“सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुते।।“
सजे मां के दरबार, आज घर-घर होगी घट स्थापना, मंदिरों में लगेगी भक्तों की भीड़, होंगे विशेष अनुष्ठान
विशेष योग में आराधना पर मां देंगी पांच गुना फल
दिनभर हुई
खरीदारी,
घरों
में
महकी
पकवानों
की
खुशबू,
वंदनवार
से
सजे
आंगन
सुरेश गांधी
वाराणसी। आज से चैत्र नवरात्रि प्रारंभ हो रहे हैं, जिसके चलते घरों में तैयारियां भी हो गई है। देवी मंदिरों में साफ-सफाई व सजावट का काम भी अंतिम दौर में है। माता के मंदिर फूलों और रोशनी से जगमगा रहे हैं। नवरात्र के लिए लोगों ने अपने घर में साज-सज्जा की और घर में मां को भोग लगाने के लिए विशेष पकवान भी बनाएं। महिलाओं ने अपने हाथ से पूजा घर में मां के दरबार व आंगन में रंगोली सजाई और सायंकाल आठ दिनों के व्रत के लिए खास फलाहारी व्यजंनों की लिस्ट बनायी और खरीदारी के लिए बाजार निकल गयी।
बाजारों में मां दुर्गा की पूजा सामग्री की भरमार है। दुकानों पर करीब 20 प्रकार के दुर्गा स्वरूप उपलब्ध हैं। मां की प्रतिमाओं की कीमत 120 रुपये से लेकर 2000 रुपये तक है। रंग-बिरंगी पोशाक और चुनरियां श्रद्धालुओं को विशेष रूप से आकर्षित कर रही हैं। खास यह है कि माता हाथी पर सवार होकर आएंगी। शास्त्रों में देवी की हाथी की पालकी को बहुत शुभ माना गया है। इसके साथ ही नवरात्रि पर इस बार कई शुभ योगों के संयोग में आई है, जिससे पूजा-पाठ का फल पांच गुना अधिक प्राप्त होगा। रविवार को हिन्दू नववर्ष के साथ माता की आराधना का शुभारंभ होगा। घर-घर घट स्थापना की जाएगी, और मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ेगी।
अनुष्ठानों के माध्यम से भक्तजन मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करने के लिए उपवास, हवन और पूजन करेंगे। विशेष योगों के प्रभाव से इस बार की आराधना अत्यंत फलदायी मानी जा रही है। उधर बाजारों में श्रद्धालु विभिन्न प्रकार की मालाएं, पूजा सामान, आभूषण, शृंगार सामग्री, पंचमेवा, नारियल, लोंग आदि की खरीदारी करते देखे गए।बाजार में दुकानों पर
माता की चुनर, टीका,
चूड़ा आदि के साथ
ही नारियल भी बिक रहा
है।
गूंजेंगे मां के जयकारे
व्रत से घर आती है सुख-समृद्धि
सनातन में चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व है। मां दुर्गा जिन्हें आदिशक्ति के रूप में भी जाना जाता है। मां दुर्गा शक्ति, साहस और मातृत्व की प्रतीक हैं। उन्हें ब्रह्मांड की रक्षक और सभी बुराइयों का नाश करने वाली देवी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि मां दुर्गा की पूजा करने से भक्तों को शक्ति, साहस, सुरक्षा और समृद्धि प्राप्त होती है। उन्हें बुराइयों से लड़ने और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने का आशीर्वाद मिलता है। ऐसा कहा अगर किसी व्यक्ति के जीवन में कोई परेशानी आ रही है तो चैत्र नवरात्रि के दौरान पूजा-पाठ करने से व्यक्ति के भाग्योदय हो सकता है। इन दिनों में देवी के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। इनमें शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री शामिल हैं। पहले दिन नव दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री के दर्शन-पूजन का विधान है। वरुणा नदी किनारे अलईपुर में माता शैलपुत्री के मंदिर में भारी भीड़ होगी।
इसी के साथ
वसंत और नए वर्ष
की शुरुआत हो जाएगी। 6 अप्रैल
को राम नवमी होगी।
इस बार चैत्र नवरात्र
पर सूर्योदय से लेकर दोपहर
2 बजे तक घरों में
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
है। यानी कि आठ
घंटे का समय मिलेगा।
खास यह है कि
इस बार नवरात्रि 9 दिन
की बजाय केवल 8 दिन
की होगी, क्योंकि तिथियों में परिवर्तन के
कारण अष्टमी और नवमी एक
ही दिन पड़ रही
हैं। पंचमी तिथि के क्षय
होने के कारण आठ
दिनों की नवरात्र होगी।
दो अप्रैल दिन बुधवार को
चौथी और पंचमी की
पूजा होगी। घट स्थापना का
शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 13 मिनट से प्रारंभ
होगा और सुबह 10 बजकर
21 मिनट तक रहेगा। अभिजित
मुहूर्त- दोपहर 12 बजे से दोपहर
12 बजकर 50 मिनट तक रहेगा।
घटस्थापना की कुल अवधि
50 मिनट की रहेगी।
भूलकर भी न करें ये काम
ज्योतिषाचार्यों की सलाह है
कि व्रत धारण और
पारण के बीच में
किसी दूसरे के घर पर
भोजन न करें। वहीं
न्यूनतम 500 रुपये में भी आप
कलश स्थापना करा सकते हैं।
कलश रखने वाले संभव
हो तो पूरे नवरात्र
भर हर दिन 3 से
10 वर्ष के बीच की
एक-एक कन्या को
भोजन करा दें। वहीं
6 अप्रैल को राम नवमी
पर हवन करने के
बाद एक साथ 9 कन्या
को भोजन कराएं।
कराएं कन्या को भोजन
ज्योतिषाचार्यो का कहना है
कि कलश स्थापित करने
के बाद जब तक
अनुष्ठान में रहें तब
तक कहीं और कुछ
भी पका हुआ न
खाएं। जो लोग इस
बीच दुर्गापाठ नहीं कर पाते
वह सिर्फ कलश स्थापित कर
सुबह पूजा करें। शाम
को आरती करें और
अखंड दीपक जलाएं। अष्टमी
या नवमी को ही
कन्या को भोजन करा
दें।
अष्टमी तिथि
नवरात्रि में विशेष रूप
से अष्टमी तिथि का अत्यधिक
महत्व है, क्योंकि इस
दिन मां दुर्गा ने
चंड-मुंड नामक राक्षसों
का वध किया था.
इस दिन व्रत रखने
और पूजा करने से
पूरे नवरात्रि के समान पुण्य
फल प्राप्त होता है. अष्टमी
तिथि 5 अप्रैल को है। अष्टमी
तिथि शुरूवात 4 अप्रैल, रात 8ः12 बजे
है, जो 5 अप्रैल, शाम
7ः26 बजे समाप्त होगा।
संधि पूजा मुहूर्तः शाम
7ः02 बजे से 7ः50
बजे तक है। शुभ
मुहूर्तः सुबह 7ः41 बजे से
9ः15 बजे, चर मुहूर्तः
दोपहर 12ः24 बजे से
1ः58 बजे, लाभ मुहूर्तः
दोपहर 1ः58 बजे से
3ः33 बजे व अमृत
मुहूर्तः दोपहर 3ः33 बजे से
5ः07 बजे तक है।
इसके अतिरिक्त, कई भक्त कन्या
पूजन का आयोजन भी
करते हैं. इस दिन
मां महागौरी की पूजा की
जाती है, जो मां
दुर्गा का आठवां रूप
है. देवी भागवत पुराण
के अनुसार, मां महागौरी भगवान
शिव की अर्धांगिनी हैं
और उनकी उपासना करने
से जीवन की कठिनाइयां
सरल हो जाती हैं.
पंचमी तिथि का क्षय
होने से इस बार
नवरात्रि 9 दिन की बजाय
8 दिन की होगी। इस
बार 31 मार्च को द्वितीया तिथि
सुबह 9ः12 मिनट तक
रहेगी। इसके बाद तृतीया
तिथि लग जाएगी जो
1 अप्रैल को सुबह लगभग
5 बजकर 45 मिनट तक रहेगी।
यानि तृतीया तिथि का क्षय
होगा। इसलिए 31 मार्च को माता ब्रह्माचारिणी
और चंद्रघंटा की पूजा की
जाएगी।
रंगों का महत्व
मां दुर्गा के
नौ स्वरूपों के साथ-साथ
9 रंगों का भी विशेष
महत्व है। पहले दिन
पीला रंग पहनने व
पूजा से मां शैलपुत्री
जीवन में स्थिरता, सुख-समृद्धि और मनोकामना पूर्ति
होती है। दुसरे दिन
हरा रंग का वस्त्र
पहनने व मां ब्रह्मचारिणी
की पूजा से सदाचार
और संयम की वृद्धि
करता है, जिससे जीवन
के कठिन संघर्षों में
भी व्यक्ति अपने लक्ष्य से
विचलित नहीं होता और
उसे सफलता मिलती है। तीसरे दिन
ग्रे रंग और मां
चंद्रघंटा की पूजा से
साधक के जीवन में
सुख, समृद्धि और आध्यात्मिक शक्ति
का विकास होता है। चौथे
दिन नारंगी रंग व मां
कूष्मांडा की पूजा से
भक्तों के सभी रोग
दूर होते हैं। आयु,
यश और बल में
वृद्धि होती है, साथ
ही बुद्धि और ज्ञान में
भी वृद्धि होती है। पाचवें
दिन सफेद रंग व
मां स्कंदमाता की पूजा से
संतान सुख, ज्ञान और
समृद्धि में वृद्धि होती
है। छठे दिन लाल
रंग व मां कात्यायनी
की पूजा से विवाह
में आने वाली बाधाएं
दूर होती है। मनोवांछित
वर की प्राप्ति और
सुखद वैवाहिक जीवन की भी
प्राप्ति होती है। सातवे
दिन नीला रंग व
मां कालरात्रि की पूजा से
भय, बाधाएं और नकारात्मकता दूर
होती है, साथ ही
भक्तों को साहस और
आत्मविश्वास मिलता है। आठवें दिन
गुलाबी रंग मां महागौरी
की पूजा से व्यक्ति
की सभी मनोकामनाएं पूरी
होती हैं। साथ ही
घर में कभी भी
अन्न भंडार की कमी नहीं
होती है। नौवे दिन
बैंगनी रंग व मां
सिद्धिदात्री की पूजा से
सभी प्रकार की सिद्धियों प्राप्त
होती है और भक्तों
को यश, बल और
धन देती हैं।
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