Friday, 21 February 2025

महाकुंभ के सियासी ‘अफवाहों व साजिशों’ पर भारी है 59.31 करोड़ भक्तों की आंधी

महाकुंभ के सियासी ‘अफवाहों व साजिशों पर भारी है 59.31 करोड़ भक्तों की आंधी 

उत्तर प्रदेश के महाकुंभ को लेकर सियासी जंग छिड़ा हुआ है. सपा मुखिया अखिलेश यादव योगी सरकार के कुंभ प्रबंधन व संगम जल तथा हादसों पर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं, तो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लालू यादव सहित विपक्षी नेताओं को पछाड़कर मृत्युकुंभ तक कह डाला। जबकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विपक्ष के सारे आरोपों व अफवाहों को निराधार बताकर अब तक का सबसे सफल महाकुंभ बताया है। इसकी गवाही खुद महाकुंभ में डुबकी लगाने पहुंचे देश-दुनिया के आस्थावान दे रहे है कि यह महाकुंभ दुनिया का सबसे बड़ा जन समागम बन चुका है। या यूं कहे महाकुंभ के 40वें दिन, अब तक डुबकी लगा चुके 59.31 करोड़ भक्तों की आस्था अखिलेश, ममता सहित पूरे विपक्ष के मुंह पर तमाचा हैं। ये वहीं भक्त है जिन्होंने संगम में डुबकी लगाने के लिए न सिर्फ आवागमन में तमाम मुसीबतों को झेला है, बल्कि 25-30 किमी तक पैदल भी चला है। उनका कहना है कि आस्था के लिए कुछ किमी पैदल चलना या धक्का-मुक्की कोई बड़ी बात नहीं. वैष्णो देवी और मथुरा की यात्रा में भी तो चलते ही हैं. कुंभ में स्नान कर उन्हें आध्यात्मिक आनंद मिल रहा है

सुरेश गांधी

महाकुंभ को लेकर जो सियासी संग्राम छिड़ा हुआ है, उसमें अखिलेश के बाद पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी का नाम भी आता है. उन्होंने महाकुंभ में भगदड़ की घटना का जिक्र करते हुए इसकी तुलना मृत्युकुंभ से की है. जबकि सपा मुखिया अखिलेश यादव, कांग्रेस के राहुल गांधी व लालू यादव महाकुंभ के व्यवस्थाओं पर लगातार सवाल उठा रहे हैं। इन सब के बीच महाकुंभ में श्रद्धालु लगातार पहुंच रहे हैं. 21 फरवरी को महाकुंभ का 40वां दिन था और अभी तक 59.31 करोड़ से अधिक श्रद्धालु संगम में डुबकी लगा चुके है। लेकिन अब भी संगम में डुबकी लगाने की होड़ मची है। इन दिनों श्रद्धालुओं के आने से प्रयागराज में रेला अभी भी दिख रहा है. शुक्रवार को भी 1.28 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान किया। हाल यह है कि देश के सारे रेवले स्टेशनों, एअरपोर्टो व बस स्टैंडों पर लगी श्रद्धालुओं की भीड़ बताने के लिए काफी है कि महाशिवरात्रि तक यह संख्या 65 करोड़ पार कर जायेगी। मतलब साफ है एक ओर महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगाने के लिए देश भर से करोड़ो श्रद्धालु प्रयागराज के महाकुंभ पहुंच रहे हैं तो दूसरी ओर संगम के पानी की स्वच्छता व मौनी आमावस्या के दिन हुए हादसे को लेकर सियासत गर्म है. हालांकि सीएम योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि संगम का पानी ना सिर्फ स्नान करने बल्कि आचमन योग्य भी है. कुछ लोग महाकुंभ को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन श्रद्धालु उनके किसी भी अफवाह या साजिश में पड़ने वाले नहीं हैं। 


यह अलग बात है कि सपा मुखिया अखिलेश यादव कहते नहीं थक रहे है अगर संगम का पानी पीने योग्य है तो इसे बीजेपी नेताओं के घर खाना पकाने और स्नान करने के लिए भेजा जाए. जबकि ममता बनर्जी ने तो इस महाकुंभ को मृत्युकुंभ तक बताकर विपक्ष की सबसे ताकतवर नेता के रुप में अपनी पहचान बनाने में हरसंभव कोशिश कर रही है।

बता दें, महाकुंभ 2025 अपने अंतिम चरण में पहुंच गया है. अब मात्र 5 ही दिन शेष बचे है। आखिरी वीकेंड पर भारी भीड़ की संभावना को देखते हुए प्रशासन ने कड़े सुरक्षा उपाय किए हैं. सभी वीआईपी पास रद्द कर दिए गए हैं और नए वाहन पास जारी करना बंद कर दिया गया है. जहां तक गंगा के जल की शुद्धता पर सवाल उठाने वालों के दावों की बात है तो वैज्ञानिकों ने भी इसे झूठा करार दिया है। देश के जाने-माने पद्मश्री वैज्ञानिक डॉ. अजय सोनकर ने पांच घाटों के गंगाजल की लैब में जांच की है। उन्होंने कहा कि स्नान योग्य ही नहीं, गंगा का जल अल्कलाइन वाटर जितना शुद्ध है। गंगा के जल को सिर्फ स्नान योग्य ही नहीं बल्कि अल्कलाइन वाटर जितना शुद्ध बताया है। संगम, अरैल समेत पांच घाटों के गंगाजल की लैब में जांच के बाद उन्होंने यह दावा किया है। उनका कहना है कि महाकुंभ में 58 करोड़ से अधिक श्रद्धालु के गंगा में स्नान के बाद भी इसकी शुद्धता पर कोई असर नहीं पड़ा है। 

मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम के साथ वैज्ञानिक विमर्श करने वाले डॉ. अजय कुमार सोनकर ने कहा कि उन्होंने अपनी नैनी स्थित प्रयोगशाला में गंगा के जल की जांच की। गंगाजल की शुद्धता पर सवाल उठाने वालों को प्रयोगाशाला में जांच की चुनौती भी दी है। कहा है कि जिसे जरा भी संदेह हो, वह मेरे सामने गंगा जल ले और हमारी प्रयोगशाला में जांच कर संतुष्ट हो जाएं। उन्होंने लगातार तीन महीने के शोध में यह साबित किया है कि गंगा जल सबसे शुद्ध है। यहां नहाने से किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं हो सकता है। बैक्टीरियोफेज (बैक्टीरिया खाने वाला) के कारण गंगा जल की शुद्धता बरकरार है। इसके संपर्क में आने से त्वचा संबंधी रोग भी नहीं होते हैं। गंगा जल में 1100 प्रकार के बैक्टीरियोफेज मौजूद हैं। जो किसी भी हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट कर देते हैं। इस वजह से जल दूषित नहीं हुआ। बता दें, विपक्ष की साजिश में कुछ संस्थाओं और लोगों ने भ्रम फैलाया कि गंगा जल आचमन और स्नान अयोग्य नहीं है। जिसे डॉ. सोनकर के शोध ने सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि गंगा जल की अम्लीयता (पीएच) सामान्य से बेहतर है और उसमें किसी भी प्रकार की दुर्गंध या जीवाणु वृद्धि नहीं पाई गई। गंगाजल के सैंपल का पीएच स्तर भी 8.4 से लेकर 8.6 तक पाया गया। जो काफी बेहतर माना गया है। डॉ. सोनकर ने कहा कि महाकुंभ को लेकर एक बात बहुत ध्यान देने वाली है और वो यह कि जिस प्रकार गंगा के जल को महाकुंभ के पहले से ही अति दूषित बताकर दुष्प्रचार किया जा रहा है। अगर ऐसी स्थिति सच में हुई होती तो अब तक दुनिया में हाहाकार मच गया होता। अस्पतालों में कहीं पैर रखने की जगह भी नहीं बची होती। ये मां गंगा की स्वयं को शुद्ध कर लेने की अद्भुत शक्ति है।

महाकुंभ में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए रेलवे ने 21 फरवरी तक 167 विशेष ट्रेनें चलाईं, जिनसे 7.3 लाख यात्रियों ने यात्रा की. 20 फरवरी को 305 ट्रेनों का संचालन किया गया, जिससे 11.8 लाख से अधिक यात्रियों ने सफर किया. महाकुंभ में आखिरी वीकेंड पर प्रयागराज में एंट्री पॉइंट से लेकर शहर के अंदर तक भीषण जाम लग गया है। लोगों को 500 मीटर की दूरी तय करने में करीब दो घंटे का समय लग रहा है। प्रयागराज पहुंचने वाली गाड़ियों को संगम से 10 किमी पहले रोका जा रहा है। उसके बाद की दूरी लोगों को पैदल ही तय करनी पड़ रही है। भीड़ के चलते प्रयागराज में स्कूलों में 8वीं तक की कक्षाएं ऑनलाइन लगेंगी। प्रयागराज आने-जाने वाली 8 ट्रेनें 28 फरवरी तक रद्द कर दी गई हैं। 4 ट्रेनों के रूट बदले गए हैं। 

प्रयागराज
में रजिस्टर्ड (यूपी- 70) गाड़ियों को ही शहर में एंट्री दी जा रही है। महाकुंभ की तारीख को लेकर इन दिनों सोशल मीडिया पर अफवाह फैली है. कुछ यूजर कह रहे हैं कि प्रयागराज महाकुंभ की तारीख को बढ़ा दिया गया है. इस अफवाह के बाद प्रयागराज के डीएम रविंद्र मांदड़ का रिएक्शन आया. उन्होंने ऐसी अफवाहों का खंडन किया है. स्पष्ट तौर पर मांदड़ ने कहा है कि यह केवल अफवाह है. महाकुंभ मेले का जो शेड्यूल जारी होता है, वह मुहूर्त के हिसाब से होता है. 26 फरवरी को निर्धारित तिथि पर ही इसका समापन होगा. त्रिवेणी में डुबकी लगाने देश-विदेश से रहे करोड़ों श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए प्रतिदिन लगभग 13 हजार क्यूसेक पानी गंगा बैराज से छोड़ा जा रहा है.

बनेगा 3 गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड

महाकुंभ में 24 और 25 फरवरी को तीन विश्व रिकॉर्ड बनने जा रहे हैं। इसमें 24 फरवरी को 15 हजार स्वच्छता कर्मी लगभग 10 किमी तक सफाई अभियान चलाकर कीर्तिमान बनाएंगे। दूसरे दिन 25 फरवरी को 10 हजार हैंड प्रिंटिंग और उसी दिन 550 शटल बसों के संचालन का रिकॉर्ड बनेगा। इसके अलावा -रिक्शा के संचालन के स्थान पर अब शटल बसों का रिकॉर्ड बनाया जाएगा। ये सभी रिकॉर्ड बनने के लिए 14 से 17 फरवरी तक की तिथियां निर्धारित की गईं थीं मगर उस दौरान भीड़ के चलते तारीख बढ़ा दी गई थी। केवल एक रिकॉर्ड 300 सफाई कर्मियों द्वारा नदी सफाई का अभियान 14 फरवरी को बना था। अब इन तीनों रिकॉर्ड के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की टीम 22 फरवरी को आएगी। इसी टीम के सामने रिकॉर्ड बनेंगे। प्रयागराज मेला विकास प्राधिकरण ने इसकी तैयारियां पूरी कर ली हैं। 

वर्ष 2019 के कुंभ में भी तीन विश्व रिकॉर्ड बने थे। 13 जनवरी से शुरू हुए महाकुंभ में अब तक 59 करोड़ से अधिक श्रद्धालु संगम में डुबकी लगा चुके हैं। यह अपने आप में एक महारिकॉर्ड है। महाकुंभ को विश्व की अमूर्त धरोहर घोषित कर दिया गया है। अब यह दुनिया का सबसे बड़ा जन समागम बन चुका है। अब तक किसी भी आयोजन में 59 करोड़ श्रद्धालु कहीं नहीं जुटे हैं। इसी के साथ चार और भी विश्व रिकॉर्ड बनने जा रहे हैं। इसी माह 24 तारीख को 15 हजार सफाई कर्मचारी गंगा घाट पर 10 किमी तक सफाई अभियान चलाएंगे। वर्ष 2019 के कुंभ में भी 10 हजार सफाई कर्मचारियों ने एक साथ झाड़ू लगाकर विश्व रिकॉर्ड बनाया था। अब इस रिकॉर्ड को तोड़कर प्रयागराज मेला विकास प्राधिकरण नया इतिहास रचने जा रहा है। महाकुंभ मेला के परेड मैदान स्थित त्रिवेणी मार्ग पर 1000 -रिक्शा संचालन के स्थान पर 550 शटल बसों का संचालन कर रिकॉर्ड बनाया जाएगा। दरअसल, भीड़ के चलते -रिक्शा का संचालन नहीं हो सकेगा। शटल बसों का संचालन हाईवे पर किया जाएगा।

महाकुंभ भगदड़ बड़ी साजिश का हिस्सा

महाकुंभ में मौनी अमावस्या के स्नान से पहले मची भगदड़ में साजिश की आशंका जताई जा रही है। खुद सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपने बयान में नकारात्मक अफवाह का जिक्र किया. इसके अलावा संतों ने भी इसेसाजिशकरार दिया है. क्योंकि इतनी बड़ी व्यवस्था है तो कुछ लोग संतुष्ट होंगे और कुछ लोग असंतुष्ट होंगे. उन्होंने कहा कि ये सब राजनीति है. ऐसा नहीं होना चाहिए. जांच ऐजेंसियों के मुताबिक महाकुंभ में मची भगदड़ साजिश का हिस्सा हो सकती है. आशंका है कि साजिश के तहत महाकुंभ में भगदड़ करवाई गई थी. बता दें कि मौनी अमावस्या के दिन प्रयागराज महाकुंभ में भगदड़ मची थी. ये भगदड़ तड़के सुबह 2 बजे मची. घटना के करीब 16 घंटे बाद प्रशासन ने बताया था कि भगदड़ में 30 लोगों की मौत हुई थी और 60 लोग घायल थे. दूसरी तरफ विपक्ष का कहना है कि प्रशासन मृतकों की संख्या को छुपा रहा है. मगर अब जांच एजेंसियों को भगदड़ की घटना में साजिश की गंध रही है. एसटीएफ और एटीएस इंटरनेट मीडिया और अन्य माध्यमों से भगदड़ से जुड़े तथ्यों और दावों की सच्चाई का पता लगा रही है। वॉच लिस्टेड की गतिविधियों को भी खंगाला जा रहा है। कई संदिग्ध मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर लगाया गया है। घटना से जुड़े कुछ ऐसे तथ्य सामने आए हैं, जिसके आधार पर स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) और आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) इनपुट जुटा रही है। सूत्रों का कहना है कि भगदड़ की घटना के बाद कई ऐसे वीडियो भी प्रसारित हुए थे, जिसमें कुछ युवकों पर धक्का देने और गिराने का भी आरोप लगा था। वह व्यक्ति कौन हैं, इसके बारे में जानकारी जुटाई जा रही है। सेक्टर 21 के बाद सेक्टर 18 में ओल्ड जीटी के पास एक महामंडलेश्वर की कार के लिए रास्ता बनाने के दौरान भगदड़ हुई थी, जिसमें एक बालिका समेत सात महिलाओं की मौत हुई थी। प्रशासन ने साफ कर दिया है कि महाकुंभ से जुड़ी किसी भी भ्रामक सूचना को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने वालों को चिन्हित कर उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी. पुलिस ने जनता से अफवाहों पर ध्यान देने और किसी भी संदिग्ध पोस्ट की सूचना देने की अपील की है

ममता की सनातन विरोधी मानसिकता

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री हिंदू विरोध की मानसिकता से किस कदर ग्रसित हैं इस बात की बानगी एक फिर देखने को मिली है। या यूं कहे महाकुंभ जैसे महाअमृत पर्व को उनके द्वारामृत्यु कुंभबताने बखेड़ा खड़ा हो गया है. खासकर उस महाकुंभ की, जिसकी दिव्यव्यता, भव्यता और पौराणिकता पूरी दुनिया ने सिर्फ देखी है, बल्कि इस सफल आयोजन की सराहना भी की है. लेकिन तुष्टिकरण का भूत उन पर इस कदर सवार है कि महाकुंभ के नाम के साथ मुत्यु कुंभ जोड़कर ममता ने पूरे सनातन के स्वाभिमान की जड़े हिलाकर रख दी है। उनके इस ओछी मानसिकता से सिर्फ साधु-संतों में आक्रोश की ज्वाला दहक रही है, बल्कि हर सनातनी अपने को अपमानित महसूस कर रहा है। इससे पहले आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने कहा था कि कुंभ का कोई मतलब नहीं है. कुंभ फालतू है. तो सपा के अखिलेश यादव ने भी लालू, ममता के बयानों को सही बताते हुए लगातार महाकुंभ पर सवालिया निशान लगा रहे है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने तो दावा किया कि कुंभ में हजारों लोग मारे गए हैं. समाजवादी पार्टी नेत्री जया बच्चन ने कहा कि भगदड़ में मारे गए लोगों के शवों को गंगा में बहा दिया गया है. इससे पानी प्रदूषित हुआ है और इसी में लोग स्नान कर रहे हैं. लेकिन ममता के बयान ने भाजपा सहित साधु-संतों के अलावा आम सनातनियों में भुचाल ला दिया है। उनके इस बयान को हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला बताया जा रहा है. आरएसएस यानी संघ की मानें तो मुस्लिम तुष्टिकरण को छिपाने के लिए ममता स्वयं को धर्मनिरपेक्षता की सबसे बड़ी ठेकेदार बताती हैं। लेकिन ये छद्म धर्मनिरपेक्षता सिर्फ हिंदुओं पर थोपी जाती है। दरअसल भीतर ही भीतर पश्चिम बंगाल का इस्लामीकरण हो रहा है और इसकी नायिका ममता बनर्जी हैं। ममता के शासनकाल में हिंदुओं को अपने धार्मिक रीति-रिवाज, पर्व-त्योहार मनाने तक की स्वतंत्रता नहीं रह गई है। हाल के दिनों में ममता ने हिंदुओं के खिलाफ कई ऐसे कदम उठाए हैं, जिससे लगता है कि अपने ही देश के भीतर बहुसंख्यकों को अपनी पूजा-पद्धति और संस्कार बचाने के लाले पड़ गए हैं। आलम यह है कि मुस्लिम प्रेम में ममता ने हाईकोर्ट तक के आदेश को धता बता दिया। उनका मुस्लिम प्रेम इस कदर सिर चढ़कर बोल रहा है कि दशहरा के दिन पश्चिम बंगाल में किसी को भी हथियार के साथ जुलूस निकालने की इजाजत नहीं दी गयी। पुलिस प्रशासन को इस पर सख्त निगरानी रखने का निर्देश दिया गया। इसके अलावा ममता बनर्जी ने दुर्गा पूजा के बाद मूर्ति विसर्जन को लेकर आदेश दिया कि मोहर्रम के जुलूसों के दौरान दुर्गा की मूर्ति के विसर्जन पर रोक रहेगी।

 

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