Tuesday, 14 January 2025

महाकुंभ में दिखा आस्था का विराट स्वरूप, हर जुबान पर जय हो योगी!

महाकुंभ में दिखा आस्था का विराट स्वरूप, हर जुबान पर जय हो योगी! 

पहले अमृत स्नान के लिए त्रिवेणी संगम पर श्रद्धालुओं का रेला उमड़ पड़ा। भीड़ इतनी की लोगों को पैर रखने की जगह नहीं मिली। इसकी गवाही देश-विदेश से संगम में डुबकी लगाने पहुंचे 3.5 करोड़ से अधिक श्रद्धालु खुद खुद दे रहे है। महाकुंभ की व्यवस्था से इतराएं हर सख्श के जुबान पर जय हो योगी बाबा! “एको अहं, द्वितीयो नास्ति, भूतो भविष्यतिअर्थात मैं एक ही हूं, दूसरा कोई नहीं है, हुआ है, होगा। भला क्यों नहीं? चप्पे चप्पे पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम। जिस पुलिस के क्रूर चेहरे को देख लोग बगली काटने को विवश हो जाते रहे, वो पुलिस हाथ जोड़े श्रद्धालुओं का अभिवादन करती दिखी। गलती से कोई बुजुर्ग रास्ता भटक गए तो खुद उनकी उंगली पकड़ सही रास्ता पकड़ा देते और सिर पर भारी बोझ दिखा तो खुद अपने सिर उठा लिया। आसमान से जब पुष्प वर्षा हुई साधु-सन्यासी भी गदगद नजर आएं। मतलब साफ है महाकुंभ में राष्ट्रभक्ति और सनातन का अद्भूत संगम दिख रहा है। एक साथ लहरा रही है राष्ट्रीय ध्वज और धर्म ध्वजाएं. खास यह है कि महाकुंभ के नाम पर करोड़ो-अरबों हजम कर चुके विपक्षी नेताओं ने महाकुंभ की व्यवस्था पर सवालिया निशान लगाएं तो योगी से पहले भारतीय तो भारतीय सात समुंदर पार से आएं विदेशी मेहमानों ने दो टूक कहा, उन्हें याद है 2012 का महाकुंभ, किस तरह श्रद्धालु लूट जाते थे और माफियाओं का नंगा नाच का खूनी मंजर आज भी उनकी आंखों के सामने है. खास यह है कि इंजीनियरिंग-मॉडलिंग वाले युवाओं का भी झुंड यह बताने के लिए काफी है कि अब वो भी सनातन संस्कृति का हिस्सा बन रहे है 

सुरेश गांधी

फिरहाल, पौष पूर्णिमा पहला अमृत स्नान के साथ महाकुंभ का आगाज हो चुका है. ऐसे में हर कोई इस भक्ति में महाकुंभ के संगम में सराबोर होने के लिए जाने की जुगत में जुटा है. हर कोई संगम की धारा में डुबकी लगाने की कोशिश में लगा हुआ है। दो दिनों में 5.5 करोड़ से अधिक श्रद्धालु संगम में डूबकी लगा चुके है। इस बार 45 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु कुंभ स्नान के लिए पहुंचने वाले हैं. जिसको देखते हुए प्रशासन ने कड़े इंतजामात किया है. महाकुंभ की रौनक संगम नगरी में देखते बन रही है. इस धार्मिक नगरी में दुनियाभर से करोड़ों श्रद्धालु रहे हैं. देखा जाएं तो महाकुंभ अब सिर्फ भारतीय आयोजन नहीं रहा, यह एक वैश्विक पर्व बन गया है। ब्राजील, जर्मनी, जापान, इंग्लैंड, अमरीका और स्पेन जैसे देशों के श्रद्धालु भी प्रयागराज पहुंचने लगे हैं। यह आयोजन अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सनातन संस्कृति के बढ़ते प्रभाव को दिखा रहा है। खास बात यह है कि पाकिस्तान और अरब समेत इस्लामिक देश भी महाकुंभ में रुचि दिखा रहे हैं। 


प्रयागराज संगम में महाकुंभ की धूम भारत सहित पूरी दुनिया में देखने को मिल रही है. इस्लामिक देशों में महाकुंभ को लेकर बहुत ज्यादा चर्चा हो रही है. इसमें भी पाकिस्तान सबसे टॉप पर चल रहा है. या यूं कहे भारत के परस्पर विरोधी देश में लोग महाकुंभ के आयोजन और यहां जुट रही व्यापक भीड़ को खूब सर्च कर रहे हैं. पाकिस्तान के बाद इस लिस्ट में कतर, यूएई और बहरीन जैसे देश शामिल हैं. इसके अलावा, नेपाल, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, आयरलैंड, ब्रिटेन, थाईलैंड और अमेरिका जैसे देशों के लोग भी महाकुंभ के बारे में पढ़ और खोज रहे हैं. महाकुंभ के पहले अमृत स्नान के अवसर पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर महाकुंभ अमृत स्नान हैशटैग जबरदस्त ट्रेंड हुआ। हजारों यूजरों ने महाकुंभ के दौरान ली गई तस्वीरें, वीडियो और सूचनाएं साझा की। सोशल मीडिया पर लोगों ने महाकुंभ में हुई व्यवस्थाओं, श्रद्धालुओं की भारी संख्या, संगम स्नान और अपनी फोटो को खूब शेयर किया। टाटा ग्रुप की एयरलाइन एयर इंडिया ने मंगलवार को ऐलान किया है कि वह दिल्ली और प्रयागराज के बीच दैनिक उडा़न का संचालन करेगी।

खास यह है कि हाथों में तलवार-त्रिशूल, डमरू लिए नागा बाबा भी संगम नगरी में चार चांद लगा रहे हैं। पूरे शरीर पर भभूत, घोड़े और रथ की सवारी से हर-हर महादेव के नारे गूंज रहे हैं। यह महाकुंभ अब अगले 45 दिनों तक यानी 26 फरवरी तक चलेगा. मेला क्षेत्र में उमड़ रही भीड़ के बीच श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सेना के जवानों से लेकर पुलिस और प्रशासनिक अफसर की टीमें मौके पर मौजूद हैं. सुरक्षा के कड़े इंतजाम हैं और चप्पे-चप्पे पर नजर रखी जा रही है. अनेकता में एकता की अनुभूति, आस्था एवं आधुनिकता के संगम में साधना एवं पवित्र स्नान, कल्पवासियों की धुनी, सनातन की महत्ता का एहसास करा रही है। श्रद्धालुओं पर हेलिकॉप्टर से लगातार फूल बरसाए गए। सुबह सुबह 6 बजे अमृत स्नान का अद्भुत दृश्य था। हाथों में तलवार-त्रिशूल और डमरू लिए संन्यासी हर-हर महादेव का उद्घोष करते हुए घाटों पर पहुंचे। हालात ये रही कि आज के लिए महाकुंभ नगर दुनिया का सबसे बड़ा जिला बन गया। एक दिन में दुनिया में कहीं भी इतनी ज्यादा भीड़ नहीं आई थी। भीड़ ज्यादा होने से प्रयाग स्टेशन कुछ देर के लिए बंद कर दिया गया। सुबह संगम पर इतने श्रद्धालु पहुंच गए कि पैर रखने की जगह नहीं थी। बता दें, ये महाकुंभ बेहद खास है. वजह ये है कि ऐसा महाकुंभ 144 साल बाद आया है. यूं तो महाकुंभ हर 12 साल में आता है. लेकिन इस बार के महाकुंभ का जो संयोग बना है वो 144 साल बाद बना है. यानि इस संयोग के साक्षी बनने वाले 144 साल पहले बने थे. बस यही वजह है कि इस बार के महाकुंभ का हर कोई हिस्सा बना चाहता है और बस इसीलिए इस महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं की तादाद पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ने जा रही है. अगले डेढ़ महीने तक प्रयागराज पर सिर्फ देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया की नजर होगी.

पौराणिक कथाओं की मानें तो महाकुंभ का आयोजन अमृत की खोज का परिणाम है, लेकिन यह कथा सिर्फ इतनी ही नहीं है.असल में अब जो महाकुंभ हमारे लिए वरदान साबित हो रहा है, वह एक श्राप का परिणाम था. ऐसा श्राप जो देवताओं को मिला, जिससे एक समय मानवता खतरे में पड़ गई थी. समय के साथ वही श्राप मानव समुदाय के लिए वरदान साबित हुआ. इस पूरी परंपरा के पीछे एक ऋषि का श्राप है, जो आज वरदान बनकर हमारे सामने है. देवलोक से निकली इस परंपरा की धारा में मानवता के पुण्य का वरदान तो है ही, साथ ही यह नीति और नैतिकता की शिक्षा का आधार भी है. स्कंदपुराण की कथा के मुताबिक, स्वर्ग की राजधानी अमरावती हर सुखों से भरी थी, जिसकी वजह से इसका स्वर्ग नाम सार्थक था. देवताओं ने कई सालों तक चले देवासुर संग्राम को जीत लिया था और इसके कारण उन्हें अब शत्रुओं का भय भी नहीं था. कुल मिलाकर स्वर्ग में मन को प्रसन्न करने वाली हवा बह रही थी, उनमें फूलों की सुगंध घुली हुई थी. इनका संयोजन इतना खूबसूरत होता है कि कई बार गंधर्व अपनी तानों का गान छोड़कर उनका संगीत सुनने लग जाते थे. इसका असर ये था कि अब देवता भी धीरे-धीरे अपने कर्तव्यों को छोड़कर आमोद-प्रमोद में लगे रहते. उनके अधिपति इंद्र तो राग रंग में ऐसे डूबे थे कि अब उन्हें ज्ञात ही नहीं था कि संसार के प्रति भी उनका कुछ दायित्व है. वह गंधर्वों से दिन के आठों पहर नए-नए राग सुनते और सोमरस के मद में चूर रहते थे. इसकी वजह देव-दानवों का वह युद्ध है, जिसमें देवराज इंद्र ने विजय पाई थी. हालांकि उन्हें विजय त्रिदेवों  (ब्रह्नमा-विष्णु-महेश) के कारण मिली थी, लेकिन विजय का अभिमान ऐसा हो गया कि वह अब सोच बैठे थे कि अब कोई आक्रमण होगा ही नहीं. देवगुरु बृहस्पति की चिंता भी यही थी. वह भविष्य की आशंका से कम चिंतित थे, लेकिन वर्तमान में संकट यह था कि राग-रंग में डूबे देवराज अब ग्रहमंडल की बैठक भी नहीं कर रहे थे. सप्तऋषियों ने इसके लिए चिंता जताई थी, लेकिन युद्ध की वजह से वह भी इस शांति को भंग नहीं होने देना चाहते थे, लेकिन कई पक्ष बीत जाने के बाद अब उन्हें चिंता होने लगी थी. ग्रहमंडल की बैठक नहीं हुई तो नक्षत्रों का सारा विधान रुक सकता था. संतुलन बिगड़ सकता था. इस चिंता को दूर करने ही देवराज इंद्र से बैठक बुलाने का अनुरोध करने ही ऋषि दुर्वासा सप्तऋषियों के प्रतिनिधि बनकर देवलोक की ओर बढ़े.

बेशक, संगम पर डुबकी के लिए कड़ाके की ठंड की चिंता किए बिना देश के कोने-कोने से लाखों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। विदेशी भक्त भी महाकुंभ पहुंच रहे हैं। कुंभ मेला क्षेत्र दिव्य सजावट और भव्य तैयारियों से जगमगा उठा है। विश्व में महाकुंभ जैसा दूसरा कोई पर्व नहीं हैं। इस महापर्व में करीब 45 करोड़ श्रद्धालुओं के शामिल होने का अनुमान है। श्रद्धालुओं में देश के विभिन्न हिस्सों के लोगों के साथ-साथ विदेशी पर्यटक भी बड़ी संख्या में मौजूद रहेंगे। श्रद्धेय संतों की पावन उपस्थिति में महाकुम्भ क्षेत्र का संपूर्ण वातावरण और अधिक दिव्य एवं अलौकिक हो गया। वैसे भी विश्व के लिए शांति के लिए सनातन धर्म बहुत जरुरी हैं। हमारा भारत महान हैं। हमारी संस्कृति हमारा देश हमारे सनातन धर्म का सबसे बड़ा तीर्थ प्रयागराज संगम पर आज जो मकर संक्रांति का जो पर्व मनाया गया, ये दुनियां का महान तीर्थ हैं। प्रयागराज में त्रिवेणी संगम आस्था के महासागर का साक्षी बना। यह आयोजन भक्ति, परंपरा और आध्यात्मिकता का अद्भुत महासंगम रहा, जिसमें श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। मतलब साफ है यह हमारी सनातन संस्कृति और आस्था का जीवंत स्वरूप है। इधर, अमृत स्नान के दौरान किसी भी प्रकार की दुर्घटना हो उसे रोकने के लिए मौके पर सुरक्षा बलों के जवान चप्पे-चप्पे पर तैनात दिखे। स्वच्छ, सुरक्षित, सुविधाजनक महाकुम्भ के लिये प्रशासन सतर्क दिखा। बता दें, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर मेला क्षेत्र में सुरक्षा के अभूतपूर्व इंतजाम किए गए हैं। इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से चप्पे-चप्पे की निगरानी की जा रही है। डीआईजी और एसएसपी खुद मॉनिटरिंग कर रहे हैं। भीड़ प्रबंधन के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है। आधी रात और सुबह तड़के से ही पुलिस बल पूरी तरह मुस्तैद नजर आया।

पवित्र संगम में डुबकी लगाने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पुलिस शरारती तत्वों पर नजर रख रही है। लगभग 50,000 कर्मियों को तैनात किया है। महाकुंभ मेला मैदान में सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद करने के लिए पेट्रोलिंग पुलिस (घुड़सवार पुलिस) द्वारा 1.5 करोड़ रुपये के घोड़े तैनात किए गए हैं। कुल पांच अमेरिकी वार्मब्लड (नस्ल) घोड़े लाए गए हैं, उनकी विशेषता यह है कि वह दूर से खतरे को महसूस कर लेते हैं। महाकुंभ के दृष्टिगत प्रयागराज के आस-पास के धार्मिक स्थलों (वाराणसी, गोरखपुर, अयोध्या, मिर्जापुर एवं चित्रकूट और मथुरा  आदि) पर श्रद्धालुओं की सुविधा हेतु उत्कृष्ट व्यवस्थाएं की गईं हैं। जो भी यहां (महाकुंभ) आए, एक अच्छा अनुभव लेकर वापस जाए, यह सुनिश्चित करने के लिए सब कुछ किया गया है। श्रद्धालुओं के सुखद अनुभव के लिए टेंट सिटी, अतिरिक्त शौचालय, रहने-खाने की सुविधा आदि हर चीज का ध्यान रखा गया है। महाकुंभ 2025 को सफल और सुरक्षित बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार ने व्यापक स्तर पर तैयारियां की हैं। लगभग 7,000 करोड़ रुपये की लागत से प्रयागराज में आधारभूत ढांचे का विकास किया गया है। कुंभ क्षेत्र को छह जोन और 20 सेक्टरों में विभाजित किया गया है। सुरक्षा को देखते हुए 60 हजार जवानों को सुरक्षा व्यवस्था संभालने में लगाया गया है। खास यह है कि इस महाकुंभ में अब तक कई बड़ी हस्तियां भी शामिल हुई, जिनमें से एक्स एपल फाउंडर स्टीव जॉब्स की पत्नी भी थीं। महाकुंभ को सनातन धर्म में सबसे अहम और पवित्र मानते हैं। माना जाता है इस आयोजन में भाग लेने से हर पाप से मुक्ति मिलती है और मोक्ष जैसे कई आध्यात्मिक लाभ मिलते हैं।

बता दें, पौष पूर्णिमा पर बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं तड़के से ही संगम स्नान के लिए पहुंचने लगे। संगम नोज, एरावत घाट और वीआईपी घाट समेत समस्त घाटों पर सुबह से ही श्रद्धालु स्नान करते नजर आए। युवाओं ने इस पावन क्षण को कैमरे में कैद किया और सोशल मीडिया पर साझा किया। इस बार युवाओं में सनातन संस्कृति और आध्यात्मिकता के प्रति खासा उत्साह देखने को मिला। संगम स्नान और दान-पुण्य में बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने पवित्र संगम तट पर पूजा-अर्चना और दान कर पुण्य लाभ अर्जित किया। इंग्लैंड से पहली बार कुंभ आए टिम नामक विदेशी पर्यटक महाकुंभ की व्यवस्था देखकर बहुत खुश हुए और कहा कि ऐसी जगह पर जीवन में एक बार ही आने का मौका मिलता है. यह एक पुण्य स्थल है. मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने प्रयागराज में महाकुंभ की व्यवस्थाओं की प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सराहना करते हुए कहा, “धन्य है भारत, धन्य है श्री प्रयागराज और धन्य है महाकुंभ। करोड़ों भारतवासियों की ओर से मुख्यमंत्री योगी का अभिनंदन।स्टेशन से लेकर पूरे रास्ते में तीर्थ यात्रियों के लिए सुविधा, सुरक्षा इतनी अच्छी है, जो आज तक नहीं देखी। उन्होंने कहा, ठंड के बारे में जो भ्रम था, उतनी नहीं है, फिर भी योगी जी की सरकार ने ठंड से मुकाबले की भी बहुत अच्छी व्यवस्था कर रखी है। 1977 से मैंने श्री प्रयागराज के महाकुंभ में स्नान शुरू किए हैं, तब से लेकर इस महाकुंभ तक यहां आने वाले तीर्थ यात्रियों के लिए इतनी अच्छी व्यवस्था, सुरक्षा, सुविधा, प्रशासन एवं पुलिस का अति विनम्र व्यवहार पहले कभी नहीं देखा। फ्रांस की पत्रकार मेलानी ने महाकुंभ में साधुओं से मिलना और इस जीवंत मेले को देखना एक जीवन में एक बार का अनुभव बताया. इक्वाडोर की क्रिस्टीना ने अपनी यात्रा को कभी भूलने वाला आध्यात्मिक यात्रा के रूप में वर्णित किया. इटली के पाउलो और उनके 12 सदस्यीय दल ने आयोजन की व्यवस्थाओं की सराहना की. ऑस्ट्रेलिया के एलेक्स ने इसे अपने जीवन का सबसे यादगार क्षण बताया. महाकुंभ मेले में आम विदेशी पर्यटकों के अलावा एप्पल के सह संस्थापक दिवंगत स्टीव जॉब्स की वाइफ लॉरेन पॉवेल जॉब्स ने भी शिरकत किया है. इस दौरान उनके गुरू स्वामी कैलाशानंद ने नया हिंदू नाम दिया है कमला दिया है. अरबपति महिला कारोबारी लॉरेन पॉवेल जॉब्स ने विश्व के इस सबसे बड़े धार्मिक समागम में कल संगम में डुबकी लगायी थी. पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के महंत रविंद्र पुरी ने कहा, “उन्हें (लॉरेन) यहां नया नामकमलामिला है.

इस बड़ी संख्या को देखते हुए सरकार ने 4000 हेक्टेयर में मेले के आयोजन का फैसला लिया था जबकि 1800 हेक्टेयर में पार्किंग की व्यवस्था की गई है। श्रद्धालुओं के निवास के लिए 1.6 लाख टेंट बनाए गए हैं। इसके अलावा संगम में अलग-अलग जगहों पर 30 पीपा पुल का निर्माण किया गया है। प्रयागराज और कुंभ मेले के आसपास के क्षेत्रों में लगभग 400 किलोमीटर अस्थायी सड़कें बनाई गई है और 67,000 से अधिक स्ट्रीट लाइट्स लगाई गई हैं। इसके अलावा प्रयागराज में कुंभ मेले के चलते 14 नए रोड ओवरब्रिज, 61 नई सड़कें और 40 अलग-अलग चौराहों का सौंदर्यीकरण किया गया है। अगर बात सरकार द्वारा विकसित किए गए दूसरे इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट की करें तो महाकुंभ में बिजली आपूर्ति के लिए उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा दो नए पावर सबस्टेशन बनाए गए हैं और 66 नए ट्रांसफार्मर लगाए हैं। मेले में पानी की आपूर्ति के लिए  1,249 किलोमीटर की पाइपलाइन बिछाई गई है। इसके अलावा डेढ़ लाख से अधिक टॉयलेट और 10,000 सफाईकर्मियों को लगाया गया है।  ग्रीन कुंभ के दृष्टिकोण से 3 लाख से अधिक पौधे लगाए गए हैं। बीते दिनों रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने घोषणा की थी कि महाकुंभ के दौरान 13,000 ट्रेनें (3,000 विशेष ट्रेनें सहित) चलाई जाएंगी। साथ ही श्रद्धालुओं के लिए 7,000 से अधिक बसें, जिसमें 200 वातानुकूलित बसें शामिल हैं, और 200 से अधिक चार्टर फ्लाइट नियमित उड़ानों के साथ उपलब्ध होंगी।

आस्था ही नहीं, विज्ञान का भी अद्भुत संगम है महाकुंभ

महाकुंभ का समय और आयोजन एस्ट्रोनॉमिकल घटनाओं पर आधारित है. यह मेला तब आयोजित होता है जब गुरु ग्रह, सूर्य और चंद्रमा का विशेष संयोग में होता है. गुरु का 12-साल का परिक्रमा चक्र और पृथ्वी के साथ इसकी विशेष स्थिति आयोजन को शुभ बनाती है. इतना ही नहीं, महाकुंभ का आयोजन प्राचीन भारतीय एस्ट्रोनॉमिकल साइंस की गहरी समझ को बताता है. आयोजन स्थल और समय दोनों को पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्रों और ग्रहों की स्थिति के आधार पर निर्धारित किया गया है. महाकुंभ का आरंभसमुद्र मंथनकी पौराणिक कथा से जुड़ा है. इस कथा के अनुसार, देवताओं और असुरों ने अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन किया. अमृत कलश से गिरा अमृत चार स्थानों प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में गिरा. यही स्थान कुंभ मेलों के आयोजन के केंद्र बने. ‘कुंभशब्द स्वयं अमृत कलश का प्रतीक है, जो अमरता और आध्यात्मिक पोषण का प्रतीक है. कुंभ मेला आयोजन स्थलों का चयन भू-चुंबकीय ऊर्जा के आधार पर किया गया है. ये स्थान, विशेषकर नदी संगम क्षेत्र, आध्यात्मिक विकास के लिए अनुकूल माने गए हैं. प्राचीन ऋषियों ने इन स्थानों पर ध्यान, योग और आत्मिक उन्नति के लिए उपयुक्त ऊर्जा प्रवाह का अनुभव किया और इन्हें पवित्र घोषित किया था. साइंटिफिक रीजन से देखें कुंभ मेला मानव शरीर पर प्लैनेट्स और मैगनेटिक क्षेत्रों के प्रभाव को समझने का एक बढ़िया समय है. बायो-मैग्नेटिज्मके अनुसार, मानव शरीर चुंबकीय क्षेत्रों का उत्सर्जन करता है और बाहरी ऊर्जा क्षेत्रों से प्रभावित होता है. कुंभ में स्नान और ध्यान के दौरान महसूस की जाने वाली शांति और सकारात्मकता का कारण इन्हीं ऊर्जा प्रवाहों में है. ग्रहों की स्थिति का केवल आध्यात्मिक महत्व है, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से यह पृथ्वी और मानव पर पड़ने वाले प्रभावों को भी दर्शाती है. गुरु, सूर्य और चंद्रमा का विशेष संयोग पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र को प्रभावित करता है. इन खगोलीय संयोगों के दौरान कुंभ में स्नान का महत्व अध्यात्म और विज्ञान का समन्वय है.कहा जा सकता है महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह प्राचीन भारत की गहन वैज्ञानिक और खगोलीय समझ का प्रतीक है. यह मेला हमें यह सिखाता है कि आस्था और विज्ञान के बीच कोई विभाजन नहीं है, बल्कि ये दोनों मिलकर मानवता के लिए मार्गदर्शक बनते हैं.

 


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