्रिशूल, डमरू लिए नागा बाबा भी संगम नगरी में चार चांद लगा रहे हैं। पूरे शरीर पर भभूत, घोड़े और रथ की सवारी से हर-हर महादेव के नारे गूंज रहे हैं। यह महाकुंभ अब अगले 45 दिनों तक यानी 26 फरवरी तक चलेगा. मेला क्षेत्र में उमड़ रही भीड़ के बीच श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सेना के जवानों से लेकर पुलिस और प्रशासनिक अफसर की टीमें मौके पर मौजूद हैं. सुरक्षा के कड़े इंतजाम हैं और चप्पे-चप्पे पर नजर रखी जा रही है. अनेकता में एकता की अनुभूति, आस्था एवं आधुनिकता के संगम में साधना एवं पवित्र स्नान, कल्पवासियों की धुनी, सनातन की महत्ता का एहसास करा रही है। खास है इस महाकुंभ में 12 घंटे में 3.5 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगा चुके है। जूना अखाड़ा समेत सभी 13 अखाड़ों के संत स्नान कर चुके हैं।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अब तक 3.5 करोड़ श्रद्धालु संगम में डुबकी लगा चुके हैं। श्रद्धालुओं पर हेलिकॉप्टर से लगातार फूल बरसाए गए। सुबह सुबह 6 बजे अमृत स्नान का अद्भुत दृश्य था। हाथों में तलवार-त्रिशूल और डमरू लिए संन्यासी हर-हर महादेव का उद्घोष करते हुए घाटों पर पहुंचे। हालात ये रही कि आज के लिए महाकुंभ नगर दुनिया का सबसे बड़ा जिला बन गया। एक दिन में दुनिया में कहीं भी इतनी ज्यादा भीड़ नहीं आई थी। भीड़ ज्यादा होने से प्रयाग स्टेशन कुछ देर के लिए बंद कर दिया गया। सुबह संगम पर इतने श्रद्धालु पहुंच गए कि पैर रखने की जगह नहीं थी। बता दें, ये महाकुंभ बेहद खास है. वजह ये है कि ऐसा महाकुंभ 144 साल बाद आया है. यूं तो महाकुंभ हर 12 साल में आता है. लेकिन इस बार के महाकुंभ का जो संयोग बना है वो 144 साल बाद बना है. यानि इस संयोग के साक्षी बनने वाले 144 साल पहले बने थे. बस यही वजह है कि इस बार के महाकुंभ का हर कोई हिस्सा बना चाहता है और बस इसीलिए इस महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं की तादाद पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ने जा रही है. अगले डेढ़ महीने तक प्रयागराज पर सिर्फ देश ही नहीं बल्कि
पूरी दुनिया की नजर होगी.इस बड़ी संख्या
को देखते हुए सरकार ने
4000 हेक्टेयर में मेले के
आयोजन का फैसला लिया
था जबकि 1800 हेक्टेयर में पार्किंग की
व्यवस्था की गई है।
श्रद्धालुओं के निवास के
लिए 1.6 लाख टेंट बनाए
गए हैं। इसके अलावा
संगम में अलग-अलग
जगहों पर 30 पीपा पुल का
निर्माण किया गया है।
प्रयागराज और कुंभ मेले
के आसपास के क्षेत्रों में
लगभग 400 किलोमीटर अस्थायी सड़कें बनाई गई है
और 67,000 से अधिक स्ट्रीट
लाइट्स लगाई गई हैं।
इसके अलावा प्रयागराज में कुंभ मेले
के चलते 14 नए रोड ओवरब्रिज,
61 नई सड़कें और 40 अलग-अलग चौराहों
का सौंदर्यीकरण किया गया है।
अगर बात सरकार द्वारा
विकसित किए गए दूसरे
इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट की करें तो
महाकुंभ में बिजली आपूर्ति
के लिए उत्तर प्रदेश
पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा दो नए पावर
सबस्टेशन बनाए गए हैं
और 66 नए ट्रांसफार्मर लगाए
हैं। मेले में पानी
की आपूर्ति के लिए
1,249 किलोमीटर की पाइपलाइन बिछाई
गई है। इसके अलावा
डेढ़ लाख से अधिक
टॉयलेट और 10,000 सफाईकर्मियों को लगाया गया
है। ग्रीन
कुंभ के दृष्टिकोण से
3 लाख से अधिक पौधे
लगाए गए हैं। बीते
दिनों रेल मंत्री अश्विनी
वैष्णव ने घोषणा की
थी कि महाकुंभ के
दौरान 13,000 ट्रेनें (3,000 विशेष ट्रेनें सहित) चलाई जाएंगी। साथ
ही श्रद्धालुओं के लिए 7,000 से
अधिक बसें, जिसमें 200 वातानुकूलित बसें शामिल हैं,
और 200 से अधिक चार्टर
फ्लाइट नियमित उड़ानों के साथ उपलब्ध
होंगी।
आस्था ही नहीं, विज्ञान का भी अद्भुत संगम है महाकुंभ
महाकुंभ का समय और
आयोजन एस्ट्रोनॉमिकल घटनाओं पर आधारित है.
यह मेला तब आयोजित
होता है जब गुरु
ग्रह, सूर्य और चंद्रमा का
विशेष संयोग में होता है.
गुरु का 12-साल का परिक्रमा
चक्र और पृथ्वी के
साथ इसकी विशेष स्थिति
आयोजन को शुभ बनाती
है. इतना ही नहीं,
महाकुंभ का आयोजन प्राचीन
भारतीय एस्ट्रोनॉमिकल साइंस की गहरी समझ
को बताता है. आयोजन स्थल
और समय दोनों को
पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्रों
और ग्रहों की स्थिति के
आधार पर निर्धारित किया
गया है. महाकुंभ का
आरंभ “समुद्र मंथन” की पौराणिक कथा
से जुड़ा है. इस
कथा के अनुसार, देवताओं
और असुरों ने अमृत प्राप्त
करने के लिए समुद्र
मंथन किया. अमृत कलश से
गिरा अमृत चार स्थानों
प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में
गिरा. यही स्थान कुंभ
मेलों के आयोजन के
केंद्र बने. ‘कुंभ’ शब्द स्वयं अमृत
कलश का प्रतीक है,
जो अमरता और आध्यात्मिक पोषण
का प्रतीक है. कुंभ मेला
आयोजन स्थलों का चयन भू-चुंबकीय ऊर्जा के आधार पर
किया गया है. ये
स्थान, विशेषकर नदी संगम क्षेत्र,
आध्यात्मिक विकास के लिए अनुकूल
माने गए हैं. प्राचीन
ऋषियों ने इन स्थानों
पर ध्यान, योग और आत्मिक
उन्नति के लिए उपयुक्त
ऊर्जा प्रवाह का अनुभव किया
और इन्हें पवित्र घोषित किया था. साइंटिफिक
रीजन से देखें कुंभ
मेला मानव शरीर पर
प्लैनेट्स और मैगनेटिक क्षेत्रों
के प्रभाव को समझने का
एक बढ़िया समय है. बायो-मैग्नेटिज्मके अनुसार, मानव शरीर चुंबकीय
क्षेत्रों का उत्सर्जन करता
है और बाहरी ऊर्जा
क्षेत्रों से प्रभावित होता
है. कुंभ में स्नान
और ध्यान के दौरान महसूस
की जाने वाली शांति
और सकारात्मकता का कारण इन्हीं
ऊर्जा प्रवाहों में है. ग्रहों
की स्थिति का न केवल
आध्यात्मिक महत्व है, बल्कि वैज्ञानिक
दृष्टि से यह पृथ्वी
और मानव पर पड़ने
वाले प्रभावों को भी दर्शाती
है. गुरु, सूर्य और चंद्रमा का
विशेष संयोग पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र
को प्रभावित करता है. इन
खगोलीय संयोगों के दौरान कुंभ
में स्नान का महत्व अध्यात्म
और विज्ञान का समन्वय है.कहा जा सकता
है महाकुंभ केवल एक धार्मिक
आयोजन नहीं है, बल्कि
यह प्राचीन भारत की गहन
वैज्ञानिक और खगोलीय समझ
का प्रतीक है. यह मेला
हमें यह सिखाता है
कि आस्था और विज्ञान के
बीच कोई विभाजन नहीं
है, बल्कि ये दोनों मिलकर
मानवता के लिए मार्गदर्शक
बनते हैं.
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