महाकुंभ : 11 हजार त्रिशूल के बीच 7.5 करोड़ रुद्राक्ष से बना 12 ज्योतिर्लिंग आकर्षण का केन्द्र
7.51 करोड़ रुद्राक्ष
मालाओं
से
बना
12 ज्योतिर्लिंग
के
बीच
11 हजार
त्रिशूल
महाकुंभ
में
लाखों-करोड़ों
श्रद्धालुओं
के
बीच
आकर्षण
का
केन्द्र
बन
गया
है।
संगम
में
डूबकी
लगाकर
पूण्य
कमाने
पहुंचे
भक्त
घंटां
लाइन
में
लगकर
दर्शन-पूजन
कर
रहे
है।
महाकुंभ
के
सेक्टर
6 में
बने
हर
ज्योतिर्लिंग
11 फीट
ऊंचा,
9 फीट
चौड़ा
और
7 फीट
मोटा
है,
जिसके
चारों
ओर
7 करोड़
51 लाख
रुद्राक्ष
की
माला
लिपटी
हुई
है.
ये
मालाएं
10,000 गांवों में घूमकर और
मांगकर
एकत्र
की
गई
हैं।
इनमें
एक
मुखी
से
लेकर
26 मुखी
तक
के
श्वेत
रुद्राक्ष,
काले
रुद्राक्ष,
लाल
रुद्राक्ष
का
उपयोग
किया
गया
है।
इनमें
छह
शिवलिंग
दक्षिणमुखी
और
छह
शिवलिंग
उत्तर
मुखी
हैं।
मकसद
है
“आतंकवाद
का
खात्मा
और
बांग्लादेशी
हिंदुओं
की
रक्षा
की
कामना
व
गोरक्षा
जैसी
संकल्पनाओं
को
साकार
करना
है।
इसके
लिए
शिवयोगी
मौनी
बाबा
अपने
शिविर
में
हर
शाम
6 बजे
अनोखी
पूजा
में
लीन
रहते
हैं।
महाशिवरात्रि
तक
सवा
करोड़
दीपक
जलाने
और
सवा
करोड़
आहुतियां
डालने
का
लक्ष्य
रखा
गया
है
सुरेश गांधी
प्रयागराज. प्रयागराज के संगम की पावन रेती पर लगे देश के सबसे बड़े धार्मिक मेले में शिवभक्ति की अद्वितीय साधना के बीच भगवान शिव की भक्ति में डूबी हुई है। मेले में योग सम्राट शिवयोगी बालयोगी बाल ब्रह्मचारी स्वामी अभय चैतन्य फलाहारी मौनी बाबा ने काशी और मथुरा में भी भव्य मंदिर बने, आतंकवाद का पूर्ण खात्मा हो, के लिए अनोखी साधना में लीन है। 7 करोड़ 51 लाख से अधिक रुद्राक्ष और 11 हज़ार अलग-अलग रंग के त्रिशूल श्रद्धालुओं के आकर्षण का केन्द्र बन गया हैं। महाकुम्भ के नागवासुकि मंदिर के समीप सेक्टर छह में निर्मित प्रत्येक ज्योतिर्लिंग 11 फुट ऊंचा, नौ फुट चौड़ा और सात फुट मोटा है, जिन्हें सात करोड़ 51 लाख रुद्राक्ष की मणियों की माला पहनाई गई है। इन रुद्राक्ष को 10,000 गांवों से पैदल घूम घूमकर भिक्षा में एकत्रित किया गया है।
इसके कर्ताधर्ता मौनी बाबा का कहना है कि खुले आकाश में बने ये ज्योतिर्लिंग “आतंकवाद के नाश और बांग्लादेशी हिंदुओं की रक्षा की कामना से 11 करोड वैदिक मंत्रों से अनुष्ठान कर लौह से शिवलिंग को आकार दिया और उन पर रुद्राक्ष की मालाओं को लपेटा गया।” उनका कहना है कि वर्षों पहले लिया गया उनका संकल्प रुद्राक्ष के ज्योतिर्लिंग की स्थापना के रुप में महाकुंभ में पूरा हो रहा है। इसके लिए वह पिछले 37 वर्षों से रुद्राक्ष का शिवलिंग बनाकर पूजा कर रहे हैं। खास ये है कि महाकुंभ में स्थापित ज्योतिर्लिंगों में एक मुखी से लेकर 26 मुखी तक के श्वेत रुद्राक्ष, काले रुद्राक्ष, लाल रुद्राक्ष का उपयोग किया गया है। इनमें छह शिवलिंग दक्षिणमुखी और छह शिवलिंग उत्तर मुखी हैं। अब तक पूरी दुनिया में महाकाल का अकेला शिवलिंग दक्षिण मुखी है।
मौनी बाबा का कहना है कि रुद्राक्ष एक मूर्ति की तरह होता है जिसकी प्राण प्रतिष्ठा होती है और बिना प्राण प्रतिष्ठा के रुद्राक्ष पहना नहीं जा सकता। प्राण प्रतिष्ठा के बाद ही रुद्राक्ष मनोकामनाओं की पूर्ति करता है। पूरी तरह से रुद्राक्ष से बनी छह शिवलिंग दक्षिण और छह उत्तर की ओर उन्मुख हैं. उनके मुताबिक पूरी दुनिया में एकमात्र दक्षिण मुखी शिवलिंग महाकाल शिवलिंग है. हालांकि एक मुखी और दो मुखी रुद्राक्ष बहुत दुर्लभ हैं. तीन मुखी सफेद रुद्राक्ष कहीं-कहीं मिल जते हैं, जबकि चार मुखी रुद्राक्ष पुरुषार्थ से जुड़ा होता है. पांच और छह मुखी रुद्राक्ष गृहस्थों के लिए होते हैं,
जबकि सात मुखी रुद्राक्ष विद्यार्थियोंके लिए श्रेष्ठ माना जाता है. आठ और नौ मुखी रुद्राक्ष सिद्ध हो जाने पर देवी लक्ष्मी कभी घर से बाहर नहीं जाती हैं. दस और ग्यारह मुखी रुद्राक्ष व्यक्ति के करियर को आगे बढ़ाते हैं. रुद्राक्ष की मालाओं से बने ये 12 ज्योतिर्लिंग श्रद्धालुओं को खूब भा रहे है।मौनी बाबा का कहना है कि रुद्राक्ष कभी भी खरीदकर नहीं पहनना चाहिए, बल्कि किसी और के दिए जाने पर ही पहनना चाहिए. इस बात को श्रद्धालुओं में भी बताया जा रहा है। खासकर रुद्राक्ष से जुड़ी भ्रांतियों को दूर किया जा रहा है. इसके अलावा उनका संकल्प है कि जिस तरीके से अयोध्या में राम मंदिर का भव्य निर्माण हुआ है। उसी तरीके से काशी और मथुरा में भी मंदिर का निर्माण हो। इसके लिए वह अपने शिविर में हर शाम 6
बजे अनोखी पूजा में लीन रहते हैं। इस दौरान वह माघी पूर्णिमा तक दो लाख से अधिक दीप दान भी करेंगे। वह चाहते है कि देश में आतंकी हमला ना हो, देश में शांति बनी रहे, देश की अर्थव्यवस्था दुरुस्त रहे और महंगाई और वैश्विक महामारी न फैले इसके लिए वह धार्मिक अनुष्ठानों के जरिए लगातार प्रयासरत हैं। हर रोज मौनी बाबा पूजा के दौरान अनोखे अंदाज से पूरे शिविर की परिक्रमा खास पूजा और लेट करके करते हैं। शिविर में 108 कुंड भी बनाए गए हैं। जहां पर मौनी बाबा हर दिन हवन पूजा के बीच 125 आहुंतियां भी डालते हैं। इस दौरान हर रोज भारी संख्या में कल्पवासी या कहें कि श्रद्धालु उनकी इस साधना के गवाह भी बनते हैं। श्रद्धालुओं का कहना है कि मौनी बाबा द्वारा की जा रही इस अनोखी साधना या कहें कि पूजा पाठ से सभी काफी प्रभावित हैं। अपनी अनोखी पूजा करने के बाद मौनी बाबा अपने शिविर से लेट करके गंगा स्नान के लिए जाते हैं। गंगा स्नान करने के बाद ही उनकी पूजा पूरी तरीके से समाप्त होती है।मौनी बाबा का
मानना है कि जितनी
कठिन तपस्या होगी उतना ही
अच्छा परिणाम होगा। बता दें मौनी
बाबा पिछले 35 सालों से संगम तट
पर लगने वाले माघ
मेले में आ रहे
हैं। देश में सुख
शांति के लिए हमेशा
ही अनोखी पूजा पाठ में
लगे रहते हैं। बता
दें, मौनी बाबा शिव
के परम भक्त हैं।
उन्होंने अपने शरीर पर
45 किलो रुद्राक्ष की माला धारण
की हुई है और
14 घंटे तक इसे धारण
करते हैं। उनकी साधना
का हर पल “ओम
नमः शिवाय“ के जप में
व्यतीत होता है। इस
दौरान वो श्रद्धालुओं को
आशीर्वाद भी देते हैं।
पौष पूर्णिमा से आरंभ हुई
यह साधना महाशिवरात्रि तक चलेगी। इस
अद्वितीय शिवलिंग के दर्शन करने
के लिए श्रद्धालुओं की
भीड़ उमड़ रही है।
मौनी बाबा और उनके
अनुयायी यहां भगवान शिव
के पंचाक्षर मंत्र “ओम नमः शिवाय“
का जप कर रहे
हैं। महाशिवरात्रि तक सवा करोड़
दीपक जलाने और सवा करोड़
आहुतियां डालने का लक्ष्य रखा
गया है। उनका मानना
है कि प्रयागराज भारतीय
संस्कृति और अध्यात्म का
केंद्र है। यहां आकर
भजन-पूजन करने से
जीवन में पुण्य अर्जित
होता है।
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