Thursday, 20 February 2025

रेखाराज में भ्रष्टाचार से निपटने व दिल्ली को वर्ल्डसिटी बनाने की चुनौती?

रेखाराज में भ्रष्टाचार से निपटने दिल्ली को वर्ल्डसिटी बनाने की चुनौती?  

सीएम पद की शपथ के साथ ही दिल्ली में रेखाराज की शुरुवात हो चुकी है। लेकिन बड़ा सवाल तो यही है, क्या वो अरविन्द केजरीवाल के भ्रष्टाचारों को उजागर कर पायेगी? जो भाजपा का चुनावी मुद्दा रहा। खासकर दुसरा बड़ा सवाल यह है कि दिल्ली को वर्ल्डसिटी बनाने के साथ ही पार्टी के अंदर और बाहर के अंदुरुनी कलह से कैसे निपेटेगी? फिरहाल, शपथ के तुरंत बाद बपनी कैबिनेट के साथ यमुना पहुंचकर आरती करते हुए अपनी जिम्मेदारियों का ऐहसास दिल्ली की जनता को तो करा ही दिया है। बता दें, भाजपा के मेनिफेस्टो में यमुना साफ करने का बड़ा वादा तो है ही, राजधानी में बेहतरीन गवर्नेंस, साफ पानी की कमी, प्रदूषण और बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी और कानून-व्यवस्था के मोर्चे पर खरा उतरने की भी बड़ी चुनौती है। रेखा ने कहा, “पीएम मोदी ने जो दिल्ली की जनता के लिए विजन दिया है, उसे पूरा करना मेरी प्राथमिकता होगी। पीएम मोदी का तहे दिल से आभार जताना चाहती हूं कि यह सम्मान सिर्फ मेरा नहीं है, बल्कि यह देश की हर मां-बेटी का सम्मान है

सुरेश गांधी 

27 साल के लंबे इंतजार के बाद आज दिल्ली में एक बार फिर बीजेपी सरकार बन गई है। जी हां, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने शपथ के बाद औपचारिक तौर पर अपना कामकाज शुरु कर दी है। उनके साथ 6 कैबिनट मंत्रियों ने भी शपथ ली है, जिसमें इनमें अरविंद केजरीवाल को हराने वाले प्रवेश वर्मा, आशीष सूद, मनजिंदर सिंह सिरसा, रविंद्र इंद्राज सिंह, कपिल मिश्रा और पंकज कुमार सिंह शामिल है। खास यह है कि शपथ लेने के 6 घंटे बाद यमुना घाट पर रेखा पनी टीम के साथ आरती की। भला क्यों नहीं, चुनाव में यमुना की सफाई बड़ा मुद्दा था। भाजपा ने भी अपने मेनिफेस्टो में यमुना की सफाई का वादा किया है। इस दौरान उन्होंने बिना किसी का नामलिए कहा, मैं शीशमहल में नहीं रहूंगी। भाजपा का आरोप है कि केजरीवाल ने इसे बनवाने में नियमों को ताक पर रखकर करोड़ों रुपए खर्च किए हैं। भाजपा ने इसे चुनावी मुद्दा भी बनाया था। लेकिन रेखा के सामने यह सब करने की उस विपक्ष के सामने चुनौती होगी, जो बार-बार तिल का ताड़ बनाकर आंदोलन की धमकी देती रही है। यह अलग बात है हिक बीजेपी ने रेखा को यह जिम्मेदारी सिर्फ बड़ी उम्मींदों से दी है बल्कि ब्राह्मणों और वैश्यों को भी साधा है, जो सिर्फ बीजेपी का कोर वोटर माना जाता है, बल्कि दिल्ली में करीब सात फीसदी उसकी आबादी भी हैं

देखा जाएं तो रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाकर वैश्य वोटों को अरविंद केजरीवाल से छिटकाने का भी काम किया गया है और महिला मुख्यमंत्री बना कर महिला वोटरों को ये संदेश देना चाहती है कि वो उनके हित में काम करेंगीं. क्योंकि देश के 20 राज्यों में एनडीए शासन तो है, लेकिन किसी भी राज्य में महिला मुख्यमंत्री नहीं थी. मतलब साफ है बीजेपी ने रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाकर महिला, वैश्य समुदाय और संघ को भी साधने का प्रयास किया है. बिहार और पश्चिम बंगाल चुनाव में बीजेपी कहीं कहीं महिलाओं को साधने के लिए इनका उपयोग करेगी. या यूं कहे बीजेपी ने इससे देश में जातीय समीकरण में संतुलन और हर वर्ग से प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की है. राजस्थान और महाराष्ट्र में ब्राह्मण मुख्यमंत्री हैं. उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में क्षत्रिय मुख्यमंत्री का शासन है. मध्यप्रदेश और हरियाणा में अन्य पिछड़े वर्ग से आने वाले मुख्यमंत्री बनाए गए हैं. वहीं ओडिशा और छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री आदिवासी वर्ग से बनाए गए हैं. ऐसे में वैश्य वर्ग से महिला मुख्यमंत्री बनाकर सबका साथ लेकर चलने की मंशा दिखाई गई है. इसके अलावा बीजेपी के शासन में अब एलजी चुनौती नहीं खड़ी करेंगे. कैबिनेट के हर मामले को वह आराम से आगे बढ़ा देंगे. वहीं अरविंद केजरीवाल को व्यक्तिगत रूप से हमलावर होने से पहले दस बार विचार करना होगा. क्योंकि रेखा गुप्ता महिला हैं और उसी भूमि और वर्ग से हैं जिससे केजरीवाल आते हैं. ऐसे में अरविंद केजरीवाल नीतियों पर आक्रामक रहेंगे और यह आक्रामकता बीजेपी के खिलाफ़ होगी कि रेखा गुप्ता के खिलाफ.

बता दें, बीजेपी ने महिला वोटरों को हर महीने 2500 रुपये देने का वादा किया है. यहां जिक्र करना जरुरी है कि देश में कई राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में महिला वोटरों के खाते में सीधे पैसे भेजने का दांव भाजपा के लिए मुफ़ीद साबित हुआ है. मध्य प्रदेश महाराष्ट्र में दिया भी जा रहा है। साथ ही दिल्ली में भाजपा ने आयुष्मान भारत योजना को लागू करने का भी वादा किया है। इसके लिए उसे दिल्ली में मेडिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना होगा. यमुना नदी को प्रदूषण मुक्त करने का वादा एक बड़ा मुद्दा है, इस मुद्दे पर केजरीवाल सरकार और बीजेपी के बीच जमकर घमासान भी हुआ था. दोनों ने एक-दूसरे पर यमुना की गंदगी का ठीकरा फोड़ा था. लेकिन रेखा गुप्ता की सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी, दिल्ली के औद्योगिक कचरे को यमुना में गिरने से रोकना। साथ ही गैर मानसून सीजन में इसमें पर्याप्त पानी सुनिश्चित करना भी एक बड़ी चुनौती होगी. बीजेपी ने वादा किया है कि मुफ्त बिजली, पानी और महिलाओं के लिए बस यात्रा सहित आम आदमी सरकार की ओर से दी जाने वाली सब्सिडी जारी रहेगी. राज्य और केंद्र दोनों जगह अपनी सरकार होने की वजह से दिल्ली सरकार को सहूलियत हो सकती है. लेकिन रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम और फेम स्कीम के तहत नई इलेक्ट्रिक बसें चलाने के लिए पैसे का इंतज़ाम बड़ी चुनौती होगी. अब दिल्ली मेंडबल इंजनकी सरकार को सड़कों और फ्लाईओवरों की मरम्मत और रखरखाव के लिए खासा खर्च करने होंगे। 

बीजेपी के लिए एक ऐतिहासिक दिन है, क्योंकि 27 साल बाद पार्टी दिल्ली की सत्ता में वापस आई है। सुषमा स्वराज, शीला दीक्षित और आतिशी के बाद रेखा गुप्ता दिल्ली की चौथी महिला मुख्यमंत्री बनी हैं। एक छात्र नेता के तौर पर राजनीति शुरू करने वाली रेखा गुप्ता को कई बार असफलताओं का सामना करना पड़ा. उन्होंने कई सियासी उतार-चढ़ाव देखें और आज वह दिल्ली की सीएम की कुर्सी तक पहुंच गई हैं। रेखा गुप्ता का जन्म 1974 में हरियाणा के जींद जिले के नंदगढ़ गांव में हुआ था. उनके पिता स्वर्गीय जय भगवान जिंदल और माता उर्मिला जिंदल हैं. एसबीआई बैंक में पिता की नौकरी लगने के बाद उनका परिवार 1976 में दिल्ली शिफ्ट हो गया था. हालांकि अब भी उनका परिवार जुलाना में कारोबार करता है.दिल्ली से सटे हरियाणा से ताल्लुक रखने की वजह से रेखा गुप्ता का अपने गृह राज्य में आना-जाना होता रहता है. रेखा गुप्ता की शादी दिल्ली के बिजनेसमैन मनीष गुप्ता से हुई है. उनके दो बच्चे (एक बेटा और एक बेटी) हैं. रेखा गुप्ता ने दौलतराम कॉलेज से बीकॉम किया है. साथ ही उनके पास लॉ की भी डिग्री है. उन्होंने 2022 में मेरठ के चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी के आईएमआईआरसी कॉलेज ऑफ लॉ भैना गाजियाबाद से एलएलबी की डिग्री हासिल की है. हरियाणा में जन्मी और दिल्ली में पली-बढ़ी रेखा बचपन से ही राजनीति में सक्रिय रहीं. उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की और छात्र राजनीति में अहम भूमिका निभाई. भाजपा में शामिल होने के बाद वे सरकार और संगठन के विभिन्न पदों पर कार्यरत रहीं. वह आरएसएस से 32 साल तक जुड़ी रहीं.

रेखा गुप्ता ने 1992 में दिल्ली विश्वविद्यालय के दौलत राम कॉलेज में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से अपनी सियासी यात्रा शुरू की थी. 1995-96 मे. वह दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ की सचिव और 1996-97 में इसकी अध्यक्ष रहीं. 2002 में वह भाजपा में शामिल हुईं और पार्टी की युवा शाखा की राष्ट्रीय सचिव रही। 2007 में उत्तरी पीतमपुरा से पार्षद चुने जाने के बाद गुप्ता ने महिलाओं और बच्चों के कल्याण के लिए काम किया. उन्होंने सुमेधा योजना जैसी पहल शुरू की, जिसके तहत आर्थिक रूप से कमजोर छात्राओं को उच्च शिक्षा हासिल करने में मदद मिली. वह तीन बार शालीमार बाग से पार्षद चुनी गईं - 2007-2012, 2012-17 और 2022-25 नगर निकाय की महिला कल्याण एवं बाल विकास समिति की प्रमुख के रूप में उन्होंने महिलाओं के सशक्तिकरण अभियान का नेतृत्व किया. रेखा गुप्ता ने मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में भाजपा की महिला शाखा की प्रभारी के तौर पर भी काम किया है. वह भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं. दिल्ली की सियासत में पिछले 18 साल से वो किसी किसी रूप में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं. 2009 में दिल्ली भाजपा महिला मोर्चा की महासचिव रहीं. 2010 में भाजपा ने उन्हें राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य की जिम्मेदारी दी. 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में रेखा गुप्ता ने किसमत आजमाई, लेकिन दोनों ही बार बाग सीट से सफलता नहीं मिली। 2015 में उन्हें आम आदमी पार्टी की वंदना कुमारी ने करीब 11 हजार वोटों से हराया तो वहीं 2020 में उनकी हार का अंतर 3400 वोट के करीब था. 2025 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने वंदना कुमारी को बड़े अंतर से हरा दिया.

ऐसी है दिल्ली की सियासत

ब्रिटिश शासन से आजादी के बाद दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जा रहा था. पूरा खाका तैयार कर लिया गया था जिसमें एक मुख्यमंत्री और तीन मंत्री के साथ सारे अधिकार दिल्ली को मिलने वाले थे, लेकिन डॉ. भीम राव अंबेडकर ने इसे सिरे से खारिज कर दिया. कहा गया कि भारत की राजधानी दिल्ली पर राज्य का अधिकारी नह.हो सकता है. इसके बाद बाकी राज्यों के मुकाबले दिल्ली के मुख्यमंत्री की शक्तियां बदल गईं. दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही यह चर्चा तेज हो गई है कि सीएम रेखा गुप्ता के पास भी वो शक्तियां नहीं होंगी, जो भारत के अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों के पास होती हैं. इसका मुख्य कारण यह है कि दिल्ली एक पूर्ण राज्य होकर केंद्र शासित प्रदेश है. जनता के वोटों से बनी दिल्ली सरकार एक तरह से सलाहाकार की तरह काम करती है. सिर्फ नीति और नियम बना सकती है, लेकिन इसे लागू करने का अधिकार उपराजपाल के पास है. इसके अलावा दिल्ली पुलिस दिल्ली सरकार के अधीन नहीं, बल्कि केंद्र सरकार (गृह मंत्रालय) के अधीन होती है. अन्य राज्यों में पुलिस पर मुख्यमंत्री का नियंत्रण होता है, लेकिन दिल्ली में ऐसा नहीं है. दिल्ली सरकार दंगों, अपराध नियंत्रण, कानून-व्यवस्था से जुड़ी नीतियां तय नहीं कर सकती. दिल्ली में शांति-व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी उपराज्यपाल और केंद्र सरकार की होती है. दिल्ली में सरकारी भूमि का प्रशासन दिल्ली विकास प्राधिकरण और एलजी के अधीन होता है. अन्य राज्यों में मुख्यमंत्री राज्य की भूमि से जुड़े फैसले ले सकते हैं. अन्य राज्यों में राज्यपाल को आमतौर पर सलाहकार की भूमिका निभानी होती है, लेकिन दिल्ली में उपराज्यपाल के पास कई अहम शक्तियां होती हैं. दिल्ली सरकार द्वारा लिए गए फैसलों को उपराज्यपाल सशर्त रोक या बदल सकते हैं. दिल्ली सरकार के कई कानून केंद्र सरकार की मंजूरी के बिना लागू नहीं हो सकते. अन्य राज्यों में विधानसभा कानून बनाकर सीधे लागू कर सकती है, लेकिन दिल्ली में उपराज्यपाल और केंद्र सरकार की मंजूरी जरूरी होती है।

5 करोड़ की मालकिन हैं रेखा गुप्ता

रेखा गुप्ता की कुल संपत्ति 5.31 करोड़ रुपये है, जबकि उन पर 1.20 करोड़ रुपये का कर्ज है। उनकी सालाना कमाई में उतार-चढ़ाव रहा है। वित्त वर्ष 2023-24 में 6.92 लाख रुपये, 2022-23 में 4.87 लाख रुपये और 2021-22 में 6.51 रुपये लाख की कमाई हुई। उनके पति मनीष गुप्ता की कमाई काफी ज्यादा है। मनीष गुप्ता ने 2023-24 में 97.33 लाख रुपये कमाए।

 

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