पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविद आज बीएचयू में देशभर के आयुर्वेदाचार्यो को करेंगे संबोधित
शताब्दी कृषि विज्ञान प्रेक्षागृह
में भारतीय गाय, जैविक कृषि एवं पंचगव्य चिकित्सा विषय पर होगी दो दिवसीय सगोष्ठी
सुरेश गांधी
वाराणसी। आईएमएस बीएचयू के आयुर्वेद संकाय
के काय चिकित्सा विभाग
की ओर से 21-22 सितंबर
को दो दिवसीय राष्ट्रीय
संगोष्ठी का आयोजन किया
गया है। 21 सितंबर को शताब्दी
कृषि विज्ञान प्रेक्षा गृह में आयोजित
संगोष्ठी का उद्घाटन पूर्व
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद करेंगे। कार्यक्रम में शामिल होने
के लिए पूर्व राष्ट्रपति
शुक्रवार की शाम को
ही बीएचयू पहुंच गए। शताब्दी कृषि
विज्ञान प्रेक्षागृह में भारतीय गाय,
जैविक कृषि एवं पंचगव्य
चिकित्सा विषय पर दो
दिवसीय सगोष्ठी होगी। यह संगोष्ठी काय के काय
चिकित्सा विभाग और गौ सेवा
विज्ञान अनुसंधान केंद्र, भारतीय गोवंश रक्षण संवर्धन परिषद के तत्वावधान में
होगी। काय चिकित्सा विभाग
के प्रो. ओमप्रकाश सिंह की देखरेख
में ‘स्वदेशी गाय, जैविक खेती
और पंचगव्य चिकित्सा’ विषयक संगोष्ठी में देश भर
के आयुर्वेदाचार्य शामिल होंगे।
संगोष्ठी के आयोजन अध्यक्ष
एवं आयुर्वेद संकाय, काय चिकित्सा विभाग
के विभाग अध्यक्ष प्रो. केएन मूर्ति, आयोजन
सचिव प्रो. ओपी सिंह एवं
प्रो सुनंदा पेढ़ेकर ने बताया कि
इस संगोष्ठी में यूपी, एमपी,
दिल्ली, महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक, केरल, असम, पश्चिम बंगाल,
हिमाचल प्रदेश सहित कई राज्यों
के 300 से अधिक प्रतिभागी
हिस्सा लेकर शोध पत्र
प्रस्तुत करेंगे। इसके अलावा नेपाल
के भी विशेषज्ञ शामिल
होंगे। उन्होंने बताया कि संगोष्ठी का
उद्देश्य देशी गाय, गोपालन
एवं पंचगव्य चिकित्सा द्वारा जनमानस को होने वाली
जीवन शैलीजन्य व्याधियों का उपचार जैसे,
कैंसर, मधुमेह, अवसाद, रक्तचाप, एलर्जी आदि का उपचार
के साथ-साथ जैविक
खेती या ऑर्गेनिक फार्मिंग
पर चर्चा की जाएगी।
आयोजन सचिव प्रो. ओपी
सिंह ने बताया कि
पंचगव्य में पांच चीजे
जैसे गोदुग्ध, दही, घृत, गोमूत्र
और गोमय यानी गोबर
शामिल है। इसमें दूध,
दही, घी, गोबर एवं
गोमूत्र का प्रयोग अलग-अलग एवं संयुक्त
रूप से खून को
पतला करना, रक्त शोधन, भूलने
वाली बीमारी, पार्किंशन, अल्जाइमर एवं डिमेंशिया, एंटीफंगल,
कर्करोग रोधक मेदोरोग, कुष्ठ
और धमनी का काठिन्य,
यानी ब्लॉकेज में उपयोग किया
जाता है। गोदुग्ध जरा
व्याधि, ऑस्टियोपोरोसिस वात, संदिगत वात,
व्याधिक्षमत्व यानी इम्यूनिटी को
बढ़ाने में कारगर है।
शिशिर वर्षा और हेमंत ऋतु
में गोदधि का समुचित उपयोग
बड़ी हुई बात को
नियंत्रित करता है।
उन्होंने कहा कि गोमय
ना ही सिर्फ कृषि
की पैदावार को बढ़ाता है,
अपितु इसका प्रयोग कृषि
में अनावश्यक कीड़े मकोड़े की
वृद्धि को भी रोकता
है। गोमय लेप कुष्ठ
और त्वचा के अनेक विकारों
में प्रभावी है। प्रति एक
किलो गाय के गोबर
से लगभग 60 लीटर गैसों का
पर्यावरण में उत्सर्जन होता
है, जिनमें अत्यधिक मात्रा में मीथेन गैस
है। मीथेन गैस आयोजन परत
के क्षरण में मुख्य भूमिका
निभाती है। देशी गाय
के ताजे गोबर पर
पाई जाने वाली पतली
सी झिल्लीनुमा पर्त, गोबर में मौजूद
इस मिथेन गैस को पर्यावरण
में फैलने से रोकती हैं।
अनुसंधानकर्ताओं ने देशी गाय
के दूध में आयोनिक
फॉर्म में स्वर्ण एवं
रजत को पाया है,
जो शरीर की व्याधिक्षमत्व
को बढ़ाकर व्याधियों से बचाव करता
है। इसलिए देशी गाय के
दूध को आयुर्वेद में
रसायन कहा गया है।
उपरोक्त विषयों पर विस्तृत इस
संगोष्ठी में 15 सत्रों के अंतर्गत लगभग
200 शोध पत्र प्रस्तुत किए
जाएंगे।
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