नवसंवत्सर 2082 : आपदाओं के बीच रहेगी खुशहाली, बरसेगी सूर्य कृपा
शक्ति की अधिष्ठात्री मां दुर्गा और मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की आराधना का पर्व चैत्र नवरात्रि रविवार को चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को कलश स्थापना के साथ शुरु होगा। इस दौरान 6 अप्रैल तक नौ दिनों तक मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की आराधना एवं रामनवमी तक भगवान श्रीराम की पूजा-अर्चना होगी। चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को नववर्ष भी मनाया जाता है। चैत्र साल का पहला महीना है। शुक्ल प्रतिपदा को पहली तिथि माना जाता है. इस दिन को नव संवत भी कहा जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि रचने की शुरुआत की थी। इसी दिन को विक्रम संवत के नए साल का आरंभ माना गया. हिन्दू नववर्ष के शुरू होते ही पेड़ पौधे भी अपने नए कलेवर में आते हुए नई पत्तियों को धारण करने लगते हैं. मनुष्यों के रूप में भी परिवर्तन हो जाता है. इसके अलावा अंतरिक्ष में ग्रहों की स्थितियां भी बदल जाती हैं. पाताल से लेकर के समस्त लोक तक में परिवर्तन हो जाता है. नवरात्र का उपासना करके सनातनी भी अपने नए कलेवर में हो जाते हैं. इस दिन महाराष्ट्र में गुढ़ी पड़वा, आंध्र प्रदेश में युगादि, सिंधी समाज में चेट्टी चंड मनाने की परंपरा है. विक्रम संवत शुरुआत राजा विक्रमादित्य ने की थी
सुरेश गांधी
फिरहाल, शुक्ल प्रतिपदा नववर्ष का शुभारंभ 30 मार्च को नवरात्र के साथ ही आरंभ होने जा रहा है। जबकि नया विक्रम संवत भी इसी दिन से शुरु हो रहा है। विक्रम संवत हिन्दू पंचाग का कैलेंडर भी हैं। यह चंद्र-सौर कैलेंडर है। इसी कैलेंडर के आधार पर हिंदू धर्म के लोग शादी-विवाह, पूजा-पाठ आदि की तिथि देखते हैं। ये 57 ईसा पूर्व में आरंभ हुआ था। हिंदू पंचांग विक्रम संवत की गणना चंद्रमा व सूर्य की गति के आधार पर की जाती है। विक्रम संवत अंग्रेजी कैलेंडर से 57 साल आगे चलता है। इसलिए इस बार हिंदू कैलेंडर का साल 2082 है। इसकी शुरुवात सम्राट विक्रमादित्य ने की थी। तभी से विक्रम संवत को हिंदू नए साल के रूप में मनाया जाता है। इस साल का राजा ग्रह सूर्य होंगे और नवसंवत्सर का नाम होगा सिद्धार्थ। इसका वाहन घोड़ा रहेगा. वैसे भी सूर्य को ग्रहों का राजा माना जाता है। जबकि अन्न-धन, खनिज व धातु के स्वामी बुध, खाद्य पदार्थों के स्वामी मंगल होंगे. ज्योषाचार्यो के मुताबिक, यह हिंदू नव वर्ष हमारे जीवन में कई सकारात्मक चीजें लाएगा। नवसंवत्सर को देश के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग तरह से मनाया जाता है। नवरात्र की शुरुआत भी इसी दिन होगी। हिंदू नववर्ष के दिन से ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना भी शुरू की थी। भगवान श्रीराम और धर्मराज युधिष्ठिर का राज्याभिषेक भी इसी दिन हुआ था।
हिंदू पंचांग विक्रम संवत के आधार
पर चलता है. इसीलिए
हिंदू नव वर्ष अंग्रेजी
कैलेंडर से 57 साल आगे है.
ज्योतिष विद्वानों के अनुसार विक्रम
संवत 2082 कालयुक्त संवत्सर का नाम सिद्धार्थ
होगा और इसका वाहन
घोड़ा रहेगा. इस संवत्सर में
राजा और मंत्री के
पद ग्रहों के राजा सूर्य
के पास रहेगा. इससे
इस वर्ष रिकार्ड तोड़
गर्मी पड़ेगी. प्रतिपदा के तिथि के
दिन जो वार होता
है उसके आधार पर
वर्ष के अनुसार संवत्सर
के मंत्री पद निर्धारित होता
है. हालांकि नव संवत्सर उत्तम
और अच्छा फल देने वाला
साबित होगा. इस वर्ष की
स्थिति संतोषजनक होगी, लेकिन इस वर्ष गर्मी
भी खूब पड़ेगी, आगजनी
की घटनाएं हो सकती हैं,
क्योंकि सूर्य राजा और मंत्री
दोनों पदों पर होगा.
प्राकृतिक आपदाओं के बीच फसलें
अच्छी रहेंगी. नव संवत्सर ज्ञानियों
व वैराज्ञियों के लिए अच्छा
रहेगा. लोगों की धर्म-आध्यात्म
में रूचि बढ़ेगी. बुध
के प्रभाव से वर्षा की
स्थिति संतोषजनक रहेगी. चौमासी फसलों का स्वामी बुध
के होने से गेंहू,
धान, गन्ना आदि अच्छी फसल
होगी. शीतकालीन फसलों के स्वामी चंद्रमा
के होने से मूंग,
बाजरा, सरसों जैसी फसलों की
उपज अच्छी रहेगी. इस संवत्सर का
निवास वैश्य के घर होने
से व्यापार में प्रगति होगी.
अन्न, भूमि, भवन, शिक्षा, सोना,
वाहन, तकनीक के क्षेत्रों में
तेजी रहेगी.
बता दें, चैत्र
शुक्ल प्रतिपदा में रविवार 30 मार्च
को नए संवत्सर 2082 का
आरंभ ग्रह-गोचरों के
शुभ संयोग में होगा. इस
दिन शाम 6ः14 बजे
तक रेवती नक्षत्र फिर अश्विनी नक्षत्र
विद्यमान रहेगा. मीन लग्न सुबह
06ः26 बजे तक रहेगा
फिर मेष लग्न का
आरंभ होगा. मीन राशि में
इस दिन पांच ग्रह
के मौजूद होने से पंचग्रहीय
योग बनेगा. मीन राशि में
सूर्य, बुध, राहु, शनि
और शुक्र ग्रह विद्यमान होंगे.
केतु कन्या राशि में, देवगुरु
बृहस्पति वृष राशि में
तथा मंगल मिथुन राशि
में रहेंगे. नव संवत्सर ज्ञानियों
व वैराज्ञियों के उत्तम होगा.
लोगों का धर्म-आध्यात्म
में रूचि बढ़ेगी. बुध
के प्रभाव से वर्षा की
स्थिति संतोष जनक रहेगी. चौमासी
फसलों का स्वामी बुध
के होने से गेंहू,
धान, गन्ना आदि की उपज
में बढ़ोतरी होगी. शीतकालीन फसलों का स्वामी चंद्रमा
होने से मूंग, बाजरा,
सरसों की उपज अच्छी
होगी. नए संवत्सर का
निवास वैश्य के घर होने
से व्यापार में प्रगति होगी.
अन्न, भूमि, भवन, शिक्षा, सोना,
वाहन, तकीनक के क्षेत्रों में
तेजी रहेगी. सूर्य के राजा व
मंत्री होने इस वर्ष
तापमान सामान्य से ऊपर होने
के कारण अत्यधिक गर्मी
लोगों को झेलनी पड़
सकती है. अग्निकांड से
धन जन की हानि
के आसार हैं.
धर्म, अध्यात्म में जनता का
मन, बुद्धि संयुक्त होगा. पश्चिम दक्षिण दिशा में कहीं-कहीं खण्ड वृष्टि
का योग बनेगा और
कुछ स्थान पर फसल अच्छी
होने से संतुलन की
स्थिति बन सकेगी. अज्ञात
संक्रामक रोगों के प्रति सावधानी
की आवश्यकता होगी. समाज में अनुशासन
और परिश्रम की भावना बढ़ेगी.
प्रशासन में कठोरता आ
सकती है. गर्मी अधिक
होने से जलजनित रोग
और त्वचा संबंधी समस्याएं बढ़ सकती हैं,
इसलिए सावधानी जरूरी है. इस नवसंवत्सर
में सूर्य की शक्ति विशेष
प्रभाव डालेगी, जिससे प्रशासन और नेतृत्व में
मजबूती के साथ-साथ
मौसम का तीव्र प्रभाव
भी देखने को मिलेगा. सूर्य
भारतीय ज्योतिष में विशिष्ट भूमिका
में रहते हैं. सूर्य
के प्रभाव से यह संवत्सर
भारत के लिए विशेष
महत्वपूर्ण रहेगा. सूर्य नवग्रह में राजा है.
इस दृष्टि से पूरे भारत
में राज्य स्तरीय राजनीति का प्रमुख केंद्र
सेंटर हो जाएगा अर्थात
दिल्ली ही संपूर्ण भारत
में राजनीति के मापदंड को
तय करेगी. प्रधानमंत्री ही सभी राज्यों
के मुख्यमंत्री का डेवलपमेंट ग्राफ
को तय करेंगे. सूर्य
के राजा बनने पर
अधिक शक्ति भारत के प्रधानमंत्री
के हाथ में सुरक्षित
रहेगी. राज्यों को विकास कार्यों
के लिए केंद्र पर
आश्रित रहना होगा. हिंदू
नव वर्ष में भारतीय
शासन में प्रशासनिक व्यवस्था
और न्यायिक व्यवस्था में अलग-अलग
प्रकार के परिवर्तन और
संशोधन होंगे. वहीं संवैधानिक प्रणालियों
पर भी पुनः अध्ययन
करने की आवश्यकता अनुभव
होगी और बहुत सारे
संशोधन जनहित की दृष्टि से
करने का संकल्प लिया
जाएगा. बहुत से स्थान
पर जनता के लिए
न्याय तथा प्रशासन का
विश्वास बना रहे, इसके
लिए विशेष प्रयास भारतीय शासन व्यवस्था में
करनी होगी.
संवत्सर का राजा सूर्य
होने से सूर्य की
शक्ति का प्रभाव अलग-अलग प्रकार से
विभिन्न क्षेत्र में दिखाई देगा.
सर्वप्रथम प्राकृतिक परिवर्तन होने से कहीं-कहीं खंडवृष्टि होगी
कुछ स्थानों पर चतुष्पद पशुओं
को पीड़ा की स्थिति
और कहीं प्रजा को
रोग आदि का कष्ट
हो सकता है. वहीं
धान्य का उत्पादन मध्यम
से श्रेष्ठ होगा. राष्ट्रीय प्रमुखों के लिए यह
समय चिंतनीय रहेगा, विश्व राजनीति में कूटनीति स्पष्ट
रूप से दिखाई देगी.
युद्ध उन्मादी राष्ट्रों के मध्य अस्थिरता
उत्पन्न होगी। कहीं-कहीं न
चाहते हुए आंतरिक गृह
युद्ध की स्थिति दिखाई
देगी. वहीं शांतिप्रिय राष्ट्रों
के मध्य विश्व स्तरीय
संधि का भी प्रस्ताव
आने से क्षेत्र विशेष
में अनुकूलता का प्रभाव रहेगा.
शेयर मार्केट में विश्वस्तरीय उठापटक
के चलते उतार-चढ़ाव
की स्थिति बनेगी, वहीं पॉलिसी बजट
से जुड़े मामलों में
भी गतिरोध की स्थिति दिखाई
देगी. विदेशी मुद्राओं का भंडारण एक्सपोर्ट
और इंपोर्ट की पॉलिसी के
तहत घटेगा. साइबर अपराध कहीं-कहीं चुनौतियों
का विषय बनेगा. उच्च
तकनीक या नवीन तकनीक
के माध्यम से शासकीय चुनौती
की परीक्षा होगी हालांकि प्रशासनिक
क्षमता के बढ़ने से
परिस्थिति में सुधार भी
होगा. अतिथि देवो भवः का
संकल्प संपूर्ण विश्व में भारत के
नाम को सम्मानित करवाएगा.
भारत की निर्यात नीति
सहयोगी राष्ट्रों को सहयोग करेगी,
वहीं उत्तम कृषि से भंडारण
परिपूरित रहेगा. धर्म प्राण जनता
में सुख शांति का
अनुभव होगा. वैदिक और उपनिषदीय प्रभाव
बढ़ेगा.
धर्म, अध्यात्म, संस्कृति के प्रति वैचारिक
परिवर्तन होंगे. लोगों में आस्था बढ़ेगी.
तीर्थ मंदिरों की ओर लोगों
का रूझान बढ़ेगा. वन औषधि एवं
आयुर्वेदिक औषधि सहित सामुद्रिक
वस्तुओं के मूल्य में
उछाल आएगा. धातुओं के मूल्य में
उतार-चढ़ाव के साथ
वृद्धि होगी. ज्योतिषाचार्यो के मुताबिक इस
बार के हिंदू नववर्ष
में बेहद दुर्लभ संयोग
बनने जा रहा है.
सूर्य, बुध, चंद्रमा, शनि
और राहु मीन राशि
में रहने वाले हैं.
यानी इस दिन अद्भुत
संयोग बनेगा. इसका प्रभाव सभी
राशियों के ऊपर पड़ने
जा रहा है. लेकिन
कुछ राशियों के ऊपर विशेष
प्रभाव दिखेगा. तो मिथुन, कर्क,
धनु और कुंभ राशियों
के लिए सौगात लेकर
आने वाली है. नौकरी
की तलाश पूरी होगी.
नौकरीपेशा वालों के लिए प्रमोशन
और वेतन वृद्धि का
योग है. पारिवारिक जीवन
मे सुधार आएगा. पैतृक संपत्ति का विवाद समाप्त
होगा. प्रॉपर्टी मामले में धन लाभ
का योग है. यात्रा
का भी योग है.
भाग्य का भरपूर साथ
मिलेगा. हर कार्य में
सफलता मिलेगी. करियर में आगे बढ़ने
के लिए नई जिम्मेदारी
मिल सकती है. भविष्य
में लाभ मिल सकता
है. कानूनी मामलों में सफलता मिल
सकती है. किसी पुराने
मित्र से मुलाक़ात हो
सकती है. पुराने अटके
हुए कार्य है पूर्ण होंगे.
आर्थिक स्थिति में सुधार होगा.
नौकरी में प्रमोशन और
वेतन वृद्धि का भी योग
है. कर्ज से मुक्ति
मिल सकती है. कार्य
के कारण समाज में
मान प्रतिष्ठा की वृद्धि होगी.
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