Tuesday, 30 July 2024

पूर्वांचल के लिए वरदान होगा आईएमएस बीएचयू का पीडियाट्रिक टेली आईसीयू सेंटर

आईएमएस निदेशक ने गंभीर बच्चों के इलाज के लिए 44 बेड के वार्ड का किया उदघाटन

पूर्वांचल के लिए वरदान होगा आईएमएस बीएचयू का पीडियाट्रिक टेली आईसीयू सेंटर

आने वाले दिनों में ब्रोंकोस्कोपी एवं ईईजी की सुविधा भी जुड़ जाएगी

सुरेश गांधी

वाराणसी। आईएमएस बीएचयू के बाल रोग विभाग में उत्तर प्रदेश का पहला पीडियाट्रिक टेली आईसीयू सेंटर खुल गया है। इसके माध्यम से वाराणसी समेत आसपास के सात जिला अस्पताल और तीन मेडिकल कॉलेज (आजमगढ़, देवरिया और गाजीपुर) में जरूरत पड़ने पर बीएचयू के विशेषज्ञ गंभीर बच्चों के इलाज के लिए डॉक्टरों को ऑनलाइन परामर्श देंगे। मंगलवार को आईएमएस बीएचयू के निदेशक प्रो. एसएन संखवार ने विभाग में नए सिरे से बनकर तैयार 44 बेड वाले वार्ड का उदघाटन किया।

प्रो. एसएन संखवार ने बताया कि बीएचयू के बाल रोग विभाग में उत्तर प्रदेश सरकार ने 42 बेड वाले पीडियाट्रिक केयर यूनिट और सेंटर आफ एक्सीलेंस को स्वीकृत किया था। इसी प्रोजेक्ट के तहत नोडल ऑफिसर और विभागाध्यक्ष प्रो.सुनील कुमार राव के निर्देशन में आईसीयू, एचडीयू सहित अन्य सुविधाओं वाला 44 बेड का सेंटर तैयार हो गया है। इसमें वेंटीलेटर के साथ ही सीआरआरटी, इकोदृकार्डियोग्राफी, ईसीजी, एक्सरे की सुविधा है। 

प्रो. सुनील राव ने बताया कि आने वाले दिनों में ब्रोंकोस्कोपी एवं ईईजी की सुविधा भी जुड़ जाएगी। आईएमएस बीएचयू निदेशक प्रो.एसएन संखवार ने प्रोजेक्ट के तहत किए गए कार्यों को देखा और इस प्रयास को बच्चों के इलाज के लिए बड़ा वरदान बताया। डीन अकादमिक प्रोफेसर अशोक कुमार ने कहा कि टेली आईसीयू यूपी के बीमार बच्चों के लिए कारगर सिद्ध होगी। डीन ने पीडियाट्रिक हेमोटोलोजी अन्कोलोजी यूनिट इंचार्ज की प्रोफेसर विनीता गुप्ता को ट्रांसक्रेनियलडॉप्लर अल्ट्रासाउंड मशीन प्रदान किया। इस दौरान विभाग के प्रोफेसर राजनीति प्रसाद, डॉ. प्रियंका अगरवाल, डॉ. दिव्या सिंह आदि लोग मौजूद रहे।

विभागाध्यक्ष प्रो. सुनील राव का कहना है कि विभाग का पीडियाट्रिक टेली आईसीयू एक साल से हब और स्पोक मॉडल के रुप में चल रहा है। इसमें बीएचयू का सेंटर हब और यूपी में सात जिलों के (वाराणसी, चंदौली, मिर्ज़ापुर, भदोही, आजमगढ़, मउ, जौनपुर) अस्पताल और मेडिकल कॉलेज गाजीपुर, आजमगढ़ एवं देवरिया में स्पोक की स्थापना की गयी है। यहां से गंभीर रोग से ग्रसित बच्चों को विभाग के एक्सपर्ट पैनल ( डॉ. सुनील कुमार राव, डॉ. अंकुर सिंह, डॉ. अभिषेक अभिनय एवं डॉ अनिल कुमार सरोज) की ओर से अब तक 360 परामर्श दिए जा चुके हैं। इसका उपयोग एजुकेशन एवं ट्रेनिंग के लिए भी किय जाता है। इसमें मंडलीय अस्पताल कबीरचौरा और छात्रों को लाभ मिलता है।

घटा मौत का ग्राफ, इलाज में भी मिल रही राहत

बाल रोग विभाग में पीआईसीयू के बनने के बाद से बच्चों की मौत में 13 प्रतिशत की कमी आई है। उपचार में भी राहत मिल रही है। पीजी छात्रों को क्रिटिकल केयर ट्रेनिंग की जानारी भी मिली है। प्रो. अशोक कुमार का कहना है कि टेली आईसीयू की सुविधा से 52 प्रतिशत बीमार नवजात शिशुओं, 12 प्रतिशत साँस की बीमारी से पीड़ित और 10 प्रतिशत मस्तिस्क ज्वर से पीड़ित बच्चों का इलाज किया गया। प्रो. सुनील कुमार राव का कहना है कि पिछले एक वर्ष में 360 कंसल्टेशन किये गए है। इस सुविधा से 52 फीसदी बच्चों की बीमारी जानने के लिए, 47 फीसदी ट्रीटमेंट प्लान करने के लिए और 11 फीसदी रेफरल के लिए उपयोग किया गया।

ट्रामा सेंटर में मरीजों को दी जाती

है हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी

चोट लगने पर घाव जल्द भरने में हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी कारगर साबित हो रही है। इससे जल्द घाव भर जा रहा है और खून में ऑक्सीजन की मात्रा भी बढ़ जा रही है। आईएमएस बीएचयू के ट्रॉमा सेंटर में छह मई से शुरू हुई इस थेरेपी में अब तक 3 महीने में 30 से ज्यादा लोगों को 300 बार थेरेपी दी गई है। इस तरह का इलाज करने वाला बीएचयू देश का पहला ट्रॉमा सेंटर है। बीएचयू ट्रॉमा सेंटर के प्रोफेसर इंचार्ज प्रो. सौरभ सिंह ने बताया कि हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी से गंभीर संक्रमण, वायु एंबोलिज्म, घाव, मधुमेह आदि में राहत मिलती है। मानव शरीर में ऊतकों को पर्याप्त ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। जब ऊतक घायल हो जाता है, तो उसे जीवित रहने के लिए अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी से रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाती है।

दो से तीन गुना बढ़ जाता है हवा का दबाव

प्रो. सौरभ सिंह ने बताया कि हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी कक्ष में हवा का दबाव सामान्य वायु दबाव से 2 से 3 गुना बढ़ जाता है। इन परिस्थितियों में फेफड़े सामान्य वायु दबाव में शुद्ध ऑक्सीजन लेने की तुलना में कहीं अधिक ऑक्सीजन लेते हैं। थेरेपी का उपयोग कई तरह के इलाज में होता है। ये मधुमेह संबंधी पैर का अल्सर, गंभीर एनीमिया, मस्तिष्क में फोड़ा, जलन, कार्बन मोनोऑक्साइड विषाक्तता, अचानक बहरापन, डिकंप्रेशन, गैंग्रीन, त्वचा या हड्डी का संक्रमण आदि हैं।

No comments:

Post a Comment

72.23 पर अटकी काशी की सांसें, गलियों तक पहुंची गंगा, मंडलायुक्त ने संभाली कमान

72.23 पर अटकी काशी की सांसें , गलियों तक   पहुंची गंगा , मंडलायुक्त ने संभाली कमान  श्रद्धालुओं को घाटों से दूर रखने के लि...