काशी में नागा संतों ने निकाली पेशवाई,
श्रद्धालुओं ने किया स्वागत
नागा संतों
के
करतब
और
शस्त्र
प्रदर्शन
स
लोग
हुए
निहाल
जूना अखाड़े
के
संतों
ने
धार्मिक
अनुष्ठान
के
बाद
आराध्य
देव
को
लगाया
खिचड़ी
का
भोग
भाला निशान
लेकर
पेशवाई
में
शामिल
हुए
नागा
सुरेश गांधी
वाराणसी : देवों के देव महादेव
की नगरा काशी में
बुधवार को माघ मास
की पूर्णिमा तिथि (माघी पूर्णिमा) पर
नागा संतों ने कड़ी चौकसी
के बीच भव्य पेशवाई
निकाली। नागा साधु संतों
की बैंडबाजा और ढोल नगाड़ों
के साथ बैजनत्था स्थित
जपेश्वर मठ से हनुमान
घाट मठ तक निकले
इस पेशवाई में शामिल जूना
अखाड़े के सैकड़ों नागा
संतों के स्वागत के
लिए मार्ग पर नागरिकों की
लंबी कतारें दिखी। लोग हर-हर
महादेव के उद्घोष के
बीच नागा संतों पर
पुष्प वर्षा करते रहे। नागा
साधुओं की यात्रा की
कतारें काफी लंबी रही।
इस यात्रा में एक हजार
से अधिक नागा साधु
शामिल थें। साधु-संतों
ने पेशवाई निकालने से पहले श्रंगार
किया, शरीर पर भभूत
लगाई।
पेशवाई में नागा संतों के आराध्य देव के विग्रह या तस्वीर वाला
वाहन सबसे आगे चल रहे थे, जिसे श्रद्धालु बड़े श्रद्धा भाव से देखते रहे। इसके बाद बैंड-बाजे, ढोल-नगाड़े, हाथी-घोड़े के रथ पर नागा अखाड़ों के बड़े संत और महामंडलेश्वर विराजमान होते हैं। इस शोभायात्रा में अनुयायी और शिष्य भी पैदल यात्रा करते हुए संतों के पीछे चल रहे थे। प्रयागराज महाकुंभ से 9 फरवरी को काशी आए नागा संतों ने जपेश्वर मठ में सुबह से ही धार्मिक अनुष्ठान किए। मठ में आयोजित विविध धार्मिक क्रियाओं के बाद, सभी ने अपने आराध्य देव को खिचड़ी का भोग अर्पित किया।इसके बाद नागा
संत पेशवाई के लिए तैयार
हुए। पेशवाई का रास्ता कमच्छा,
भेलूपुर, गौरीगंज और हरिश्चद्र घाट
होते हुए हनुमान घाट
स्थित जूना अखाड़े तक
पहुंचा। इस यात्रा के
दौरान श्रद्धालुओं ने बड़े जोश
और श्रद्धा के साथ नागा
संतों का स्वागत किया।
पेशवाई में शामिल नागा
संत अपने शरीर पर
चिता भस्म लगाए हुए
थे और अपनी जटाओं
को लहराते हुए बैंडबाजा, डमरू,
नगाड़ा जैसे वाद्य यंत्रों
की धुन पर करतब
दिखा रहे थे। बैंड-बाजे और ढोल-नगाड़े की ध्वनियों के
बीच नागा संत भाला,
तलवार, त्रिशूल और गदा से
अपने पारंपरिक शस्त्रों का प्रदर्शन करते
हुए चल रहे थे।
इस आयोजन का उद्देश्य केवल
धार्मिक आस्था को व्यक्त करना
था, बल्कि यह काशी की
आध्यात्मिक ऊर्जा को भी प्रकट
कर रहा था।
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